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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का ‘ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामंडल’ कानपुर द्वारा संचालित विद्यालयों के संयुक्त पूर्व छात्र सम्मेलन एवं वार्षिकोत्सव समारोह में सम्बोधन

कानपुर : 25.02.2019

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1. आप सभी देशवासियों के साथ-साथ मुझे भी अत्यंत पीड़ा हुई, जब कश्मीर में हमारे सी.आर.पी.एफ. के अनेक बहादुर जवान एक कायरतापूर्ण आतंकी हमले में शहीद हो गए। इस हमले में कानपुर देहात के रैगवा गांव के निवासी, श्याम बाबू भी शहीद हो गए। आज उन सभी शहीदों के परिवार-जनों के साथ-साथ पूरा देश शोक-संतप्त है। पूरे कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से मैं उन बहादुर जवानों को भाव-भीनी श्रद्धांजलि देता हूँ और उनके बलिदान को नमन करता हूँ।

2. इस विद्यालय परिसर में आयोजित ‘पूर्व छात्र सम्मेलन’ एवं ‘शताब्दी वर्ष’ के इस समारोह में आकर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। लम्बे समय बाद कई परिचित चेहरो को देखकर, अनेक पुरानी स्मृतियां ताजी हो गई हैं।

3. इस आयोजन के लिए, ‘श्री ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामण्डल’ विद्यालयों के सभी अधिकारीगण, प्रधानाचार्य, शिक्षकगण व कर्मचारियों को मैं बधाई देता हूं। विशेष रूप से इस आयोजन के लिए, महामण्डल के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्रजीत सिंह एवं महामण्डल परिवार को मैं धन्यवाद देना चाहूंगा ।

4. आज यहां, बालिका विद्यालय के नवीन भवन के मॉडल का उद्घाटन करके मुझे विशेष प्रसन्नता हुई है। मेरी शुभकामना है कि यह भवन अपने निर्धारित समय सीमा के अन्दर बन कर तैयार हो। मुझे विश्वास है कि इस विद्यालय में शिक्षित बेटियाँ कानपुर और पूरे देश का नाम रोशन करेंगी।

5. आप सभी जानते हैं कि, भारत के इतिहास में कानपुर से जुड़े अनेक महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों का नाम अविस्मरणीय है। प्रमुख रुप से नाना साहब, तात्या टोपे, चन्द्र शेखर आजाद, गणेश शंकर विद्यार्थी और झण्डा गीत लिखने वाले कवि श्याम लाल ‘पार्षद’ ने निडरता, देशप्रेम और बलिदान के बहुत ही ऊंचे आदर्श स्थापित किए हैं। ऐसे उच्च आदर्शों को यहां के युवा आज भी देश की सेना, पुलिस और सेवा के अनेक क्षेत्रों में चरितार्थ कर रहे हैं।

6.‘‘भारत धर्म मण्डल’’, काशी के संस्थापक स्वामी ज्ञानानन्द जी के शिष्य, स्वामी दयानन्द जी ने कानपुर में, 1908 में शिक्षा, स्वास्थ्य और धर्म प्रचार के लिए ‘श्री ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामण्डल’ की स्थापना की थी। इस महामण्डल की स्थापना में प्रमुख रुप से राय बहादुर विक्रमाजीत सिंह, साहित्यकार राय देवी प्रसाद ‘पूर्ण’ एवं कैलाश मन्दिर के श्री दुर्गा प्रसाद बाजपेई जैसे महानुभाओं का अहम योगदान रहा।

7. महामण्डल ने देश व समाज के विकास के लिए शिक्षा पर विशेष बल दिया और सर्वप्रथम 1917 में श्री सनातन धर्म विद्यालय की स्थापना की। उसके पश्चात् 1939 में बिशम्भर नाथ सनातन धर्म कालेज की स्थापना हुई, जो बी.एन.एस.डी.कालेज के नाम से विख्यात है। उस समय भी इस विद्यालय की ख्याति पूरे प्रदेश में थी और इस कालेज के अधिकांश विद्यार्थी, हाई स्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षाओं में पूरे प्रदेश स्तर पर अग्रणी स्थान प्राप्त करते थे।

8. आठवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद, हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए अपने गांव परौंख से इस कालेज में दाखिला लेने के लिए 1960 में आया था। मुझे आज भी याद है, उस समय इस कालेज में दाखिला पाना बहुत कठिन होता था। मुझे भी यहां पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ, जहां से मैंने हाई स्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षा पास की। मेरे जैसे एक गरीब परिवार से आए हुए विद्यार्थी के लिए, कानपुर शहर में रहना और पढ़ाई कर पाना सरल नहीं था। लेकिन इस विद्यालय के शिक्षकों के सहयोग व उचित मार्ग-दर्शन, और उस समय मुझे मिले सरकारी वजीफा के कारण, मैं जीवन में आगे बढ़ सका।

9. इस विद्यालय के गरिमापूर्ण इतिहास में यहां के सभी प्रधानाचार्यों और शिक्षकों का अमुल्य योगदान रहा है। नैतिकता, संस्कार युक्त एवं मूल्य-आधारित शिक्षा पर इन संस्थाओं ने सदैव बल दिया है।

10. दीनदयाल उपाध्याय जी के बारे में हम सब जानते ही हैं। वे भी इसी विद्यालय परिवार के विद्यार्थी थे। सन 1937 से 1939 तक इसी कॉलेज के छात्रावास में रहकर उन्होने अपनी बी.ए. की पढ़ाई पूरी की, और पूरे कालेज में प्रथम स्थान पाकर, स्नातक की उपाधि प्राप्त की। दीनदयाल जी ने आधुनिक भारत के चिंतन और समाज को ‘एकात्म-मानव-वाद’ और ‘अंत्योदय’ का महान विचार दिया। उनका, इस विद्यालय का छात्र होना, हम सबके लिए बहुत ही गौरव की बात है। मैं आशा करता हूं कि यहां के शिक्षक और छात्र दीनदयाल जी के इन विचारों से प्रेरणा लेते हुए समाज कल्याण का कार्य करते रहेंगे।

11. इस अवसर पर विद्यालय के अपने पूर्व शिक्षकों का सम्मान करके, मैं प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। जिन शिक्षकों के सानिध्य में हमने पढ़ाई की, जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा पाई, आज उनमें से तीन शिक्षकों का सम्मान करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। अपने पूर्व शिक्षक, श्री प्यारे लाल वर्मा, श्री टी.एन. टण्डन और श्री हरि राम कपूर को मैं श्रद्धा-पूर्वक नमन करता हूं।

12. ऐसे शिक्षकों की बदौलत ही, इस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले बहुत सारे छात्रों ने देश के कई प्रतिष्ठित क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है और अनेक महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया है। उनमें से कई पूर्व छात्र आज यहां उपस्थित भी हैं।

13. मुझे विश्वास है कि यहां से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी यहाँ की परंपरा को कायम रखेंगे। हमेशा की तरह यहाँ के छात्र, विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उत्कृष्ट सेवा देते हुए देश के विकास में अपना अहम योगदान देंगे। मैं आशा करता हूं कि यहां के सभी विद्यार्थी अपनी शिक्षा के बल पर, समाज और देश को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।

14. मैं एक बार फिर इस विद्यालय के पूर्व छात्र सम्मेलन एवं वार्षिकोत्सव के आयोजकों को बधाई देता हूं और आप सबके सुखद भविष्य की मंगलकामना करता हूँ।

धन्‍यवाद।

जय हिन्‍द।