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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का नागरिक अभिनंदन समारोह में सम्बोधन

जयपुर : 13.05.2018

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आण बान शान री राजस्थान की धरा पर आर, आज म्हाने घणी खुशी हो री है।

1. राजस्थान के स्नेही लोग अपने अतिथि-सत्कार के लिए हमेशा सराहे जाते हैं। आप सभी नागरिकों ने बड़े उत्साह के साथ यहां मेरा स्वागत किया है। इस आत्मीय अभिनंदन के लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं।

2. राजस्थान से मेरा बहुत पुराना नाता रहा है। मैं यहाँ बहुत बार आया हूं और आज बहुत सी यादें ताजा हुई हैं। मैंने कई क्षेत्रों में यात्रा की है और मुझे यहां के जन-जीवन के विविध रूपों को नजदीक से देखने का अवसर मिला है। मैंने बीकानेर, चुरू,जैसलमेर, जोधपुर,पाली, सिरोही में माउंट आबू,चित्तौड़गढ़, उदयपुर, कोटा, बूंदी, भरतपुर,अजमेर, नागौर, अलवर और जयपुर आदि सभी जिलों में जाकर राजस्थान की इंद्रधनुषी प्रकृति और संस्कृति को देखा है। मैंने देखा है कि प्रकृति के रंगों की तरह ही धर्म और अध्यात्म, खान-पान, वेश-भूषा, बोलियां और भाषाएं, लोक-संगीत और नाटक, स्थानीय चित्रकला आदि के तरह-तरह के मनोहर रूप राजस्थान में देखने को मिलते हैं। मैंने यह भी महसूस किया है कि राजस्थान के लोगों में अपनी माटी, भाषा और मानवीय मूल्यों के प्रति बहुत गहरा लगाव है। ‘धरती धोरां री’ और‘पधारो म्हारे देस’जैसी कविताएं जन-जन को कंठस्थ हैं। प्राकृतिक और मानवीय चुनौतियों तथा हर तरह की कठिनाइयों के बीच राजस्थान के लोगों ने सदैव अपना विकास जारी रखा है। यही नहीं, यहाँ के लोगों ने हमेशा विभिन्न उत्सवों और मेलों द्वारा उल्लास के रंगों के साथ जीवन को समृद्ध किया है। यहां के लोगों ने कला और साहित्य के श्रेष्ठ उदाहरण भी प्रस्तुत किए हैं।

3. दिसंबर 2016 में मुझे बिहार के राज्यपाल के रूप में छोटी-खाटू में एक हिन्दी पुस्तकालय द्वारा आयोजित एक समारोह में आने का अवसर मिला था। नागौर जिले के उस सुदूर गांव में जो ऊर्जा और कर्मठता मुझे देखने को मिली वह मुझे हमेशा याद रहेगी। उस समारोह में मुझे‘दीन दयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान’प्रदान करने का अवसर भी मिला था। राजस्थान के चंद बरदाई हिन्दी साहित्य के पहले कवि माने जाते हैं और उनका ‘पृथ्वीराज रासो’ हिन्दी का पहला काव्य माना जाता है।

देवियों और सज्जनों,

4. राजस्थान के नागरिकों को श्री कल्याण सिंह जी के रूप में एक ऐसे राज्यपाल का मार्ग निर्देशन प्राप्त है जिनके सार्वजनिक जीवन में योगदान, कार्यकुशलता और अनुभव को बहुत ही सम्मान के साथ देखा जाता है। राजस्थान के आर्थिक और सामाजिक विकास को निरंतर आगे बढ़ाने में कुशल नेतृत्व प्रदान करने के लिए मैं मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जीकी सराहना करता हूं।

5. संयोग से, आज राजस्थान में एकत्रित हम सभी लोगों को आधुनिक भारत के एक गौरवशाली अध्याय को याद करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आज से ठीक बीस साल पहले 13 मई, 1998 के दिन भारत ने अपने परमाणु परीक्षणों की श्रृंखला सफलतापूर्वक सम्पन्न की थी। भारत एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बन गया था। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वह गौरवशाली इतिहास राजस्थान की धरती पर ही,पोखरण में रचा गया था। संयोग से मैं पोखरण और राम-देवरा भी जा चुका हूं।

6. राजस्थान की धरती भारत की शक्ति-स्थली रही है। देश के बाहर और भीतर की उथल-पुथल का राजस्थान के लोगों ने सामना किया है। आज भी भारत के इस सबसे बड़े राज्य की बहुत लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। हमारे सैन्य बलों के साथ-साथ यहां के बहादुर नागरिकों के बल पर सभी देशवासी चैन की नींद सोते हैं। राजस्थान की कहानी यहां के लोगों की बहादुरी की गाथा है। यहांपृथ्वी राज चौहान,राणा सांगा,महाराणा प्रताप और दुर्गादास राठौर से लेकर‘परमवीर चक्र’ विजेतामेजर शैतान सिंह और कारगिल युद्ध के अनेक शहीदों तक, अनगिनत सूरमाओं की ऐसी परंपरा रही है जिससे हर भारतवासी को गर्व और रोमांच का अनुभव होता है।पन्ना धाय और भामा शाह की कहानियों द्वारा राज्य निष्ठा और बलिदान की मिसालें दी जाती हैं। यहां की जन-जातियों के लोगों ने राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज भी राज्य के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।

