Back

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय, कानपुर के शताब्दी वर्ष समारोह में सम्बोधन

कानपुर: 25.11.2021

Download PDF

हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कानपुर के शताब्दी वर्ष समारोह में सम्मिलित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। कानपुर के किसी भी शिक्षण संस्थान में आकर मेरे मन में अपने विद्यार्थी जीवन की स्मृतियां ताजा हो जाती हैं क्योंकि मेरी शिक्षा भी कानपुर में ही हुई थी। जिस क्षेत्र में आप अपने जीवन निर्माण के आरंभिक वर्ष बिताते हैं उस स्थान से विशेष लगाव का होना स्वाभाविक है।

आप के संस्थान के शताब्दी वर्ष के इस शुभ अवसर पर मैं, विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में योगदान देने वाले सभी कुलपतियों और अधिकारियों, वर्तमान तथा पूर्व शिक्षकों और विद्यार्थियों को बधाई देता हूं। आपके संस्थान का गौरवशाली इतिहास 20वीं सदी के आरंभ से ही भारत में हो रहे औद्योगिक विकास से जुड़ा हुआ है। ‘मैंचेस्टर ऑफ द ईस्ट’, ‘लेदर सिटी ऑफ द वर्ल्ड’ तथा ‘इंडस्ट्रियल हब’के रूप में कानपुर को जो प्रसिद्धि मिली उसके पीछे आपके संस्थान द्वारा उपलब्ध करायी गई टेक्नॉलॉजी और मानव संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

ऑइल टेक्नॉलॉजी, पेन्ट टेक्नॉलॉजी, प्लास्टिक टेक्नॉलॉजी तथा फूड टेक्नॉलॉजी के क्षेत्रों में किए गए योगदान के कारण इस विश्वविद्यालय की एक अलग पहचान रही है। इंजीनियरिंग और टेक्नॉलॉजी के अन्य क्षेत्रों में भी यहां के विद्यार्थियों ने सफलता के प्रभावशाली कीर्तिमान स्थापित किए हैं। वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आपके संस्थान को विश्वद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। मुझे विश्वास है कि इस परिवर्तन का प्रभावी उपयोग करते हुए यहां गुणवत्ता-परक तथा उपयोगी अनुसंधान पर और अधिक बल दिया जाएगा। साथ ही शिक्षण के स्तर में भी और अधिक सुधार होगा। आप सब का यह सौभाग्य है कि स्वयं एक प्रभावी शिक्षिका रह चुकीं एवं प्रखर शिक्षाविद राज्यपाल महोदया का मार्गदर्शन आप सब को उपलब्ध है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कार्यरूप देने के लिए एचबीटीयू में समुचित प्रयास किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति द्वारा ऐसी उच्चतर शिक्षा की व्यवस्था की जानी है जो परंपरा से पोषण प्राप्त करती हो और अपने दृष्टिकोण में आधुनिक व भविष्योन्मुख भी हो। नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा सूत्र की संस्‍तुति की गई है। इससे विद्यार्थियों में सृजनात्‍मक क्षमता विकसित होगी तथा भारतीय भाषाओं की ताकत और बढ़ेगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वैज्ञानिक व तकनीकी शिक्षा तथा शोध को भारतीय भाषाओं से जोड़ने की संस्तुति की गयी है। मुझे विश्वास है कि आप सब इस शिक्षा नीति के सभी प्रमुख आयामों को लागू करेंगे तथा भारत को ‘नॉलेज सुपर पावर’ बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में अपना योगदान देंगे।

देवियो और सज्जनो,

हम सब जानते हैं कि दुनिया में वही देश अग्रणी रहते हैं जो इनोवेशन और नई टेक्नॉलॉजी को प्राथमिकता देकर अपने देशवासियों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए निरंतर सक्षम बनाते हैं। टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में भारत ने भी अपनी साख बढ़ाई है। लेकिन अभी हमारे देश को बहुत आगे जाना है। इस संदर्भ में हरकोर्ट बटलर टेक्निकल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

