भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के विशेष अधिवेशन में सम्बोधन
लखनऊ :06.06.2022
विश्व के सबसे विशाल लोकतन्त्र के सबसे बड़े राज्य के विधान मण्डल के सदस्यों को, इस महत्वपूर्ण सत्र में संबोधित करते हुए मुझे विशेष प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। यूरोप के तीन महत्वपूर्ण लोकतान्त्रिक देशों – जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम – को मिलाकर जितनी कुल आबादी है, उतनी अकेले उत्तर प्रदेश की है। उत्तर प्रदेश की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व भौगोलिक विविधता यहां के लोकतन्त्र को और भी समृद्ध और मजबूत बनाती है। उत्तर प्रदेश की 20 करोड़ से अधिक की आबादी, अनेकता में एकता की हमारी सांस्कृतिक विशेषता का बहुत अच्छा उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत करती है। इस महत्वपूर्ण राज्य में आप सबका जन-प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित होना विशेष महत्व की बात है। मैं आप सभी को बधाई देता हूं।
मेरे लिए उत्तर प्रदेश की प्रत्येक यात्रा, अपनी जन्म-स्थली व आरंभिक जीवन की कर्म-स्थली से जुड़ने और अपने प्रियजनों से मिलने का अवसर भी प्रदान करती रही है। मेरी इस यात्रा के दौरान, तीन जून को, प्रधानमंत्री जी ने मेरे गांव परौंख का भ्रमण किया, वहां पर बाबासाहब डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की तथा मेरे गांव में उपस्थित लोगों को संबोधित भी किया। वह कार्यक्रम मेरे गांव के इतिहास की अविस्मरणीय घटनाओं के रूप में लोगों की स्मृति में सदैव विद्यमान रहेगा। चार जून को कानपुर में उत्तर प्रदेश के मर्चेन्ट्स चैंबर को संबोधित करते समय मैंने इस राज्य के उद्यमियों में एक नए उत्साह का अनुभव किया। मुझे विश्वास है कि उत्तर प्रदेश को, एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का मुख्यमंत्री योगी जी का लक्ष्य अवश्य सिद्ध होगा।
इस यात्रा के दौरान गोरखपुर में गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में भाग लेने तथा श्री गोरखनाथ मंदिर में दर्शन करने की स्मृतियां, मेरे मानस पटल पर सदैव अंकित रहेंगी। कल मुझे संत-कबीर नगर में मगहर स्थित कबीर चौरा धाम जाने का सौभाग्य भी मिला। वहां जाना मेरे लिए तीर्थ यात्रा जैसा महत्त्व रखता है। संत कबीर अकादमी में भविष्य में होने वाले अध्ययन व शोध कार्य उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक, सामाजिक व शैक्षिक विरासत को और मजबूत बनाएंगे। वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर में उनका दर्शन करके तथा वहां के नवनिर्मित गलियारे और परिसर के सौन्दर्य तथा भव्यता को देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। अब उस परिसर में जाने पर यह अहसास होता है कि महात्मा गांधी ने सन् 1916 में काशी विश्वनाथ मंदिर की अपनी यात्रा के संदर्भ में, वहां की संकरी व गंदी गलियों तथा अव्यवस्था के विषय में, जो असंतोष व्यक्त किया था उसे प्रधानमंत्री जी व मुख्यमंत्री जी ने दूर कर दिया है।
देवियो और सज्जनो,
डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर कहा करते थे कि भारतीय लोकतन्त्र के बीज हमें पश्चिम के देशों से नहीं मिले बल्कि उनका स्पष्ट उदाहरण भगवान बुद्ध के समय में गठित संघों की कार्य-प्रणाली में दिखाई देता है। आज के उत्तर प्रदेश में स्थित कौशांबी और श्रावस्ती में, प्राचीन काल में ही, वैसी लोकतान्त्रिक व्यवस्था के उदाहरण मौजूद थे जिनका उल्लेख डॉक्टर आंबेडकर ने संविधान सभा के अपने ऐतिहासिक भाषण में किया था। आज आप सभी जन-प्रतिनिधिगण उस प्राचीन लोकतान्त्रिक विरासत के उत्तराधिकारी हैं। यह आप सबके लिए गौरव की बात है। साथ ही, आप सबके ऊपर भगवान बुद्ध और बाबासाहब डॉक्टर आंबेडकर के आदर्शों