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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का ‘संस्कार युक्त शिक्षा’ पर आयोजित गोष्ठी में सम्बोधन

कानपुर : 06.10.2018

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1. शिक्षा से जुड़े एक बहुत महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित इस गोष्ठी में शामिल होकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

2. श्री ज्ञानानन्द महाराज श्रीमद्भगवद्गीता का प्रचार-प्रसार करके लोगों को भारतीय संस्कृति की महानतम परम्पराओं के विषय में ज्ञान और प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। मुझे भी पिछले वर्ष कुरुक्षेत्र में आयोजित गीता महोत्सव में सम्मिलित होने का अवसर मिला था। स्वामी ज्ञानानन्द जी सचमुच में गीता मर्मज्ञ हैं। आज इस गोष्ठी में ज्ञानानन्द जी की उपस्थिति और व्याख्यान, टैलेंट डेवलपमेंट काउंसिल की‘संस्कार युक्त शिक्षा’ के प्रति आस्था का उदाहरण है।

3. मुझे बताया गया है कि अब तक 11 वर्षों में इस संस्था से जुड़ने वाले 48 विद्यार्थी आई.आई.टी. और 105 विद्यार्थी एन.आई.टी. में प्रवेश के लिए चुने गए हैं। अनेक विद्यार्थियों ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्राप्त किया है। बहुत से छात्र-छात्राओं ने‘नेशनल टैलेन्ट सर्च एग्जामिनेशन ओलम्पियाड’ में सफलता पाई है। इसके अलावा, बैंकों के प्रोबेशनरी ऑफ़ीसर तथा सेना के शॉर्ट सर्विस कमीशन की परीक्षाओं में भी इस काउंसिल की सहायता पाने वाले युवाओं को सफलता मिली है। इस प्रकार टैलेन्ट डेवलपमेन्ट काउन्सिल द्वारा विद्यार्थियों की प्रतिभा को पहचानने और निखारने के प्रयासों तथा नि:शुल्क शिक्षा की सुविधा से अनेक विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। इन विद्यार्थियों की सफलता से यह भी सिद्ध होता है कि प्रतिभा हर इंसान में होती है चाहे वह गरीब हो या अमीर, सबल हो या निर्बल, स्वस्थ हो या दिव्यांग, गाँव का हो या शहर का। जरूरत इस बात की है कि हर इंसान में छिपी हुई प्रतिभा को तलाशने, निखारने और प्रोत्साहित करने के व्यवस्थित प्रयास किए जाएं।

4. टैलेन्ट डेवलपमेन्ट काउन्सिल द्वारा प्रतिभा के विकास के साथ-साथ बच्चों को संस्कारों की शिक्षा देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। निर्धन एवं कमजोर छात्रों की सहायता के लिए‘शिक्षा एवं संस्कार केन्द्र’ के प्रकल्प का संचालन करने के लिए मैं काउन्सिल की विशेष सराहना करता हूँ।

5. प्रतिभा विकास के साथ-साथ संस्कारों पर बल देना, समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए, बहुत जरूरी है। नैतिकता और संस्कार की शिक्षा के द्वारा, मनुष्य को बेहतर मनुष्य बनाना संभव हो पाता है। गांधीजी ने कहा था, "सच्ची शिक्षा वही है जो मनुष्य को सच्चा और अच्छा मनुष्य बनाए। ....... विद्या प्राप्ति, मानवता और नैतिकता की रक्षा से जुड़ी होनी चाहिए।” मैं भी मानता हूँ कि जो अच्छा मनुष्य है वह समाज के हर क्षेत्र में अच्छा योगदान ही देगा। संस्कारों पर आधारित चरित्र का निर्माण करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। यही‘संस्कार युक्त शिक्षा’ का उद्देश्य है।

6. हमारे समाज और देश की प्रगति के लिए अनिवार्य, सामूहिक नैतिकता के तत्वों का, हमारे संविधान की प्रस्तावना में, स्पष्ट उल्लेख किया गया है। सशक्त भारत का निर्माण करने के लिए हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय तथा स्वतन्त्रता, समता और बंधुता को बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करना है। इस प्रकार, भारत के संविधान का प्रिएंबल भी हमें संस्कार युक्त शिक्षा का ही संदेश देता है।

