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चौथे कुलाध्‍यक्ष पुरस्कार प्रदान किए जाने और केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्‍मेलन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 02.05.2018

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चौथे कुलाध्‍यक्ष पुरस्कार और केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्‍मेलन के लिए राष्ट्रपति भवन आने पर मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। आप सभी के साथ आज की बैठक में उस कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा जिसकी शुरुआत इस वर्ष जनवरी में 17 नए विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक से हुई थी।

2. शिक्षा एक ऐसा विषय है जिसके बारे में मेरी व्यक्तिगत दिलचस्‍पी है। शिक्षा से ही हमारे राष्ट्र और हमारी जनता का विकास हो सकता है। आप सभी लोग उच्च शिक्षा प्रदान करने और शोध कार्य संचालित करने के काम से जुड़े हैं, इस प्रकार आप एक आधुनिक भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

3. सबसे पहले मैं कुलाध्‍यक्ष पुरस्कार 2018 के विजेताओं को बधाई देता हूं। इन पुरस्कारों के माध्‍यम से पुरस्कार विजेताओं द्वारा ज्ञान प्राप्ति की दिशा में किए गए असाधारण योगदान एकनिष्‍ठ समर्पण और परिश्रम का सम्मान है। आप सभी सच्‍चे मायनों में कामयाब व्यक्ति हैं और मुझे विश्वास है कि आपकी कामयाबी से केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय प्रणाली के अन्य शोधकर्ताओं को भी अपने-अपने क्षेत्रों में सार्थक परियोजनाएं शुरू करने की प्रेरणा मिलेगी।

4. अनुसंधान और नवाचार ही नवीन ज्ञान की आधार-भूमि है और ज्ञान में ही वह कुंजी छिपी है जो हमारे विश्व, राष्ट्र और समाज के समक्ष उत्‍पन्‍न चुनौतियों के समाधान ढूंढने की शक्ति रखती है। कभी-कभी इस बारे में अनभिज्ञता होती है कि अनुसंधान एक श्रमसाध्य कार्य है और अनुसंधानकर्ता को हमेशा मुश्किल हालात में कार्य करना पड़ता है। अनुसंधान के लिए अनुसंधानकर्ता के निरंतर संकल्प और पूरी संस्थागत मदद की जरूरत होती है। अनुसंधान 9 से 5 बजे तक की नौकरी वाला कार्य नहीं है और इसलिए अनुसंधान संस्कृति को सहयोग और प्रोत्साहन दिए जाने के प्रति हमारा दृष्टिकोण दिखावे से मुक्‍त होना चाहिए।

5. हमें समग्र रूप से हमारे समाज में अनुसंधान और अध्यापन पेशे की विशेषताओं पर जोर देना होगा। यह पेशा ऐसे अनोखे फायदे प्रदान करता है जो अन्य दूसरे कॅरियर प्रदान नहीं करते हैं, इसमें चिंतन की स्वतंत्रता तथा अनुसंधान और शिक्षण के जरिए उन विचारों का परीक्षण और प्रसार करने, अपना काम अपनी प्राथमिकता के अनुसार करने की स्‍वतंत्रता है और अगर मैं कहूं तो संभवत: चौबीसों घंटे बॉस से छुटकारा रहता है।शोधकर्ताओं के शब्‍दों में कहूं तो मेरा मानना है कि किसी दूसरे कॅरियर का इतना अधिक व्‍यापक प्रभाव नहीं होता। हमारे शोधकर्ता ज्ञान अर्जित करते हैं और हमारे शिक्षक एक सभ्य, सुशिक्षित समाज का निर्माण करते हैं।

6. शोध के इसी महत्व को पहचानते हुए, आज कुलपतियों की बैठक में शोध और नवाचार को प्रोत्‍साहन देने में विश्वविद्यालयों के समक्ष उपस्थित मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। और इसी कारणवश, मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री प्रकाश जावड़ेकर और राज्य मंत्री, डॉ. सत्यपाल सिंह मंत्रालय के अधिकारियों सहित आज यहां उपस्थित हैं। शोध और नवाचार से संबंधित मुद्दों पर आपकी सहायता के लिए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन भी मौजूद हैं। मुझे विश्वास है कि इन सबकी उपस्थिति से आज की परिचर्चा और अधिक सार्थक बनेगी।

7. इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिक्षा के हमारे केन्‍द्र में शोध और नवाचार के प्रोत्साहन और सहयोग की जिम्मेदारी सरकार की है। यद्यपि इसमें एक विशेष जिम्मेदारी शोधकर्ताओं की भी है। यह जिम्मेदारी शोध और नवाचार को हमारे देश और जनता की आवश्यकताओं के साथ जोड़ने की है। अनुसंधान और नवाचार हमारे देश के लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, उनका स्‍वास्‍थ्‍य व सेहत सुनिश्चित करने तथा खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अनुसंधानकर्ता और नवान्‍वेषक हमारे तेजी से फैल रहे शहरों में वायु और जल प्रदूषण से लेकर यातायात जाम तक की हमारी रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। विश्वविद्यालय भी जनसाधारण द्वारा किए जाने वाले नवाचार में मदद के लिए व्यवस्थाएं तैयार कर सकते हैं और ऐसे जमीनी स्तर के नवान्वेषकों की मदद उनके कार्य को और अधिक परिष्कृत करने में कर सकते हैं।

8. मुझे खुशी है कि इस वर्ष के कुलाध्यक्ष पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता शोधकर्ताओं की उस विशिष्ट जिम्मेदारी को वास्तव में पूरा करते हैं। जिसका उल्‍लेख मैंने किया है। मैं यहां पर प्रोफेसर संजय के. जैन द्वारा दवा संदाय प्रणाली के विकास कार्य का उल्लेख करना चाहूंगा जिसमें कैंसर के उपचार को अधिक प्रभावी और कम खर्चीली बनाने की क्षमता है।सर्प विष की आणविक संरचना पर प्रोफेसर आशीष कुमार मुखर्जी के शोध से नई औषधि का विकास हो सकता है। प्रोफेसर अश्वनी पारीक द्वारा मौसमी संकट सहनशील धान के विकास की दिशा में किए गए कार्य से चावल उत्पादक किसानों की आय में वृद्धि होने की संभावना है। मानविकी, कला और समाज विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफेसर प्रमोद के. नायर के शोध और प्रकाशन कार्य में पिछड़े हुए लोगों के लिए कविताओं सहित अनेक सामाजिक रूप से प्रासंगिक क्षेत्र शामिल हैं। यह उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय विकास के व्यापक उद्देश्य पूरा करने वाला श्रेष्ठ गुणवत्तायुक्त शोध किया जा रहा है।

देवियो और सज्जनो,

9. हमारे केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय हमारी उच्चतर शिक्षा प्रणाली के गौरव हैं। इन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपार योगदान किया है और करते आ रहे हैं। हमारे केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों का लक्ष्य सर्वोत्तम विश्व मानदण्‍डों के अनुसार स्वयं को निरंतर विकसित और उन्नत करने का होना चाहिए। इसके लिए कुलपतियों के रूप में आपको नेतृत्व प्रदान करना होगा।

10. एक तात्कालिक लक्ष्य के रूप में, आपको देश में सर्वोत्तम बनने का प्रयास करना चाहिए और स्वस्थ तरीके से एक दूसरे के साथ स्‍पर्धा करनी चाहिए। इसके बाद विश्व के सर्वश्रेष्‍ठ के साथ स्पर्धा करने के दिशा में कार्य करें। हमारे केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को शोध कार्यों और शैक्षिक परियोजनाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्‍साहित करना चाहिए और उन्‍हें इन क्षेत्रों में हर अवसर प्रदान करना चाहिए।

11. विश्वविद्यालय ऐसे लोक संस्थान हैं जो हमारे युवाओं की ऊर्जा और गतिशीलता से संचालित होते हैं। आप इस ऊर्जा को अपने परिसरों के आसपास के समुदायों तथा जिन राज्यों में आप अवस्थित हैं, वहां की सरकार के साथ जुड़ने के लिए प्रयोग करें। अपने विद्यार्थियों को राष्‍ट्रीय सेवा योजना या अन्य क्लबों के माध्यम से सामाजिक रूप से उपयोगी प्रकल्‍पों में शामिल होने के लिए प्रेरित करें। जो विश्वविद्यालय पिछड़े हुए प्रदेशों में स्थित हैं, उनकी अपने आसपास के समुदायों के साथ मिलकर कार्य करने की विशेष जिम्मेदारी है। अपने शैक्षिक कार्यक्रमों में समुदायपरक पहलों को शामिल करने से आप के विद्यार्थियों की विचार शक्ति बढ़ेगी और वे अपने भावी जीवन के लिए खुद को भली-भांति तैयार कर सकेंगे। परस्पर हित वाली परियोजनाओं के लिए आपको अपनी-अपनी राज्य सरकारों तथा इसके विभिन्न संस्थानों के साथ सार्थक ढंग से जुड़ना चाहिए।

12. मैं, एक बार फिर कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2018 के विजेताओं को बधाई देता हूं और आपके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।अगले सत्र में यहां उपस्थित कुलपतियों के साथ सार्थक परिचर्चा करने की भी मैं उम्मीद करता हूं।

धन्यवाद

जय हिंद!