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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का बिहार विधान सभा के शताब्दी वर्ष समारोह में सम्बोधन

पटना: 21.10.2021

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1. बिहार की रत्नगर्भा धरती और यहां के स्नेही लोगों ने मुझे हमेशा बहुत आकर्षित किया है, इसलिए जब भी मैं बिहार आता हूं तो मुझे एक सुखद अनुभूति होती है। बिहार में राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान मुझे समाज के सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों का भरपूर स्नेह मिला। और राष्ट्रपति के रूप में जब भी मेरा बिहार आना हुआ है, तब भी मेरे प्रति वैसे ही प्रेम और सम्मान का एहसास मुझे होता रहा है। इसके लिए मैं बिहार के सभी निवासियों, जन-सेवकों, अधिकारियों, और बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।

2. हम सभी देशवासियों ने, हाल ही में, दुर्गा पूजा और दशहरा का त्योहार मनाया है। इस वर्ष हम सब 75वें स्वतंत्रता दिवस का अमृत महोत्सव भी मना रहे हैं। बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष का यह समारोह लोकतंत्र का उत्सव है। इस अवसर पर ‘शताब्दी स्मृति स्तंभ’ का शिलान्यास करके मुझे प्रसन्नता हुई है। इस कार्यक्रम में आप सबकी उत्साहपूर्ण उपस्थिति हमारे देश में विकसित स्वस्थ संसदीय परंपरा का एक अच्छा उदाहरण है।

3. यह बार-बार कहते हुए मुझे फख्र होता है कि बिहार की धरती विश्व के प्रथम लोकतंत्र की जननी रही है। भगवान बुद्ध ने विश्व के आरंभिक गणराज्यों को प्रज्ञातथा करुणा की शिक्षा दी थी। साथ ही, उन गणराज्यों की लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार पर, उन्होंने अपने संघ के नियम निर्धारित किए थे। संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने यह स्पष्ट किया था कि बौद्ध संघों के अनेक नियम, आज की संसदीय प्रणाली में भी, उसी रूप में विद्यमान हैं। आज महा-बोधि वृक्ष के पौधे का इस परिसर में प्रत्यारोपण करके मैं स्वयं को सौभाग्यशाली अनुभव कर रहा हूं।

4. भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और गुरु गोविंद सिंह की आध्यात्मिक धाराओं से सिंचित बिहार की धरती का मुझ पर विशेष आशीर्वाद रहा है। यहां राज्यपाल के रूप में जन-सेवा का मुझे अवसर मिला और उसी कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति-पद हेतु निर्वाचित होकर उस पद की संवैधानिक जिम्मेदारियों के निर्वहन का अवसर भी प्राप्त हुआ। यह प्रतिभावान लोगों की धरती रही है। पूरे देश को गौरवपूर्ण बनाने वाली एक महान परंपरा की स्थापना, इसी धरती पर नालंदा, विक्रमशिला व ओदंतपुरी जैसे विश्वस्तरीय शिक्षा केन्द्रों, आर्यभट जैसे वैज्ञानिक, ‘चाणक्य’ यानि कौटिल्य जैसे नीति-निर्माता तथा अन्य महान विभूतियों द्वारा की गई थी। आप सब उस समृद्ध विरासत के उत्तराधिकारी हैं और अब उसे आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी बिहार के सभी निवासियों की है।

देवियो और सज्जनो,

5. बिहार की अस्मिता के लिए संघर्ष करने वाले डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा के प्रयासों के परिणाम तीन चरणों में प्राप्त हुए थे।पहले चरण में, बिहार व उड़ीसा को बंगाल से पृथक करने का निर्णय सन 1911 में घोषित हुआ। सन 1912 में ‘उड़ीसा व बिहार’ को लेफ्टिनेंट गवर्नर के राज्य का दर्जा दिया गया और राज्य का मुख्यालय पटना में बना। सन 1913 में विधान परिषद की पहली बैठक सम्पन्न हुई।

6. दूसरे चरण में, सन 1919 का ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट’ अस्तित्व में आया जो सन 1921 में प्रभावी हुआ। उस ऐक्ट के तहत ‘उड़ीसा व बिहार’ को ‘गवर्नर प्रॉविन्स’ यानि पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया तथा प्रांतीय विधायी परिषद में निर्वाचित सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई। उसी वर्ष, इस विधान सभा परिसर का निर्माण सम्पन्न हुआ। मतदान द्वारा चुने गए जन-प्रतिनिधियों की अधिक संख्या से युक्त तथा उत्तरदायी सरकार की आरंभिक रूप-रेखा वाली बिहार विधान परिषद की पहली बैठक 7 फरवरी 1921 को आयोजित हुई।

