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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का 'केजीएमयू' के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

लखनऊ : 21.12.2020

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1. दीक्षांत समारोह के अवसर पर सभी विद्यार्थियों, पदक विजेताओं, शिक्षकों, और अभिभावकों को बहुत-बहुत बधाई। आज ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए कितनी खुशी का दिन है कि आज से इनके नाम के पहले "डॉक्टर” शब्द जुड़ जाएगा। इसके लिए उन सभी युवा विद्यार्थियों को विशेष बधाई। केजीएमयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय तथा संबद्ध संस्थानों के दीक्षांत समारोह में उपस्थित आप सभी लोगों को संबोधित करते हुए मुझे हर्ष का अनुभव हो रहा है।

2. 21वीं सदी की हमारी युवा पीढ़ी के डॉक्टर, नर्स तथा स्वास्थ्य-कर्मी एक ऐसे भारत के लिए अपना योगदान करने जा रहे हैं जो विश्व समुदाय को नेतृत्व देने वाले देशों में अपनी साख को और अधिक मजबूत बनाना चाहता है। आत्मनिर्भरता तथा विश्वस्तरीय उत्कृष्टता की आकांक्षा से ओत-प्रोत हमारे देश की नई पीढ़ी तथा केजीएमयू के मेधावी युवाओं के साथ आज के अवसर पर कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को साझा करना मुझे सार्थक प्रतीत हो रहा है, क्योंकि इस संस्थान ने गंभीर चुनौतियों के बीच एक गौरवशाली परंपरा स्थापित की है।

3. सन 1911 में केजीएमसी में शिक्षा आरंभ होने के बाद का पहला दशक, इस संस्थान के लिए और पूरे देश के लिए गंभीर चुनौतियों से भरा हुआ था। पहले बैच के विद्यार्थियों ने 1916 में डिग्री हासिल की। वे सभी विद्यार्थी चिकित्सा-सहायता प्रदान करने के लिए अत्यंत विषम परिस्थितियों में प्रथम विश्व युद्ध के मोर्चों पर तैनात कर दिए गए। 1918 में वैश्विक महामारी फैली जिसे ‘स्पैनिश फ्लू’ कहा जाता है। उस महामारी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या भारत में सबसे अधिक थी। भारत की लगभग 31 करोड़ की आबादी में अनुमानतः सवा करोड़ से डेढ़ करोड़ लोग काल-कवलित हुए थे जबकि पूरे विश्व में मृतकों की संख्या लगभग पांच करोड़ थी। उसी समय अकाल और भुखमरी का प्रकोप भी चल रहा था। जनगणना के आंकड़ों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि 1911 से 1921 के बीच का दशक एक मात्र ऐसा दशक है जिसमें हमारे देश की जनसंख्या में कमी दर्ज की गई।

4. एक और तथ्य उस समय देश में हो रहे बदलाव को स्पष्ट करता है। आप सभी जानते हैं कि 1910 में सम्राट बनने से पहले, किंग जॉर्ज सन 1905 में ‘प्रिंस ऑफ वेल्स’के रूप में भारत आए थे। उसी यात्रा के दौरान केजीएमसी की आधारशिला रखी गई। उस शिलान्यास का उद्देश्य प्रिंस ऑफ वेल्स की यात्रा को यादगार बनाने का था। लेकिन, जब अगले प्रिंस ऑफ वेल्स 1921 में भारत आए तब तक आजादी और राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना जागृत हो चुकी थी। गांधीजी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में देशवासियों ने हर जगह असहयोग आंदोलन के तहत प्रत्येक सरकारी समारोह के बॉयकॉट के संकल्प को कार्यरूप दिया। इस प्रकार, देशव्यापी स्वाधीनता आंदोलन में लखनऊ की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रही।

5. आप सबकी यूनिवर्सिटी के परिसर में स्थित गांधी मेमोरियल और सम्बद्ध चिकित्सालय, कस्तूरबा चेस्ट हॉस्पिटल, सरदार पटेल बॉयज़ हॉस्टल, कलाम सेंटर और अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर, हमारे राष्ट्र-निर्माताओं के आदर्शों की याद दिलाते हैं।

