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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ‘माय होम इंडिया’ द्वारा आयोजित युवा सम्मेलन में सम्बोधन

नई दिल्ली: 09.07.2022

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नमस्कार!

युवाओं के साथ अपने विचार साझा करना मुझे सदैव आनंदित करता है। इसलिए आज आप सब के बीच आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मुझे बताया गया है कि आज की इस सभा में पूरे देश के युवा सम्मिलित हुए हैं। इस लिए यह सभा मेरे लिए और भी महत्वपूर्ण और विशेष है।

देवियो और सज्जनो,

आप जैसे युवाओं के बीच आकर मुझे अद्भुत ऊर्जा की अनुभूति होती है। युवा किसी भी देश का वर्तमान एवं भविष्य दोनों होते हैं। उनकी प्रतिभा और क्षमता देश को गौरव प्रदान करने में विशेष भूमिका निभाती है। अतः यह कहना उचित होगा कि आज का युवा कल का इतिहास निर्माता है। आप सब के समक्ष खड़े होकर, महसूस कर सकता हूँ कि मैं अपने देश के स्वर्णिम भविष्य के सामने खड़ा हूँ।

यह हम सभी जानते हैं कि भारत में किशोर और युवाओं की संख्या संपूर्ण विश्व में सबसे अधिक है। United Nations Population Fundके एक अनुमान के अनुसार, भारत 2030 तक दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर रहेगा। इसेDemographic Dividend कहते हैं। यह स्थिति जिसे युवा उभार भी कहा जाता है, हमारे देश के लिए एक सुअवसर है। इस अवसर का लाभ लेने हेतु हमें सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। यह हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हमारे युवा देश के विकास एवं उन्नति में अधिक से अधिक अपना योगदान दें।

प्रिय युवा मित्रों,

आप सभी इस युवा उभार के अभिन्न अंग हैं। आप सब के उद्यम और दृढ़ता पर ही हमारे देश का उज्जवल भविष्य निर्भर करता है। भारतीय नवजागरण के प्रबुद्ध व्यक्तित्व स्वामी विवेकानन्द को भारत की युवा शक्ति पर अपार विश्वास था। युवाओं के लिए उनके शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने सौ वर्ष पूर्व थे। उन्होने युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कहा था:

"उठो, निडर बनो,मजबूत बनो। सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लो,और जान लो कि तुम अपने भाग्य के निर्माता खुद हो। आप जो भी ताकत और सहायता चाहते हैं,वह आपके भीतर है”।

संभवतः इसी भावना से प्रेरित होकर आज हमारे देश के युवा संपूर्ण विश्व में एक नयी पहचान बना रहे हैं। भारतीय युवा अपनी शिक्षा एवं उद्यम से हर क्षेत्र में उच्चतम श्रेणी पर पहुँच चुके हैं। चिकित्सा, तकनीकी और प्रौद्योगिकी – सभी क्षेत्रों में - भारतीय युवाओं ने महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

यह हम सब के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि अपनी प्रतिभा के बल पर आज भारतीय युवाओं ने अनेक स्टार्ट-अप्स की नींव रखी है। पारंपरिक क्षेत्र जैसे ई-कॉमर्स, फिन-टेक, Supply Chain Logistics, Internet Software and Services आदि जैसे उद्यमों की संख्या अधिक है, परन्तु Education, Tourism,Gaming, Hospitality, Data management and analytics आदि जैसे क्षेत्रों में स्टार्ट-अप्स के माध्यम से एक नयी क्रांति आई है। आज का युवा जॉब सीकर से जॉब क्रिएटर बनने के पथ पर अग्रसर है। यह एक ऐसी पहल है जिसे संपूर्ण विश्व में सराहा जा रहा है। यह अत्यंत आवश्यक है कि युवा किसी न किसी प्रकार का कौशल अर्जित करें और उसskill के बल पर अपना व्यवसाय चुनें। आज का युग स्पेशलाइजेशन अर्थात विशेषज्ञता का है। टेक्नोलॉजी और विषय की विशेषज्ञता ही हमारे युवाओं को शिखर तक पहुँचा सकते हैं।

इसी सन्दर्भ में, मैं unicorns का उल्लेख करना प्रासंगिक समझता हूँ। unicorns वे कंपनियाँ हैं जिनका आर्थिक मूल्यांकन एक बिलियन डॉलर या उससे अधिक होता है। यह हम सब के लिए अत्यधिक गर्व का विषय है कि 29 जून 2022 तक, भारत में 103 यूनिकॉर्न स्थापित किए जा चुके हैं,जिसका कुल मूल्यांकन लगभग 336 अरब डॉलर है। आज,विश्व में हर 10 में से 1 unicorn भारत में है। इसी प्रकार गज़ेल्स और चीता अर्थात् वह स्टार्ट-अप्स जो क्रमशः अगले दो और चार वर्षों में unicorn बन जायेंगी, की भी महत्वपूर्ण संख्या भारत में है। वैश्विक स्टार्ट-अपईको-सिस्टममें बदलाव देखा जा रहा है क्योंकि दुनिया तेजी से स्टार्ट-अप्स की क्षमता को महसूस कर रही है। हम धीरे-धीरे यूनिकॉर्न के युग से डेकाकॉर्न के युग की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। डेकाकॉर्न उस कंपनी को कहते हैं जिसने 10 बिलियन डॉलर से अधिक का मूल्यांकन प्राप्त कर लिया है। मई 2022 तक,दुनिया भर में 47 कंपनियों ने डेकाकॉर्न का दर्जा हासिल कर लिया है जिसमें चार स्टार्ट-अप्स भारतीय हैं और उनमें से तीन कंपनियाँ युवा शक्ति द्वारा संचालित हैं।

