भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का ‘एक जनपद एक उत्पाद समिट' में सम्बोधन
लखनऊ : 10.08.2018
1. आज के इस ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट’ यानि ओ.डी.ओ.पी. समिट के प्रतिभागियों में, मैं एक विशेष उत्साह का अनुभव कर रहा हूँ। लाभार्थियों और सरकार की टीम के सदस्यों में ‘पॉज़िटिव एनर्जी’ देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। ऐसा ही उत्साह मैंने इस वर्ष फरवरी में आयोजित ‘उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट’ में भी देखा था। विकास और जन-कल्याण के लक्ष्यों के प्रति ऐसा उत्साह, राज्य के निवासियों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। स्पष्ट योजनाओं और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को लेकर, जनहित में आगे बढ़ने के लिए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी और उनकी पूरी टीम को मैं बधाई देता हूँ।
2. देश की संस्कृति, चिंतन और शिक्षा-व्यवस्था को योगदान देने में उत्तर प्रदेश के निवासियों की अग्रणी भूमिका रही है। विभिन्न क्षेत्रों में उनके असाधारण योगदान के लिए, देश के सर्वोच्च अलंकरण ‘भारत-रत्न’ से सम्मानित, कुल पैंतालीस विभूतियों में से, ग्यारह भारत-रत्नों की जन्म-स्थली या कर्म-स्थली उत्तर प्रदेश में है। यह उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए गर्व की बात है। यह रत्न-परंपरा उसी कड़ी को आगे बढ़ाती है जिसमे संत कबीर, संत रविदास, सूरदास, तुलसीदास और मलिक मोहम्मद जायसी से लेकर मुंशी प्रेमचंद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सुभद्रा कुमारी चौहान और गणेश शंकर विद्यार्थी जैसी विभूतियाँ शामिल हैं। मैं कहना चाहूँगा कि उत्तर-प्रदेश, प्रतिभा वाला प्रदेश है। साथ ही, उत्तर-प्रदेश में विकास-प्रदेश बनने के सभी उपकरण मौजूद हैं।
3. उत्तर प्रदेश में देश की सबसे बड़ी work force है, अनेक उत्कृष्ट शिक्षण-संस्थान हैं, कृषि उत्पादन का प्रभावशाली रेकॉर्ड है, हस्त-कौशल की प्रसिद्ध परंपरा है, ताज महल और सारनाथ जैसे पर्यटन के विश्व-प्रसिद्ध केंद्र हैं, गंगा-यमुना-घाघरा-गंडक-गोमती-राप्ती और सोन नदियों का आशीर्वाद है और देश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भी, उत्तर प्रदेश में ही है। ऐसी अन्य कई विशेषताएँ हैं, जिनके बल पर, यह राज्य एक ‘ट्रिलियन डॉलर इकॉनॉमी’ यानि दस खरब डॉलर की अर्थ-व्यवस्था के लक्ष्य को निकट भविष्य में प्राप्त कर सकता है।
4. विश्व की जनसंख्या में भारत का जो अनुपात है, लगभग वही भारत की जनसंख्या में उत्तर प्रदेश का है। भारत समेत, विश्व में केवल पांच देशों की आबादी, उत्तर प्रदेश से अधिक है। राज्य की 60 प्रतिशत जनसंख्या working age group में है। भारत के विकास में, उत्तर प्रदेश के विकास की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।
5. भारत में M.S.M.E. उद्यमों को अर्थ-व्यवस्था का मेरुदंड कहा जाता है। ये उद्यम समावेशी विकास के इंजन हैं। कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक लोग इन्ही उद्यमों में रोजगार पाते हैं। इन उद्यमों में अपेक्षाकृत कम पूंजी की लागत पर रोजगार के अधिक अवसर पैदा होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन उद्यमों के माध्यम से, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रोजगार पैदा होते हैं। देश के सर्वाधिक M.S.M.E. उद्यम उत्तर प्रदेश में हैं। सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य, उत्तर प्रदेश में, हमारे डेमोग्राफिक डिविडेंड का सबसे अधिक उपयोग इन्ही उद्यमों में हो सकेगा।