प्यारे विद्यार्थियो,

6. आपने अपने लिए जिस नोबल प्रोफेशन को चुना है, उसका महत्व केवल जीविकोपार्जन तथा व्यक्तिगत उन्नति के लिए नहीं है। आपने मानव सेवा का मार्ग चुना है।हमारे देश में, डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। आप सब युवा डॉक्टर यह हमेशा याद रखें, कि मरीज केवल मेडिकल cases नहीं होते हैं। वे संवेदनशील मनुष्य होते हैं जो पीड़ा, परेशानी, तनाव और आशंका की स्थिति में आपके पास आते है। अतः मरीज की देख-भाल करने वाले डॉक्टर और नर्स में competence और compassion दोनों का होना बहुत जरूरी है। सक्षम व संवेदनशील डॉक्टर व नर्स मरीजों का विश्वास जीत पाते हैं। मरीजों का यह विश्वास और आस्था ही उनके उपचार का आधार है। मरीजों का, विशेषकर गरीब तबके के मरीजों का ध्यान रखना आप सबका सर्वोपरि कर्तव्य है।

7. प्रोफेशनल एजुकेशन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को समाज में हो रहे बदलाव एवं विकास का प्रतिबिंब माना जा सकता है। मुझे केजीएमयू के पहले बैच के विद्यार्थियों की सूची दिखाई गई। 31 विद्यार्थियों की उस सूची में मात्र 2 छात्राएं थी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आज के दीक्षांत समारोह में कुल 44 पदक विजेताओं में से 21 बेटियां हैं जो लगभग 50 प्रतिशत हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी ऐसी बेटियां, 21वीं सदी के समावेशी भारत का निर्माण करने में अपना विशेष योगदान देंगी।

8. 21वीं शताब्दी की स्वास्थ्य सेवाओं में कम्यूनिकेशन टेक्नॉलॉजी और चिकित्सकों की व्यक्तिगत प्रतिभा के समन्वय का उपयोग करने के विश्व-व्यापी प्रयास चल रहे हैं। बिग डेटा, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी तथा कनेक्टिविटी के साथ बायो-साइन्सेज़ के समुचित समन्वय से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं।

9. 58 स्पेशल्टीज़ से युक्त इस यूनिवर्सिटी में प्राइमरी डेटा पर आधारित इंटर-डिसिप्लिनरी तथा मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च की अपार संभावनाएं हैं। केजीएमयू जैसे अग्रणी संस्थान में ओरिजनल रिसर्च पर भी उच्च-स्तरीय कार्यक्रम चलते रहने चाहिए। युवा विद्यार्थियों में आरंभ से ही शोध की मानसिकता विकसित की जानी चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

10. सन 2020 के दौरान, पूरी दुनिया के लोग वैश्विक महामारी कोविड का सामना करते रहे हैं। हमारे देश की आबादी विशाल और घनी होने के कारण यह चुनौती हम सबके लिए और भी गंभीर हो सकती थी। लेकिन, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समय रहते उचित कदम उठाए जाने से इस महामारी पर यथासंभव नियंत्रण रखा जा सका है।

11. देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कोविड की जांच, चिकित्सा और रोकथाम के लिए केजीएमयू ने असाधारण योगदान दिया है। मुझे बताया गया है कि केवल केजीएमयू में ही अब तक लगभग 9 लाख सैंपल की टेस्टिंग की जा चुकी है।

12. केजीएमयू जैसे सार्वजनिक अस्पतालों ने कोविड-19 का सामना करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। इन असाधारण प्रयासों के बल पर ही, घनी आबादी तथा सीमित आय जैसी परिस्थितियों से जूझते करोड़ों देशवासी कोविड की चुनौती का सामना कर पा रहे हैं। मैं सभी देशवासियों की ओर से केजीएमयू जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों के डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्य-कर्मियों को विशेष धन्यवाद देता हूं जो कोरोना का सामना करने में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं। इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है। इस युद्ध में अनेक कोरोना-वारियर्स ने अपनी जान गंवाई है। हमारा देश, इन बलिदानियों का सदैव ऋणी रहेगा।

