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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का वन नेशन – वन हेल्थ सिस्टम पर आयोजित कार्यक्रम में सम्बोधन

भोपाल :28.05.2022

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सम्पूर्ण देश के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित इस कार्यक्रम में भाग लेकर मुझे बहुत प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है।

इस कार्यक्रम के लिए मैं पूरे देश में सक्रिय आरोग्य भारती के सभी कर्मठ कार्यकर्ताओं की सराहना करता हूं। लगभग 20 वर्ष पहले, नवंबर 2002 में, भारतीय पंचांग के अनुसार, धन्वंतरि त्रयोदशी यानि धनतेरस के दिन, केरल में आरोग्य भारती की स्थापना की गई थी। इसकी स्थापना में सभी चिकित्सा पद्धति से जुड़े लोगों का सक्रिय योगदान था।

आरोग्य भारती तथा श्री अशोक वार्ष्णेय जी के साथ मेरा पुराना नाता रहा है। इस संस्था के आरंभिक दिनों को याद करके तथा आज इसके देशव्यापी विस्तार तथा प्रभाव के बारे में जानकर मुझे विशेष प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।

पिछले दो दशकों के दौरान आरोग्य भारती ने समग्र दृष्टि रखते हुए देशवासियों के स्वास्थ्य के हित में सुविचारित और सुसंगठित रूप से कार्य किया है। मुझे बताया गया है कि सभी राज्यों और 85 प्रतिशत जिलों में आरोग्य भारती के दल सक्रिय हैं। मैं संस्था के राष्ट्रीय स्तर पर हुए प्रसार व कार्य-कलापों की सराहना करता हूं।

आरोग्य भारती की सोच बहुत साफ़ और सरल है। जब प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ रहेगा तो सभी परिवार स्वस्थ रहेंगे; परिवार स्वस्थ रहेंगे तो गांव और शहर स्वस्थ रहेंगे और इस प्रकार पूरा देश स्वस्थ रहेगा। ऐसा करते हुए हम अपनी उस प्रार्थना को कार्य रूप दे सकेंगे जिसमें कामना की गई है कि 'सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें', 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः'।

देवियो और सज्जनो

पूरे देश में एक स्वास्थ्य तंत्र की आवश्यकता को समझने के लिए देश की वर्तमान स्वास्थ्य सेवाओं पर विचार करना सहायक होगा। एक ओर हमारा देश इंटरनेशनल मेडिकल टूरिज़म का प्रमुख केन्द्र बन रहा है तो दूसरी ओर अनेक क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में काफ़ी सुधार की आवश्यकता है।

वर्ष 2017 में घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत हमारा लक्ष्य है कि सभी व्यक्तियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं किफ़ायती खर्च पर सुलभ हों। व्यापक तथा समग्र रूप से सबके आरोग्य की व्यवस्था करना भी इस नीति का लक्ष्य है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकारी तथा निजी क्षेत्र के संस्थानों की भागीदारी के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों,विशेषकर प्रबुद्ध नागरिकों का सहयोग आवश्यक है। इस संदर्भ में आरोग्य भारती ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ सभी चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े लोगों को एक साथ लाने का अत्यंत लाभकारी प्रयास किया है। आधुनिक जीवन शैली से जनित अस्वस्थता की रोकथाम पर विशेष ध्यान देकर आरोग्य भारती ‘preventive and promotive’ हेल्थ केयर को प्राथमिकता देने के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप कार्य कर रही है।

देवियो और सज्जनो,

प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों के विज्ञान सम्मत आयामों को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़ना सबके लिए हितकर सिद्ध होगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा योग को बड़े पैमाने पर उत्साहपूर्वक अपनाया जाना इसीलिए संभव हो पाया कि योगासन और प्राणायाम सहित, आयुर्वेद की अनेक पद्धतियां पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। वे पद्धतियां पूरे विश्व समुदाय के लिए कल्याणकारी सिद्ध हुई हैं।

महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना करते समय लिखा था कि उन्होंने तत्कालीन भारत में उपलब्ध आरोग्य के नियमों को व्यवस्थित रूप से संकलित किया। योग-सूत्र, हठयोग प्रदीपिका और घेरण्ड-संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों से यह स्पष्ट होता है कि सदियों पहले हमारे देश में 'एक देश - एक स्वास्थ्य तंत्र' किसी न किसी रूप में विद्यमान था। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता की व्यापक स्वीकृति द्वारा भी प्राचीन काल से ही अखिल भारतीय स्वास्थ्य तंत्र की उपस्थिति का अनुमान होता है।

देवियो और सज्जनो,

हाल ही में मुझे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े एक अन्य कार्यक्रम में भाग लेने का सुअवसर मिला था जहां अनेक साधु और साध्वीगण भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। मैंने देखा कि शारीरिक रूप से भी सामान्य गृहस्थ लोगों की अपेक्षा वे साधु और साध्वीजन कहीं अधिक स्वस्थ दिखाई दे रहे थे। उनके बेहतर स्वास्थ्य का कारण बहुत स्पष्ट है। प्रकृति के अनुरूप तथा सादगी पूर्ण जीवन शैली व अच्छे विचार उनके बेहतर स्वास्थ्य का आधार हैं।

मेरा मानना है कि सामान्य लोग भी अपने दायित्वों का निर्वहन करने के साथ-साथ प्रकृति के अनुरूप तथा सरल जीवन शैली अपना सकते है। आचार-विचार तथा खान-पान में सरलता के साथ-साथ शारीरिक श्रम करते रहने से अधिकांश लोग रोग-मुक्त हो सकते हैं।

श्रीमद्भगवद गीता में इसी बात को बड़ी सरलता के साथ कहा गया है:

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।

युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा॥

अर्थात
उचित आहार-विहार करने वाले, अपने काम के प्रति समुचित चेष्टा करने वाले तथा ठीक समय पर सोने और जागने वाले व्यक्ति का योगपूर्ण जीवन उनके समस्त दुखों को समाप्त कर देता है।

ऐसी ही समुचित जीवन शैली को अपनाने का सुझाव देने वाली, परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों की उपयोगिता को,विश्व स्तर पर अपनाया जा रहा है। इसी वर्ष अप्रैल में, मॉरिशस के प्रधानमंत्री श्री प्रवीण जगन्नाथ तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक श्री टेडरोसकी उपस्थिति में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जामनगर में 'ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिनल सिस्टम' की आधारशिला रखी। वहां भारत सहित विश्व के 170 देशों की चिकित्सा पद्धतियों पर अध्ययन और शोध किया जाएगा।

ऐसे सभी समग्र व समावेशी प्रयासों से आरोग्य भारती के प्रकल्पों को भी संबल प्राप्त होगा। मेरी शुभकामना है कि यह संस्थान स्वस्थ भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देता रहे तथा जनमानस में विशेष स्थान अर्जित करे।

धन्यवाद,

जय हिन्द!