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सीआईआई एग्रोटेक इंडिया – 2018 के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

चडीगढ़ : 01.12.2018

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1. मेहनती किसानों और विशाल कृषि विरासत और उपलब्धियों के इस क्षेत्र में स्थित चंडीगढ़ आने पर मुझे खुशी हो रही है। मैं, ‘एग्रो टेक इंडिया 2018’ के आयोजकों अर्थात्- केन्द्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालयों की साझेदारी में भारतीय उद्योग परिसंघ को; पंजाब और हरियाणा की सरकारों; और अन्य संस्थानों को बधाई देना चाहूंगा। यह आयोजन कृषि का उत्सव है। यहां पर किसानों और उद्योग क्षेत्र के साथ-साथ देश और विदेश के कृषि प्रौद्योगिकीविदों और नवप्रवर्तकों को एक मंच पर लाने का काम हुआ है।

2. भारत से 158 और अन्य देशों से 37 प्रतिभागी प्रदर्शकों की संख्या से ही एग्रो टेक इंडिया का महत्व स्पष्ट हो जाता है। मैं विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों का स्वागत करना चाहता हूं जो पांचों महाद्वीपों से और लगभग 20 देशों से आए हैं। मुझे कनाडा, चीन और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों द्वारा लगाए गए पूर्ण ग्रामीण मंडपों के बारे में जानकर खुशी हुई है।

देवियो और सज्जनो

3. कृषि केवल एक पेशा भर नहीं बल्कि इससे कहीं बढ़कर है। यह एक आह्वान, एक परंपरा और जीवन जीने का एक तरीका है। हजारों वर्षों से, जब से हमारे पूर्वजों ने सिंधु घाटी में अनाज बोया था, तब से कृषि, भारतीय पहचान का केंद्र रही है। आज भी, कृषि हमारे कार्यबल के 50 प्रतिशत हिस्से को रोजगार देती है और हमारे सकल राष्ट्रीय मूल्य या जीवीए में इसका हिस्सा लगभग 15 प्रतिशत है।

4. हमारे किसानों के निस्वार्थ प्रयासों का योगदान, राष्ट्रीय विकास और सुरक्षा में तथा हमारे लोगों की भलाई में रहा है। पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी राज्यों में दृढ़ संकल्प के साथ अपनाई गई हरित क्रांति जैसी पहल से देश में खाद्यान्न की वर्षों पुरानी कमी और आयात की विवशता के स्थान पर को खाद्यान्न अधिशेष वाली अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिली। यह सफलता दूरदर्शी नीति निर्माताओं, प्रवीण कृषि वैज्ञानिकों - और इन सबसे बढ़कर, उन किसानों के कारण संभव हो पाई जिन्होंने इसके लिए अपना पसीना बहाया।

5. आज भारत कई खाद्य पदार्थों जैसे- अनाजों, फलों, सब्जियों, दूध, अंडे और मछली का प्रमुख उत्पादक देश है। फसल वर्ष 2017-18 में, खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर रिकॉर्ड 284.83 मिलियन टन तक पहुंच गया है। बागवानी उत्पादन इससे भी अधिक है। उच्च मूल्य वाली फसलों का उत्पादन तेजी से हो रहा है। कृषि विकास से न केवल खाद्य सुरक्षा बल्कि पोषण सुरक्षा में भी सुधार आया है। इसके परिणामस्वरूप, युवा पीढ़ियों में स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक लाभ के सुफल मिले हैं और हमारी मानव पूंजी मज़बूत बनी है।

6. भारतीय किसानों ने, नवप्रवर्तन, नई तकनीकों और वैज्ञानिक आदानों से बिना डरे - उल्लेखनीय रूप से स्वयं को अनुकूलित कर दिखाया है। भारतीय किसानों ने जोखिम उठाने और जोखिम को अवसर में परिवर्तित करने का साहस दिखाया है। परिणामस्वरूप भारत, प्रमुख कृषि और संबद्ध उत्पादों जैसे चावल, समुद्री उत्पादों, फलों, सब्जियों और यहां तक कि फूलों के निर्यातक के रूप में उभरा है। हमारे किसान दुनिया के बाकी हिस्सों में कपास जैसी व्यावसायिक फसलों की आपूर्ति करते हैं।

