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भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

लखनऊ : 15.12.2017

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1.आज दीक्षांत समारोह के इस अवसर पर उपस्थित सभी पदक विजेताओं, शिक्षकों, अन्य सभी विद्यार्थियों तथा अभिभावकों को मेरी बहुत-बहुत बधाई!

2. हमारे देश में, लखनऊ की तहजीब की अपनी एक अलग पहचान है। यहां के शिष्टाचार में सबको ‘आप’ कहकर संबोधित किया जाता है। इसके पीछे केवल औपचारिकता ही नहीं है, बल्कि यह दूसरे को आदर देने की भावना का परिचायक है। इसी तरह लखनऊ के लोगों में दूसरे को तरजीह देते हुए ‘पहले आप’ कहने की परंपरा रही है। कभी-कभी इसका परिहास भी होता है। लेकिन इसके पीछे भी केवल नफासत ही नहीं, बल्कि धीरज रखने और दूसरे को प्राथमिकता देने की भावना होती है। यह अधीर या आक्रामक होने के बजाय धैर्यवान और संवेदनशील होने की तहजीब है। अगर सभी देशवासी, लखनऊ के लोगों की ‘पहले आप’ वाली तहजीब अपना लें, तो बहुत सी आपसी व्यवहार की समस्याएं शायद पैदा ही नहीं होंगी, और लोग अधिक खुश रहेंगे।

3. इस लखनऊ शहर से बाबासाहेब आंबेडकर का भी एक खास रिश्ता रहा है, जिसके कारण कुछ लोग लखनऊ को बाबासाहेब की ‘स्नेह-भूमि' भी कहते हैं। बाबासाहेब के लिए गुरु-समान, बोधानन्द जी और उन्हे दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानन्द जी,लखनऊ में ही रहते थे। आज से पंद्रह दिन पहले, भदंत प्रज्ञानन्द जी का लखनऊ में ही परिनिर्वाण हुआ। आज यहां आने से पहले, मुझे उनकी पुण्यस्थली पर जाकर,उनके सम्मान में सादर-नमन करने का अवसर मिला है।

4. यहां आकर मेरी उन दिनों की यादें ताज़ा हो गई हैं जब मैं राज्य सभा का सदस्य था और इस विश्वविद्यालय की गवर्निंग काउंसिल का सदस्य होने के नाते इसकी प्रगति का जायजा लिया करता था। आज इस विस्तृत "विद्यामन्दिर परिसर” में ऐसा प्रभावशाली इन्फ्रास्ट्रक्चर देखकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस परिसर में ‘आंबेडकर भवन’ और ‘अटल बिहारी वाजपेयी सभागार’ के होने से भारत-रत्न से सम्मानित दो महापुरुषों को नमन करने का अवसर मिला है। जैसा कि आप सब जानते हैं, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को लखनऊ के लोग संसद में अपना प्रतिनिधि चुन कर भेजते रहे हैं। समाज और राष्ट्र के निर्माण में उनके महान योगदान के लिए पूरा देश उनका आदर करता है। आज संयोग से एक और भारत रत्न को स्मरण करने का अवसर है। भारत को वर्त्तमान स्वरुप प्रदान करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की आज पुण्य तिथि है। भारत के पहले गृह मंत्री और उप-प्रधान मंत्री के रूप में उन्होंने हमारी शासन व्यवस्था को एक मजबूत आधार प्रदान किया था। एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से मैं उनकी स्मृति में सादर नमन करता हूँ।

5. आप में से बहुत से विद्यार्थियों को बाबासाहेब आंबेडकर के विद्यार्थी जीवन के विषय में विस्तार से मालूम होगा। उन्होने परिश्रम और निष्ठा के बल पर एक असाधारण विद्यार्थी के रूप में ख्याति प्राप्त की थी। जिस समय बाबासाहेब अमेरिका की कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहे थे उसे कई विद्वान उस विश्वविद्यालय का स्वर्ण युग भी कहते हैं। उस ‘स्वर्ण युग’ पर डॉक्टर आंबेडकर ने विद्यार्थी के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

6. डॉक्टर आंबेडकर बहुत कम समय में ही गंभीर और जटिल विषयों पर अपनी थीसिस पूरी कर लिया करते थे,और उनके शोध में गहराई होती थी। जैसा कि बहुत से लोग जानते होंगे, भारत की संविधान सभा में अनेक उच्च-कोटि के विद्वान मौजूद थे। ऐसे विद्वानों से भरी हुई सभा में भी बाबासाहेब की चर्चा सबसे अधिक विद्वान सदस्य के रूप में होती थी। शायद इसीलिए उन्हे संविधान सभा की ‘ड्राफ्टिंग कमेटी’ का अध्यक्ष चुना गया था। बाबासाहब जैसी विलक्षण प्रतिभा से जुड़े विश्वविद्यालय के हर छात्र और छात्रा में शिक्षा और नैतिकता के प्रति गहरी निष्ठा होनी चाहिए।