हमारे देश के टेक्निकल संस्थानों को अपने विद्यार्थियों में अन्वेषण, नवाचार और उद्यमशीलता की सोच विकसित करने के प्रयास करने चाहिए। उन्हें शुरू से ही ऐसा वातावरण प्रदान करना चाहिए जिसमें वे job seeker की जगह job giver बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। डिजिटल अर्थव्यवस्था के युग में भारत के युवा सफलता के ऐसे अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं जिनकी कुछ वर्षों पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। एक विश्लेषण के अनुसार वर्ष 1990 के बाद जन्म लेने वाले यानि 31 वर्ष से कम आयु के तेरह युवा उद्यमियों ने एक हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की एसेट-वैल्यू अर्जित करके बिलियनेयर-क्लब में अपना स्थान बनाया है। उनमें एक 23 वर्ष का नवयुवक भी है जिसने तीन साल पहले यानि 20 साल की उम्र में डिजिटल टेक्नॉलॉजी पर आधारित अपना कारोबार शुरू किया। उसकी कंपनी द्वारा हर महीने लगभग 300 करोड़ रुपये की डिजिटल-लेंडिंग की जाती है। यहां उपस्थित युवाओं को यह जानकर प्रेरणा प्राप्त होगी कि भारत में एक हज़ार करोड़ रुपए से अधिक एसेट वैल्यू वाले लोगों में सेल्फ-मेड उद्यमियों की संख्या लगभग 65 प्रतिशत है। यानि आज भारत में सौ में से 65 अरबपति पैतृक उद्यम के बल पर नहीं बल्कि स्वावलंबन के बल पर सफल उद्यमी बने हैं।

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश के संदर्भ में किसी भी टेक्नॉलॉजी की वास्तविक सफलता तब मानी जा सकती है जब उससे समाज के सबसे पिछड़े और वंचित वर्ग भी लाभान्वित हों। मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि यह यूनिवर्सिटी, आई.आई.टी. कानपुर के साथ मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और पर्यावरण के क्षेत्रों में प्रोटोटाइप विकसित करने की दिशा में सतत प्रयत्नशील है।

एचबीटीयू के पूर्व विद्यार्थियों ने संस्थान के ध्येय वाक्य ‘श्रम एव परम् तपः’ को चरितार्थ किया है तथा देश-विदेश में अपना सम्मान-जनक स्थान बनाया है। लगभग पांच दशक पहले केंद्र सरकार में मंत्री रहे श्री केशव देव मालवीय से लेकर आज के युग में Wordsmith जैसे आधुनिक नॉलेज पोर्टल को विकसित करने वाले श्री अनु गर्ग,बिज़नेस लीडरशिप के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करने वाले श्री अनिल खंडेलवाल तथा इंडिया-मार्ट के संस्थापक श्री दिनेश अग्रवाल जैसे अनेक पूर्व विद्यार्थियों ने विभिन्न क्षेत्रों में इस संस्थान का गौरव बढ़ाया है। यहां के पूर्व विद्यार्थी अनेक शिक्षण एवं शोध संस्थानों को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, श्री बलराम उपाध्याय आपके अलुमनाइ एसोसिएशन को उत्साहपूर्ण सेवा प्रदान कर रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ने वाले एचबीटीयू के ऐसे सफल पूर्व विद्यार्थियों की सूची बहुत बड़ी है अतः सबके नाम का उल्लेख करना संभव नहीं है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों का एसोसिएशन जिसके करीब 5000 सदस्य हैं, सक्रिय रूप से इस संस्थान के विकास में निरंतर अपना सहयोग दे रहा है। लगभग दो साल पहले राष्ट्रपति भवन में आईआईटी दिल्ली के एक Endowment Fund को आरंभ करने का मुझे अवसर मिला था। ऐसे फ़ंड के माध्यम से पूर्व विद्यार्थी अपने संस्थान की बेहतरी के लिए डोनेशन दे सकते हैं और जरूरतमंद छात्रों की सहायता कर सकते हैं। उस Endowment Fund की शुरूआत के समय ही पूर्व छात्रों ने 200 करोड़ रुपये का डोनेशन सुनिश्चित कर दिया था। ऐसे Endowments के जरिये पूर्व विद्यार्थी भावी पीढ़ियों के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।

