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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सतर्कता जागरूकता सप्‍ताह के समारोह में सम्बोधन

नई दिल्ली : 31.10.2018

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1. सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए समाज तथा अर्थ-व्यवस्था के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी आवश्यक है। अतः सतर्कता के क्षेत्र में, जन-जागृति बढ़ाने के उद्देश्य से ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ का आयोजन करने के लिए मैं ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग’ की सराहना करता हूँ। इस समारोह में ‘Vigilance Excellence Award’ के सभी विजेताओं को मैं बधाई देता हूँ। साथ ही, मैं इन विजेता संस्थानों में काम करने वाले उन सभी व्यक्तियों को भी बधाई देता हूँ जिनके योगदान से उनके संस्थानों को आज पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। मुझे विश्वास है कि इन विजेताओं से अन्य सभी संस्थान और उनमें काम करने वाले लोग प्रेरणा प्राप्त करेंगे।

2. इस वर्ष के ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ का विषय है ‘भ्रष्टाचार मिटाओ – नया भारत बनाओ’। यह नया भारत हमारे प्राचीन नैतिक आदर्शों की नींव पर ही खड़ा होगा जिसके प्रेरक उदाहरण प्राचीन काल से लेकर आधुनिक भारत के इतिहास तक पाए जाते हैं। हमारे देश के ‘राज-चिह्न’ पर भी मुंडक-उपनिषद का आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है जिसका अर्थ है ‘सत्य की ही विजय होती है’।

3. अनेक स्कूलों में हमारे पूर्वजों के जीवन से जुड़ी नीति-कथाएँ पढ़ाई जाती हैं। उनमें एक कहानी चाणक्य के विषय में है। चाणक्य ने अपने शिष्य चन्द्रगुप्त को साथ लेकर विशाल और समृद्ध मौर्य साम्राज्य की स्थापना की जिसके वे महामात्य अर्थात प्रधानमंत्री रहे। एक विदेशी यात्री चाणक्य की कुटिया में, एक बार उनसे मिलने आए थे। कुटिया के कोने में एक छोटा सा दीपक जल रहा था। इसी दौरान सम्राट चन्द्रगुप्त भी कुछ आवश्यक शासकीय कार्य पर चर्चा करने हेतु उनसे मिलने आए। चन्द्रगुप्त और चाणक्य के बीच जब राज-काज की चर्चा शुरू हुई, तब चाणक्य ने जलते हुए दीपक को बुझाकर, एक दूसरा दीपक जलाया। चन्द्रगुप्त के जाने के बाद चाणक्य ने वह दीपक बुझाकर फिर से पहले वाला दीपक जलाया। उस यात्री ने कौतूहलवश दो अलग-अलग दीपकों के उपयोग करने की वजह पूछी। चाणक्य ने समझाया कि जिस दीपक में राजकोष के पैसे से तेल भरा जाता है उसका उपयोग वे केवल राज-काज के काम के समय करते हैं, बाकी समय वे अपने पैसे से खरीदे हुए तेल वाला दीपक ही जलाते हैं। उस विदेशी यात्री ने कहा कि जिस देश के शासकों में नैतिकता की जड़ें इतनी मजबूत हैं उसका विश्वगुरु होना स्वाभाविक है।

4. आधुनिक भारत के इतिहास में भी सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा के महानतम उदाहरण देखने को मिलते हैं।आज हम सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की 143 वीं वर्षगांठ भी मना रहे हैं। सरदार पटेल भारत में सुशासन के सर्वोच्च मूल्‍यों की मिसाल हैं। अभी-अभी यहाँ दिखाई गई फिल्म में हमने सुशासन के मूल्यों की एक प्रभावशाली झलक देखी।

5. इस वर्ष देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक सौ पचासवीं जयंती के समारोह भी मनाए जा रहे हैं। महात्मा गांधी पूरे विश्व में नैतिकता के आदर्श के रूप में सम्मानित हैं। हम देख सकते हैं कि चाणक्य से लेकर महात्मा गांधी और सरदार पटेल तक, इन सभी महापुरुषों ने पैसों, संसाधनों और अपने प्रभाव का उपयोग सदैव केवल-और-केवल जनहित में किया। यदि आम बोल-चाल की भाषा में कहें तो उन लोगों ने समाज और देश के संसाधनों का उपयोग एक ‘अमानत’ समझकर किया, ‘जागीर’ समझकर नहीं।

6. आज भारत की अर्थ-व्यवस्था विश्व में छठी सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था है। हम पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनने वाले हैं। अनुमान है कि कुछ ही वर्षों बाद हमारी अर्थ-व्यवस्था विश्व में तीसरी सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था हो जाएगी। लेकिन इस आर्थिक विकास की गति और स्वरूप पर जिन तत्वों का प्रभाव पड़ेगा उनमें सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है।

7. नए भारत के निर्माण के लिए भ्रष्टाचार का समूल नाश करना पहली शर्त है। भ्रष्टाचार उस दीमक की तरह है जो आर्थिक तंत्र को तो खोखला करता ही है, वह सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