7. इस विश्वविद्यालय में, केवल 13 वर्ष की उम्र में Ph.D.कर रही सुषमा वर्मा, और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पाने वाली नीलू शर्मा के रूप में दो नए उदाहरण मेरी असाधारण बेटियों की सूची में जुड़ गए हैं। मुझे भारत की इन बेटियों पर गर्व है। बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए विशेष अवसर प्रदान करने के लिए मैं इस विश्वविद्यालय की सराहना करता हूं। बाबासाहेब भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों की समानता के पक्षधर थे। मेरा मानना है कि हम अपनी बेटियों के लिए शिक्षा के जितने अधिक अवसर उपलब्ध कराएंगे उतनी ही तेजी से हमारे देश का विकास होगा।

8. आज हमारा देश विश्व में अग्रिम पंक्ति के देशों में गिना जा रहा है। लेकिन कई सामाजिक और आर्थिक पैमानों पर आगे बढ़ते हुए, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में भी हमें अपने देश को बहुत आगे ले जाना है। जब देश विकसित होगा तो प्रत्येक व्यक्ति को भी विकास के बेहतर अवसर मिलेंगे।

9. आप गहराई के साथ सोचेंगे तो यह समझ पाएंगे कि आपके शिक्षा प्राप्त करने में आपके माता-पिता, परिवार-जन, शुभ-चिंतकों के अलावा समाज के अन्य लोगों और देश ने भी काफी योगदान दिया है। अब यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप समाज और देश के प्रति अपने कर्ज़ उतारें।

10. मैं समझता हूं कि सबसे पहले आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़े होना आपके लिए जरूरी है। आपके सामने दो विकल्प हैं। आप नौकरी कर सकते हैं, और अगर आप चाहें तो स्वतंत्र रूप से अपना काम भी शुरू कर सकते हैं। नौकरी में प्राय: आपकी सीमाएं तय कर दी जाती हैं। आप सभी प्रतिभावान हैं। आप सभी में सफलता की अपार संभावना है। अतः यदि आप अपना खुद का काम करते हैं तो आप सफलता की ऐसी ऊंचाइयां छू सकते हैं जिसे अंग्रेज़ी में कहते हैं "Sky is the limit”। अपना काम करने की संस्कृति को बढ़ावा देने में भी आपको ही पहल करनी होगी। इसके लिए सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।

11. अपना काम करना कितनी बड़ी सफलता दे सकता है, इसके बारे में मैं आपके साथ एक उदाहरण साझा करना चाहूँगा। WhatsApp के co-founder ब्रायन ऐक्टन के विषय में आप सब जानते होंगे। वे नौकरी ढूँढने में लगे हुए थे। उन्हे Facebook और Twitter दोनों ही कंपनियों ने नौकरी नहीं दी थी। नौकरी न मिलने पर वे हतोत्साहित नहीं हुए। उन्होने अपनी कंपनी बनाई। उनकी इस कंपनी WhatsApp को इतनी अधिक सफलता मिली कि Facebook ने उस कंपनी को हासिल करने के लिए 19 बिलियन डालर यानि कि लगभग 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये ब्रायन ऐक्टन को दिये। सफल entrepreneurs (आंतर-प्रन्योर्स) के ऐसे अनेक उदाहरण हैं।

12. आप नौकरी चुनें या स्वरोजगार, आपको नैतिकता और सिद्धांतों के रास्ते पर चलते हुए ही वास्तविक सफलता मिलेगी। नैतिकता के विषय में समझौते की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। "Relativity applies to physics, not ethics” यह कथन बिलकुल सही है।

13. मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस विश्वविद्यालय ने सामाजिक सरोकार के कई कदम उठाए है। इकलौती बेटियों को तथा कुछ गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को एड्मिशन में अलग से आरक्षण देना; विश्वविद्यालय के आस-पास के गांवों को गोद लेना और वहां शिक्षा और विकास के लिए काम करना; तथा किसानों और जमीन से जुड़े लोगों को विश्वविद्यालय के Innovators’ Club से जोड़ना, ये सभी सराहनीय कार्य हैं। ऐसे सामाजिक प्रयासों में छात्रों की भागीदारी से उनमे संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी का एहसास भी होता है।

14. यह एक नया विश्वविद्यालय है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की best practices को अभी से अपनाकर, आप सब 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने में अधिक समर्थ हो पाएंगे। ऐसी एक best practice है alumni association बनाना और उन्हे विश्वविद्यालय के विकास से जोड़े रखना। विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव और सफलता प्राप्त कर रहे यहां के पूर्व छात्र इस विश्वविद्यालय और इन विद्यार्थियों के लिए अपना योगदान देने के लिए जरूर उत्साहित रहेंगे।

15. बाबासाहेब आंबेडकर के आदर्शों पर आधारित इस विश्वविद्यालय के प्रत्येक विद्यार्थी से यह आशा की जाती है कि वे समानता और न्याय पर आधारित समाज के निर्माण में अपना निरंतर योगदान देते रहेंगे।

16. मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को एक बार फिर बधाई देता हूं। परिश्रम और प्रतिभा के आधार पर पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी विशेष बधाई के पात्र हैं।

17. मैं आशा करता हूं कि अपने जीवन को सफल बनाने के साथ-साथ आप नए भारत के निर्माण में अपना अधिक से अधिक योगदान करेंगे। आप सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !


धन्यवाद

जय हिन्द!