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भारत के राष्‍ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द जी का 11वें विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन के क्रम में आयोजित हिन्‍दी सेवियों के सम्‍मान समारोह में सम्‍बोधन

नई दिल्‍ली : 17.09.2018

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1. अभी लगभग एक महीना पहले ही, मॉरीशस में 11वां विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन सम्‍पन्‍न हुआ है। इस सम्‍मेलन की विशेष सफलता के लिए मैं विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्‍वराज और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं।

2. अभी तक आयोजित किए जा चुके 11 विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलनों में से 8 सम्‍मेलन विदेश में आयोजित किए गए हैं। और, इनमें से 3 सम्‍मेलन तो मॉरीशस में ही हुए हैं। परन्‍तु, यह पहली बार हुआ है कि विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन का आयोजन, स्‍थानीय सरकार के सहयोग से किया गया। सम्‍मेलन के सफल आयोजन में हर स्‍तर पर मॉरीशस सरकार का भरपूर सहयोग मिला। इसके लिए मैं वहां की सरकार को विशेष रूप से बधाई देता हूं।

3. मॉरीशस में 20 अगस्‍त, 2018 को देश-विदेश के हिन्‍दी सेवियों, शिक्षकों और संस्‍थाओं को सम्‍मानित किया गया था। मैं उन सभी हिन्‍दी सेवियों को बधाई देता हूं। किसी कारणवश वहां न पहुंच पाए छह हिन्‍दी सेवियों को आज यहां सम्‍मानित किया गया है। मैं उन्‍हें भी बधाई देता हूं और कामना करता हूं कि वे लंबी आयु प्राप्‍त करें और इसी प्रकार से हिन्‍दी और समाज की सेवा करते रहें। भाषा की सेवा भी देश की ही सेवा है। और, जब हिन्‍दी की सेवा करने वाले साहित्‍यकारों, भाषाविदों, शिक्षकों और संस्‍थाओं को सम्‍मान दिया जाता है तो वास्‍तव में यह देश का ही सम्‍मान होता है।

4. पूर्व प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिन्‍दी को अपने हृदय में स्‍थान दिया और संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में हिन्‍दी में वक्‍तव्‍य देकर उसे प्रतिष्‍ठा दी, सम्‍मान दिया। वे एक सच्‍चे हिन्‍दी सेवी थे। आज से ठीक एक महीना पहले हमने उन्‍हें खो दिया। मैं उनकी स्‍मृति को नमन करता हूं।

देवियो और सज्‍जनो,

5. आज, दुनिया के मानचित्र पर हिन्‍दी की सशक्‍त उपस्‍थिति दिखाई देती है। भारत से बाहर, एक करोड़ से अधिक लोग हिन्‍दी बोलते हैं और सभी प्रमुख देशों के विश्‍वविद्यालयों में हिन्‍दी पढ़ाई जा रही है। इसी का परिणाम है कि 11वें विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन में 45 देशों के 2,000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। देश में भी, वर्ष 2011 की भाषायी जनगणना में यह तथ्‍यसामने आया कि हिन्‍दी बोलने वाले लोगों की संख्‍या बढ़कर,लगभग 53 करोड़ तक पहुंच गई है। यह अच्‍छी बात है।जैसा कि हम सभी जानते हैं किकिसी भाषा की शक्‍ति, उस भाषा के बोलने वाले लोगों की समृद्धि, सोच और व्‍यवहार पर निर्भर होती है। समाज ताकतवर होगा तो भाषा भी ताकतवर बनेगी। और, भाषा सामर्थ्‍यवान बनेगी तो समाज भी सामाजिक-आर्थिक सामर्थ्‍य प्राप्‍त कर सकेगा।

6. कहा जाता है कि कोई भी संस्‍कृति लोकभाषा और लोक-व्‍यवहार के बल पर ही जीवित रह सकती है। भाषा और संस्‍कृति से आत्‍म-गौरव बढ़ता है। और, आत्‍म-गौरव से युक्‍त समाज आगे बढ़ता है। भाषा के माध्‍यम से संस्‍कृति के संरक्षण का ऐसा ही कार्य मॉरीशस में हुआ है। मॉरीशस की स्‍वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर, मॉरीशस सरकार के आमंत्रण पर, मैं लगभग 6 महीने पहले, मार्च, 2018 में मॉरीशस गया था। वहां मैंने एक अनूठा अपनत्‍व और सांस्‍कृतिक निकटता महसूस की।हिन्‍दी जिस प्रकार से हमारी आज़ादी की लड़ाई का एक साधन बनी, उसी प्रकार से मॉरीशस के स्‍वाधीनता आंदोलन में भी उसकी महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है।मॉरीशस में हिन्‍दी भाषा और भारतीय संस्‍कृति, वहां के सामाजिक-सांस्‍कृतिक व्‍यवहार में रची-बसी मिलती है।

7. प्रवासी भारतीयों ने उपनिवेश काल में शोषण का सफल विरोध अपने साहस, धीरज, संस्‍कृति, आस्‍था, भाषा और मेहनत के बल पर किया।इन्‍हीं साधनों का प्रयोग करते हुए सूरीनाम, गयाना, त्रिनिडाड-टोबैगो, दक्षिण अफ्रीका और फीजी जैसे देशों में गए प्रवासी भारतीयों ने वहां अपने लिए सम्‍मानजनक स्‍थान बनाया।