7. हमारी चुनौती, इससे बेहतर करने की है। भारतीय कृषि को सम-सामयिक प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल की; जलवायु परिवर्तन, कीमतों में उतार-चढ़ाव और मांग सम्बन्धी समस्याओं से सुरक्षा की और व्‍यापार क्षेत्र की सहभागिता एवं उसके सतत निवेश की आवश्यकता हैlये सब साथ मिलकर कृषि के मूल्यवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के साथ-साथ आय भी बेहतर करेंगे। असल में, यही वे क्षेत्र हैं जिनकी ओर सरकार ध्यान दे रही है।

8. उदाहरण के तौर पर प्रधान मंत्री कृषि सिचाई योजना को देखें। इसे 2015 में ‘हर खेत को पानी’ और ‘मोर क्रॉप पर ड्रॉप’ के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य दोहरा था अर्थात् इसका प्रयोजन केवल अधिक पानी उपलब्ध कराना ही नहीं, बल्कि प्रत्येक इकाई और पानी की प्रत्येक बूंद से अधिक मूल्य अर्जित करना भी था। योजना में अब तक लगभग 10 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल की गई है। इसी प्रकार फसल बीमा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में लगभग 2.5 करोड़ किसानों को सुरक्षा तंत्र उपलब्ध कराया गया है। ये केवल एक शुरुआत भर है। आने वाले वर्षों में, हमें अधिक से अधिक किसानों और अधिक से अधिक कृषि भूमि को इसमें शामिल करना है।

9. सरकार कृषि बाजारों में अधिक कार्य कुशलता लाने की दिशा में काम कर रही है। इससे हमारे किसानों को एक व्यापक ग्राहक आधार मिलेगा और वे बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम होंगे। 2016 में, भारत ने कृषि उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-एनएएम की शुरूआत एक ऑनलाइन मंच के रूप में की। इस मंच ने पूरे भारत में किसानों, व्यापारियों और खरीदारों को आपस में जोड़ा है। इसके अलावा, किसानों के लिए बेहतर आमदनी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 22,000 ग्रामीण हाट स्थापित किए जा चुके हैं या उन्हें ग्रामीण कृषि बाजारों के रूप में उन्नत किया जा रहा है।

10. किसान उत्पादक संगठनों के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। मुद्रा योजना और स्टार्ट-अप इंडिया जैसी योजनाएं छोटे किसानों को स्थानीय और सूक्ष्म-स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण में सक्षम बना रही हैं। इन सब की सहायता से भारतीय कृषि क्षेत्र में एक सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।

11. विभिन्न योजनाओं और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि कार्य को खाद्य प्रसंस्करण से जोड़ने में हो रही प्रगति से मैं विशेष रूप से प्रसन्न हूं। निर्बाध मूल्य श्रृंखला और न्यूनतम बरबादी के लिए कृषि और उद्योग के बीच की कड़ी को मजबूत किया जाना चाहिए। इसके लिए, भारत के भिन्न-भिन्न हिस्सों में 42 मेगा फूड पार्क स्थापित किए जा रहे हैं और 228 एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाएं चल रही हैं।

देवियो और सज्जनो,

12. मानव इतिहास की यात्रा में कृषि कई प्रकार के परस्‍पर-व्‍यापी प्रयोगों के साथ आगे बढ़ी है। भिन्न-भिन्न गुणों वाले अलग-अलग प्रकार के बीजों या पौधों को एक साथ लाने से नवाचार को बढ़ावा मिला है और इससे कृषि उत्पादकता और समृद्धि बढ़ी है। इस प्रक्रिया को संपन्न होने देकर, प्रकृति ने हमें एक सीख दी है। यह सीख है कि भागीदारियों के लिए, सहजीविता के लिए और आपस में सीखने और साझा करने के लिए कृषि एक आदर्श क्षेत्र हैl

13. भागीदारियां, सभी क्षेत्रों और सभी भौगोलिक स्थानों में तैयार की जा सकती हैं। पिछले दशकों में, विनिर्माण और मशीनीकरण की उपयोगिता हमारी कृषि में सराहनीय रही है। आज कृषि क्षेत्र और सेवा क्षेत्र के बीच मजबूत संबंध उभर रहे हैं।जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, डेटा विज्ञान, सुदूर संवेदी छायाचित्रण, हवा और जमीन पर चलने वाले स्‍वायत्‍त वाहन तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका कृषि उत्‍पादों की मूल्‍यवत्ता बढ़ने में महत्वपूर्ण है।

