भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का INTERNATIONAL AMBEDKAR CONCLAVE के उद्घाटन में सम्बोधन
Air Force Station: Guwahati : 29.11.2018
1. ‘संविधान-दिवस’ के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में भाग ले रहे सभी प्रतिनिधियों को मेरी ‘संविधान-दिवस’ की बधाई व शुभकामनाएँ। मुझे बताया गया है कि ‘संविधान-दिवस’ से जुड़े विषयों के साथ-साथ इस Conclave में शिक्षा, आंत्रप्रेन्योर्शिप और अनुसूचित जातियों तथा जन-जातियों के आर्थिक सशक्तीकरण के मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। इस Conclave के आयोजन तथा बहुत ही प्रासंगिक विषयों के चयन के लिए मैं आयोजकों की सराहना करता हूँ।
2. इस वर्ष मुझे, बाबासाहब की जयंती के दिन महू में उनकी पवित्र जन्म-स्थली पर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उसी दिन, राष्ट्रपति भवन में ‘डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर: व्यक्ति नहीं संकल्प’ नामक पुस्तक की पहली प्रति मुझे प्रदान की गई। वह पुस्तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के बाबासाहब से संबन्धित विचारों का संकलन है। उस पुस्तक का उल्लेख मैंने इसलिए भी किया है, कि केवल नब्बे पृष्ठों की उस पुस्तक में, बाबासाहब के‘विजन’ की व्यापकता और उनकी प्रेरणा के अनुसार चल रहे प्रयासों का, सार-गर्भित और सरल परिचय प्राप्त होता है।
3. भारत सरकार द्वारा बाबासाहब से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों को तीर्थ-स्थलों के रूप में विकसित किया जा रहा है। महू में उनकी जन्म-भूमि, नागपुर में दीक्षा-भूमि, दिल्ली में परिनिर्वाण-स्थल, मुंबई में चैत्य-भूमि तथा लंदन में‘आंबेडकर मेमोरियल होम’को तीर्थ-स्थलों की श्रेणी में रखा गया है। साथ ही, दिल्ली में ‘आंबेडकर इन्टरनेशनल सेंटर’ की स्थापना करके दिसंबर 2017 से विजिटर्स के लिए खोल दिया गया है। आगामी 6 दिसंबर को, बाबासाहब का परिनिर्वाण-दिवस मनाया जाएगा। वह दिन, देशवासियों के लिए, इन तीर्थ-स्थलों पर जाने का, और बाबासाहब के विषय में जानने का विशेष अवसर होगा। वर्तमान सरकार ने डॉक्टर आंबेडकर के सम्मान, तथा उनके नाम और काम को आगे बढ़ाने के जो अभियान चलाए हैं,वे सराहनीय हैं। सरकार द्वारा, समावेशी विकास तथा वंचित वर्गों के उत्थान को उच्च प्राथमिकता देने के लिए,केंद्र सरकार के प्रतिनिधि,बधाई के पात्र हैं।
4. इसी सप्ताह,26 नवंबर को, ‘संविधान दिवस’ मनाया गया।उस दिन, इसी सभागार में, मुझे‘संविधान दिवस’ समारोह का उद्घाटन करने का अवसर प्राप्त हुआ था। वह समारोह, विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के संविधान-निर्माता के रूप में, बाबासाहब को याद करने का अवसर भी था। उस समारोह में भारत के उच्चतम न्यायालय के लगभग सभी न्यायाधीशों, भूटान, म्यान्मार, बांग्लादेश, थाईलैंड और नेपाल यानि‘बिम्स्टेक’देशों के सर्वोच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों सहित,न्याय व्यवस्था से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उन सभी का उपस्थित होना, ‘न्याय के प्रतीक पुरुष’ बाबासाहब के व्यक्तित्व और योगदान के प्रति समुचित सम्मान का एक प्रदर्शन था।
5. इतिहास का अध्ययन करने वाले, महात्मा गांधी के उस कथन का उल्लेख करते हैं जिसमें गांधी जी ने कहा था कि, यदि डॉक्टर आंबेडकर की प्रतिभा का उपयोग संविधान निर्माण के लिए नहीं किया गया, तो इसमें डॉक्टर आंबेडकर का नहीं, बल्कि देश का नुकसान होगा। जैसा कि सभी जानते हैं, देश के प्रथम मंत्रिमंडल में बाबासाहब कानून मंत्री नियुक्त किए गए। इसके अलावा, उन्हें‘Constitution Drafting Committee’ के अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी भी दी गई। हमारे संविधान के निर्माण में, बाबासाहब के योगदान की, संविधान सभा के सदस्यों तथा अध्यक्ष डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने भूरि-भूरि प्रशंसा की थी।
