जॉर्डन की हाशमी राजशाही के महामहिम किंग अब्दुल्ला द्वितीय इब्न अल हुसैन के सम्मान में आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन : 01.03.2018
महामहिम किंग अब्दुल्ला
महामहिम-गण,
देवियो और सज्जनो,
मरहबा महामहिम! आपका और आपके विशिष्ट प्रतिनिधि-मंडल का हार्दिक स्वागत है।
हम यहां हमारी मैत्री और हमारे विशेष संबंधों का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। हम दोनों देशों के बीच संपर्क प्राचीन काल से है; और हम दोनों ने एक समान राजनीतिक पथ का अनुसरण किया है।
इन्हीं मजबूत बुनियादों पर, आज, हमने एक आधुनिक साझीदारी का निर्माण किया है।
महामहिम, 2006 में आपकी राजकीय यात्रा से हम दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का मार्ग प्रशस्त हुआ।
संबंध प्रगाढ़ करने की हमारी आपसी प्रतिबद्धता तभी से कायम है। हमारे बीच-दोनों ओर से अनेक उच्च स्तरीय यात्राएं हुई हैं।
हमारे प्रधान मंत्री का पिछले महीने अम्मान में विशेष गर्मजोशी और अपनेपन के साथस्वागत किया गया था। आपने उनकी यात्रा में व्यक्तिगत रुचि ली और लीक से हटकर इसे यादगार बनाया। आपने‘रामल्लाह’की उनकी आगे की यात्रा के विशेष प्रबंध भी किए। हम इस असाधारण सद्भावना के लिए तहे-दिल से आपका धन्यवाद करते हैं।
हम आपकी गिनती अपने घनिष्ठतम मित्रों में करते हैं और आपकी साझीदारी को बहुत महत्व देते हैं।
महामहिम, जॉर्डन ने मध्य-पूर्व में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। आपका देश इस क्षेत्र में स्थिरता का एक नखलिस्तान रहा है।
अपने पड़ोस में शांति और समृद्धि लाने के लिए आपकी दूर-दृष्टि और नेतृत्व की हम सराहना करते हैं। हम आपके जन्नतनशीं पिता महामहिम किंग हुसैन का भी उतना ही सम्मान करते हैं। उन्होंने दूर-दृष्टि, बुद्धिमत्ता और साहस के साथ अपनी जनता का नेतृत्व किया।
बड़ी संख्या में शरणार्थियों को उम्मीद और आश्रय प्रदान करने के लिए हम हृदय से आपकी प्रशंसा करते हैं। एक घनिष्ठ मित्र और साझीदार होने के नाते, मुझे खुशी है कि उन्हें मानवीय सहायता देने में हम आपका हाथ बंटा रहे हैं।
महामहिम, धार्मिक उदारता और पंथों के आपसी संवाद पर आपके विचार हमारे और बहुत से अन्य लोगों के लिए उम्मीद की किरणें हैं।
वास्तव में, जैसा कि आपने आज सुबह अपने संबोधन में कहा कि आस्था, मानवता को एकजुट करने और एक दूसरे को समझने-समझाने तथा स्वीकार करने के लिए भिन्न-भिन्न सभ्यताओं को एक साथ लाने का काम करती है।
हमारे देशवासी, हमारे बच्चों के शांति व समृद्धिपूर्ण भविष्य के निर्माण की आपकी संकल्पना और आकांक्षा में पूरी तरह आपके साथ हैं।
हम आपके द्वारा शुरू की गई ‘आकाबा’प्रक्रिया का पूरा समर्थन करते हैं। आतंकवाद को पराजित करने के लिए हमें दृढ़ता के साथ और निर्णायक तरीके से एकजुट होना होगा।
महामहिम, हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों में बहुत प्रगति की है। परंतु, हम मिलकर और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। हमें भारत-जॉर्डन साझीदारी में ब्लॉक-बस्टर‘थीब’का रोमांच और बॉलीवुड की ऊर्जा का समावेश करना चाहिए।
मुझे यह कहना ही है कि इस संदर्भ में आपकी राजकीय यात्रा बिलकुल सही समय पर हुई है। चाहे सुरक्षा सहयोग बढ़ाना हो या हमारे आर्थिक सहयोग का विस्तार करना हो,हमने अपने लिए जो एजेंडा तय किया है, उससे हमारी साझीदारी नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगी। विकास की भारतीय गाथा हमारे दोनों देशों के लिए बहुत से अवसर पेश कर रही है।
महामहिम, हमारे रिश्ते से बहुत सारे लोगों को लाभ हुआ है। परंतु हमारे किसानों को सबसे अधिक लाभ हुआ है। आपने उन्हें उर्वरक तथा और अधिक खाद्यान्न फसलें प्रदान की हैं।
हमारे सांस्कृतिक संपर्क और लोगों के आपसी रिश्ते, हमारी सबसे बड़ी ता़कत हैं। चाहे जॉर्डन में पेट्रा की नक्काशी हो या भारत में चट्टानों को तराशकर पेश की गई अजंता की वास्तुकला हो, इन्होंने हमें एक अदृश्य सूत्र में बांध रखा है। आइए,हम इन विशेष संबंधों को सहेजकर रखें और इन पर गर्व करें।
महामहिम, क्षेत्र में अस्थिरता के समय भारतीय नागरिकों को दी गई मदद के लिए मैं इस अवसर पर अंतर्मन से आपकी सराहना करता हूं। हम इसके लिए हमेशा आपके आभारी रहेंगे।
इन्हीं शब्दों के साथ, महामहिम, मैं एक बार फिर आपका हार्दिक स्वागत करता हूं और आपको तथा आपके देश की जनता को शांति, प्रगति और समृद्धि की शुभकामनाएं देता हूं।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। शुक्रान जज़ीलन!