भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का राजभवन मुंबई के नूतन दरबार हॉल के उद्घाटन समारोह में सम्बोधन
मुंबई: 11.02.2022
मुंबई राजभवन के नूतन दरबार हॉल के उद्घाटन के इस शुभ अवसर पर मैं महाराष्ट्र की जनता और सरकार को बधाई देता हूं। महाराष्ट्र के लोगों और यहां की धरती में जरूर कुछ ऐसी खासियत है जो बार-बार मुझे यहां खींच लाती है। इस बार की यात्रा सहित,मैं पिछले साढ़े चार वर्षों में, लगभग 12 बार महाराष्ट्र आया हूं।
आप सभी महाराष्ट्र के लोगों से यदि कोई आपके राज्य के नाम की उत्पत्ति या अर्थ पूछे तो आपको भाषा-विज्ञान और इतिहास में जाने की जरूरत नहीं है। आपका हृदय ही आपको सीधा सा उत्तर दे देगा। अमचा महाराष्ट्र यानि महान राष्ट्र अर्थात भारत का एक महान राज्य और क्षेत्र।
महाराष्ट्र की महानता के इतने अधिक आयाम हैं कि उनका जितना वर्णन किया जाए वह कम है। यदि केवल महाराष्ट्र की विभूतियों का नाम गिनाया जाए तो ऐसी सूची का अंत नहीं होगा। शिवाजी महाराज , संत एकनाथ, संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, महात्मा जोतिबा फुले, बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर और डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जैसी अनेक विभूतियों में महाराष्ट्र की महानता का ऐसा विशाल प्रवाह दिखाई देता है, जिसकी धाराएं अनेक हैं, लेकिन सबका उद्देश्य मानव जीवन की ऊंचाई हासिल करना रहा है।
महाराष्ट्र, अध्यात्म की भूमि भी है और अन्याय के विरुद्ध वीरतापूर्ण संघर्षों की भी धरती रही है। यह देशभक्तों की भूमि भी है और भगवद् भक्तों की भी। यह राज्य भारत का प्रमुख आर्थिक केंद्र भी है और सांस्कृतिक भी।
अजंता-एलोरा की गुफाओं में प्राप्त कला की ऊंचाई हो या पश्चिमी घाट का प्राकृतिक सौन्दर्य, महाराष्ट्र में प्रतिभा व प्रकृति दोनों का प्रचुर वरदान दिखाई देता है। यहां के लोगों का अतिथि सत्कार प्रसिद्ध है। ऐसी अनेक विशेषताओं के कारण मेरे लिए ही नहीं, देश-विदेश के असंख्य लोगों के लिए महाराष्ट्र की बार-बार यात्रा करने का आकर्षण बना रहता है।
लेकिन अपनी इस बार की यात्रा में मुझे एक शून्यता का एहसास भी हो रहा है। एक सप्ताह पूर्व हम सबने अपनी प्रिय लता "दीदी” को खो दिया। उनके जैसी महान प्रतिभा सदियों में एक बार ही जन्म लेती है। लता जी का संगीत अमर है जो सभी संगीतप्रेमियों को सदैव मंत्र-मुग्ध करता रहेगा। साथ ही उनकी सादगी और सौम्य स्वभाव की स्मृति भी लोगों के मानस-पटल पर अंकित रहेगी। मुझे निजी तौर पर उनका स्नेह मिलता रहा था। उनका जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति भी है।
देवियो और सज्जनो,
देश की स्वाधीनता के 75वें वर्ष में मनाए जा रहे 'आजादी का अमृत महोत्सव' के दौरान इस राज भवन के नूतन दरबार हॉल का उद्घाटन करके मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
मुझे यह जानकर ख़ुशी हुई है कि हेरिटेज बिल्डिंग की विशेषता को बचाए रखते हुए यह नव-निर्माण किया गया है। परम्परा को बचाए रखते हुए, समय की मांग के अनुसार, आधुनिकता का वरण करना विवेकपूर्ण है। नई सुविधाओं से युक्त इस दरबार हॉल के निर्माण के लिए मैं राज्यपाल महोदय, राज्य सरकार के प्रतिनिधियों और सम्बद्ध अधिकारियों की सराहना करता हूँ।
राष्ट्रपति भवन की तरह यह राज भवन भी आज के युग में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के जन-मानस की आशाओं और आकांक्षाओं का संवैधानिक प्रतीक बन चुका है। इसका इतिहास भले ही अंग्रेजी उपनिवेश के महत्व से जुड़ा हो, इसका वर्तमान और भविष्य महाराष्ट्र और पूरे देश की गौरव-यात्रा से जुड़ा है।
देवियो और सज्जनो,