6. जैसा कि सभी जानते हैं, भगवान बुद्ध की विचार-धारा का, विशेषकर प्रज्ञा, करुणा और समता के उनके संदेश का बाबासाहब के चिंतन पर सबसे गहरा प्रभाव पड़ा था। समता,बंधुता, स्वतन्त्रता, तथा सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय के आदर्शों को बाबासाहब ने हमारे संविधान के प्री-एंबल, फंडामेंटल राइट्स, तथा डाइरेक्टिव प्रिंसिपल्स में स्थान दिलाया। समता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, उद्योगों के प्रबंधन में मजदूरों की भागीदारी, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य दुर्बल और पिछड़े वर्गों के शिक्षा और आर्थिक हितों की वृद्धि, काम की न्याय-संगत और मानवीय दशाओं की व्यवस्था, जैसे अनेक प्रावधानों पर बाबासाहब की छाप स्पष्ट दिखाई देती है।
7. बाबासाहब ने समता, करुणा और बंधुता के आदर्शों को, समाज के धरातल पर उतारने का जो लंबा और अहिंसात्मक संघर्ष किया, वह उन्हें एक युगपुरुष का दर्जा दिलाता है। 1927 के ‘महाड़ सत्याग्रह’ और 1932 के‘पूना पैक्ट’ के बाद वे एक ‘लिविंग लेजेंड’ के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे, जब उनकी आयु केवल इकतालीस वर्ष की थी। पूरे देश में उन्हें बड़ी-बड़ी जन-सभाओं में मानपत्र भेंट किए जाते थे। 1942 में मुंबई में‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ और अन्य 45 संस्थाओं ने मिलकर उनका जन्म-जयंती उत्सव दस दिनों तक मनाया था। उन्हें वह अपार स्नेह और सम्मान इसलिए मिलता था कि उन्होंने सदियों से, अशिक्षा और सामाजिक अन्याय के तले दबे-कुचले लोगों में आशा, आत्म-विश्वास और आत्म-गौरव का संचार किया था। बाबासाहब ने, समाज के वंचित वर्गों में जागृति पैदा करने, उन्हें संगठित करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।
8. बाबासाहब शिक्षा पर बहुत ज़ोर देते थे।‘शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो’ का मंत्र उन्होंने दिया था। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि आप सबके फोरम ने, इसी मंत्र को अपनाया है। मुझे बताया गया है कि इस Conclave में शिक्षा से जुड़े विषयों पर भी चर्चा की जाएगी। शिक्षा ही हर व्यक्ति के विकास का मूल आधार होती है।
देवियों व सज्जनों
9. महिलाओं के सशक्तीकरण और सार्वजनिक जीवन में उनकी भागीदारी को बाबासाहब बहुत महत्व देते थे। सन 1942 के जुलाई महीने में, उनके नेतृत्व में आयोजित एक सम्मेलन में,पचहत्तर हजार प्रतिभागियों में, पचीस हजार महिलाएं थीं। यदि हम इस बात पर ध्यान दें कि वह सामाजिक पिरामिड के आधार में स्थित वर्गों की सभा थी तो यह अंदाजा किया जा सकता है कि महिलाओं की इतनी बड़े पैमाने पर भागीदारी कितनी बड़ी बात थी। उस समय, देश में,औसत साक्षरता लगभग 15 प्रतिशत ही थी। महिलाओं की साक्षरता तो और भी कम थी। ऐसी पृष्ठभूमि में महिलाओं की भागीदारी का जो प्रभावशाली उदाहरण बाबासाहब ने प्रस्तुत किया था, उसे आगे बढ़ाना पूरे समाज और देश का दायित्व है।
