भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का सद्गुरु कबीर महोत्सव के अवसर पर सम्बोधन
भोपाल : 10.11.2017
1. पिछले कई दशकों से मैं निरंतर मध्य प्रदेश के संपर्क में रहा हूँ। इसलिए मध्य प्रदेश मेरे लिए नया नहीं है। पर राष्ट्रपति के रूप में यह मेरी पहली मध्य प्रदेश यात्रा है। आज इस महोत्सव में आने पर मुझे मध्य प्रदेश की जनता का स्नेह पाने के साथ-साथ संत कबीर का आशीर्वाद भी प्राप्त हो रहा है।
2. मध्य प्रदेश शासन ने इस समारोह का आयोजन करके संत कबीर के साथ-साथ समाज के सभी कमजोर, शोषित, दलित, वंचित, और पिछड़े वर्गों के प्रति सम्मान व्यक्त किया है। आज हम सब सहभागिता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
3. मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार समावेशी विकास के लिए कार्यरत है। समावेशी विकास द्वारा सबको समानता के आधार पर आगे बढ़ने का मौका मिलता है, और यही समानता संत कबीर के जीवन और वाणी का मुख्य संदेश है।
4. मध्य प्रदेश भारत का हृदय माना जाता है। न्यायप्रिय राजा भोज द्वारा स्थापित भोपाल शहर में हर वर्ष बड़े पैमाने पर मनाए जाने वाले इस समारोह में भारी संख्या मेंसंत कबीरके भक्तों और प्रशंसकों को देखकर मैं अभिभूत हूँ।
5. मध्य प्रदेश के जिस भी हिस्से की ओर आप देखते हैं, उसकी अपनी अलग गौरव गाथा मिलती है।सम्राट अशोकद्वारा बनवाया गया सांची स्तूप और अमरकंटक में नर्मदा के किनारे बना प्रथम जैनतीर्थंकर ऋषभदेवजी का मंदिर बौद्ध और जैन धर्म के गहरे प्रभाव का प्रमाण हैं। यह प्रदेश महाकाल और ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंगों से प्रकाशित है। ओंकारेश्वर मेंआदि शंकराचार्यकी तपस्थली है। ओंकारेश्वर के प्रसिद्ध गुरुद्वारे के साथ यह मान्यता जुड़ी हुई है कि अपनी दक्षिण की यात्रा के दौरानगुरु नानकदेवजी यहाँ रुके थे। उज्जैन का महाकुंभ विश्व प्रसिद्ध है। रामकथा परंपरा में प्रभु राम की वनवास स्थली चित्रकूट का बहुत महत्व है।
6. महाकवि कालिदास, तथा संत और सम्राट भर्तृहरि जिन्हें हम भरथरी के नाम से भी जानते हैं, मध्य प्रदेश के रत्न हैं।रानी दुर्गावतीकी वीरता से ले करअहिल्याबाई होलकरकी धर्मपरायणता की कहानियाँ पूरे भारत के जनमानस को छूती हैं। आज मुझे बुंदेलखंड की वीरांगनारानी झलकारी बाईको श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर मिल रहा है। संगीतसम्राट तानसेन से ले कर सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर तक, महान संगीत की धारा बहाने वाली विभूतियाँ इसी धरती की संतान हैं। मध्य प्रदेश की धरती ने अनगिनत रत्न पैदा किए हैं लेकिन मैंने कुछ ही नामों का उल्लेख किया है।
7. हमारे संविधान और हमारे नये समाज के निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मध्य प्रदेश की इसी धरती पर पैदा हुए थे।भगवान बुद्ध और संत कबीर की मानव मात्र को समान समझने वाली परंपरा को, 20वीं सदी के भारत में व्यापक जनाधार देने वाले डॉक्टर अंबेडकर का पूरा देश ऋणी है। मध्य प्रदेश के सपूत, देश के पूर्व राष्ट्रपतिडॉक्टर शंकर दयाल शर्माने पूरे देश के विकास के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। मध्य प्रदेश की धरती ने ही देश को ‘भारत रत्न’अटल बिहारी वाजपेयी जैसा प्रधान मंत्री दिया है।
