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भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

नई दिल्ली : 01.07.2018

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1. मुझे सनदी लेखाकार दिवस जिस पर भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोह का औपचारिक उद्घाटन समारोह भी आयोजि‍त किया जा रहा है, आपके बीच उपस्थित होकर खुशी हुई है। यह उपयुक्‍त ही है कि हम वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी के कार्यान्वयन की प्रथम वर्षगांठ भी आज मना रहे हैं। इस सुखद संयोग ने आज के समारोह में मेरी भागीदारी को और अधिक प्रासंगिक बना दिया है।

2. भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से अग्रसर होने के दौरान अपनी प्लेटिनम जुबली मना रहा है। अगले दशक में शायद 2025 तक ही भारत का सकल घरेलू उत्पाद दुगना होकर 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। वित्तीय और कारोबार लेन-देन में वृद्धि का अर्थ यह होगा कि सनदी लेखाकारों को और अधिक कार्य करना पड़ेगा तथा उन पर एक भारी दायित्व आ जाएगा। पेशेवरों की संस्था के रूप में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान की सफलता हमारे देश के लिए गर्व का विषय है। मुझे बताया गया है कि आप जिन 3 लाख सनदी लेखाकारों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं, वे विश्व के संपूर्ण सनदी लेखाकारों के 10% हैं। यह सराहना योग्‍य है।

3. आज भारतीय लेखांकन और लेखा परीक्षा मानदंड वैश्विक मानदंडों के बराबर हैं और इससे यह अनिवार्य हो जाता है कि हमारे देश में सर्वोत्तम वैश्विक प्रतिवेदन परिपाटी चले। आपका संस्थान इसे संभव बनाने के लिए प्रशंसा का हकदार है। लेखांकन और वित्तीय सेवा क्षेत्र की तीव्र वृद्धि के लिए भी यह अत्यावश्यक है। सरकार ने भारत की 12 चैंपियन सेवा क्षेत्रों में से एक के रूप में इस क्षेत्र की पहचान की है। मुझे विश्वास है कि यह क्षेत्र अपनी पूरी क्षमता को साकार करे,यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।

देवियो और सज्जनो,

4. एक न्यायसंगत कर-निर्धारण प्रणाली का अनुपालन करना सरकार को राजस्व अदा करने से कहीं ज्यादा महत्व की चीज है। यह उसी सामाजिक करार का भाग है, जिस पर हमारे संविधान में जोर दिया गया है। इस संविधान के अंतर्गत हमने स्वयं को कुछ अधिकार दिए हैं परंतु कुछ दायित्व भी दिए हैं। हम सार्वजनिक वस्तुएं और सेवाएं, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं, बेहतर ढांचागत सुविधाएं, कानून और व्यवस्था तथा सुरक्षित सीमाओं के रूप में सामाजिक लाभ प्राप्त करने के लिए करों का भुगतान करते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि यथा-संभव अधिकतम संख्या में नागरिकों द्वारा इस दायित्व का निर्वहन किया जाए,चाहे वे करों का भुगतान प्रत्यक्ष रूप से करते हों या अप्रत्यक्ष रूप में। अपने साझा समाज और राष्ट्र जिनके हम एक अंग हैं,के प्रति योगदान करने का पावन कर्तव्‍य हम में से हर एक का है।

5. सनदी लेखाकारों के रूप में, ऐसी संस्कृति को आगे बढ़ाने में आपकी प्रमुख भूमिका है। आप करदाताओं और कर-निर्धारण प्रणाली सुगम बनाने में सहायक और सार्वजनिक विश्वास के प्रहरी दोनों हैं। बहुत से मायनों में,कर प्रणाली उतनी ही जटिल होती जाती है जितनी आप उसे बनाना चाहते हैं। पेशेवरों के रूप में कर नियोजन के बारे में अपने ग्राहकों को सलाह देने का आपका समुचित अधिकार है। यद्यपि चतुर कर नियोजन और कर विलम्‍बन और कर अपवंचन के बीच ज्‍यादा अंतर नहीं होता। सनदी लेखाकारों की जिम्‍मेदारी है कि इस बारीक़ अन्‍तर को मिटने न दें।

6. ऐसे औचित्‍य को बनाए रखना न केवल सभी करदाताओं और सभी कर-निर्धारण और वित्तीय पेशेवरों का कानूनी कर्तव्य है बल्कि इस कर्तव्‍य के साथ नैतिकता भी जुड़ी हुई है। जब बैंकिंग घोटाले होते हैं, जब बड़े कर्जदार भाग जाते हैं और अपने-अपने बैंकों को अधर में छोड़ जाते हैं या जैसा कि कुछ वर्ष पहले ‘सत्यम’के मामले में हुआ था,जब प्रोमोटरों ने स्‍वयं निधियों का गबन किया था, तो यह स्थिति विश्‍वास भंग की बन जाती है। यह न केवल कॉरपोरेट नैतिकता के प्रति बल्कि ईमानदार नागरिकों और हमारे सामूहिक जीवन मूल्‍यों के प्रति छल के बराबर है। सफेदपोश अपराध अपने पीछे सबूत छोड़ कर नहीं जाते,वे अपने पीछे टूटे हुए दिल और टूटा हुआ भरोसा छोड़ जाते हैं।

7. गरीब और मध्यम वर्ग या सेवानिवृत्त कार्मिकों जैसे कमजोर वर्ग के नागरिकों की बचत लुट सकती है। विवाह या बच्चे की शिक्षा जैसे सहेजे हुए अवसर के लिए परिवार की योजनाएं विफल हो जाती हैं। जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो इन पर आत्‍म-मंथन करने की जरूरत होती है। यह पूछना प्रासंगिक हो जाता है कि क्या बैलेंस शीट के लेखांकन के लिए जिम्मेदार लोगों ने अपना कर्तव्य सही तरह से निभाया है या इस खेदपूर्ण परिस्थिति के लिए उनकी भी कोई जिम्‍मेदारी है या नहीं।