को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी भी है। सामाजिक समावेश की दृष्टि से यह एक अच्छी उपलब्धि है कि वर्तमान विधान मण्डल में समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व का दायरा कहीं अधिक व्यापक हुआ है। लेकिन मुझे बताया गया है कि उत्तर प्रदेश की विधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या 47 है जो कुल 403 सदस्यों का लगभग 12 प्रतिशत है। इसी प्रकार कुल 100 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधान परिषद के वर्तमान 91 सदस्यों में महिलाओं की संख्या केवल 05 है जो आज की तारीख में लगभग साढ़े पांच प्रतिशत है। महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि की व्यापक संभावनाएं हैं।
प्रिय सदस्यो,
इतिहास के हर दौर में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य रहा है। भारत की संविधान सभा में भी सबसे अधिक प्रतिनिधि इसी राज्य से गए। यही नहीं, यहां के प्रतिनिधियों का योगदान भी उच्च स्तरीय था। उन प्रतिनिधियों में पुरुषोत्तम दास टंडन, जवाहर लाल नेहरू, गोविंद वल्लभ पंत, हृदय नाथ कुंजरू, बी. वी. केसकर, पदमपत सिंघानिया, जॉन मथाई, हसरत मोहानी, श्रीमती कमला चौधरी, आचार्य जे.बी. कृपलानी, महावीर त्यागी, श्रीमती पूर्णिमा बैनर्जी तथा रफी अहमद किदवई जैसी अनेक प्रतिभाएं शामिल थीं जिनमें कुछ के ही नामों का उल्लेख मैंने किया है।
उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के जिन गलियारों में आप सभी जन-प्रतिनिधिगण का आना-जाना होता है वहीं आप सबके यशस्वी पूर्ववर्ती आते-जाते थे। आपके उन पूर्ववर्ती जन-प्रतिनिधियों में आजादी के पहले, वर्ष 1937 तथा 1946 में गठित दोनों विधान सभाओं के अध्यक्ष राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन से लेकर गोविंद वल्लभ पंत, डॉक्टर सम्पूर्णानन्द, सुचेता कृपलानी, चंद्रभानु गुप्त, चौधरी चरण सिंह, कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नन्दन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, विश्वनाथ प्रताप सिंह तथा कल्याण सिंह जैसी दिवंगत विभूतियां शामिल हैं। इस क्रम में मुलायम सिंह यादव जी और बहन मायावती जी की भूमिकाएं भी उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने वर्षों तक इस राज्य को कुशल नेतृत्व प्रदान किया तथा जिनका राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
राष्ट्रव्यापी राजनीति के संदर्भ में उत्तर प्रदेश के लिए इससे बढ़कर गर्व की बात क्या हो सकती है कि इस राज्य से लोकसभा के लिए निर्वाचित सांसदों में से 09 प्रधानमंत्रियों ने अब तक देश को नेतृत्व प्रदान किया है। जवाहरलाल नेहरू के रूप में देश को पहला प्रधानमंत्री तथा इन्दिरा गांधी के रूप में प्रथम महिला प्रधानमंत्री देने का गौरव भी उत्तर प्रदेश को ही जाता है। आदर्शों पर आधारित राजनीति व जन-सेवा के प्रतीक दो पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी भी उत्तर प्रदेश से सांसद चुने जाते थे। चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह और चन्द्रशेखर जी ने सिद्धांतों पर आधारित राजनीति के प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। राजीव गांधी भी उत्तर प्रदेश से ही सांसद बने व प्रधानमंत्री चुने गए। लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी को अपने गृह नगर की तरह अपनाया है तथा देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के चहुंमुखी विकास को नए आयाम प्रदान किए हैं।
अपनी विचारधाराओं तथा नैतिक आदर्शों से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीतिक व सामाजिक सोच पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले डॉक्टर राम मनोहर लोहिया और पंडित दीनदयाल उपाध्याय उत्तर प्रदेश की ऐसी विभूतियां रहे हैं जिनके जीवन-चरित से प्रत्येक जनप्रतिनिधि को बहुत कुछ सीखना चाहिए। उन दोनों विभूतियों ने अपनी विचारधाराओं से केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु व्यापक स्तर पर राजनीतिक संस्कृति को परिभाषित किया।
