Back

चिली विश्वविद्यालय में ‘गांधी फॉर द यंग’ (युवाओं के लिए गांधी) विषय पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

संतियागो : 01.04.2019

Download PDF

1. मैं भारत की जनता और युवाओं की ओर से आप सबको हार्दिक बधाई देता हूं। भले ही सुदूर देशों के रूप में, हमारे बीच भौगोलिक दूरी हो सकती है, लेकिन समाज के रूप मेंएंडीज़ और हिमालय से पोषित चिली और भारत के पास आपस में साझा करने के लिए बहुत कुछ है। हम दोनों एक-दूसरे के नेताओं और उनकी विरासत से प्रेरित रहे हैं। मैं चिली और इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के अगुवा प्रकाश-स्‍तंभ, नोबेल पुरस्कार विजेता, पाब्लो नेरुदा और गैब्रिएला मिस्‍त्राल के प्रति अपना सम्मान व्‍यक्‍त करता हूं। हम इस वर्ष गैब्रिएला मिस्‍त्राल की 130वीं जयंती मना रहे हैं। मैं चिली और दक्षिण अमेरिका की पहली चिकित्सक और इस विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा, एलोइसा दियाज के योगदान को भी याद करना चाहता हूं, जिनके नाम पर इस हॉल का नाम रखा गया है जहां आज मैं अपना वक्तव्य दे रहा हूँ। आपके देश के विचारकों का मानवतावाद महात्मा गांधी की शिक्षाओं में इतनी गहराई से परिलक्षित होता है कि मैं उन पर मंत्रमुग्ध हो जाता हूं। लेकिन मैं इस विषय पर किसी और दिन बोलूंगा।

2. चिली से लेकर चीन, और मैक्सिको से लेकर मलेशिया तक, 02 अक्टूबर को - अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर - इस वर्ष, पूरी दुनिया में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जाएगी। कल मुझे इस शहर में ‘प्लाजा दे ला इंदीआ’ में उनके प्रति सम्मान अर्पित करने का सुअवसर मिला। यह सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी ने मानव इतिहास रचा है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके सरल, किन्तु क्रांतिकारी विचार हमारे लिए आज भी अंधकार में प्रकाश, निराशा में आशा, अविश्वास में विश्वास भरते आ रहे हैं। इस अशांत 21वीं सदी में, मैं चिली की भावी पीढ़ी के समक्ष, इस अवसर को गांधीजी की प्रासंगिकता पर विचार-विमर्श के लिए उपयुक्त मानता हूं। व्यक्तिगत रूप से, महात्मा गांधी पर अपने विचार व्यक्त करना उन आधारिक मानवीय मूल्यों को मजबूत करने का ऐसा विचारोत्‍तेजक अनुभव है, जो हमारी पहचान है, और जिससे हमें खुशी मिलती है। आज, मैं आप सबको इस महान विभूति के साथ रचनात्मक और सार्थक तरीके से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं।

मेरे प्यारे छात्रो,

3. हमारे राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी ने अहिंसक संघर्ष के माध्यम से हमें स्वतंत्रता दिलाई। नैतिक बल, ऐसा बल जिसे उन्होंने सच्चाई की शक्ति या आत्मबल की संज्ञा दी, पर आधारित उनकी राजनीतिक रणनीति, अद्भुत और अनूठी थी। उनके जीवन के कई आयाम थे, उनमें से प्रत्येक आयाम दूसरे की तुलना में अधिक सार्थक था। मेरे लिए, वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड जाने के लिए वर्ग और जाति की सीमाओं को तोड़ने वाले "प्रयोगवादी" गांधी थें, "समग्र शिक्षा" की नींव को पोषित करने के लिए "मन" और "शरीर" को एकीकृत करने की चाह रखने वाले "शिक्षा शास्‍त्री" गांधी जो शिक्षार्थी और शिक्षक दोनों के दिल, दिमाग और हाथों का संयोजन चाहते थे;‘रचनाशील’ गांधी ने जिन्‍होंने "नमक" को जन आंदोलन के शक्तिशाली प्रतीक में परिवर्तित कर दिया; और मझोले शरीर के ‘दृढ़निश्चयी’ गांधी जिन्‍होंने हमारी स्वतंत्रता के समय घटी हिंसा के सर्वव्यापी अंधकार के बीच भारत के गाँवों में घूमते हुए सत्य का दीप प्रज्ज्वलित किया। काम करने का गांधीजी का तरीका बेजोड़ था। गांधीजी के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि महात्मा गांधी के अस्तित्व में क्रांति और शांति दोनों शामिल थीं। इसी कारण वे साहस और संघर्ष की प्रेरणादायक मिसाल बन गए: भारी उथल-पुथल भरे हालात में भी विचार और दृढ़ विश्वास की स्पष्टता बनाए रखने का साहस था उनमें। आपको यह भी पता होगा कि महात्मा गांधी ने क्रांतिकारी संघर्षों का नेतृत्व करने वाले कई जननेताओं जैसे मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला को प्रेरित किया। दुनिया के सभी पाँच महाद्वीपों में स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के आंदोलनों की गतिविधियों पर गांधीजी का प्रभाव पड़ा।