मैं देश भर में अनेक शिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोहों में गया हूं जहां मैंने देखा है कि हमारी बेटियों का प्रदर्शन बहुत प्रभावशाली रहता है। लेकिन तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आज भी बेटियों की भागीदारी संतोषजनक नहीं है। मुझे बताया गया है कि हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में भी पीएच. डी. में तो छात्र-छात्रा अनुपात लगभग बराबर है लेकिन बी. टेक. और एम. टेक. में छात्राओं की संख्या छात्रों की अपेक्षा कम है। आज समय की जरूरत है कि बेटियों को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

देवियो और सज्जनो,

कानपुर से विशेष रूप से जुड़ा होने के कारण मेरी आप सब से कुछ विशेष अपेक्षाएं भी हैं। पिछले शनिवार 20 नवम्बर के दिन दिल्ली के विज्ञान भवन में मुझे शहरी स्वच्छता के क्षेत्र में विभिन्न मापदण्डों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शहरों और निकायों को पुरस्कार प्रदान करने का अवसर मिला। कुल मिलाकर उस दिन लगभग 300 पुरस्कार प्रदान किए गए। स्वच्छता सर्वेक्षण में यह देखने को मिला कि वर्ष 2016 में देश के शहरी निकायों में 173वें स्थान से कानपुर शहर 2021 की रैंकिंग में 21वें स्थान तक पहुंच गया है।

उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी आबादी वाले शहरों में से एक, कानपुर शहर की स्वच्छता में सुधार होने से पूरा प्रदेश लाभान्वित होता है। मैं कानपुर के निवासियों के स्वभाव को गहराई से जानता हूं। कानपुर के मेहनती, लगनशील और निष्ठावान लोग यदि कुछ ठान लेते हैं तो उसे हासिल कर ही लेते हैं। मैं चाहता हूं कि कानपुर के निवासियों का यह जज़्बा शहर की स्वच्छता के लक्ष्य को एक जन-आंदोलन बनाने में लगे। यहां के प्रशासनिक व नगर निगम के अधिकारियों से मैं अपेक्षा करता हूं कि वे देश में लगातार प्रथम स्थान पाने वाले इंदौर शहर की साफ-सफाई की व्यवस्था को जा कर देखें और वहां के अधिकारियों के साथ ताल-मेल बिठा कर कानपुर को देश के पांच स्वच्छतम शहरों में स्थान दिलाने के लिए प्रयास करें। कानपुर को कचरा-मुक्त शहर बनाने के प्रयास में, एचबीटीयू सहित कानपुर के सभी उच्च शिक्षण संस्थान, औद्योगिक अनुसंधान के सभी संस्थान, सभी विद्यार्थी तथा जिम्मेदार नागरिक-गण मिलकर युद्ध-स्तर पर कार्य करेंगे, यह मैं आशा करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

आज जब आप अपने विश्वविद्यालय का शताब्दी-समारोह मना रहे हैं तब स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में पूरे देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। वर्ष 2047 में जब देश स्वाधीनता की शताब्दी मना रहा होगा तब आपका विश्वविद्यालय अपने 125 वर्ष पूरे कर रहा होगा। मुझे बताया गया है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा की जाने वाली National Institutional Ranking Framework में एचबीटीयू 166वें स्थान पर है। आप सब की सोच वैश्विक स्तर की होनी चाहिए तथा आप सभी का यह प्रयास होना चाहिए कि वर्ष 2047 तक आपका विश्वविद्यालय NIRF रैंकिंग में देश के 25 शीर्षस्थ संस्थानों में अपना स्थान सुनिश्चित कर सके। इसके लिए आप सब को संकल्पबद्ध होकर कार्य करना पड़ेगा। मुझे विश्वास है कि आप सब अपने विश्वविद्यालय तथा देश के विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। मैं एक बार फिर एचबीटीयू केशताब्दी वर्ष के अवसर पर आप सभी लोगों को बधाई देता हूं और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!