8. मैं आज चित्रकूट क्षेत्र मेंनाना जी देशमुख के महान योगदान का विशेष उल्लेख करना चाहता हूँ। वहाँ गरीबों और असहायों के लिए बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। वहां के कुटीर उद्योग के प्रकल्पों का लाभ लाखों लोगों तक पहुंचता है।
9. दिल्ली में आज सुबह मैंने देहदान पर एक कार्यक्रम में भाग लिया। हमारे देश में बहुत से लोगों को बीमारी के कारण अंग-प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन शल्य चिकित्सा के लिए आवश्यक अंग न मिल पाने के कारण उन्हें कष्ट सहना पड़ता है, और कभी-कभी जीवन से भी हाथ धोना पड़ता है। मानवता से प्रेम करने के संत कबीर के आदर्शों पर चलते हुए हमारे देशवासी अपने देह अंगों जैसे ह्रदय, लीवर, नेत्र आदि का दान कर सकते हैं, और इस भावना का प्रसार कर सकते हैं। इससे अनगिनत लोगों का जीवन बेहतर हो सकता है और अनेक लोगों को जीवनदान मिल सकता है।नानाजी देशमुखने अपनी मृत्यु के पश्चात देहदान का निर्णय करके एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। मैंसंत कबीरके इस महोत्सव में देशवासियों से मानवप्रेम पर आधारित देहदान का आवाहन करता हूँ।
10. मध्य प्रदेश ने आर्थिक विकास के क्षेत्र में अनेक सफलताएं हासिल की हैं। आज देश में मध्य प्रदेश की सफलता पर अनेक अध्ययन किए जा रहे हैं तथा दूसरे राज्यों में यहां की योजनाओं से सीखा जा रहा है। पिछले एक दशक के दौरान मध्य प्रदेश का GDP एक लाख करोड़ रुपये से बढ़कर पाँच लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। लेकिन यह उपलब्धि इसलिए ज्यादा सराहनीय है कि यह विकास समावेशी और संवेदनशील सोच पर आधारित है। इस संदर्भ में, मैं विशेष रूप से‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’का उल्लेख करना चाहूँगा जिसके द्वारा बेटियों के प्रति समाज के नजरिये बदल कर पूरे देश के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में हुए कार्यों से कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, और किसानों को बहुत लाभ पहुंचा है। कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को सम्मान और महत्व देने की संत कबीर की सीख को लेकर मध्य प्रदेश सरकार आगे बढ़ रही है।
11. मध्यप्रदेश शासन को मैं इस पहल के लिए बधाई देना चाहता हूँ कि भारतीय कविता के लिए प्रतिवर्ष एक कवि को‘राष्ट्रीय कबीर सम्मान’से अलंकृत किया जाता है। यह सम्मान संत कबीर की वैचारिक परंपरा को आगे बढ़ाने वाले कवियों को प्रोत्साहित करता है। मैं आज पुरस्कृत चारों कवियों को बधाई देता हूँ और उनके योगदान की सराहना करता हूँ।
12. एक जुलाहे के परिवार में पले-बढ़े संत कबीर ने अन्याय और आडंबर से मुक्त, तथा समानता और सरलता पर आधारित समाज का ताना-बाना बुना।सद्गुरु कबीरजितने बड़े संत थे, उससे भी बड़े समाज सुधारक थे। संत के रूप में कबीर साहब का कद कितना ऊंचा था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुरु नानक देव अपने प्रवचनों में संत कबीर की बानी का उल्लेख किया करते थे। सिख समुदाय के लिए परम पवित्र‘गुरुग्रंथ साहिब’में संत कबीर की वाणी बहुत बड़ी संख्या में संकलित की गई हैं।