देवियो और सज्जनो,
आरंभिक दौर में उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के प्रायः सभी सदस्य स्वाधीनता सेनानी हुआ करते थे। उन्होंने स्वाधीनता संग्राम के दौरान आत्मसात किए गए अपने आदर्शों को स्वाधीनता के बाद भी अपने राजनीतिक जीवन में बनाए रखा। उत्तर प्रदेश विधान मण्डल का इतिहास अद्भुत उदारता और व्यापकता के उदाहरण प्रस्तुत करता है। उत्तर प्रदेश में ही, स्वाधीन भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के निर्वाचन का इतिहास रचा गया। बंगाल में जन्मी और सिंधी परिवार में ब्याही श्रीमती सुचेता कृपलानी राज्य की प्रथम मुख्यमंत्री बनीं। उस ऐतिहासिक घटना को महिला-सशक्तीकरण के आरंभिक उदाहरण के रूप में देखना चाहिए तथा महिला सशक्तीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश को इस संदर्भ में एक अग्रणी राज्य बनाना चाहिए। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि नीति आयोग की एस. डी. जी. इंडेक्स रिपोर्ट, 2020-21 के तहत, महिलाओं और पुरुषों के बीच वेतन का अंतर देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश में सबसे कम है। यह जेंडर इक्वालिटी का एक महत्वपूर्ण मानक है। इस उपलब्धि के लिए मैं उत्तर प्रदेश की सरकार को साधुवाद देता हूं।
खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का भारत में पहला स्थान है। इसी प्रकार आम, आलू, गन्ना व दूध के उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। हाल के वर्षों में राज्य में सड़कों के निर्माण में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। रेल तथा एयर कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतिभाशाली युवा अन्य राज्यों में तथा विदेशों में आर्थिक प्रगति के प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनैतिक व प्रशासनिक स्थिरता की संस्कृति का निर्माण करते हुए यह विश्वास जगाया है कि निकट भविष्य में ही उत्तर प्रदेश द्वारा आर्थिक प्रगति के नए कीर्तिमान स्थापित किए जाएंगे। पर्यटन, फूड प्रोसेसिंग, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी तथा अर्बन डेवलपमेंट की अपार संभावनाएं यहां उपलब्ध हैं।
राष्ट्रपति के रूप में अभी तक मैंने 33 विदेश यात्राएं सम्पन्न करके, उन देशों के साथ भारत के राजनयिक सम्बन्धों को और मजबूत बनाने का प्रयास किया है। देश के सभी राज्यों व क्षेत्रों में भी भ्रमण करके जनता से मिलने का अवसर मुझे मिला है। निष्कर्ष के तौर पर मैं कह सकता हूं कि उत्तर प्रदेश में जैसी उपजाऊ भूमि तथा कृषि के लिए सहायक प्राकृतिक स्थितियां हैं वे पूरे विश्व में तथा भारत के अन्य प्रदेशों में कहीं पर भी नहीं है। अतः कृषि के क्षेत्र में उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता पर तथा कृषि आधारित उद्यमों पर और अधिक ध्यान देकर राज्य की आर्थिक स्थिति में बहुत बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि वर्तमान में, केंद्र एवं राज्य की सरकारें मिलकर इस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील हैं।
प्रिय जन-प्रतिनिधिगण,
जिस प्रकार, केंद्र में राष्ट्रपति तथा दोनों सदनों को मिलाकर विधायिका का गठन होता है उसी प्रकार राज्यों में भी राज्यपाल तथा सदनों को मिलाकर राज्य की विधायिका का गठन होता है। यह एक सुखद संयोग है कि उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल, महात्मा गांधी की शिष्या श्रीमती सरोजिनी नायडू थीं और वर्तमान में यहां की राज्यपाल, निष्ठावान जन-सेविका श्रीमती आनंदीबेन पटेल हैं। विधान मण्डल को कर्मठ महिलाओं का मार्गदर्शन मिलना सामाजिक प्रगति में सहायक होता है।
