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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अखिल भारतीय कोली समाज के स्वर्ण जयंती समारोह में सम्बोधन

14.05.2022

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सबसे पहले, मैं आप सब को, अखिल भारतीय कोली समाज की स्वर्ण जयंती की बहुत-बहुत बधाई देते हुए आप सबका अभिनंदन करता हूं। कोली समाज की 50 वर्षों की सफलता-यात्रा के उत्सव के रूप में आयोजित इस समारोह में आप सबको संबोधित करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

मुझे तब और भी अधिक खुशी होती यदि मैं आप सबके बीच आकर, आप सबसे मिल-जुलकर, आप सब से सीधे बातचीत कर पाया होता। परन्तु आप जैसे शुभचिंतकों के स्नेह के बल पर मुझे जिस संवैधानिक पद की जिम्मेदारियां निभाने का अवसर मिला है उसकी कुछ अनिवार्यताएं होती हैं। मुझे अमेरिका महाद्वीप में स्थित ‘जमैका’ तथा ‘सेंट विन्सेंट एंड ग्रेनेडीन्स’, इन दो देशों के साथ भारत के पारस्परिक सम्बन्धों को और अधिक मजबूत बनाने के उद्देश्य से देश के प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व करना है। अतः विदेश यात्रा के कारण आप सब के सानिध्य से मुझे वंचित होना पड़ रहा है। लेकिन मैं सदैव अपने आप को आप सबके साथ ही उपस्थित महसूस करता हूं। मैं दुनिया के किसी भी कोने में रहूं, मेरा देश, मेरे देशवासी और हमारे समाज के लोग सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहते हैं।

बहनो एवं भाइयो,

कोली समाज की स्वर्ण जयंती के सम्पन्न होने की प्रसन्नता निजी तौर पर मेरे लिए अत्यंत संतोषजनक और सुखद उपलब्धि है। मुझे आज भी सन् 1971 का वह दौर याद है जब हम में से कुछ लोगों ने इस संस्था को औपचारिक स्वरूप प्रदान करने हेतु दिल्ली में रजिस्ट्रेशन आदि कार्य सम्पन्न किये थे। उसके बाद संस्था के संगठन को स्वरूप प्रदान करने तथा काम-काज के तरीके को व्यवस्थित रूप देने में हम सब पूरी निष्ठा से लगे रहे। वह छोटी सी शुरुआत आज व्यवस्थित रूप से अखिल भारतीय कोली समाज के रूप में विकसित है और आगे बढ़ रही है।

तब से लेकर आज तक, 50 वर्षों के इस दौर में, हमारे समाज ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, अनेक बदलाव देखे हैं। किसी भी समाज को बनाने और बढ़ाने में बहुत परिश्रम और निष्ठा की आवश्यकता होती है। साथ ही, किसी भी समाज की यात्रा को सही दिशा में निरंतर आगे बढ़ाते रहने के लिए भी परिश्रम के साथ साथ धीरज और सौहार्द बनाए रखना जरूरी होता है। इन सबके अभाव के कारण बहुत कम संस्थाएं ही 50 वर्षों की यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न कर पाती हैं। अतः यह हम सभी के लिए गौरव का विषय है कि एक साथ आगे बढ़ते हुए आज हम सब अखिल भारतीय कोली समाज की स्वर्ण जयंती मना रहे हैं। इससे भी बढ़कर संतोष इस बात का है कि समाज के सदस्यों ने, समाज की प्रगति के साथ-साथ देश की प्रगति में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया है।

