भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के पुरस्कार समारोह के अवसर पर सम्बोधन
राष्ट्रपति भवन : 24.09.2020
1. वर्ष 2018-19 के लिए आज ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी स्वयं-सेवकों को हार्दिक बधाई!
2. यह मेरे लिए बहुत हर्ष का विषय है कि आज इस समारोह द्वारा, मैं सेवा-भावना और सामाजिक प्रतिबद्धता से भरपूर युवाओं से बात कर रहा हूं। इन बेटे-बेटियों ने छोटी उम्र में ही राष्ट्र के प्रति अपने कर्त्तव्य और निष्ठा का परिचय दिया है।
3. सेवा का भाव हमारे जीवन-मूल्यों का अभिन्न अंग रहा है। सेवा धर्म की महत्ता को रेखांकित करते हुए हमारे पूर्वजों ने कहा है, ‘सेवा-धर्म: परम गहनो’ अर्थात सेवा-धर्म के महत्व को समझना आसान नहीं है। सेवा के आदर्श को कार्यरूप देने की परंपरा में ही, स्वामी विवेकानन्द ने ‘जगत् हिताय’ अर्थात सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। यह मिशन लगभग 125 वर्षों से निरंतर सेवारत है और सभी सेवाधर्मी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
4. हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने केवल मानवता ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी सेवा और करुणा की भावना पर बल दिया था और अपना सम्पूर्ण जीवन, सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। बापू ने कहा था, ईश्वर की पहचान सेवा से ही होगी यह मानकर मैंने सेवा-धर्म स्वीकार किया था।” जैसा कि सब जानते हैं, गांधी जी के आदर्शों से युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ की शुरुआत, उनकी जन्म-शताब्दी के उपलक्ष में सन् 1969 में की गयी थी। यह योजना, आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी पांच दशक पहले थी।
5. इक्यावन वर्षों की निरंतर सक्रियता के कारण इस योजना की जड़ें मजबूत हो गई हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कारों द्वारा विश्वविद्यालयों, सेवा-योजना इकाइयों और स्वयं-सेवकों को प्रतिवर्ष प्रोत्साहित करने की परंपरा भी सन् 1993 से चल रही है। इस वर्ष कोविड-19 की वैश्विक महामारी से जुड़ी गंभीर चुनौतियों के बावजूद, स्वयं-सेवकों के प्रोत्साहन हेतु, श्री किरण रिजिजू के नेतृत्व में, इस समारोह का आयोजन करने वाले उनकी टीम के सभी सदस्य प्रशंसा के पात्र हैं।
6. ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ का उद्देश्य है ‘सेवा के माध्यम से शिक्षा’। सेवा के द्वारा युवा स्वयं-सेवकों के चरित्र का निर्माण तथा व्यक्तित्व का विकास होता है। स्वैच्छिक सामुदायिक-सेवा ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ का महत्वपूर्ण अंग है। इस योजना का आदर्श वाक्य है "Not me but you” यानि "मैं नहीं, बल्कि आप”। इसका भाव है, अपने हित की जगह दूसरे के हित पर ध्यान देना। ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ का प्रतीक है ‘अशोक चक्र’ जो स्वयं-सेवकों को 24 घंटे सेवा के लिए तत्पर रहने की प्रेरणा देता है।
7. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अनेक तकनीकी संस्थानों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के लगभग 40 लाख युवा विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ से जुड़कर, समाज और राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। अब तक लगभग सवा चार करोड़ विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के माध्यम से अपना योगदान दे चुके हैं। इस दृष्टिकोण से,यह विद्यार्थियों का विश्व में सबसे बड़ा स्वैच्छिक कार्यक्रम है। मुझे विश्वास है कि ऐसे निष्ठावान युवाओं के हाथों में हमारे देश का भविष्य सुरक्षित है।
8. ऐसे युवाओं के योगदान के बल पर ही राष्ट्र-निर्माण के कार्यों और आपदाओं का सामना करने में ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’की अहम भूमिका रही है।
9. इन स्वयं-सेवकों के उत्तम कार्यों के लिए उन्हें पुरस्कृत किया जाना मेरे लिए हर्ष का विषय है। मुझे बताया गया है कि इन पुरस्कृत युवाओं ने ऐसे अनेक कार्यों में योगदान दिया है जो न सिर्फ राष्ट्र के हित में हैं, अपितु समय के अनुसार अत्यंत आवश्यक भी हैं।
10. विश्व-समुदाय इस समय संकट से गुजर रहा है। कोविड-19 की महामारी ने सम्पूर्ण विश्व को गंभीर विपदा में डाल दिया है। इस विपदा के अनेक आयाम हैं। यह मात्र एक स्वास्थ्य संबंधी समस्या ही नहीं है, अपितु इससे जुड़ी आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयां सभी के जीवन को प्रभावित कर रही हैं।
11. इस वैश्विक महामारी के विरुद्ध संघर्ष में ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयं-सेवकों ने सोशल-डिस्टेन्सिंग तथा मास्क के प्रयोग के लिए जागरूक बनाया है। क्वारंटीन के दौरान लोगों तक खाद्य-सामग्री एवं अन्य उपयोगी वस्तुएं पहुंचाने में योगदान दिया है। इन युवाओं ने कोविड-19 के कारणों और उसकी रोकथाम के सम्बन्ध में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने में सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों को अनेक प्रकार से सहायता प्रदान की है। इन स्वयं-सेवकों ने जन-सेवा की नई मिसाल प्रस्तुत की है। यह सराहनीय है।
12. भूकम्प और बाढ़ जैसी राष्ट्रीय आपदाओं के दौरान ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयं-सेवक और कार्यकर्ता समाज की सहायता के लिए सदा तत्पर रहे हैं। विगत कुछ वर्षों में उन्होंने बाढ़ एवं जलभराव के दौरान राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने में अथक प्रयास किए हैं। आपदा प्रबंधन में सहायता प्रदान करने के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’के स्वयं-सेवकों की व्यापक सराहना की गई है।
13. मेरे लिए, आज के पुरस्कारों से जुड़ा एक तथ्य विशेष रूप से संतोषप्रद है। वर्ष 2018-19 के 42 पुरस्कार विजेताओं की सूची में 14 बेटियों के नाम भी शामिल हैं। इन बेटियों ने अपनी असाधारण निष्ठा, सेवा-भावना और साहस का परिचय दिया है। इन्होंने यह सिद्ध किया है कि हमारी बेटियां भी राष्ट्र-सेवा में अमूल्य योगदान देती हैं। हमारी ये बेटियां उस परंपरा की याद दिलाती हैं जिसमें सावित्री-बाई फुले, कस्तूरबा गांधी और मदर टेरेसा जैसे सेवा-भावना के महान और प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं।
14. मुझे विश्वास है कि ऐसे उदाहरणों से प्रेरणा लेकर, हमारे युवा स्वयं-सेवक समाज एवं देश की उन्नति के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य करते रहेंगे।
15. एक बार फिर मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि आप सब अपने जीवन में सदैव सेवा-धर्म का पालन करते हुए अन्य देशवासियों को भी प्रेरित करते रहेंगे।
धन्यवाद,
जय हिन्द!