उत्तर प्रदेश विधान मण्डल में सत्ता पक्ष तथा प्रतिपक्ष के बीच गरिमापूर्ण सौहार्द का गौरवशाली इतिहास रहा है। कभी-कभार इस समृद्ध परंपरा के विपरीत जो अमर्यादित घटनाएं हुई हैं उन्हें अपवाद के रूप में भुलाने का प्रयास करते हुए आप सबको उत्तर प्रदेश की स्वस्थ राजनीतिक परंपरा को और मजबूत बनाना है। लोकतन्त्र में सत्ता तथा प्रतिपक्ष की विचारधाराओं में अंतर हो सकता है परंतु दोनों पक्षों में वैमनस्य नहीं होना चाहिए।
उपस्थित जन-प्रतिनिधिगण,
इन दिनों हम सभी देशवासी स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस महोत्सव का एक उद्देश्य उन शहीदों को याद करना भी है जो प्रायः विस्मृत रहते हैं तथा जिनके बारे में सभी देशवासियों को विशेषकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। हम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वाधीनता संग्राम की मुख्य धारा के साथ-साथ संघर्ष की अन्य धाराएं भी प्रवाह में थीं। उन सभी धाराओं के मिले जुले आवेग के सामने अंग्रेज़ टिक नहीं सके और उन्हें भारत छोड़ना पड़ा। उत्तर प्रदेश में भी अनेक ऐसे अज्ञात व गुमनाम स्वाधीनता सेनानी रहे हैं जिनके विषय में और अधिक जानकारी सुलभ होनी चाहिए। विख्यात सेनानियों के विषय में भी और अधिक जानकारी का प्रसार होने से नयी पीढ़ी में जागरूकता बढ़ेगी।
सन 1857 में, यहां से थोड़ी ही दूरी पर, कानपुर के समीप, बिठूर में, नाना साहब स्वाधीनता समर को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे। उनके साथ, तात्या टोपे जैसे योद्धा थे तथा अज़ीमुल्ला ख़ान जैसे सलाहकार थे। नाना साहब के साथियों द्वारा रोटी और कमल के जरिए क्रांति का संदेश पहुंचाने की शुरुआत इसी क्षेत्र में हुई। उस संग्राम के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनकी सहयोगी वीरांगना झलकारी बाई ने अपनी वीरता से सबको चकित कर दिया। भारत के इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। 1857 के उसी स्वाधीनता संग्राम में अवध क्षेत्र में ऊदा देवी जैसी वीरांगना ने शौर्य और पराक्रम की अमर गाथा लिखी। मेरठ की छावनी से क्रांतिकारी सिपाहियों का दिल्ली पहुंचना और अनिश्चय तथा भय से आक्रांत मुगल बादशाह के हृदय में बगावत की भावना जागृत करना इसी प्रदेश के लोगों का काम था। तात्या टोपे के वीरतापूर्ण अभियानों से लोगो को ऐसा लगने लगा था कि उनके रूप में शिवाजी महाराज ने फिर से अवतार ले लिया है। उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में पराक्रमी और शूरवीर योद्धाओं की परंपरा में राजा सुहेलदेव तथा राजा बिजली पासी का सादर स्मरण किए बिना इस प्रदेश की वीरगाथा अधूरी रह जाती है।
बीसवीं सदी में,अंग्रेजों के खिलाफ़ मैनपुरी षड्यंत्र को अंजाम देने वाले, आगरा में जन्मे तथा औरैया में अध्यापक रहे गेंदालाल दीक्षित ने विद्रोही युवाओं में क्रान्ति की ज्वाला जगाई तथा अंग्रेजों का साथ देने वाले लोगों को सबक सिखाया। शाहजहांपुर में जन्म लेने वाले रामप्रसाद बिस्मिल को काकोरी षड्यंत्र के मामले में गिरफ्तार किया गया। रामप्रसाद बिस्मिल ने ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ को अपने तथा अन्य क्रांतिकारियों के जीवन में चरितार्थ किया। शाहजहांपुर के ही अशफाक-उल्ला खान भी रामप्रसाद बिस्मिल के सहयोगी थे। चंद्रशेखर आज़ाद भी काकोरी षड्यंत्र में सक्रिय थे। मुझे इस बात का हार्दिक संतोष रहता है कि मैंने, राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, प्रयागराज में स्थित आजाद पार्क में, जहां उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी, वहां जाकर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