7. भारत ने पूरे विश्व में प्रेम और सौहार्द का संदेश प्रसारित किया है। सन 1893 में, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो के अपने ऐतिहासिक भाषण के आरंभ में वहाँ उपस्थित श्रोताओं को‘Sisters and brothers of America’ कहकर संबोधित किया था। स्वामी जी के हृदय से निकले इन पाँच शब्दों में निहित विश्व प्रेम और मानवीय करुणा की भावना ने सभी श्रोताओं के हृदय को छू लिया था। इस प्रकार स्वामी जी ने हमारे‘वसुधैव कुटुम्बकम्’के संदेश को पश्चिम के देशों में पहुंचाया था। ऐसे मानवीय मूल्यों के बल पर ही अच्छे समाज, राष्ट्र और विश्व का निर्माण करना संभव है।

8. महापुरुषों की जीवनी पढ़ने से भी बच्चों में मूल्यों और संस्कारों की उपयोगिता पर आस्था बढ़ती है। आज पूरा देश, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष में उनके आदर्शों की प्रासंगिकता को याद कर रहा है। आधुनिक इतिहास में, भारतीय संस्कारों के सबसे प्रसिद्ध अग्रदूत, और पूरे विश्व में सम्मानित, महात्मा गांधी की जीवनी, ‘सत्य के प्रयोग’ को पढ़ने से सबको, खासकर बच्चों और युवाओं को, यह प्रेरणा मिलती है कि सत्य, अहिंसा, प्रेम और परोपकार जैसे संस्कारों और नैतिक मूल्यों के बल पर, असंभव लगने वाले लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा सकता है।

9. महात्मा गांधी स्वच्छता को ईश्वर की उपासना के बराबर मानते थे। हाल ही में पूरे देश में‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान चलाया गया। इस अवसर पर स्वच्छता को अपना योगदान देने वाले अनेक देशवासियों के बारे में जानकारी मिली। उनमें से कुछ का उल्लेख मैं करना चाहूँगा।

10. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत निवासी 80 वर्षीय श्री छोटेलाल कश्यप लगभग तीस सालों से, नि:स्वार्थ भाव से सफाई के कार्य में लगे रहे हैं। उनके इस योगदान से प्रभावित होकर मैंने उन्हें राष्ट्रपति भवन में मिलने के लिए बुलाया। परसों ही मैंने उनसे मुलाक़ात की। श्री छोटे लाल जी की तरह ही बिहार के गया जिले के श्री ललन प्रजापति पूरी लगन के साथ, बिना किसी पारिश्रमिक या प्रोत्साहन के, अपने जिले के एक वार्ड की सफाई लगभग 25 सालों से करते आ रहे हैं। मुझे यह भी बताया गया है कि स्वच्छता अभियान के अंतर्गत कानपुर में, नगर निगम की टीम द्वारा 111 घंटे लगातार सफाई करने का रेकॉर्ड बनाया गया है। स्वच्छता के लिए इस उत्साह की सबको सराहना करनी चाहिए।

11. उच्च शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में भी राज्यपाल महोदय निरंतर योगदान और प्रेरणा प्रदान करते रहे हैं। कानपुर के लोगों का सौभाग्य है कि उन्हें राज्यपाल महोदय का मार्गदर्शन मिलता रहता है।

12. टैलेन्ट डेवलपमेन्ट काउन्सिल प्रतिभाओं को विकसित करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। मैं इसकी सराहना करता हूँ और अपेक्षा करता हूँ कि भविष्य में भी वह अपनी गतिविधियां जारी रखेगी और उनका विस्तार करेगी।

13. संस्कार युक्त शिक्षा पर इस गोष्ठी के आयोजन में योगदान देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मैं बधाई देता हूँ। मुझे विश्वास है कि ऐसे प्रयासों की सहायता से हम भविष्य के राष्ट्र निर्माताओं की पीढ़ी तैयार करने में अवश्य सफल होंगे।

धन्यवाद

जय हिन्द!