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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के 27वें दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

सागर : 28.04.2018

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1. पदक और उपाधि से अलंकृत विद्यार्थियों,शिक्षकों,अन्य सभी विद्यार्थियों तथा यहां उपस्थित अभिभावकों को मेरी बहुत-बहुत बधाई!

2. मध्य प्रदेश को भारत का हृदय माना जाता है और ऐसा कहा भी जाता है। यह केवल इसलिए नहीं है कि भौगोलिक रूप से मध्य प्रदेश भारत के लगभग बीचों-बीच स्थित है। यह इसलिए भी है कि भारतीय चिंतन, संस्कृति, कला और राजनीति की अनेकों धाराएँ प्राचीन काल से आज तक इस प्रदेश में प्रवाहित होती रही हैं। सांची का बौद्ध स्तूप, अमरकंटक में नर्मदा नदी का उद्गम और ऋषभदेव जी का जैन मंदिर, चित्रकूट में प्रभु राम की वनवास स्थली, उज्जैन का महाकुंभ और वहाँ की प्राचीन विद्या परंपरा भारतवासियों के हृदय से जुड़े हुए हैं।

3. सागर विश्वविद्यालय में आप सभी विद्यार्थियों के बीच आकर मेरा प्रसन्न होना स्वाभाविक है। सागर से जुड़ी लोक-मान्यता और इतिहास, दोनों ही त्याग के महान आदर्श प्रस्तुत करते हैं। यहां के लोगों के मन में बसे लोक-नायक लाखा बंजारा के त्याग और बलिदान की कहानी इस क्षेत्र के लोगों की भावना का परिचय देती है। यह कहानी पूरे बुंदेलखंड समेत इस सागर क्षेत्र को प्रेरित करती है। आप सभी विद्यार्थियों के लिए इस क्षेत्र की विभूतियों द्वारा प्रस्तुत किए गए त्याग और नि:स्वार्थ सेवा के आदर्श बहुत प्रासंगिक हैं।

4. आपके इस विश्वविद्यालय को मध्य प्रदेश का पहला आधुनिक विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। सन 1890 से 1910 के बीच केंब्रिज विश्वविद्यालय और लंदन में अपनी बहु-आयामी प्रतिभा और व्यक्तित्व से सबको प्रभावित करने वाले हरीसिंह जी ने विधिवेत्ता, वक्ता और शिक्षाविद के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वे संविधान सभा के सदस्य भी थे। उन्हे दिल्ली विश्वविद्यालय का पहला कुलपति होने का गौरव प्राप्त है। शिक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता हम सबके लिए अनुकरणीय है। यह बहुत ही असाधारण बात है कि इस विश्वविद्यालय का निर्माण उन्होंने अपनी संचित धन-राशि से करवाया था। किसी एक ही व्यक्ति के संसाधनों से बना यह विश्वविद्यालय इस दृष्टि से शायद एक अनोखा विश्वविद्यालय है। लोक-हित में अपने निजी संसाधन लगा देने का यह उदाहरण सभी के लिए एक बहुत ऊंचा आदर्श प्रस्तुत करता है।

5. यह विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड क्षेत्र के युवाओं के लिए उच्च-स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का एक प्रभावी केंद्र है। सागर जिले और इस क्षेत्र में अनुसूचित-जातियों और जन-जातियों की बड़ी संख्या होने के कारण इस विश्वविद्यालय का समाज निर्माण में योगदान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मैं इस विश्वविद्यालय को इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में देखता हूँ। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस विश्वविद्यालय के समाज-शास्त्र विभाग में डॉक्टर आंबेडकर पीठ की स्थापना की गयी है। डॉक्टर आंबेडकर भी इस विश्वविद्यालय के संस्थापक की तरह मध्य प्रदेश के एक महान सपूत थे। मुझे बीते 14 अप्रैल के दिन महू में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा आयोजित बाबा साहब के जयंती समारोह में उन्हे नमन करने का अवसर मिला था। डॉक्टर आंबेडकर शिक्षा के प्रबल पक्षधर थे, विशेषकर समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए वे शिक्षा को अनिवार्य मानते थे। पिछले नवम्बर में, मैं अमरकंटक में‘राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय’ के दीक्षांत समारोह में गया था। वह विश्वविद्यालय समावेशी शिक्षा के प्रसार का एक अच्छा उदाहरण है। बहुत अधिक साधन-सम्पन्न पृष्ठभूमि से न आने वाले विद्यार्थियों के लिए जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र सुगम रास्ता शिक्षा ही है।

6. संयोग से राष्ट्रपति होने के नाते मुझे 146 प्रतिष्ठित उच्च-शिक्षा संस्थानों का विजिटर होने का अवसर प्राप्त है जिनमें 47 केंद्रीय विश्वविद्यालय शामिल हैं। अतः मैंने शिक्षा व्यवस्था पर अधिक से अधिक ज़ोर देने का संकल्प किया है। इसीलिए मैं समय-समय पर शिक्षाविदों के साथ सलाह-मशविरा करता रहता हूं ताकि शिक्षा को सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयास चलते रहें। मैंने कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण के साथ जनवरी 2018 में परामर्श किया था। अगले ही सप्ताह मैं सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ एक और मीटिंग करने जा रहा हूं।

