भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए आयोजित कार्यक्रम में अभिभाषण
गुना : 29.04.2018
1. मध्य-प्रदेश राज्य की हर यात्रा मेरे लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव होती है। आज की यह यात्रा वन-वासियों और श्रमिकों के कल्याण के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री असंगठित श्रमिक योजना से जुड़ी है। यह एक सच्चाई है कि ग़रीबों, श्रमिकों और पिछड़ों के कल्याण के बिना कोई भी समाज प्रगति नहीं कर सकता। उन के कार्य में भी कौशल की जरूरत होती है। इसी प्रकार से, तेंदू पत्ता संग्रहण करने का काम भी कुशलता का काम है। संग्राहक और उनके परिवार इस कार्य को अपने पारंपरिक ज्ञान से ही अच्छी तरह पूरा कर पाते हैं। इस कार्य से उनकी आजीविका तो चलती ही है, वनों का विनाश भी रुक जाता है। इसलिए तेंदू पत्ता श्रमिक असंगठित भले ही हों, वे अकुशल नहीं होते। अपने कार्य से वे वनों की तथा वन्य जीवन की रक्षा करते हैं। इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए मैं तेंदू पत्ता संग्रहण के काम में लगे सभी लोगों को बधाई देता हूं। उनके कल्याण के लिए बनाई गई मुख्यमंत्री असंगठित श्रमिक योजना के लिए मैं राज्य सरकार को भी बधाई और शुभ कामनाएं देता हूं।
2. वनों का संरक्षण और वनों से प्राप्त होने वाली उपज का सदुपयोग करके ही हम आने वाली पीढ़ियों की रोजी-रोटी सुरक्षित रख सकते हैं। हमारे आदिवासी एवं वनवासी भाई-बहिनों से बेहतर कौन जान सकता है कि जंगल ही उनका रक्षक और पालक है। वे दोनों एक-दूसरे की रक्षा करते हैं। ऐसे में तेंदू पत्ता संग्राहकों के कल्याण की जिम्मेदारी समाज और सरकार की है। मुझे प्रसन्नता है कि लघु वनोपज संघ ने मुख्य मंत्री तेंदूपत्ता संग्राहक कल्याण सहायता योजना प्रारंभ की है।
3. मुझे बताया गया है कि इस संघ द्वारा संग्राहकों के बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य शिक्षा छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इससे श्रमिक भाई-बहिनों के बच्चे शिक्षित होकर रोजग़ार प्राप्त कर सकते हैं और बेहतर जीवन जी सकते हैं। वन उपज के लिए उचित मूल्य प्राप्त हो जाए तो आजीविका के लिए वनों पर आश्रित लोगों का जीवन-स्तर सुधरता है। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत सरकार ने 24 लघु वन उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना लागू कर दी है। इससे आदिवासी भाई-बहिनों को इनका उचित मूल्य प्राप्त होने लगा है। बांस और उससे बनने वाले उत्पादों के संबंध में भी भारत सरकार ने मिशन मोड परियोजना शुरू की है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि लघु वनोपज संघ द्वारा भी लघु वन उपज पर आधारित प्रसंस्करण केन्द्र संचालित किया जा रहा है जिससे कि इन उपजों के लिए वन-वासियों को उचित मूल्य प्राप्त हो सके। इसके लिए मैं संघ को बधाई देता हूं।
4. भारत में श्रम क्षेत्र में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का हिस्सा 80 प्रतिशत से अधिक है। ऐसेज्यादातर श्रमिक कृषि और निर्माण गतिविधियों में लगे हुए हैं। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा की भारी जरूरत है। बीमार पड़ने पर, अपंग हो जाने पर या वृद्धावस्था में उनके सामने परेशानी खड़ी हो जाती है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारत सरकार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता’ बनाने जा रही है। मध्य प्रदेश की सरकार ने भी इस दिशा में पहल की है। मुझे बताया गया है कि लघु और कुटीर उद्योगों पर प्रदेश सरकार ने विशेष ध्यान दिया है जिसके परिणामस्वरूप पिछले 2 वर्षों में लघु उद्योग इकाइयों में लगभग 6 लाख लोगों को रोजगार मिला है।
देवियो और सज्जनो,
5. समय बदलने के साथ काम करने के ढंग में बदलाव करना भी जरूरी हो जाता है। चाहे सेवा क्षेत्र हो, उपभोक्ता वस्तुओं का क्षेत्र हो, औद्योगिक उत्पादन का क्षेत्र हो या शिक्षा का क्षेत्र हो, सभी क्षेत्रों में गुणवत्ता का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। वन उपज से जुड़ी प्रक्रियाओं में भी गुणवत्ता का समावेश करना चाहिए। मुझे प्रसन्नता है कि वन उपज संघ ने राज्य सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में भी कार्य किया है।
6. मुझे विश्वास है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में श्रमिक कल्याण के लिए शुरू की गई योजना से श्रमिकों के जीवन-स्तर में सुधार आ रहा होगा और आगे भी आएगा। अपनी मेहनत से श्रमिक भाई-बहिन अपना और समाज का भला कर सकेंगे।
7. जन कल्याण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का सुपरिणाम प्राप्त हो, प्रदेश-वासियों और देश-वासियों की तरक्की हो, इसके लिए मैं राज्य सरकार को और मध्य प्रदेश की जनता को अपनी शुभ कामनाएं देता हूं।