13. संत कबीर का मध्य प्रदेश से गहरा रिश्ता रहा है। बांधवगढ़ में संत कबीर ने लंबा प्रवास किया था। कबीर पंथ का आरंभ उनके प्रिय शिष्य धर् मदास जीने बांधवगढ़ से ही किया था। बांधवगढ़ की कबीर गुफा एक तीर्थ स्थल है। संत कबीर को मानने वाले भक्तों के आश्रम सागर, दतिया और अन्य स्थानों पर हैं जो कि कबीर दर्शन के प्रमुख केंद्र हैं।
14. यह देखकर बहुत खुशी होती है किसंत कबीर का मध्य प्रदेश से एक जीवंत संबंध बना हुआ है। मध्य प्रदेश में कबीर गायकी की परम्परा में अनेक महान गायक और मंडलियां हैं जिनमें से कई आज यहाँ उपस्थित हैं। इन्हीं गायकों के कारण कबीर वाणी आज राष्ट्र की संगीत धारा के मुख्य प्रवाह का हिस्सा है।स्वर्गीय कुमार गंधर्व जीने देवास में रह कर वर्षों संगीत साधना की और संत कबीर के भजनों को अपने ढंग से गाया।
15. महान दार्शनिक होने के साथ-साथ संत कबीर एक निर्भीक समाजसुधारक थे। समाज में फैली कुरीतियों, कुप्रथाओं, आपसी भेद-भाव, असमानता, आडम्बर, अर्थहीन अहंकार, इन सब पर संत कबीर ने कठोर प्रहार किए और समाज से मिटा देने का महान प्रयत्न किया। उन्होंने समानता और समरसता का जो रास्ता हमें दिखाया है, वही हमारे समाज को सही दिशा में ले जाने वाला रास्ता है।संत कबीर की शिक्षा समाज के लिए संजीवनी है। उनके अनुसार समाज का कल्याण सरलता और सहजता में है। उन्होंने समाज को अंधविश्वास से मुक्त कराने के लिए स्वयं उदाहरण प्रस्तुत किया। ऐसा कहा जाता है कि काशी में मरने वाले हर व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।संत कबीर ने इस मिथक को तोड़ने का साहस दिखाते हुए यह निश्चय किया कि वे काशी में अपना प्राण नहीं त्यागेंगे, और वे काशी छोड़कर मगहर चले गए थे। समाज में व्याप्त अंधविश्वास को तथा अन्याय को साहस के साथ समाप्त करने का प्रयास करना ही सही अर्थों में निर्भीकता भी है और आधुनिकता भी।संत कबीर की यही विशेषता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन और विचारों में देखने को मिलती है। और इस तरह संत कबीर के आदर्शों का प्रभाव भारत के संविधान में देखने को मिलता है। हमारे संविधान में प्राप्त न्याय, स्वतन्त्रता और बंधुता के आदर्श, डॉक्टर अंबेडकर के चिंतन पर संत कबीर की परंपरा के प्रभाव का उदाहरण हैं।
16. संत कबीर बहुत गहरे अर्थों में निर्बल लोगों के पक्षधर थे। साथ ही वे निर्बल की शक्ति से भी परिचित थे। उनका मानना था कि समाज में मजबूत लोग निर्बल पर अत्याचार न करें क्योंकि यह समाज के हित में नहीं है। इसीलिए उन्होने
कहा है कि:
निर्बल को न सताइए,जाकी मोटी हाय
मुई खाल की सांस सौ,लौह भसम होइ जाय।
मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार इसी सोच के साथ मध्य प्रदेश का विकास कर रही है।
17. मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश की जनता और सरकार, मिलजुल कर सद्गुरु संत कबीर के आदर्शों के अनुरूप मध्य प्रदेश के निर्माण में लगे हुए हैं। यह विकास की यात्रा निरंतर प्रगति करती रहे, ऐसी मेरी शुभकामना है।