कोली समाज के अनेक सदस्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने सफलता के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। मुझे इस बात का विशेष संतोष है कि हमारे समाज के लोगों ने चुनौतियों या अभाव को अपनी प्रगति के मार्ग में रुकावट नहीं बनने दिया है बल्कि उनके बीच से अपना रास्ता ढूंढ निकाला है।हमारी पिछली पीढ़ियों के दूरदर्शी लोगो ने समाज को दिशा देने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाए। बाद की पीढ़ियां कुछ और आगे बढ़ीं। मुझे पूरा विश्वास है कि आज की युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियां कोली समाज की अस्मिता व गरिमा को और अधिक ऊंचे स्तर पर ले जाएंगी। मुझे यह भी विश्वास है कि हमारा समाज आधुनिकता, संवेदनशीलता, मानवता की सेवा तथा देश-प्रेम के उदाहरण प्रस्तुत करता रहेगा।

बहनो और भाइयो,

इस अवसर पर राष्ट्र-निर्माण में कोली समाज के ऐतिहासिक योगदान को स्मरण करना भी प्रासंगिक है। यह पूरे समाज के लिए गर्व की बात है कि छत्रपति शिवाजी महाराज और रानी लक्ष्मीबाई की सेना में शामिल होकर अपनी वीरता का परिचय देने से लेकर बाद में अंग्रेजों और पुर्तगालियों के अत्याचार का विरोध करने तक, समाज के अनेक लोगों ने भारत का मस्तक ऊंचा किया है। वीर तान्हाजी मालुसरे और वीरांगना झलकारी बाई की गाथाओं से पूरा देश परिचित है जिन्होंने भारतीय इतिहास के गौरवशाली अध्याय लिखे हैं।पराधीनता के दौर में, कोली समाज की देश-भक्ति से विचलित होने वाली शक्तियों ने समाज के विषय में दुष्प्रचार किए तथा इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा। परन्तु धीरे-धीरे सभी देशवासियों में कोली समाज के शौर्य, पराक्रम, त्याग और सज्जनता के प्रति जानकारी और सम्मान में वृद्धि होती रही है। यह बदलाव कोली समाज के प्रत्येक जिम्मेदार व्यक्ति के प्रयासों के कारण ही संभव हो सका है।

बहनो और भाइयो,

आज के दिन हम समाज के उन श्रद्धेय सदस्यों की स्मृति में विशेष रूप से नमन करते हैं जो आज हम सबके बीच में नहीं हैं। गुजरात के सी.के. पीठावाला, मेगजी भाई मकवाना, पुरुषोत्तम भाई, पूर्व सांसद सी.डी. पटेल, केशवभाई पटेल, सुनीता बेन; राजस्थान के बी. प्रसाद, राहुल सुमन छाबड़ा, नाथू सिंह तँवर; मध्य प्रदेश के पूर्व सांसद हुकुमचंद कछवाय, बाबूलाल पवार; महाराष्ट्र के शंकरराव एवं सुलोचना ठाणेकर, कांति किशन कोली; आंध्र प्रदेश के एम. माणिकराव, एन. लक्ष्मी नारायण, रामचन्द्र शेले; कर्नाटक के बी. चौधरी, विट्ठल हेरुर; हिमाचल प्रदेश के पूर्व सांसद कृष्णदत्त सुल्तानपुरी, पूर्व सांसद प्रताप सिंह, नंदलाल कौशल; दिल्ली के महीपाल आर्या, रामसिंह कोली, बाबू बुद्ध प्रकाश, हेमराज आर्या और भीमसेन माहौर के त्याग और बलिदान के प्रति कोली समाज सदैव ऋणी रहेगा। यहां पर मैंने कुछ लोगों के नामों का ही उल्लेख किया है जबकि हमारे दिवंगत समाज-प्रमुखों की संख्या हजारों में रही है। वे सभी दिवंगत विभूतियां कोली समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

अंत में, समाज के उन सभी पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ाने का निश्चय करते हुए, आज कोली समाज के प्रत्येक सदस्य को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सब अपने सेवाभाव से युक्त आचरण और योगदान से समाज की प्रतिष्ठा तो बढ़ाएंगे ही, साथ ही, राष्ट्र-निर्माण में भी अपना सतत योगदान देते रहेंगे।

धन्यवाद,

जय हिन्द!