भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय – दीक्षांत समारोह के अवसर पर सम्बोधन
आगरा : 05.12.2017
1. दीक्षांत समारोह के अवसर पर उपस्थित सभी पदक विजेताओं, शिक्षकों, अन्य सभी विद्यार्थियों तथा अभिभावकों को मेरी बहुत-बहुत बधाई।
2. भारत के इतिहास और विश्व पर्यटन में अपनी खास पहचान रखने वाले इस आगरा शहर में आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। देश के युवाओं के भविष्य से जुड़ा हुआ होने के कारण आज का यह समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
3. यह विश्वविद्यालय पिछले नब्बे वर्षों से उच्च शिक्षा में अपना निरंतर योगदान दे रहा है। आप में से बहुत लोगों को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि आजादी के पहले, लाहौर से कोलकाता तक, अनेक राज्यों, और नेपाल के कुल 108 महाविद्यालय इससे सम्बद्ध थे। मुझे बताया गया है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों समेत, आज उत्तर प्रदेश के एक हजार से अधिक महाविद्यालय इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं| इन सभी महाविद्यालयों में सात लाख से भी अधिक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं|
4. लेकिन यह विश्वविद्यालय केवल छात्रों की बड़ी संख्या के लिहाज से ही नहीं, बल्कि अनेक क्षेत्रों में अपने योगदान के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां के छात्रों ने राष्ट्र और समाज के निर्माण में अपनी अविस्मरणीय भूमिका निभाई है। एकात्म-मानव-वाद का महान दर्शन और अंत्योदय का न्यायपूर्ण आदर्श देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय इसी विश्वविद्यालय के छात्र थे| पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा ने भी इसी विश्वविद्यालय में अध्ययनकिया था । इस विश्वविद्यालय ने,भारत-रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी और चौधरी चरण सिंह के रूप में, हमारे देश को दो प्रधानमंत्री दिए हैं| आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों का मुकदमा लड़ने के लिए प्रसिद्ध श्री तेजबहादुर सप्रू से लेकर ओलिंपिक स्तर के हॉकी खिलाड़ी, श्री जगबीर सिंह तक,इस विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपना विशेष योगदान दिया है। मंच पर आसीन श्री अजीत डोभाल जी भी इसी विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं। देश की सुरक्षा के लिए उनके योगदान के बारे में सभी जानते हैं। इस प्रकार,यहाँ के विद्यार्थियों की एक प्रभावशाली और लम्बी सूची है, जिसमें से कुछ का ही मैंने उल्लेख किया है। मुझे भी इसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कानपुर स्थित डी.ए.वी. कालेज सेस्नातक की डिग्री प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। मुझे लगता है कि देश में केवल यही एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहां के विद्यार्थियों में से दो राष्ट्रपति,दो प्रधानमंत्री,तथा कई राज्यपाल और मुख्यमंत्री हुए हैं। मुझे विश्वास है कि भूतपूर्व छात्रों की यह प्रभावशाली परंपरा आप को विभिन्न क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेगी। अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले सभी भूतपूर्व छात्रों में आपको एक खासियत देखने को मिलेगी;उन सभी में अपनी क्षमता का विकास करने के साथ-साथ,देश और समाज के लिए भी कुछ-न-कुछ करने का जज़्बा रहा है। यही जज़्बा आज मानद उपाधि से सम्मानित डॉ.टेसीटॉमस में भी है, जो DRDO में पहली महिला "मिशन डायरेक्टर” के रूप में देश की सुरक्षा को अपना योगदान दे रही हैं।
5. अपनी योग्यता को,समाज और राष्ट्र के हित में लगाने का जो आदर्श डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने प्रस्तुत किया है,वह सभी के लिए अनुकरणीय है। मैं समझता हूँ कि सन 1995 में इस विश्वविद्यालय को ‘डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय’ का नाम देने के पीछे, आधुनिक भारत के निर्माण में उनके महान योगदान को मान्यता देने की सोच रही होगी।