7. शिक्षा केवल ज्ञान अर्जित करने और नौकरी पाने का माध्यम नहीं है। आधुनिक शिक्षा व्यक्ति को आत्म-निर्भर भी बनाती है। इस आत्म-निर्भरता का एक रूप दूसरों के लिए अवसर उत्पन्न करना, ‘जॉब सीकर’ की जगह ‘जॉब प्रोवाइडर’ बनना है। ऐसी शिक्षा प्रदान करने में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विश्वविद्यालय में एक ‘आंत्रप्रेन्योरशिप सेल’ स्थापित किया गया है जिसमे उद्यम के आइडिया को बिजनेस वेंचर का ठोस रूप देने के लिए विद्यार्थियों को सहायता दी जा रही है। मुझे बताया गया है कि इस सेल ने ‘डिपार्टमेन्ट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी’ और‘आइ. आइ. एम. कोलकाता’ के सहयोग से कुछ कदम उठाएं हैं जिसके परिणाम-स्वरूप अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने उन बिजनेस आइडियाज़ में रुचि दिखाई है। आस-पास के गांवों के लोगों में‘वर्मीटेक क्लस्टर्स’ और मशरूम की पैदावार बढ़ाने की आधुनिक तकनीक का प्रसार करने का विश्वविद्यालय का प्रयास सराहनीय है। कुटीर उद्यमों को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए चित्रकूट में नानाजी देशमुख द्वारा चलाये गए प्रकल्पों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मैं वहाँ जाता रहा हूँ और इस वर्ष जनवरी में भी गया था। वहाँ उस क्षेत्र के लोगों को छोटे-छोटे उद्यमों के जरिये स्वावलंबी बनाने के अच्छे उदाहरण देखने को मिलते हैं।

8. मुझे यह जानकर विशेष प्रसन्नता हुई है कि आपके विश्वविद्यालय के‘फार्मास्युटिकल साइंसेस’ डिपार्टमेन्ट के प्रोफेसर संजय जैन जी को‘विजिटर्स अवार्ड फॉर रिसर्च’ के लिए चुना गया है। ऐसी उम्मीद की जाती है कि उनके शोध की सहायता से आंतों के कैंसर के इलाज में सुविधा होगी, मरीजों की तकलीफ कम होगी और इलाज का खर्च भी कम हो सकेगा। इस कल्याणकारी शोध के लिए पुरस्कृत प्रोफेसर जैन के साथ मैं विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों को बधाई देता हूँ।

प्यारे विद्यार्थियो!

9. शिक्षा की वास्तविक कसौटी विद्यार्थी के व्यक्तिगत चरित्र, समाज के प्रति उसकी संवेदनशीलता तथा आचरण की प्रामाणिकता में दिखाई देती है। अच्छी शिक्षा दूसरों के कल्याण के विषय में कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी शिक्षा से विद्यार्थियों के व्यवहार,संस्कृति और सोच में सुधार होता है। सही मायनों में आधुनिक सोच वह है जिसमें समाज के कमजोर वर्गों के हित को विशेष महत्व दिया जाता है।

10. मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी स्वयं भी एक साधारण परिवार से आते हैं। उनमें संवेदनशीलता के साथ-साथ,साधन-सम्पन्न न होने से उत्पन्न चुनौतियों की गहरी समझ भी है। इसीलिए उन्होने शिक्षा समेत समावेशी विकास के लिए बहुत सराहनीय प्रयास किए हैं। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा वंचित वर्गों के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जिनमें छोटे उद्यम आरंभ करने के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है। आप सभी युवा विद्यार्थियों द्वारा इन कार्यक्रमों का भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए।

11. मुझे बताया गया है कि आज के इस समारोह में कुल 53 पदक विजेताओं में बेटियों की संख्या 32 है। मैंने गौर किया कि जिन 11 विद्यार्थियों को मंच पर पदक दिया गया उनमें बेटियों की संख्या10 है। सर्वोच्च स्तर का प्रदर्शन करने में बेटियों के बढ़ते वर्चस्व को मैं अच्छे सामाजिक बदलाव के रूप में देखता हूं। यह बदलाव ही हमारे देश और समाज को सही अर्थों में विकसित देश और समाज के रूप में प्रतिष्ठा दिला सकेगा। ऐसे समाज में हमारी शिक्षित बेटियां सफलता की नित नयी ऊँचाइयाँ हासिल करेंगी। यहाँ की बेटियों के बीच आकर बुंदेलखंड की वीरांगना झलकारीबाई को याद करना भी स्वाभाविक है।

12. आज के युग में हमारी बेटियों के लिए आदर्श स्वरूप राज्यपाल महोदया यहां उपस्थित हैं। उन्होने गुजरात में मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में सफलता की मिसाल कायम की है। उन्होने अनेक कल्याण-कारी योजनाओं के साथ-साथ गरीब वर्गों के विद्यार्थियों को उच्च-शिक्षा प्रदान करने हेतु ‘युवा स्वावलंबन योजना’ का आरंभ किया था। मुझे बताया गया है कि वे अपने विद्यार्थी जीवन में एक साहसी बालिका के रूप में ‘वीर बाला पुरस्कार’ से सम्मानित की गई थीं। उन्होने दो छात्राओं को नर्मदा नदी में डूबने से बचाया था। बाद में उन्होने शिक्षिका के रूप में राज्य और राष्ट्रीय स्तर के ‘श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान’ अर्जित किए।

13. मैं एक बार फिर उपाधि और पदक पाने वाले विद्यार्थियों को बधाई देता हूं। मैं आप सभी विद्यार्थियों के सफल और सुखद भविष्य की मंगलकामना करते हुए आशीर्वाद देता हूं।

धन्‍यवाद

जय हिन्द!