भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का श्री रामकृष्ण मिशन चेरिटेबल हॉस्पिटल, वृन्दावन में भाषण
वृन्दावन, उत्तर प्रदेश : 28.11.2019
1. ब्रज क्षेत्र में जन्म लेने वाले श्रीकृष्ण ने जन-साधारण को अत्याचार से मुक्त करने के लिए इसी वृन्दावन को अपनी लीला-स्थली के रूप में चुना था, जहां आज, श्री रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम द्वारा रोगियों को बीमारियों से मुक्त करने के लिए यह अस्पताल संचालित किया जा रहा है। इसलिए, इस अस्पताल के नए ब्लॉक के लोकार्पण कार्यक्रम में भाग लेकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई है।
2. वृन्दावन की इस पावन स्थली में लोग आध्यात्मिक और मानसिक सुख-शान्ति प्राप्त करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस धरती के कण-कण में प्रेम और शान्ति का शाश्वत संदेश विद्यमान है। लेकिन, शारीरिक व्याधियों से पीड़ित व्यक्ति, मानसिक रूप से अशान्त महसूस करता है और धीरे-धीरे मन से हारने लगता है। ऐसी स्थिति में, शारीरिक व्याधियों का निवारण करना बहुत जरूरी हो जाता है क्योंकि ‘A healthy mind lives in a healthy body’. इसलिए, वृन्दावन की पावन भूमि पर, पिछले 112 वर्ष से ‘रोगी नारायण’ की सेवा करने के लिए मैं, श्री रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम चेरिटेबल अस्पताल और इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं।
3. श्री रामकृष्ण मिशन की सेवा-भावना और ‘नर सेवा-नारायण सेवा’ का मंत्र देने वाले स्वामी विवेकानन्द ने मुझे हमेशा प्रभावित किया है। इस सेवाश्रम अस्पताल में, बिहार के राज्यपाल के रूप में, अप्रेल, 2017 की अपनी पिछली यात्रा के दौरान, मिशन के संन्यासियों और स्वयं-सेवकों द्वारा की जा रही रोगियों की गहन सेवा मेरी स्मृति में थी। इसीलिए, रोगियों की सेवा के इस प्रकल्प के विस्तार को प्रत्यक्ष देखने के लिए मैंने आज के इस कार्यक्रम का आमंत्रण स्वीकार किया। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अप्रेल, 2017 में जिस कैथ लैब का लोकार्पण करने का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ था, उसमें पिछले एक वर्ष के दौरान ही लगभग 322 हृदय रोगियों की चिकित्सा की जा चुकी है।
4. मेरे लिए यह सम्मान का विषय है कि मैं आज उस सेवाश्रम के विस्तार का साक्षी बन रहा हूं, जहां कभी महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और डॉ. एस. राधाकृष्णन जैसे महानुभाव पधारे थे। ऐसी ही विभूतियों के सान्निध्य में 4 बिस्तरों वाले इस सेवाश्रम ने अब एक पूर्ण-विकसित आधुनिक अस्पताल का रूप ले लिया है। मुझे बताया गया है कि इस अस्पताल में, पिछले एक वर्ष के दौरान लगभग 5 लाख 50 हजार रोगियों ने स्वास्थ्य-लाभ प्राप्त किया है। इस अस्पताल में, अनेक नई सुविधाएं रोगियों की सेवा में कार्य करने लगी हैं, जिनमें प्रमुख हैं- कैंसर वॉर्ड और कैंसर ऑपरेशन थिएटर, महिला सर्जिकल वॉर्ड और नव-जात सघन चिकित्सा इकाई। मुझे विश्वास है कि इन सेवाओं के माध्यम से रोगियों की बेहतर देख-भाल हो सकेगी।
देवियो, सज्जनो और सन्यासियो,
5. स्वामी विवेकानन्द ने महसूस किया कि उन्हें अपने गुरु श्री रामकृष्ण और गुरुमाता श्री शारदा देवी के संदेश का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। इसीलिए, उन्होंने सबसे पहले देश के कोने-कोने तक पहुंचकर भारत की सच्ची तस्वीर देखना उचित समझा। अपनी यात्राओं के दौरान, देश में फैली ग़रीबी तथा उपेक्षित जनता से उनका साक्षात्कार हुआ। इन ग़रीब और दबे-कुचले लोगों का स्वयं पर से विश्वास उठ गया था। अपनी निराशा और असहायता से बाहर निकलने के लिए, उन्हें सबसे अधिक आवश्यकता थी तो किसी प्रेरणास्पद संदेश की।
6. मुझे प्रसन्नता है कि अपनी निस्वार्थ सेवा के माध्यम से रामकृष्ण मिशन ने यह सिद्ध कर दिया है कि यह मिशन, उसी तंत्र की भूमिका निभाने में सफल रहा है और वह भी पूरी दक्षता और कुशलता के साथ।
देवियो, सज्जनो और सन्यासियो,
7. आज, देश-विदेश में, रामकृष्ण मिशन के 200 से अधिक केन्द्रों में स्वामी विवेकानन्द की इसी दूरदृष्टि और सेवा-भाव को साकार किया जा रहा है। वे, वैयक्तिक स्वतंत्रता, सामाजिक बराबरी और न्याय के पक्षधर थे तथा सभी महिलाओं का, विशेष रूप से, अपनी गुरु मां का बहुत आदर करते थे।
8. आज से 10 दिन बाद रामकृष्ण मिशन से जुड़ी सभी संस्थाओं में और अन्यत्र भी गुरु मां शारदा देवी की 167वीं जयन्ती मनायी जाएगी। यह अवसर, महिलाओं के प्रति और अपनी गुरु मां के प्रति स्वामी विवेकानन्द की श्रद्धा को स्मरण करने का अवसर होगा। साथ ही, यह अवसर, हम सबके लिए भारतीय संस्कृति से लेकर ग्रामीण उत्थान, युवा जागरण से लेकर आदिवासियों के कल्याण और शिक्षा से लेकर रोगियों की सेवा के रूप में स्वामी विवेकानन्द और उनके द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन के कार्यों में, अपने सहयोग का संकल्प दुहराने का भी होगा। स्वामी विवेकानन्द का मानना था "यदि कभी मेरे पास धन हुआ तो, मैं उसे सर्वप्रथम मानवसेवा में ही खर्च करना चाहूंगा। सबसे पहले, मानव की रक्षा की जानी चाहिए, उसे भोजन, शिक्षा और आत्मिक शक्ति दी जानी चाहिए।”
9. इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर, श्री रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम को बधाई देता हूं कि उन्नत उपकरणों और विस्तृत सेवाओं के साथ, मिशन का यह चेरिटेबल अस्पताल, इस क्षेत्र के ग़रीब और जरूरतमंद लोगों की बेहतर सेवा करने में सक्षम होगा और हमारा देश ‘सर्वे सन्तु निरामया:’ अर्थात् समस्त जन निरोगी हों, के आदर्श को प्राप्त करने की दिशा में एक क़दम और आगे बढ़ेगा।