6. मुझे बताया गया है कि देश के कुल हस्त-शिल्प निर्यात में उत्तर प्रदेश का योगदान लगभग 44 प्रतिशत है।हस्त-शिल्प, फूड प्रोसेसिंग, इंजिनियरिंग गुड्स, कालीन, रेडी-मेड कपड़े, लेदर गुड्स में लगे उद्योगों से विदेशी मुद्रा और रोजगार दोनों ही दृष्टियों से लाभ होता है।इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के विकास में M.S.M.E उद्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
7. पूरे देश में M.S.M.E. क्षेत्र के लिए प्रभावी इको-सिस्टम विकसित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। जून के महीने में M.S.M.E. क्षेत्र के विकास को और गति देने के लिए, केंद्र सरकार द्वारा आयोजित ‘उद्यम संगम’ में भाग लेने का मुझे अवसर मिला था।राज्य स्तर पर भी ऐसे प्रयास हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश की यह ‘ओ.डी.ओ.पी.’ योजना भी छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक M.S.M.E. उद्यमों के लिए सहायक परिस्थितियाँ उत्पन्न करेगी।
8. हमारे शिल्पकारों का हुनर बहुत ही प्रभावशाली है।‘ओ.डी.ओ.पी.’योजना से स्थानीय कौशल और कलाओं का संवर्धन होगा, तथा उत्पादों की पहुँच बढ़ेगी। इससे उत्तर प्रदेश के हर जनपद में शिल्पकारों की आर्थिक प्रगति होगी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि जिन जिलों में विशिष्ट पहचान वाले उत्पादों की संख्या एक से अधिक है, वहाँ, अधिक रोजगार एवं विकास की संभावना वाले उत्पाद का चयन किया गया है।
9. मुझे बताया गया है कि ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना द्वारा पाँच वर्षों में पचीस हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के जरिए पचीस लाख लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य है। मुझे आशा है कि इस योजना से युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ-ही-साथ, राज्य के समग्र और संतुलित विकास को बल मिलेगा।
10. इस समिट में, ‘ई-मार्केटिंग’, ‘ज़ीरो डिफ़ेक्ट–ज़ीरो इफ़ेक्ट’ और पूंजी निवेश में सहायता के लिए, यहाँ उपस्थित संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ, जो समझौता ज्ञापन किए गए हैं, उनसे जिला स्तर पर, उत्पादकों के लिए, नए अवसर प्राप्त होंगे। ‘थिंक-ग्लोबल, ऐक्ट-लोकल’ की सोच के अनुसार, स्थानीय कौशल को प्रोत्साहन देकर, जनपदों के कई ऐसे उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लायक बनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों के उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मांग है।लेकिन ऐसे बहुत से जिले और उत्पाद हैं जिन्हे, इस योजना द्वारा समुचित प्रोत्साहन देकर, उनकी क्षमता का व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। कई नए ब्रांड विकसित किए जा सकते हैं।जब अंबेडकर नगर के वस्त्र-उत्पाद के कारीगर, और श्रावस्ती में ट्राइबल क्राफ्ट में लगे शिल्पी, राज्य सरकार से प्रभावी सहायता प्राप्त करेंगे, तो निश्चय ही उनका उत्साह बढ़ेगा, और उनके उत्पादों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। उनके उत्पाद अधिक ‘मार्केटेबल’ हो सकेंगे।
11. ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान देकर, उत्पादों की विभिन्न बाज़ारों में पहुँच बढ़ाई जा सकती है। उपभोक्ता स्वयं उत्पादों तक नहीं आता, उत्पादों के प्रति उपभोक्ता की रुचि जगाने के लिए, उसके पास जाना पड़ता है। मेरा सुझाव है कि, ब्रांडिंग के लिए, देश के प्रमुख सात-आठ नगरों में, उत्तर प्रदेश के जनपदों के उत्पादों की, लगभग 10 से 15 दिनों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल या मुख्यमंत्री की उपस्थिति द्वारा, तथा मेजबान राज्य के राज्यपाल या मुख्यमंत्री को आमंत्रित करके, ऐसी प्रदर्शनी के महत्व, और इन उत्पादों के प्रति आकर्षण को, बढ़ाया जा सकता है।