आज से लगभग ढाई वर्ष पहले, अगस्त 2019 में, मुझे इस राजभवन के अंडरग्राउंड बंकर म्यूजियम का उद्घाटन करने का अवसर भी प्राप्त हुआ था। उस म्यूजियम में लोगों को राजभवन से जुड़ी रोचक जानकारियां उपलब्ध है।
जिस राज भवन में स्वाधीनता के पहले जन साधारण को आतंकित करने वाली औपचारिकता तथा आन-बान-शान की परंपरा थी वहां आज श्री भगत सिंह कोश्यारी जैसे भारत की धरती और हमारी परम्परा की जड़ों को अपनी सेवा से सिंचित करने वाले राज्यपाल का आवास और कार्यालय है।
देवियो और सज्जनो,
हमारे संविधान के अनुसार, 'हम भारत के लोग' देश की सम्प्रभुता के आधार हैं। दरबार हॉल के उद्घाटन के इस समारोह को मैं भारत की स्वाधीनता और लोकतंत्र के उत्सव के रूप में देखता हूं। जनता सर्वोपरि है और मुझे विश्वास है कि राज भवन सहित, दरबार हॉल भी लोक-कल्याण की गतिविधियों का एक प्रभावी केंद्र बनेगा।
स्वाधीनता प्राप्ति के पहले तक दरबार शब्द राजशाही से जुड़ा था। लेकिन आज का दरबार लोकशाही से सम्बद्ध है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सुशासन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है - पारदर्शिता। दरबार का आधुनिक स्वरुप पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। दरबार की व्यवस्था में न तो कोई व्यक्तिगत बात होती है और न ही कोई गोपनीय बात होती है। जो भी बात होती है वह पारदर्शी तरीके से सबकी उपस्थिति में, सबके साथ, सार्वजनिक रूप से होती है। जन-सेवकों द्वारा जनता दरबार के माध्यम से लोगों से जुड़ने का तरीका प्रचलित होता जा रहा है। इस प्रकार, नए सन्दर्भ में यह नया दरबार हॉल, हमारे नए भारत, नए महाराष्ट्र और हमारे जीवंत लोकतंत्र का नया प्रतीक है।
दरबार हॉल के इतिहास और वर्तमान से जुड़ी ऑडियो-विज़ुअल फिल्म को देख कर रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। साथ ही मेरे निजी जीवन से जुड़ी कुछ यादें भी मेरे मानस-पटल पर उभरने लगीं। उच्चतम नैतिक आदर्शों पर आधारित राजनीति के पक्षधर और असाधारण प्रशासनिक क्षमता के लिए सम्मानित, श्री मोरारजी देसाई का बंबई राज्य के मुख्यमंत्री-पद के लिए शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन राजभवन के इसी दरबार हॉल में हुआ था। इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई ने मुझे अपने निजी सचिव के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान किया था।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में ही बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर की जीवन यात्रा से जुड़े स्थल मुंबई, नागपुर और रत्नागिरि में स्थित हैं। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि कल मुझे रत्नागिरि जिले में स्थित बाबासाहब के पैतृक गांव ‘आम्बडवे’ जाने तथा उनके स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
दो माह पूर्व मुझे महाराष्ट्र केसरी छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी रायगढ़ दुर्ग में जाकर उनके समाधि स्थल पर उनकी पुण्य स्मृति को भी नमन करने का अवसर भी मिला। शिवाजी महाराज ने लगभग 350 वर्ष पहले इसी क्षेत्र में देश-प्रेम और स्वाभिमान की ज्योति प्रज्ज्वलित की थी। उस ज्योति के प्रकाश के बल पर, बाद में, पूरे देश में मराठा राज्य का अभ्युदय हुआ था। आज भी महाराष्ट्र अनेक महत्वपूर्ण मापदंडो पर देश के अग्रणी राज्यों में है। मुंबई का यह राजभवन, महाराष्ट्र के अग्रणी राज्य होने का साक्षी रहा है और रहेगा।
मैं सभी महाराष्ट्र-वासियों को इस नए दरबार हॉल के उद्घाटन की बधाई देता हूँ और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
धन्यवाद,
जयहिन्द!