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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सियाचिन बेस कैंप में सम्बोधन

सियाचिन : 10.05.2018

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1. भारत के राष्‍ट्रपति और तीनों सेनाओं के सर्वोच्‍च कमांडर के रूप में आज मैं आपके बीच भारत के सैन्‍य बलों के लिए पूरे देश का आभार संदेश लेकर आया हूं। राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद दिल्ली से बाहर अपनी सबसे पहली यात्रा पर मैं अपने सैनिकों से मिलने लद्दाख आया था और सभी तैनात बटालियनों और ‘स्काउट रेजीमेंट सेंटर’ के वीर जवानों से मिला था। उस समय ही मैंने एक संकल्प लिया था कि मैं सियाचिन में तैनात अपने सैनिकों से भी मिलने आऊंगा। आज आप सभी के बीच आकर मेरा वह संकल्‍प पूरा हो रहा है।

2. आप सभी जवानों और अधिकारियों से मिलने के लिए मैं बहुत उत्सुक था। सियाचिन दुनिया का सर्वाधिक ऊंचाई पर स्‍थित युद्ध-क्षेत्र है और यहां की कठोरतम जलवायु में सामान्‍य जीवन जीना ही कठिन है। ऐसी परिस्‍थिति में दुश्‍मन से युद्ध के लिए तत्‍पर रहना तो बहुत ही मुश्किल होता है। कठोरतम प्राकृतिक चुनौतियों के बीच देश की रक्षा में लगे हुए अपने ऐसे वीर जवानों से आमने-सामने मिलना ही मेरे लिए गर्व की बात है। आप सबसे मिलने की उत्सुकता का एक विशेष कारण था, आप तक यह संदेश पहुंचाना कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सभी सैन्‍य कर्मियों और अधिकारियों के लिए हर भारतवासी के दिल में विशेष सम्मान है। देशवासियों के हृदय में आपकी वीरता के प्रति गर्व का भाव भी है। भारत की कोटि-कोटि जनता की यह भावना मैं आप सब तक स्वयं पहुंचाना चाहता था। इसलिए आज आप सबसे मिलकर मुझे बेहद खुशी हो रही है।

3. भारत एक विशाल देश है। भारत-वासियों को अपने देश की इंच-इंच भूमि से गहरा लगाव है। छिहत्तर किलोमीटर की लंबाई और चार-से-आठ किलोमीटर की चौड़ाई वाला यह सियाचिन ग्लेशियर हमारे देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। राष्‍ट्र के गौरव का प्रतीक हमारा तिरंगा इस ऊंचाई पर पूरी शान के साथ सदैव लहराता रहे, इसके लिए आप सब बेहद कठिन चुनौतियों का सामना करते रहते हैं। अनेक सैनिकों ने यहां सर्वोच्‍च बलिदान भी दिया है। मैं ऐसे सभी बहादुर‘सियाचिन वॉरियर्स’को नमन करता हूँ।

4. अप्रैल 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के तहत भारतीय सेना ने सियाचिन में प्रवेश किया था। तब से लेकर आज तक, आप जैसे वीर जवानों ने मातृ-भूमि के सबसे ऊंचे इस भू-भाग पर शत्रु के क़दम नहीं पड़ने दिए हैं। आपको यहां प्रकृति से भी रोज कठिन मुक़ाबला करना पड़ता है। हम जानते हैं कि सियाचिन की कुछ चौकियाँ 20 हजार फुट से भी अधिक ऊंचाई पर हैं। इस क्षेत्र का तापमान माइनस 52 डिग्री सेन्टीग्रेड तक चला जाता है। 15 से 18 फीट तक की बर्फबारी में भी आप सभी जवान डटे रहते हैं। इस निर्जन बर्फीले स्‍थान में हर हाल में आप सब अपने दृढ़ संकल्‍प बनाए रखते हैं। देश के लिए आप सब में समर्पण की जो भावना है उसे जितना भी सराहा जाये, वह कम है। मातृ-भूमि की रक्षा के लिए आप की निष्ठा सभी देशवासियों के लिए एक आदर्श है। मैं, आपके इस मनोबल में पूरे देश का मनोबल जोड़ने आया हूं, आपका हौसला बढ़ाने आया हूं।

5. आप सभी एक दूसरी और भी लड़ाई लड़ते हैं - वह है अपने परिवार के लोगों से दूर रहने की - जो हमेशा अनेक तरह की आशंकाओं से ग्रसित रहते हुए भी आपके घर को व्‍यवस्‍थित ढंग से चलाते हैं और आपकी कुशल-क्षेम के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते रहते हैं। पिछले लगभग 34 सालों में सियाचिन के कठिन मोर्चे पर तैनात आप जैसे बहादुर सैनिकों के वीरता-पूर्ण प्रदर्शन से देशवासियों को यह भरोसा मिला है कि आप सबके रहते हुए देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। आज मैं आप सबको यह विश्वास दिलाने के लिए आया हूं कि हमारा हर देशवासी आपके परिवार-जनों की प्रार्थनाओं में, उनके कुशल-क्षेम और बेहतर भविष्य के लिए सदैव उनके साथ खड़ा है। मातृ-भूमि की रक्षा में आप सब हमेशा दृढ़ रहें और आप को हर कदम पर विजय हासिल होती रहे, यही मेरी कामना है।

6. ‘राष्ट्रपति भवन’ देश की एक अनमोल धरोहर है। राष्ट्रपति भवन की भव्यता पर हर देशवासी को गर्व है। आप सबका जब भी दिल्ली आना हो,तो राष्ट्रपति भवन को देखने जरूर आएं। आप सबका राष्ट्रपति भवन में स्वागत है।

जय हिन्द!