13. केजीएमयू के पूर्व छात्र पिछले कई दशकों से देश-विदेश के शीर्षस्थ चिकित्सा संस्थानों के उच्चतम पदों को सुशोभित करते हुए अपना उल्लेखनीय योगदान देते रहे हैं। इस संस्थान में शिक्षित डॉक्टरों ने भारत में मेडिकल एजुकेशन को प्रभावी नेतृत्व दिया है। केजीएमयू से शिक्षा प्राप्त करने के बाद चिकित्सा व समाज-सेवा के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले डॉक्टरों ने प्रभावशाली उपलब्धियां दर्ज की हैं। उनमें, एक पद्म-विभूषण, 6 पद्म-भूषण, 28 पद्म-श्री और 45 ‘बी.सी. रॉय अवार्ड’ से सम्मानित डॉक्टर शामिल हैं। आज एक जानकारी आप सबके साथ साझा करते हुए मुझे खुशी हो रही है। मेरे स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन परिवार के स्वास्थ्य की प्रमुख ज़िम्मेदारी भी, आपके ही संस्थान के एक पूर्व छात्र के सक्षम हाथों में है। मुझे पूरा विश्वास है कि केजीएमयू के डॉक्टरों की नई पीढ़ी भी अपने संस्थान की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाती रहेगी।

14. मुझे बताया गया है कि लगभग साढ़े बारह हजार सदस्यों का ‘जॉर्जियन अलुम्नाई असोसिएशन’ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है। मेरा सुझाव है कि इस असोसिएशन द्वारा एक ‘नॉलेज पोर्टल’ स्थापित किया जाए। इस पोर्टल पर देश-विदेश में कार्यरत सभी जॉर्जियन अपनी विशेष जानकारी और अनुभव साझा करें। यह जानकारी उनके द्वारा प्रयुक्त चिकित्सा पद्धति, रिसर्च वर्क, जटिल केस के ट्रीटमेंट अथवा स्वास्थ्य सेवा को और अधिक प्रभावी बनाने से जुड़े किसी भी विषय पर हो सकती है। इस विश्वव्यापी आदान-प्रदान से ‘जॉर्जियन’ परिवार के सभी सदस्य, विशेषकर युवा सदस्य लाभान्वित होंगे। साथ ही, इस ज्ञान का उपयोग अन्यत्र भी किया जा सकेगा।

देवियो और सज्जनो,

15. मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘उन्नत भारत अभियान’ के तहत के जीएमयू ने 10 गांवों को अपनाया है तथा उन गांवों में स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों के प्रसार के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है। मैं राज्यपालों के वार्षिक सम्मेलन में यह आग्रह करता रहा हूं कि कुलाधिपति के रूप में सभी राज्यपाल शिक्षण संस्थानों से ‘यूनिवर्सिटीज़ सोशल रेसपॉन्सिबिलिटी’ का निर्वहन कराएं। केजीएमयू द्वारा ‘उन्नत भारत अभियान’ से जुड़ने के लिए मैं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल तथा यूनिवर्सिटी की टीम को बधाई देता हूं।

देवियो और सज्जनो,

16. गंभीर बीमारी का इलाज कराने के लिए अनेक देशों से लोग भारत आते हैं क्योंकि उन्हें कम खर्च पर विश्व-स्तर का उपचार प्राप्त हो जाता है। मुझे विश्वास है कि नई और पुरानी पीढ़ियों के सभी डॉक्टर मिलकर देश में स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। हमारे देश के डॉक्टरों और नर्सों की प्रतिभा व सेवा-भावना की साख पूरी दुनिया में है। एक आकलन के अनुसार अमेरिका में हर सातवां डॉक्टर भारतीय मूल का है। और अमेरिका के निवासी भारतीय डॉक्टरों पर बहुत भरोसा करते हैं। अन्य कई विकसित देशों में भी भारत के डॉक्टरों को ऐसा ही सम्मान प्राप्त है। भारत के डॉक्टरों की इस प्रतिभा का उपयोग अपने देश में भी और अधिक प्रभावी तरीके से होना चाहिए। मैं चाहता हूं कि हमारे देश का हेल्थ-केयर सेक्टर ऐसा बने जिससे कि पूरे विश्व में, ‘क्योर इन इंडिया’ एक मुहावरा बन जाए।

17. मैं एक बार फिर सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और इस दीक्षांत समारोह के आयोजन से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं तथा सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगल-कामना करता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!