14. भौगोलिक रूप से भी किसान देश के भीतर और विदेशों के भी - दूसरे किसानों और अन्य कृषि संस्कृतियों से सीख रहे हैं। जहाँ एक ओर भारत में कृषि सम्बन्धी समग्र आंकड़े काफी प्रभावशाली हैं, वहीं अब भी एक कमी यह है जो हमारी कृषि को उच्चतर उत्पादकता और खेत से भोजन की थाली तक की मूल्य श्रृंखला में अपव्यय को रोकने की आवश्यकता को देखते हुए पूरी करनी है। यही वह क्षेत्र है जहाँ दूसरे देशों का अनुभव और विशेषज्ञता बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है। मुझे विश्वास है कि ‘एग्रो टेक इंडिया-2018’ से ऐसी विशिष्‍ट साझेदारियों को बढ़ावा मिलेगा और इससे भारत के किसानों को लाभ होगा।

15. इस समारोह में भाग लेने वाले प्रतिभागी इन तीन क्षेत्रों में लाभदायक जुगलबंदियों का निर्माण कर सकते हैं। पहला क्षेत्र है, प्रौद्योगिकी का। भारतीय कृषि क्षेत्र अभी भी प्रौद्योगिकी अंगीकरण के आरंभिक चरण में है। अत्याधुनिक ज्ञान तो बहुत दूर, हमारे कई किसानों के पास मशीनीकृत उपकरणों की उपलब्धता भी सीमित है। प्रौद्योगिकी आधारित अनुप्रयोगों और सेवाओं से, कृषि में आर्थिक प्रवाह का रास्ता खोलने और किसानों को उनके श्रम और उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

16. दूसरा क्षेत्र है - कृषि में सार्वजनिक-निजी भागीदारी का। इस प्रकार की भागीदारी में इस क्षेत्र को आधुनिक बनाने और छोटे किसानों को अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करने की क्षमता है। पीपीपी से कृषि मूल्य श्रृंखला विकसित करने; नवाचार पर केंद्रित संयुक्त अनुसंधान कार्य करने; बाजार के बुनियादी ढांचे का निर्माण करने; और किसानों तक व्यवसाय विकास सेवाएं पहुँचाने में सहायता मिल सकती है।

17. तीसरा क्षेत्र है - कृषि अनुसंधान और विकास का। इस क्षेत्र में भारतीय निवेश को बढ़ावा देना चाहिए। जहाँ एक ओर, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली ने हरित क्रांति में प्रमुख भूमिका निभाई है, वहीँ हाल के वर्षों में इस प्रकार की कोई बड़ी सफलता देखी नहीं गई है। बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के निवेशों की आवश्यकता होती है। उन निवेशों में निश्चित रूप से निजी क्षेत्रों सहित - अधिक से अधिक संसाधन शामिल हैं।

देवियो और सज्जनो,

18. मैं एक अन्य विषय का भी जिक्र करना चाहूंगा। इस क्षेत्र के किसान हमारे देश के लिए गर्व का विषय हैं। पंजाब और हरियाणा के प्रगतिशील किसानों ने चुनौतियों और वृहत्‍तर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से कभी मुंह नहीं मोड़ाlआज हम फसलों के अपशिष्ट और पराली या भूसे के सुरक्षित और स्वच्छ निपटान से संबंधित समस्या का सामना कर रहे हैंlबहुत बड़े पैमाने पर इन्हें जलाने से प्रदूषण हो रहा है जिससे छोटे-छोटे बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैंlराज्य सरकारों सहित हम सभी के लिए, हमारे कुशल और बड़े दिलवाले किसानों तथा अन्य हितधारकों के लिए यह आवश्यक है की हम मिलकर इसका समाधान ढूंढ़ें और इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रौद्योगिकी की सहायता से इसका समाधान प्राप्त हो सकता हैl

19. मुझे यकीन है कि ‘एग्रो टेक इंडिया, 2018’ में ऐसे सभी मुद्दों पर चर्चा होगी और इसके व्यावहारिक और निश्चित परिणाम सामने आएंगे। मैं आयोजकों और प्रतिभागियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ!

जय किसान, जय विज्ञान!

जय हिन्द!