4. उनका मुख्य मार्गदर्शक सिद्धांत था- सत्य औरउनका जीवन सत्य की खोज और इसका पालन करने का निरंतर अभ्यास।इसीलिए उनके आंदोलन का नाम ‘सत्याग्रह’ पड़ा, जिसका अर्थ होता है - सत्य पर अडिग रहना। सत्याग्रह की राह में उन्होंने जिन साधनों का इस्तेमाल किया था –वे सभी अहिंसा पर आधारित थे। उनका मानना ​​था कि नैतिकता जीवन और आचरण की नींव है; और सत्य ही जीवन का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए। उनकी दृष्टि में सत्य और प्रेम ईश्वर के समान थे। और उन्होंने मानवता की सेवा के माध्यम से भगवान को जानने की कोशिश की।

5. महात्मा गांधी सभी संस्कृतियों से जुड़े हुए थे और उन्होंने सभी धर्मों से सीखा। हिंदू धर्म के साथ गहराई से जुड़े होने के बाद भी, गांधीजी ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और इस्लाम के साथ-साथ टॉल्स्टॉय, रस्किन और थोरो जैसे विचारकों से भी प्रभावित थे। इस प्रकार वे पूर्व और पश्चिम के सर्वश्रेष्ठ विचारों के संगम का प्रतिनिधित्व करते थे।

देवियो और सज्जनो,

6. हम महात्मागांधी को, सार्वभौमिक प्रेम और करुणा के सिद्धांत के प्रति उनके समर्थन के लिए भी याद करते हैं। जहाँ एक ओर, इससे उनके "वसुधैव कुटुम्बकम" के सिद्धांत में विश्वास झलकता है – जिसका मतलब है- पूरा विश्व ही एक परिवार है। इसका अर्थ था कि भिन्‍न-भिन्‍न संस्कृतियों और विचारों के प्रति सहिष्णुता और ग्रहणशीलता हो तथा सत्य के मानदंड के अलावा किन्‍ही भी अन्‍य निर्णायक मानदंडों का उपयोग न किया जाए। वहीं दूसरी ओर, उनका यह विश्‍वास सर्वोदय अर्थात् सभी के उत्थान और उद्धार के दर्शन के रूप में प्रकट हुआ। उनका मानना था कि सभी कार्य अंततः मानवमात्र की गरिमा और भविष्‍य की बेहतरी के प्रति लक्षित होने चाहिए, चाहे कोई मनुष्‍य सामाजिक या आर्थिक रूप से कितना ही वंचित क्यों न हो। अगर हम सभी इस सिद्धांत को लागू करने के लिए अपने कार्यों और अपने विचारों को दिशा देने का प्रयास करें, तो दुनिया वास्तव में बेहतर बन जायेगी। और यही सिद्धांत हमारी विदेश नीति, जरूरतमंदों की मदद करने की हमारी पहलों और शांति एवं सद्भाव की दुनिया कायम करने के हमारे निरंतर ईमानदार प्रयास को ठोस आधार प्रदान करते हैं।

7. महात्मा गांधी के प्रेम की अवधारणा में प्रकृति के साथ सामंजस्‍य बनाकर जीवन यापन करना भी शामिल था। जब दुनिया औद्योगिक क्रांति और बढ़ते मशीनीकरण के मंत्र पर चल रही थी,तब उन्होंने सातत्‍य और पारितंत्रीय संवेदनशीलता-दोनों की वकालत की थी। उन्होंने उन अवधारणाओं को बढ़ावा दिया था जो अब संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों में शामिल हैं। पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास के संयोजन के हमारे दृष्टिकोण के निर्माण में, हमें उनकी शिक्षाओं से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा था जिसे मैं उद्धृत करता हूं: "धरती हर व्‍यक्ति की जरूरत की पूर्ति कर सकती है, लेकिन हर किसी के लालच की नहीं।"अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना और जलवायु परिवर्तन के समाधान की हमारी वैश्विक पहल इन्हीं शक्तिशाली शब्दों से प्रेरित है।