6. एक असाधारण विद्यार्थी के रूप में डॉक्टर आंबेडकर की चर्चा करना यहां प्रासंगिक है। कहा जा सकता है कि,वे अपने समय के सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों में से एक थे। अमेरिका की कोलम्बिया यूनिवर्सिटी का स्वर्ण युग कहे जाने वाले समय में वहां पढ़ाई करते हुए डॉक्टर आंबेडकर ने विद्यार्थी के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और उनके रिसर्च गाइड प्रोफेसर एडविन सेलिगमन ने विश्वविद्यालय के सोविनियर में लिखा था,"कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में यदि कोई छात्र पढ़ने आया है तोबी.आर.आंबेडकर, और यदि अंतिम छात्र पढ़कर गया है तोबी.आर.आंबेडकर!” मैं आशा करता हूँ कि इस विश्वविद्यालय के छात्र डॉक्टर आंबेडकर से प्रेरणा लेंगे और अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ेंगे।
7. डॉक्टर आंबेडकर ने अलग-अलग गंभीर विषयों पर थीसिस लिखी थी। उन सभी की व्यापक सराहना हुई थी। संविधान सभा के सबसे अधिक विद्वान सदस्य के रूप में उनका लोग सम्मान करते थे, जबकि उस सभा के सदस्यों में अनेक उच्च कोटि के विद्वान भी मौजूद थे। शायद इसीलिए उन्हे संविधान सभा की ‘ड्राफ्टिंग कमेटी’ का अध्यक्ष चुना गया था। जैसा कि सभी जानते हैं, करोड़ों भारतवासियों के जीवन को आधार देने वाला, आधुनिक भारत का बुनियादी दस्तावेज़, यानि हमारा संविधान, डॉक्टर आंबेडकर की सोच को परिलक्षित करता है। इस प्रकार शिक्षा से जुड़े सभी लोगों के लिए डॉक्टर आंबेडकर एक आदर्श हैं।
8. किसी भी विश्वविद्यालय की बुनियाद, उसके शिक्षक और छात्र होते हैं। चाणक्य जैसे शिक्षक ने अपने शिष्य चंद्रगुप्त के माध्यम से हमारे इतिहास का एक महान अध्याय लिखा था। हमारी सांस्कृतिक विरासत को विश्व में अग्रणी बनाने के लिए गुरु और शिष्य के बीच उसी ताल-मेलको फिर से आगे बढ़ाने की जरूरत है। ऐसा ताल-मेल जीवन पर्यन्त चल सकता है।
9. यह दीक्षांत समारोह आपकी शिक्षा का अंत नहीं है। दीक्षा औपचारिक होती है जिसमें किसी गुरु या संस्थान के साथ शिष्य का संबंध निश्चित किया जाता है। लेकिन शिक्षा कहीं से भी, कभी भी प्राप्त की जा सकती है और आजीवन जारी रहती है। दीक्षांत समारोह आपके जिम्मेदारी भरे जीवन की शुरुआत है। यह समारोह विश्वविद्यालय के सफल छात्रों के सम्मान का अवसर तो है ही; साथ ही,यह समाज और राष्ट्र के निर्माण में आप सभी युवाओं के समर्पित होने का अवसर भी है।
10. आज आपको औपचारिक शिक्षा की एक सीढ़ी चढ़ने के बाद उपाधि मिली है। अब आप अपने जीवन के लक्ष्य तय करेंगे। कोई भी लक्ष्य अपने आप में न छोटा होता है न बड़ा, वह केवल एक लक्ष्य होता है। मेरी सलाह है कि आप जो भी लक्ष्य तय करें, उसे पाने के लिए पूरी एकाग्रता के साथ आगे बढ़ें। स्वयं आगे बढ़ने के साथ-साथ आप समाज के उन लोगों को भी आगे बढ़ाएं, जो आज आपसे पीछे रह गए हैं।
11. आज आप जहां भी पहुंचे हैं, उस यात्रा में किसी न किसी रूप में बहुत से लोगों ने आपकी सहायता की है। आपके माता-पिता, शिक्षकों, परिवार तथा समाज के अन्य लोगों, और सरकार, इन सभी ने मिल कर आपको ऐसा अवसर दिया है, जो हमारे समाज के करोड़ों लोगों को नहीं मिल पाया है।आपका यह कर्तव्य बनता है कि समाज के इस ऋण को आप चुकाएं। आपको मानवता के हित में काम करना है। आप अपने आप को आने वाले समाज का निर्माता समझें।
12. मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय ने एक प्राथमिक विद्यालय को गोद लिया है, मॉडल स्कूल में कुछ गरीब बच्चों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी ली है, कॉर्निया प्रत्यारोपण के कार्यक्रम चलाए हैं और रक्तदान शिविर आयोजित किए हैं। समाज-हित से जुड़े ये सभी प्रयास सराहनीय हैं। ऐसे प्रयासों में छात्रों की भागीदारी होने से उनमें संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी का विकास होता है।
13. इस विश्वविद्यालय पर सात लाख से भी अधिक युवाओं की शिक्षा और चरित्र निर्माण की ज़िम्मेदारी है। मुझे आशा है कि यह विश्वविद्यालय 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए हमारी युवा पीढ़ी को तैयार करने में सार्थक भूमिका निभा रहा है। बड़ी तादाद में यहां से निकलने वाली शिक्षित और चरित्रवान पीढ़ी, देश के विकास की आधारशिला को मजबूत बनाएगी।
14. अंत में, मैं इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित सभी विद्यार्थियों को एक बार फिर बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूं। उन विद्यार्थियों को मैं विशेष तौर पर बधाई देता हूँ जिन्होंने कठिन परिश्रम करके आज पदक प्राप्त किए हैं। मुझे यह देख कर विशेष प्रसन्नता हुई है कि हमारी बेटियों ने शानदार प्रदर्शन किया है और इतनी बड़ी संख्या में पदक प्राप्त किये हैं। मैं आप सभी युवाओं से यह अपेक्षा करता हूं कि आप हमेशा कुछ-न-कुछ नया सीखते रहेंगे,और संवेदनशीलता के साथ, समाज और देश को अपना अहम योगदान देते रहेंगे।