12. ऐसे उत्पादों के विषय में मैंने अपने कुछ विचार ‘इन्वेस्टर्स समिट’ में भी साझा किए थे। हमें कुछ विकसित देशों से यह सीखना है कि कैसे, हाथ से बनी हुई चीजों को, आधुनिक ब्रांडिंग और मार्केटिंग के जरिये, विदेशी मुद्रा कमाने, रोजगार बढ़ाने और देश की छवि को निखारने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
13. कोई भी हुनर या कौशल समाज के किसी वर्ग-विशेष से जुड़ा नहीं होता है। सचमुच में, परिश्रम, परिश्रम होता है, उसका कोई उच्च या निम्न स्तर नहीं होता है। कम परिश्रम के व्यवसाय, या नौकरी की ओर आकर्षित होने की अपनी मानसिकता को, हमें बदलना होगा। ‘डिगनिटी ऑफ लेबर एंड रेस्पेक्ट फॉर स्किल’ में विश्वास करने वाला समाज, विकास की दौड़ में, सदैव आगे रहता है।
14. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस योजना में, सभी उत्पादों से जुड़ी पूरी ‘प्रोसेस-चेन' और ‘वैल्यू-चेन’ पर ध्यान दिया गया है।मुझे आशा है कि इन प्रयासों के द्वारा उत्पादकों और ग्राहकों के बीच सीधा संपर्क, और भी सुगम हो सकेगा।
15. केंद्र सरकार की स्किल इंडिया मिशन, स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, रोजगार प्रोत्साहन योजना तथा ‘मुद्रा’ योजनाओं से, इस योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
16. इस योजना में वह क्षमता है, जिसके द्वारा, अंतिम पंक्ति के लोगों को, कौशल-विकास एवं रोजगार के अवसर प्रदान करके, जमीनी स्तर पर, व्यापक बदलाव लाया जा सकता है। विकास और कल्याण के मानदंडों पर पीछे रह गए, देश के 117 आकांक्षी जिलों में, उत्तर प्रदेश के 8 जिले शामिल हैं। इनमे से दो जिलों का उल्लेख करें तो, बलरामपुर में फूड प्रोसेसिंग और फ़तेहपुर में बेड-शीट बनाने का काम होता है। उन जिलों में, यह योजना, ‘चेंज-एजेंट’ का काम कर सकती है। मैं आशा करता हूँ कि, इस योजना द्वारा होने वाला बदलाव, इन आकांक्षी जिलों में स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कौशल विकास तथा वित्तीय समावेश के मापदण्डों पर सुधार लाने में भी सहायक होगा।
17. कुछ ही महीनों बाद, पूरी दुनियाँ की निगाहें उत्तर प्रदेश पर होंगी, जब इलाहाबाद के कुम्भ में शामिल होने के लिए देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु और पर्यटक आएंगे। विश्व के सबसे बड़े मेले के आयोजन की तैयारी, अब अंतिम चरण में है। इस मेले के आयोजन की सफलता के लिए, मैं अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ। मेरा सुझाव है कि, यदि संभव हो तो, कुम्भ मेले में प्रत्येक जिले के उत्पादों की प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाए।
18. चरैवेति! चरैवेति! के आदर्श को अपने जीवन में ढालने वाले, राज्यपाल श्री राम नाईक जी का मार्ग-दर्शन, उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के निवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
19. मैं आशा करता हूँ कि भविष्य में, उत्तर प्रदेश के अनेक नए उत्पाद, देश और विदेश के बाज़ारों में अपनी पहचान बनाएँगे। ऐसे बदलाव से, समावेशी विकास को बल मिलेगा, और जनपदों के उत्पादों की, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनेगी। उत्तर प्रदेश सरकार की इस जन-हितैषी ‘ओ.डी.ओ.पी.' योजना की सफलता के लिए, मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।