बनारस में शिक्षा प्राप्त करते हुए राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी भी क्रांतिवीरों की पूजनीय परंपरा का हिस्सा बने। प्रयागराज में जन्मे और कानपुर में सक्रिय रहे गणेश शंकर विद्यार्थी ने स्वाधीनता संग्राम व सामाजिक सौहार्द के लिए आत्म बलिदान का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। यह भी उल्लेखनीय है कि दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर अंग्रेजी हुकूमत को नींद से जगाने का संकल्प पूरा करने वाले सरदार भगत सिंह के साथ उनके क्रांतिवीर साथी थे बटुकेश्वर दत्त जिनकी शिक्षा-दीक्षा कानपुर में हुई थी। भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ जिन दुर्गा भाभी का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है उस वीरांगना का जन्म भी आज के कौशांबी जिले में हुआ था। अनेक बार जेल की यातनाएं सहने वाली दुर्गा भाभी ने गाजियाबाद में एक कन्या पाठशाला में शिक्षिका के रूप में कार्य किया और गाजियाबाद ही उनका निवास स्थान बना रहा। कानपुर के डीएवी कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने वाले शिव वर्मा और महावीर सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने अपना जीवन देश पर न्योछावर कर दिया। एटा में जन्मे क्रांतिकारी महावीर सिंह को अंग्रेज़ों के लिए खतरनाक माने गए क्रांतिकारियों के साथ अंडमान भेज दिया गया। वहां कारावास में ही, शारीरिक अत्याचारों के परिणामस्वरूप, उनकी जीवन-यात्रा का अंत हो गया। परसों, यानि विगत 4 जून को मुझे गोरखपुर के गौरवशाली इतिहास से जुड़े एक लाइट एंड साउंड शो को देखने का अवसर मिला। गोरखपुर से जुड़े अनेक ऐतिहासिक तथ्यों के साथ-साथ यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि गोरखपुर में चार-चार शहीद स्मारक हैं जो हमारे स्वाधीनता सेनानियों की गौरव-गाथा का परिचय देते हैं। उत्तर प्रदेश के क्रांतिवीरों की सूची इतनी लंबी है कि सबके नामों का उल्लेख करना किसी एक सम्बोधन में संभव नहीं है। मैं चाहूंगा कि उत्तर प्रदेश के ऐसे क्रांतिवीरों की याद में शिक्षण संस्थानों में व्याख्यान मालाएं आयोजित की जाएं। साथ ही अन्य माध्यमों के जरिए उनकी जीवन गाथाओं से लोगों को अवगत कराया जाए।
अंत में, आप सभी जन-प्रतिनिधियों से मैं यह विचार साझा करना चाहता हूं कि विधान मण्डल लोकतन्त्र का मंदिर होता है। जनता, आप सबको अपना भाग्य विधाता मानती है। प्रदेश की जनता को आप सबसे बहुत सी उम्मीदें और अपेक्षाएं हैं। उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही आपका सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है। आपकी जन-सेवा के दायरे में सभी नागरिक शामिल हैं, चाहे उन्होंने आपको वोट दिया हो या न दिया हो। इसलिए, हर व्यक्ति के हित में कार्य करना आपकी ज़िम्मेदारी है। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि अपनी संवैधानिक शपथ के अनुसार आप सभी अपने-अपने क्षेत्रों के अलावा पूरे प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश के लिए कार्य करने हेतु वचनबद्ध हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सबके अथक परिश्रम से उत्तर प्रदेश शीघ्र ही हर तरह से ‘उत्तम प्रदेश’ बनेगा। जब देश का सबसे बड़ा राज्य प्रगति के उत्तम मानकों को हासिल करेगा तो स्वतः ही पूरे देश के विकास को संबल प्राप्त होगा।
मैं आशा करता हूं कि आज से 25 वर्ष बाद जब हमारे देशवासी आजादी की शताब्दी के उत्सव मना रहे होंगे तब उत्तर प्रदेश विकास के मानकों पर भारत के अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित हो चुका होगा और हमारा देश विश्व-समुदाय में विकसित देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा होगा। इन्हीं शब्दों के साथ मैं उत्तर प्रदेश के करोड़ों निवासियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।
धन्यवाद,
जयहिन्द!