8. फीजी में तो हिन्‍दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्‍त है। वहां आज भी लगभग 37 प्रतिशत लोग हिन्‍दी बोलते हैं। हमें उन पर गर्व है। भारत के साथ उनका गहरा लगाव है। इस लगाव के सूत्र भारतीय भाषा-संस्‍कृति में निहित हैं। इन्‍हीं संबंधों को और मजबूती देने के लिए, मैं जल्‍द ही फीजी की यात्रा पर जा रहा हूं।

9. हिन्‍दी फिल्‍मों ने भारतीय भाषा-संस्‍कृति के प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व योगदान किया है, देश में भी और विदेश में भी। यह देखकर सुखद आश्‍चर्य होता है कि हमारी फिल्‍में और हमारे फिल्‍मी किरदार विदेशों में हमारा परिचय हैं। अभी इसी महीने, बल्‍गारिया और चेक रिपब्‍लिक की यात्रा के दौरान मैंने देखा कि वहां के लोगों में हिन्‍दी फिल्‍में और भारतीय साहित्‍य बहुत लोकप्रिय है। मुझे बताया गया था कि बल्‍गारिया के राष्‍ट्रपति हिन्‍दी फिल्‍मों के प्रेमी हैं। इसलिए,मैंने उन्‍हें 25 हिन्‍दी फिल्‍मों के कैसेट भेंट किए। इससे उन्‍हें बहुत प्रसन्‍नता हुई।

10. चेक रिपब्‍लिक की यात्रा के दौरान, मुझे वहां प्राग की Charles University के Indology विभाग में एक व्‍याख्‍यान देने के लिए आमंत्रित किया गया। इस विभाग के चार विद्यार्थियों को स्‍वागत समारोह में उनकी पसन्‍द की भारतीय भाषा में बोलने के लिए कहा गया। आप जानना चाहेंगे कि उन्‍होंने मेरा स्‍वागत किस भाषा में किया?वे हिन्‍दी, संस्‍कृत, तमिल और बांगला में बोले। उनकी बात सभी के दिलों को छू गई। प्राग में तो कविवर रबीन्‍द्रनाथ ठाकुर के नाम पर रेलवे-स्‍टेशन और पार्क का नामकरण किया गया है। वहां, बहुत से लोगों नेमेरा अभिवादन भी हिन्‍दी में किया। हमें, भारतीय साहित्‍य और फिल्‍मों की इस ‘सॉफ्ट पावर’ का सदुपयोग करना ही चाहिए।

11. विदेशियों को भारतीय भाषाएं सिखाने में भी फिल्‍मी संवादों और फिल्‍मी गीतों का उपयोग बढ़ाया जा सकता है। जापान में हिन्‍दी-उर्दू सिखाने के लिए ऐसा प्रयोग सफल रहा है। बड़ी संख्‍या में लोग विदेशों से भारत में पढ़ाई करने या पर्यटन के लिए आते हैं। उनकी सुविधा के लिए ऐसे मोबाइल एप बनाए जा सकते हैं जिन्‍हें गाते-गुनगुनाते हुए वे भारत के बारे में जानकारियां भी प्राप्‍त कर सकें। सामान्‍य बोल-चाल, रीति-रिवाज, खान-पान के बारे में किसी से कुछ पूछना हो तो कैसे पूछा जाए, यह जान सकें।

देवियो और सज्‍जनो,

12. विदेशों में, हिन्‍दी को लोकप्रिय बनाने में तुलसीदास जी द्वारा रचित साहित्‍य की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। गिरमिटिया प्रवासी देशों में रामायण का विशेष सम्‍मान है। जापान से लेकर अमेरिका और रूस से लेकर मॉरीशस तक स्‍थानीय भाषाओं में रामायण के अनुवाद हुए हैं और उस पर शोधपत्र लिखे गए हैं।

13. हिन्‍दी की विश्‍व में प्रतिष्‍ठा बढ़ाने के लिए भारत में उसका आधार और भी मजबूत करना होगा। उसे ज्ञान और उन्‍नत-विज्ञान की भाषा बनाना होगा। रोजगार देने की उसकी क्षमता बढ़ानी होगी।आज का समय Technology का समय है। स्‍मार्ट फोन जैसे साधनों से भाषाओं के बीच की दूरियां मिट रही हैं। इसलिए, हिन्‍दी के प्रचार-प्रसार में Technology का भर-पूर उपयोग किया जाना चाहिए।

14. भारत ने सूचना-प्रौद्योगिकी में अच्‍छी प्रगति की है। इसमें हिन्‍दी सहित भारतीय भाषाओं का भविष्‍य संवारने की क्षमता है। देशवासियों ने यह दिखा दिया है कि वे हिन्‍दी सहित भारतीय भाषाओं को बहुत पसन्‍द करते हैं। अनुमान है कि इंटरनेट पर हर वर्ष, हिन्‍दी में सामग्री 94 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। यह भी अनुमान है कि कुछ ही वर्षों में इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।पिछले कुछ वर्षों में बड़ी-बड़ी कंपनियों ने, भारत में जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए और अपने उत्‍पादों के विज्ञापन के लिए हिन्‍दी तथा भारतीय भाषाओं को तेजी से अपनाया है।Digital technology में भारतीय भाषाओं की मांग बढ़ती जा रही है। इनका भविष्‍य उज्‍ज्‍वल दिखाई देता है।

देवियो और सज्‍जनो,

15. एक बार फिर, मैं, विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्‍वराज और उनके सभी सहयोगियों के साथ-साथ, पूरे हिन्‍दी परिवार को,सफल विश्‍व हिन्‍दीसम्‍मेलन के लिए बधाई देता हूं और हिन्‍दी की प्रतिष्‍ठा के उनके संकल्‍प की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्‍यवाद,

जय हिन्‍द।