8. भ्रष्टाचार का समूल नाश करने के लिए सभी को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी। स्कूलों तथा उच्च-शिक्षण संस्थानों में सच्चाई और सदाचार की नींव डाली जाती हैं। मुझे बताया गया है कि पिछले वर्ष सतर्कता आयोग ने लगभग छ: सौ शहरों तथा कस्बों में चौदह लाख से अधिक छात्रों तक अपने संदेश पहुंचाए।

9. शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ ग्राम-सभाओं, सभी सार्वजनिक संस्थानों, विशेषकर व्यापार और वाणिज्य से जुड़ी संस्थाओं में सदाचार के दूरगामी लाभ और भ्रष्टाचार के कुप्रभाव के विषय में जागृति पैदा करनी जरूरी है। मुझे बताया गया है कि ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग’ द्वारा सत्यनिष्ठा प्रतिज्ञा की ऑनलाइन सुविधा का प्रयोग करते हुए 49 लाख से अधिक नागरिकों तथा 71 हजार से अधिक संगठनों ने प्रतिज्ञा ली है। इस प्रकार, भ्रष्टाचार को रोकने तथा सत्यनिष्ठा को मजबूत बनाने का प्रयास एक लगातार चलने वाले जन-आंदोलन का रूप ले रहा है। मैं सतर्कता आयोग के इन प्रयासों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखता हूँ।

10. जिस तरह स्वास्थ्य के क्षेत्र में ‘prevention is better than cure’ की नीति अधिक कारगर मानी जाती है उसी प्रकार संस्थानों में भ्रष्टाचार निवारण के लिए भी ‘preventive vigilance is better than punitive vigilance’ एक सार्थक नीति सिद्ध हो सकती है। मैं ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग’ द्वारा preventive vigilance के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना करता हूँ।

11. पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता के आधार पर लिए गए निर्णय और किए गए काम पर सभी का विश्वास बढ़ता है। निर्णय लेने में अनावश्यक विलंब से भी विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। मुझे बताया गया है कि परियोजनाओं के Enrironmental Approval की प्रक्रिया में लगने वाले समय को छ: सौ दिनों से घटाकर एक सौ अस्सी दिन कर दिया गया है। साथ ही सभी clearances के लिए ऑनलाइन एप्लिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। मुझे यह भी बताया गया है कि पिछले चार वर्षों के दौरान चार सौ इकतीस विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों तक तीन लाख पैंसठ हजार करोड़ से अधिक की राशि पहुंचाई जा चुकी है। साथ ही वास्तविक लाभार्थियों की पहचान की व्यवस्था के जरिए, मार्च 2018 तक लगभग नब्बे हजार करोड़ रुपयों की बचत की जा सकी है। पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकारी खरीद के लिए GEM ऑनलाइन प्लैटफ़ार्म की व्यवस्था आरंभ की गई है। बैंकिंग सुविधा की पहुँच को जन-जन तक पहुंचाने से लेकर जी.एस.टी. को पूरे देश में लागू करने तक के अनेक निर्णय formal economy को बढ़ाने और उसको मजबूत करने के प्रयास हैं। अर्थ-व्यवस्था के संचालन में डिजिटल माध्यमों को बढ़ावा देने से भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। अर्थ-व्यवस्था में इस तरह के संस्थागत बदलावों से भ्रष्टाचार के रास्ते बंद होते हैं।

12. Prevention of Money Laundering Act में संशोधन, Benami Property Act को लागू करना, Black Money (Undisclosed Foreign Income and Assets) & Imposition of Tax Act 2015 के प्रावधान तथा Fugitive Economic Offenders Bill का प्रस्ताव लाना भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयास हैं। निर्भय होकर आर्थिक अपराध में लिप्त रहने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है। सभी ईमानदार नागरिकों को इस बात से प्रसन्नता हो रही है कि habitual offenders में अब भय व्याप्त हो रहा है।

13. इस सभागार में बैठे अनेक प्रतिनिधिसरकार में, राष्ट्रीयकृत बैंकों, बीमा कंपनियों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों में शीर्ष पदों पर आसीन हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और ईमानदारी के वास्तविक महत्व को समझें। सत्यनिष्ठा के व्यापक अर्थ में कार्य-निष्ठा और संस्थागत अनुशासन भी शामिल हैं। आपका आचरण, आपके संगठन के अन्य लोगों को प्रेरणा देता है। आपके कार्य और नैतिक मूल्य, लाखों-करोड़ों नागरिकों के जीवन पर असर डालते हैं। सही मायनों में आप सबकी भूमिका Ethical Leaders की है।

14. भ्रष्‍टाचार के दुष्‍प्रभावों के बारे में जागरूकता का प्रचार करने तथा नागरिकों में नैतिक मूल्‍यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ का आयोजन करने के लिए मैं, ‘केन्द्रीय सतर्कता आयोग’ को बधाई देता हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि यह आयोग, भारत के विकास तथा आर्थिक प्रगति में अपना प्रभावी योगदान देता रहेगा।

15. आइए - हम भ्रष्टाचार मुक्त नए भारत का निर्माण करने की दिशा में सतत प्रयास एवं दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ें!

धन्यवाद

जय हिन्द!