8. इस परिप्रेक्ष्‍य में, पिछले कुछ वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने, कानून के शासन को लागू करने, वित्तीय और कारोबारी लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ाने और भारत को अधिकाधिक कर अनुपालक समाज बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं। वस्तु और सेवा कर की शुरुआत कोई अकेला ऐसा प्रयास नहीं रहा है। हमारे उन तबकों के लिए प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत बैंक खाते खोलना,जिनकी बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच अभी तक नहीं थी;जनधन-आधार-मोबाइल की त्रिसूत्रीय संकल्पना;विमौद्रीकरण प्रक्रिया के भाग के रूप में डिजिटल भुगतान और नकदीहीन लेनदेन को प्रोत्साहित करना;दिवालियापन व शोधन अक्षमता संहिता को लागू करना; बेनामी संव्‍यवहार (प्रतिषेध) संशोधन अधिनियम को पारित करना, इन सभी का लक्ष्य एक पारदर्शी और सुचारू वित्तीय प्रणाली को बढ़ावा देने का है। ऐसी प्रणाली से नागरिकों और निगमों को सुविधापूर्वक अपने करों का उचित भुगतान करने में मदद मिलेगी। सबसे बढ़कर ऐसी प्रणाली से ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा।

9. उदाहरण के लिए, यदि हम वस्तु और सेवा कर व्यवस्था की बारीकियों में जाएं तो हम पाएंगे कि इसने अनेक लक्ष्यों को हासिल करने में हमारी मदद की है। इसने देशभर में पंजीकरण, शुल्क भुगतान, करों की रिटर्न फाइल करने और रिफंड के लिए एक साझा मंच तैयार करके कारोबार में आसानी को बढ़ाया है। इससे अनेक वर्गों की निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार आया है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी आई है तथा उपभोक्ताओं और अंतिम प्रयोक्ताओं को फायदा हुआ है। इससे लघु और मध्यम उद्यमों के लिए प्रक्रियाएं आसान हो गई हैं।

10. वस्तु और सेवा कर ने प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को भी बढ़ाया है तथा मुंह देखे व्‍यवहार की संभावना घटाई है। अभी तक पूरी तरह से ऑनलाइन और डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से वस्तु और सेवा कर का 45000 करोड़ रुपये की विशाल राशि का रिफंड किया गया है। लगभग 350 करोड़ इन्‍वॉयस को प्रोसेस किया जा चुका है। यह संख्‍या मोटे तौर पर एक दिन में एक करोड़ इन्‍वॉयस बैठती है। वास्तव में,जीएसटी एक विराट कर सुधार कहा जा सकता है।

11. स्वतंत्रता से लेकर वर्ष 2017 तक के 70 वर्षों में, 66 लाख उद्यम प्र‍ाधिकारणों में पंजीकृत थे। वस्तु और सेवा कर के पहले वर्ष में 48 लाख नए उद्यम शामिल किए गए हैं। हमारी कर प्रणाली और हमारे कर पेशेवर, जिनमें आप भी शामिल है, के लिए इस उपलब्धि का आकार और इसके कारण पैदा हुआ नया कार्य सरहना के योग्‍य है।

12. इस संदर्भ में, मैं वस्तु और सेवा कर के सफल कार्यान्वयन के लिए सभी नागरिकों और प्रत्येक हितधारक को बधाई देता हूं। उपभोक्ताओं, कारोबारियों, उद्योगपतियों, लघु उद्यम संचालनकर्ताओं, सरकारी कार्मिकों और कर प्राधिकारियों और वास्तव में, सनदी लेखाकार समुदाय ने वस्तु और सेवा कर व्‍यवस्‍था में महत्वपूर्ण परिवर्तन में अपनी-अपनी भूमिका निभाई है। मैं आप सभी के प्रयासों की सराहना करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

13. भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान की संकल्पना 2030 में लेखांकन, आश्वासन, कर निर्धारण, वित्त, और कारोबार परामर्शी सेवाओं में दक्षता वाले विश्वसनीय पेशेवर समूह वाली विश्व की अगुआ लेखांकन संस्था बनने का लक्ष्‍य तय किया गया है और इस प्रकार आपके लिए एक कार्यक्रम तय कर दिया गया है। मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हुई है कि भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान समाज में अपने अवदान के प्रति समर्पित अपने श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों के साथ अपनी प्लैटिनम जुबली मना रहा है। मुझे बताया गया है कि आपने मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने,रक्त और अंगदान पहलों में भाग लेने तथा छात्राओं के लिए वस्तु और सेवा कर से संबंधित कौशल कार्यशालाएं आयोजित करने की शुरुआत की है। मैं, खास तौर पर, हमारे युवाओं और विशेषकर महिलाओं के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने में मदद करने का आग्रह आपसे करता हूं। महिलाओं की शिक्षा किसी भी देश और किसी भी सभ्यता के लिए परिवर्तनकारी पहल होती है। महिलाओं के बीच अधिक वित्तीय साक्षरता से यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। इससे हमें और अधिक समृद्ध और समतापूर्ण समाज बनने में मदद मिलेगी।

14. निष्कर्ष रूप में, मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपनी प्लेटिनम जुबली समारोह से संबंधित सभी कार्यक्रमों को सफल बनाएंगे। और मुझे यह भी विश्‍वास है कि भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान और उसके सदस्य कर पारदर्शिता, कर पूर्वानुमान और कर अनुपालन द्वारा निरूपित राष्ट्र का निर्माण करने का प्रयास जारी रखेगा।

धन्यवाद

जय हिंद!