10. मुझे यह जानकर खुशी होती है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘सुकन्या समृद्धि’, ‘किशोरी योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’, और‘सुरक्षित मातृत्व अभियान’जैसे अनेक कार्यक्रमों के जरिए महिलाओं को शिक्षित, स्वस्थ और स्वावलंबी बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं जिनके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। सेक्स रेशियो में काफी सुधार हुआ है।‘जन-धन योजना’ के तहत सत्रह करोड़ साठ लाख से भी अधिक महिलाओं ने अपने खाते खोलकर आर्थिक समावेश का नया इतिहास रचा है। इस योजना के तहत आधे से अधिक खाते महिलाओं के हैं। देश के अधिकांश क्षेत्रों में‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत‘खुले में शौच से मुक्ति’ का लक्ष्य प्राप्त करने से भी बेटियों और बहनों के जीवन में स्वास्थ्य, सुरक्षा,आत्म-सम्मान और शिक्षा की दृष्टि से बहुत बड़ा बदलाव आया है। इनमें बहुत बड़ी संख्या उन बेटियों और बहनों की है जो समाज के वंचित वर्गों से आती हैं। आज जब मैं देश के विश्वविद्यालयों के कॉन्वोकेशन्स में जाता हूँ, तो मुझे यह देखने को मिलता है कि, उच्च स्थान व मेडल पाने वाले विद्यार्थियों में, बेटियों की संख्या अधिक होती है। ये सभी बदलाव, महिलाओं की भागीदारी पर बाबासाहब के विचारों के अनुरूप हैं।
11. अपने भाषणों में बाबासाहब अक्सर यह संदेश देते थे, "दूसरों की सहायता पर जीना मत सीखो, स्वावलंबी बनो।” उन्होंने स्वयं भी अपनी एक लॉं-फ़र्म की स्थापना की थी। आज युवाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मुद्रा-योजना,स्टार्ट-अप इंडिया,स्टैंड-अप इंडिया और अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।वंचित वर्गों के नौजवानों को इन कार्यक्रमों का लाभ लेना चाहिए और स्व-रोज़गार तथा उद्यम की राह पर चलना चाहिए।
12. मुझे आशा है कि Doctor Ambedkar Chamber of Commerce द्वारा, नौजवानों की प्रतिभा और महत्वाकांक्षा को साकार रूप देने में, सहायता प्रदान की जा रही है। आप सबको Dalit Indian Chamber of Commerce and Industry यानि DICCI जैसी संस्थाओं के साथ,जो वंचित वर्गों के आर्थिक उत्थान के लिएसक्रिय हैं, तालमेल बढ़ाकर आगे बढ़ने की जरूरत है। युवाओं में‘जॉब-सीकर’की जगह ‘जॉब-गिवर’बनने की सोच को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
13. आप सभी को एक महत्वपूर्ण बात पर सदैव ध्यान देना है। अनुसूचित जातियों और जन-जातियों के अधिकांश लोगों में अभी भी संवैधानिक अधिकारों,केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के विषय में जागरूकता की कमी है।इस संदर्भ में‘Forum of SC and ST Legislators and Parliamentarians’जैसी संस्थाओं की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
14. बाबासाहब, समाज, देश और व्यक्तिगत-जीवन के सभी पक्षों में नैतिकता के महत्व का विशेष उल्लेख करते थे। अपने निजी आचरण की नैतिकता और प्रामाणिकता के बल पर ही उन्होंने देश-विदेश में असाधारण सम्मान अर्जित किया। बाबासाहब व्यक्ति-पूजा और आर्थिक शक्ति के संचयीकरण के प्रबल विरोधी थे। सही मायने में, यदि हम उन्हें अपना आइकॉन मानते हैं, तो हमारा दायित्व है कि जो उनकी सोच थी उसे हम अपने जीवन में ढालें। साथ ही, हम उनकी सामाजिक संवेदना को अपने व्यक्तिगत आचरण में स्थान दें। आप सब आज जहां तक पहुंचे हैं उस यात्रा में आपके बहुत से संगी-साथी पीछे छूट गए हैं। आप सबको, पूरी संवेदनशीलता और सक्रियता के साथ, उन पिछड़ गए साथियों को आगे बढ़ाना है।
15. बाबासाहब द्वारा निर्मित हमारा संविधान राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक नैतिकता का एक जीवंत दस्तावेज़ है। मुझे विश्वास है कि सभी देशवासी संविधान में निहित आदर्शों की ओर पूरी निष्ठा से बढ़ते रहेंगे; इस दिशा में,यह फोरम और चेम्बर, पूरी तत्परता से अपना योगदान देंगे। अनुसूचित जातियों और जन-जातियों के हित में आप सब के प्रयासों से पूरा समाज और देश लाभान्वित होंगे। मैं आप सबको, ऐसे प्रयासों में, सफलता की शुभकामनाएँ देता हूँ।