एक और बात है जिसे मैं आप के साथ साझा करना चाहूँगा। कोविड महामारी के दौरान भी भारत में unicorns की संख्या में वृद्धि होती रही है। मुझे बताया गया है कि 2019 में 7, 2020 में 11 और वर्ष 2021 में 44 unicorns भारत में उभरे हैं। COVID-19 विश्व स्तर पर बड़ी सामाजिक-आर्थिक पीड़ा का कारण बना है,लेकिन इस दौरान भी हमारे युवा उद्यमियों ने साहस और प्रतिभा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी इस उपलब्धि के लिए मेरी हार्दिक बधाई।

प्यारे युवा मित्रों,

हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति अत्यंत प्राचीन है। और प्राचीन काल से ही हमने अनेकता में एकता के सिद्धांत को बड़ी सहजता से अपनाया है। भारत की धरती सदैव ही अपने आंचल में विभिन्न सभ्यताओं एवं परम्पराओं को संवारती रही है। आज आप सब का इस सभा में एकत्रित होना भी अनेकता में एकता का स्वर्णिम प्रतीक है। यह हमारे युवाओं पर ही निर्भर करेगा कि वे भविष्य में इस एकता को और मजबूत बनाएं। आज इस सभागार में अनेक युवा पूर्वोत्तर भारत से भी उपस्थित हैं। पूर्वोत्तर भारत का इतिहास और वहाँ की संस्कृति हम सब के लिए सदैव प्रेरणादायक रहे हैं। इसी साल फरवरी में मुझे भारत माता के एक वीर सपूत लासित बॅड़फुकन की 400वीं जयंती समारोह में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।श्रीमंत शंकरदेव की भक्ति,कविता और कला की अविरल धारा तथा विलक्षण योद्धा लासित बॅड़फुकन की बहादुरी और बलिदान की विरासत,सिर्फ असम के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के लिए गर्व का विषय है।

अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान मुझे अनेक देशों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। अपनी इन यात्राओं में, मुझे प्रायः भारतीय मूल के लोगों से मिलने का भी अवसर मिला। अपनी उन मुलाकातों में मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वे प्रवासी भारतीय,भारत से मीलों दूर होने के बावजूद, अपना देश अपने साथ ले कर चलते हैं। उन्होंने अपनी संस्कृति को संजो कर रखा है। मैं आप सब से यह आशा करता हूं कि आप अन्य देशों में बसे अपने भाइयों और बहनों से भी संवाद बना कर रखेंगे। वे लोग जिन्हें हम इंडियन डायस्पोरा कहते हैं, इस धरती के उतने ही हैं जितने कि हम सब। भारत को एक वैश्विक शक्ति बनाने में उनका भी महत्त्वपूर्ण योगदान है।‘माय होम इंडिया’ की भावना उन लोगों में भी विद्यमान है।

देवियो और सज्जनो,

आप सभी जानते हैं कि हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 गौरवशाली वर्षों और हमारे समृद्ध इतिहास,विविधता,संस्कृति और महान उपलब्धियों को याद करने के लिए भारत सरकार की एक पहल है। इस महोत्सव द्वारा हम स्वतंत्रता और स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं से जुड़ी गाथाओं को युवाओं और जन मानस तक ले जाने में प्रयासरत है। इसके द्वारा आज के युवाओं में अपने देश और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसलिए यह महोत्सव राष्ट्र-जागरण का एक पर्व बन गया है।

हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में तत्कालीन युवाओं का असाधारण योगदान रहा है। देश में एक नयी क्रांति लाने वाले भगत सिंह ने मात्र 23 साल की उम्र में देश के लिए शहादत हासिल की थी। जनजातीय समाज से जुड़े बिरसा मुंडा औरसिदो-कान्हूभी युवा स्वतंत्रता संग्रामी थे जिन्होंने हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों को बहुत पहले ही देश के इस संग्राम से जोड़ दिया था। यह स्वाधीनता संग्राम की विभिन्न धाराओं की ही शक्ति थी जिसके बल पर आज हम सब आजादी के 75 साल मना रहे हैं।

मुझे ख़ुशी है कि ‘माय होम इंडिया’अपने कार्यों द्वारा राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भावना का संचार कर रहा है। इसके अतिरिक्त आप सब अनेक सामाजिक कार्यों से भी जुड़े हैं।‘माय होम इंडिया’ ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हजारो बच्चों को उनके घर पहुंचाने जैसा महत्वपूर्ण कार्य भी करता आ रहा है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि देश की एकता और अखंडता के लिए ‘माय होम इंडिया’ ने ‘वन इंडिया’ और‘कर्मयोगी’ जैसे पुरस्कारों की स्थापना की है। युवाओं को राष्ट्रवाद के प्रति सजग बनाने के लिए इस संस्था के कार्यक्रम‘राष्ट्रवाद पर मंथन’ के अंतर्गत आयोजित यह युवा सम्मेलन एक सराहनीय प्रयास है।

मैं आशा करता हूँ कि आप सब आगे भी इसी प्रकार के सामाजिक कार्य करते हुए लोगों के जीवन में सुख और शांति का संचार करते रहेंगे।

धन्यवाद,

जय हिन्द!