7. राजस्थान ने शांति, सद्भाव और भक्ति के अनेक आदर्श प्रस्तुत किए हैं जिसमेंगरीब-नवाज़ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और मीरा बाईजैसे महान उदाहरण हैं। उन दिनों राजस्थान के एक बहुत बड़े राज-घराने की मीरा बाई नेसंत रविदास को अपना आध्यात्मिक गुरु माना और तत्कालीन समाज के लिए समानता और समरसता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो आधुनिक भारत में भी प्रासंगिक है। भारतीय समाज को सही दिशा दिखाने की राजस्थान की परंपरा में श्री हर बिलास शारदा ने सन 1929 में बाल-विवाह को समाप्त करने के लिए एक कानून बनाया जिसे बोलचाल में‘शारदा ऐक्ट’ कहा जाता है।

8. विगत कुछ दशकों की बात करें तो राजस्थान के दो सपूतोंश्री भैरों सिंह शेखावत जी और श्री सुंदर सिंह भण्डारी जी का स्मरण स्वाभाविक हो जाता है। मुझे उन विभूतियों के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। आज‘भैरों सिंह शेखावत अंत्योदय रोजगार योजना’ और‘सुंदर सिंह भण्डारी EBCस्व-रोजगार योजना’ के शुभारंभ से मुझे बहुत अधिक प्रसन्नता हुई है। इसी तरह अनुसूचित-जाति, जन-जाति,सफाई-कर्मचारी,दिव्यांग-जन एवं अन्य पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों को स्व-रोजगार हेतु दिए गए ऋण की माफी का निर्णय उन दोनों विभूतियों को राज्य सरकार की सच्ची श्रद्धांजलि है। मुझे पूरा विश्वास है कि राजस्थान के लोग आज आरंभ की गई योजनाओं के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का पूरा लाभ उठाएंगे।

9. मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि जयपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर‘स्मार्ट-सिटी’ योजना में शामिल किए गए हैं। आज से लगभग तीन सौ साल पहले निर्मित जयपुर शहर, देश का पहला सुनियोजित और आधुनिक नगर था। धरोहरों का संरक्षण करने और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने से राजस्थान में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिला है। राजस्थान ने विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपना विशेष स्थान बनाने में सफलता प्राप्त की है। पर्यटन की क्षमता में और अधिक विकास करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं उनसे यहां के युवकों को रोजगार के और अधिक अवसर उपलब्ध होंगे।

10. पर्यटन के विकास में ब्रांडिंग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राजस्थान की ब्रांडिंग के बारे में मैं एक रोचक जानकारी आपके साथ साझा करना चाहूँगा। इसी साल जनवरी में इज़राइल के प्रधानमंत्री मुझसे मिलने राष्ट्रपति भवन पधारे थे। मैंने उनके सत्कार में उन्हे जो चाय पिलाई, वह उन्हे बहुत पसंद आई। मैंने बताया कि उस चाय की पत्ती‘राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड’ द्वारा बीकानेर में तैयार की जाती है। भारत और इज़राइल के बीच कृषि विकास के संयुक्त प्रयासों के तहत राजस्थान में विकसित जैतून की खेती के बारे में जानकर वे बहुत प्रसन्न हुए थे।

11. राजस्थान के प्रतिभाशाली व्यापारियों ने,भारत और दुनियां के कोने-कोने में जाकर सफलता अर्जित की है; विशेषकर मारवाड़ के लोगों ने देश के अधिकांश हिस्सों में जाकर‘फाइनेंशल मार्केट’ पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे विकास के विभिन्न प्रयासों की सहायता से इस प्रतिभा का उपयोग राज्य में ही अधिक से अधिक हो सकेगा, यह मेरा विश्वास है।

12. हमारे लोकतन्त्र का प्रतीक और देश की धरोहर‘राष्ट्रपति भवन’हर भारतवासी का भी भवन है। लेकिन राजस्थान का राष्ट्रपति भवन को विशेष योगदान है। राष्ट्रपति भवन के निर्माण में जैसलमर, मकराना और अलवर के पत्थरों का उपयोग हुआ है।राष्ट्रपति भवन में मुख्य द्वार के पास ही ‘जयपुर कॉलम’ स्थापित है।राष्ट्रपति भवन में आते-जाते, ‘जयपुर कॉलम’ के पास से ही मैं गुजरता हूं। और इस तरह राजस्थान हमेशा मेरे मानस-पटल पर उपस्थित रहता है। मैं आप सब को‘राष्ट्रपति भवन’ में आने और उसे देखने का विशेष आमंत्रण देता हूं।मैं आप सभी के सुखमय और शांतिपूर्ण भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं।

धन्‍यवाद,

जय हिन्द!