7. तीसरे चरण में, सन 1935 का ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट’ पारित हुआ। इस ऐक्ट के तहत, बिहार एक अलग राज्य के रूप में स्थापित हुआ, दो सदनों से युक्त विधायिका का गठन किया गया और अंततः, डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा का सपना पूरा हुआ।

8. सन 1935 के ऐक्ट के तहत, स्वाधीनता के पहले, दो बार चुनाव हुए। उन दोनों चुनावों के बाद, श्री बाबू बिहार के प्रधानमंत्री बने। स्वाधीनता के पहले और बाद के दशकों के दौरान श्री बाबू और अनुग्रह बाबू ने बिहार की राजनीति को परिभाषित किया।

देवियो और सज्जनो,

9. जब भारत की संविधान-सभा द्वारा हमारे आधुनिक लोकतंत्र का नया अध्याय रचा जा रहा था तब एक बार फिर बिहार की विभूतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान सभा के वरिष्ठतम सदस्य, डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा, प्रथम अध्यक्ष के रूप में मनोनीत हुए। 11 दिसम्बर 1946 के ऐतिहासिक दिन, देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद संविधान-सभा के स्थायी अध्यक्ष चुने गए। इस पर अपनी विद्वत्तापूर्ण टिप्पणी करते हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने संविधान सभा के अपने वक्तव्य में कहा कि यह मात्र संयोग नहीं है कि हमारे अंतरिम अध्यक्ष डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा और हमारे स्थायी अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद दोनों ही बिहार से आते हैं। वे दोनों ही बिहार की भावना, मधुरता यानि मृदुता से ओतप्रोत हैं, और यह मृदुता ही भारत की मूल भावना है। बिहार के लोगों की मधुरता को रेखांकित करते हुए डॉक्टर राधाकृष्णन ने महाभारत के एक श्लोक का उल्लेख किया था जिसे मैं आप सबके साथ साझा करना चाहूंगा। उस श्लोक में कहा गया है:

मृदुना दारुणं हन्ति, मृदुना हन्ति अदारुणम्,

नासाध्यम् मृदुना किंचित्, तस्मात् तीक्ष्णतरम् मृदु।

अर्थात, मधुर स्वभाव से कठिन स्थितियों पर विजय पाई जा सकती है, मधुर स्वभाव से सामान्य स्थितियों को वश में किया जा सकता है, मधुर स्वभाव के द्वारा कुछ भी असाध्य नहीं है, अतः मधुर स्वभाव ही सबसे प्रभावी अस्त्र है।

10. संविधान सभा में डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा व डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के अलावा श्री अनुग्रह नारायण सिन्हा, श्रीकृष्ण सिन्हा, दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह, श्री जगत नारायण लाल, श्री श्याम नंदन सहाय, श्री सत्यनारायण सिन्हा, श्री जयपाल सिंह, बाबू जगजीवन राम, श्री राम नारायण सिंह और श्री ब्रजेश्वर प्रसाद जैसी बिहार की अनेक विभूतियों ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया। सामाजिक व आर्थिक न्याय, स्वतंत्रता, समता और सौहार्द की आधारशिला पर निर्मित हमारा लोकतंत्र प्राचीन बिहार के लोकतांत्रिक मूल्यों को आधुनिक कलेवर में समेटे हुए पुष्पित व पल्लवित हो रहा है। इसका श्रेय बिहार की जनता और आप सभी निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों को जाता है। इसी प्रकार बिहार की वर्तमान विधायिका के दोनों सदनों को सुचारु रूप से संचालित करने का श्रेय विधान परिषद के सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह तथा विधान सभा के अध्यक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा को जाता है।

देवियो और सज्जनो,

11. आज से लगभग 2400 वर्ष पहले एक गरीब महिला ‘मुरा’ के पुत्र चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का सम्राट बनाने से लेकर 1970 के दशक में, ईमानदारी और उज्ज्वल चरित्र के प्रतीक, जन-नायक कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाने तक, इस धरती ने समता मूलक परंपरा स्थापित की है।बिहार में सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए प्रयास और योगदान हेतु राज्य के सभी पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री प्रशंसा के पात्र हैं।

12. हमारे स्वाधीन गणतंत्र की स्थापना के लगभग 25 वर्ष बाद, जब भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात हुआ तब बिहार के ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र के हित में देशव्यापी संघर्ष को असाधारण नेतृत्व प्रदान किया था।

13. राज्यपाल के रूप में बिहार विधान-मण्डल के दोनों सदनों के समवेत अधिवेशन को मुझे तीन बार संबोधित करने का सुयोग प्राप्त हुआ था। बिहार में, सुशासन तथा ‘न्याय के साथ विकास’ की दिशा में, जन-कल्याण एवं समग्र विकास के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया गया है।यह तथ्य सराहनीय है कि विगत चार वर्षों में बिहार के स्टेट जीडीपी में प्रभावशाली वृद्धि हुई है।