देवियो और सज्जनो,

8. चिली का समाज संगीतप्रेमी है। आपकी संस्कृति में संगीत को जीवन रेखा के तौर पर अपनाया गया। यह ऐसा जीवन मूल्य है जो महात्मा गांधी के को भी प्रयि है। उनका मानना ​​था कि संगीत जीवन का सार है। गांधीजी ने अपने समन्वयात्मक स्वभाव के अनुरूप, दुनिया भर के स्रोतों से प्रेरणाप्राप्‍त करते हएु शांतिनिकेतन के विश्वविद्यालय में संगीत की शिक्षा देने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर के साथ मिलकर काम किया। उनके प्रति यही सच्‍ची सही श्रद्धांजलि है, कि इस वर्ष जब हम उनकी 150वीं जयंती मना रहे हैं, तब 130 से अधिक देशों में उनके पसंदीदा भजन "वैष्णव जन तो तेने कहिये" गया जा रहा है। कल, हमने आपके प्रसिद्ध गायक सिसिलिया फ्रिगेइरो, जोकिन बेलो और हुआन एल्गादो से इसका मधुर गायन सुना है।

मेरे प्यारे छात्रो,

10. महात्मा गांधी जो उपदेश देते थे, उसका स्वयं भी पालन करते थे। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और साथ ही उन्‍होंने ग्रामीण भारत को संस्थाओं के विकास का महत्व बताया। इस मामले में भी उन्‍होंने अपने सिद्धांतों को स्‍वयं अपनाया। आत्मनिर्भर समुदाय से लेकरखादी या हाथ से बुने हुए कपड़े पहनने के अपने निश्‍चय, न केवल ब्रिटेन में निर्मित वस्‍तुओं के भारतीय बाजार पर वर्चस्व के प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में अपनाया, बल्कि आत्मनिर्भरता और पर्यावरण-मैत्री के अपने दर्शन के विस्तार के रूप में भी अंगीकार किया। गांधीजी की कई अवधारणाएँ, जो उस समय की दुनिया से बेमेल प्रतीत होती थीं,आज उत्‍तरोत्‍तर बहुत अधिक प्रासंगिक हो रही हैं और इनके प्रसार में भी तेजी आ रही है।

11. स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जोर देने वाले स्वच्छ भारत कार्यक्रम से लेकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी लड़ाई तक भारत सरकार द्वारा अपनाई गई कई नीतियां महात्मा गांधी से प्रेरित हैं। जब हम लैंगिक समानता और समाज के सभी वंचित वर्गों के उत्थान के लिए प्रयास करते हैं, तो ऐसा करते हुए हम गांधीजी के नक्शेकदम पर चल रहे होते हैं। जब हम सामंजस्‍यपूर्ण शहरीकरण और ग्रामीण इलाकों को विकसित करने की आवश्यकता की वकालत करते हैं तो यह गांधीजी के विचारों की प्रतिध्वनि ही होती है। वे राष्‍ट्रीयतावादी होने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीयतावादी व्यक्ति थे और आज भी, जिन नैतिक मानकों के आधार पर हम अपने नेतृत्व का आकलन करते है उसे भी महात्मा गांधी द्वारा ही आकार दिया गया है। उनका प्रभाव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में व्याप्त था। अत: इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि हम उन्हें महान आत्मा – अर्थात् ‘महात्मा’ कहकर पुकारते हैं।

12. फिर भी, अंतत:, गांधीजी एक इंसान ही थे। कई लेखकों और स्तम्भकारों ने महात्मा गांधी के व्यक्तित्व पर ध्यान केन्द्रित किया है। उनका जो भी कहना हो, लेकिन गांधी निस्‍संदेह एक अद्वितीय व्यक्ति थे जिन्होंने पूर्व और पश्चिम दोनों को प्रेरित किया, जिन्होंने मानव उत्‍थान के लिए नए मार्ग प्रशस्‍त किए, और ऐसा करते हुए भी उन्होंने परंपरा और आध्यात्मिक जड़ों की ताकत और पवित्रता को बनाए रखा। उन सभी के लिए जो आज आशंका और संदेह के सागर में गोता खा रहे हैं, गांधी जी के जीवन, विचार और दर्शन से उन्हें आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास हासिल करने की प्रेरणा मिलेगी। महात्मा गांधी केवल एक व्यक्ति मात्र होने से कहीं बढ़कर थे, वे एक विचारधारा थे, स्वयं एक संस्था थे जो अपनेविकास के सौ साल से अधिक समय बाद भी गुंजायमान है। अपना सम्बोधन समाप्त करने से पूर्व, मैं अल्बर्ट आइंस्टीन के भविष्यसूचक शब्दों को याद करना चाहता हूं- आइंस्‍टीन ने कहा था "आने वाली पीढियां इस बात पर मुश्किल से यकीन कर पाएंगी कि कभी हाड़ मांस और रक्त से बना कोई ऐसा व्‍यक्ति कभी इस धरती पर अवतरित हुआ था।"

13. मुझे आशा है कि मैंने महात्‍मा गांधी के जीवन और विचारों की जो झलकियां आपके समक्ष प्रस्‍तुत की हैं उनसे आपको प्रेरणा अवश्‍य प्राप्‍त होगी।

मुचास ग्रेसियास!