भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का ‘जस्टिस एंड केयर’ के समारोह में सम्बोधन
राष्ट्रपति भवन : 08.03.2018
1. आज यहां आपके बीच आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई है। प्रसन्नता इस बात की है कि यह आयोजन एक सराहनीय सामाजिक पहल से जुड़ा हुआ है। ऐसे कार्यों से समाज को प्रेरणा मिलती है। इस दिशा में जस्टिस एंड केयर का योगदान उल्लेखनीय है। संस्था की उपलब्धियों के लिए मैं जस्टिस एंड केयर से जुड़े हर व्यक्ति को बधाई देता हूं।
2. हम आज सूचना क्रांति के उस दौर में हैं, जहां सामाजिक बुराइयों पर खुलकर बातें होने लगी हैं। लोग आपस में सलाह-मशविरा कर रहे हैं, चर्चा कर रहे हैं और इससे समाधान भी निकल रहे हैं। लेकिन, कुछ सामाजिक बुराइयों पर अभी समाज में चर्चा कम होती है। इन्हीं में से एक है- मानव तस्करी यानि कि Human trafficking । यह हमारे देश के लिए ही नहीं, दुनिया भर के लिए एक अभिशाप है। मानव तस्करीजैसी अमानवीयता का शिकार वैसे तो लड़के-लड़कियां- दोनों ही होते हैं, लेकिन मानव तस्करी का दंश झेलने वाली कच्ची उम्र की बेटियों पर इसका प्रभाव अधिक भयावह होता है। मानव तस्करों के चंगुल में फंसकर वे ऐसी गहरी समस्याओं में उलझ जाती हैं, जिनसे बाहर आना बहुत मुश्किल हो जाता है।
3. मानव तस्करी कोई सामान्य अपराध नहीं है। यह,संपूर्ण मानवता के विरुद्ध किया जाने वाला अपराध है। इसमें मानव जीवन का व्यापार होता है। मानव तस्कर कमजोर वर्गों को अपना लक्ष्य बनाते हैं, जिनके पास ऐसी स्थिति से निपटने के पर्याप्त साधन नहीं होते।
4. ऊपर से देखने पर यह प्रतीत हो सकता है कि इससे केवल एक ज़िंदगी प्रभावित होती है या फिर एक परिवार प्रभावित होता है। लेकिन, हक़ीक़त यह है कि सामाजिक इकाई का सदस्य होने के नाते मानव तस्करी की त्रासदी, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में हम सबको प्रभावित करती है।
5. मुझे बताया गया है कि पिछले तीन वर्षों में मानव तस्करी के मामलों में 39 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और दुनिया भर में 4 करोड़ से अधिक लोग इस अपराध से प्रभावित हैं।
6. विडंबना यह है कि समाज में इस अपराध और इसकी भयावहता के बारे में जानकारी कम है। प्रत्यक्ष रूप से इससे पीड़ित लोगों की संख्या इतनी बड़ी नहीं है कि उनकी समस्याओं के समाधान के लिए किसी सामाजिक पहल के साथ लोगों को जोड़ना आसान हो। लेकिन, इस सामाजिक समस्या पर ठीक से ध्यान दिया जाना जरूरी है।
7. इन परिस्थितियों में, मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मानव तस्करी निरोधक विधेयक-2018 को मंजूरी दे दी है। अन्य बातों के साथ-साथ विधेयक में प्रावधान है कि मानव तस्करी का अपराधी पाए जाने पर व्यक्ति को 10 साल की सज़ा हो सकती है। विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि पीड़ितों को 60 दिन के भीतर पूरी राहत मिले। इसके लिए एक कोष का सृजन किया जाएगा, जिसकी सहायता से पीड़ितों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जाएंगे। विधेयक का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि मानव तस्करी से जुड़े मामलों के समाधान के लिए जिला स्तर पर विशेष अदालतें बनाई जाएंगी।
8. मुझे विश्वास है कि इस विधेयक के पास होने से,मानव तस्करी के ख़िलाफ काम कर रहे लोगों और संस्थाओं के हाथ मज़बूत होंगे।
9. जस्टिस एंड केयर, मानव तस्करी जैसे जघन्य अपराध के विरुद्ध लड़ाई लड़ रही है। संस्था ने अपनी लगन और मेहनत से, पीड़ितों को समाज की मुख्य धारा में लाने में भी सफलता पाई है। मैं‘जस्टिस एंड केयर’की टीम को फिर से बधाई देता हूं कि पिछले दस सालों में उन्होंने, मानव तस्करी की शिकार हुई 4,500 से अधिक महिलाओं का पुनर्वास किया है।
10. मुझे बताया गया है कि ऐसी ही चार पीड़ित बेटियों- बल्कि मैं कहूंगा कि Survivors ने - बदलाव का संकल्प लिया है। संभवत: इसीलिए उन्हें Survivors से भी बढ़कर चैंपियंस ऑफ चेंज का नाम दिया गया है।
11. हम सब को मिलकर ऐसे चैपियंस ऑफ चेंज की संख्या बढ़ानी होगी।
12. भारत सरकार की कुछ पहलों से भी मानव तस्करी के पीड़ितों की मदद हो रही है।‘Skill India’, Start-up India’, ‘Stand-up India’ और Mudra Yojana से उनके रोज़गार और पुनर्वास में मदद मिलती है।
देवियो और सज्जनो,
13. मानव तस्करी एक सामाजिक बुराई है। इसके समूल नाश के लिए पूरे समाज को एकजुट होना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि समाज में इस बुराई के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए। उनमें यह भाव भी जगाया जाए कि इस अपराध के पीड़ितों को परेशानी से निकालकर समाज की मुख्यधारा साथ मिलाना है। Survivors अच्छी तरह से तभी survive कर पाएंगे, जब हम सब मिलकर उनके लिए उपयुक्त ईको-सिस्टम तैयार करें। अपराधियों के दंड की व्यवस्था सरकार ने की है। हम सब को व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर जागरूकता पैदा करनी है और अच्छा वातावरण बनाना है।
14. इस संदर्भ में, ‘जस्टिस और केयर’ जैसी संस्थाओं का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक बार फिर मैं, उन्हें बधाई देता हूं। वे भविष्य में भी अपने प्रयास जारी रखें और मानव तस्करी के पीड़ितों के लिए प्रभावी क़दम उठाते रहें, इसके लिए मैं अपनी शुभ-कामनाएं देता हूं।