14. बिहार में जन-सेवा की समतामूलक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए श्री नीतीश कुमार ने स्वाधीनता के बाद सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री-पद के निर्वहन का कीर्तिमान स्थापित किया है। उनका सहयोग मुझे बिहार के राज्यपाल के रूप में भी मिला और भारत के राष्ट्रपति के रूप में भी मिलता रहा है।

देवियो और सज्जनो,

15. सन 1921 की विधानसभा के अपने सम्बोधन में गवर्नर लॉर्ड सिन्हा ने कहा था कि मादक पदार्थों अथवा मदिरा के उत्पादन तथा बिक्री पर रोक लगाने के लिए कोई सुनिश्चित नीति होनी चाहिए। हमारे संविधान में, राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों के तहत, ‘लोक-स्वास्थ्य को सुधारने का राज्य का कर्तव्य’ स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।इस कर्तव्य में, मादक पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों के सेवन का निषेध करना भी शामिल है। गांधीजी के सिद्धांतों पर आधारित इस संवैधानिक अनुच्छेद को बिहार विधान सभा द्वारा कानून का दर्जा देकर लोक-स्वास्थ्य तथा समाज, विशेषकर कमजोर वर्ग की महिलाओं के हित में,एक बहुत कल्याणकारी अधिनियम बनाया गया। उस अधिनियम को कानून का दर्जा प्रदान करने का अवसर मुझे मिला था।

देवियो और सज्जनो,

16. कुछ ही दिनों बाद, हम सभी देशवासी, दीपावली और छठ का त्योहार मनाएंगे। छठ-पूजा अब एक ग्लोबल फेस्टिवल बन चुका है। नवादा से न्यू-जर्सी तक और बेगूसराय से बोस्टन तक छठी मैया की पूजा बड़े पैमाने पर की जाती है। यह इस बात का प्रमाण है कि बिहार की संस्कृति से जुड़े उद्यमी लोगों ने विश्व-स्तर पर अपना स्थान बनाया है। मुझे विश्वास है कि, इसी प्रकार, स्थानीय प्रगति के सभी आयामों पर भी, बिहार के प्रतिभावान व परिश्रमी लोग सफलता के नए मानदंड स्थापित करेंगे।

प्रिय विधायक-गण,

17. राज्य की जनता, आप सभी जन-प्रतिनिधियों को अपना भाग्य विधाता मानती है और उसकी आशाएं आप सब पर ही टिकी होती हैं। सभी देशवासियों में, जिनमें बिहार के निवासी भी शामिल हैं, बेहतर भविष्य के लिए ललक दिखाई पड़ती है। मुझे विश्वास है कि आप सभी विधायक-गण अपने आचरण और कार्यशैली से जनता की आशाओं को यथार्थ रूप देने का प्रयास करेंगे। मुझे प्रसन्नता है कि आज आप सब ने सामाजिक अभिशापों से मुक्त, वरदानों से युक्त तथा सम्मानों से पूर्ण बिहार के निर्माण के लिए संकल्प अभियान का शुभारंभ किया है। मेरी यह कामना है कि आप सभी विधायक-गण आज इस सदन में लिए गए संकल्पों को कार्यान्वित करें तथा बिहार को एक सुशिक्षित, सुसंस्कारित और सुविकसित राज्य के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील बने रहें। आपके ऐसे प्रयासों के बल पर, सन 2047 तक, यानि देश की आजादी के शताब्दी वर्ष तक, बिहार ‘ह्यूमन डेवलपमेंट’ के पैमानों पर एक अग्रणी राज्य बन सकेगा। इस प्रकार राज्य की विधायिका की शताब्दी का यह उत्सव सही मायनों में सार्थक सिद्ध होगा।

18. गंगा नदी के वरदान से युक्त इस क्षेत्र में आकर, मुझे बिहार में जन्मे मनीषी-कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित पंक्तियां याद आती हैं। ‘दिनकर’ जी ने कहा था:

गूंज रहे तेरे इस तट पर, गंगे! गौतम के उपदेश,

ध्वनित हो रहे इन लहरों में, देवि! अहिंसा के सन्देश।

ऐसे उदात्त मूल्यों को बिहार के विधायक-गण अपनी कार्यशैली में ढालेंगे और बिहार की विधान सभा राज्य की उन्नति के स्वर्णिम अध्याय लिखेगी, इसी भावना के साथ मैं आप सभी को आगामी त्योहारों के लिए अग्रिम बधाई देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सभी बिहारवासी प्रगति के उच्च शिखर पर पहुचें।

धन्यवाद,

जय हिन्द!