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महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के स्मरणोत्सव की कार्यान्वयन समिति की बैठक में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 02.05.2018

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उपराष्ट्रपति, श्री वेंकैया नायडू


प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी


केन्द्रीय गृह मंत्री, श्री राजनाथ सिंह


पूर्व प्रधान मंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह


पूर्व उप प्रधान मंत्री, श्री लाल कृष्ण आडवाणी


माननीय कैबिनेट मंत्रीगण


माननीय मुख्यमंत्रीगण


माननीय राज्य मंत्रीगण


भारत और विदेश के विशिष्ट प्रतिनिधिगण

देवियो और सज्जनो

1. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के स्मरणोत्सव की कार्यान्वयन समिति की बैठक के लिए, राष्ट्रपति भवन आने पर मैं आपका स्वागत करता हूं। हम सब जानते ही हैं कि गांधीजी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को पोरबंदर में हुआ था। दो वर्ष तक चलने वाले जिस स्मरणोत्सव पर विचार-विमर्श करने के लिए हम सब यहां उपस्थित हुए हैं, वह अब से केवल पांच महीने के बाद, 2 अक्तूबर, 2018 से शुरू हो जाएगा।

2. महात्मा गांधी भारत में पैदा हुए थे परंतु वे केवल भारत के ही नहीं हैं। मानव-मात्र के लिए वे भारत की महानतम देन हैं और उनका नाम सभी महाद्वीपों में गूंज रहा है। महात्मा गांधी, 20वीं शताब्दी के सर्वाधिक प्रभावशाली भारतीय थे। वे हमारे ज्यादातर अहिंसक, समावेशी और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा थे। वे हमारे लिए एक नैतिक कसौटी हैं जिसके आधार पर हम सार्वजनिक जीवन में सेवा-रत पुरुषों व महिलाओं, राजनीतिक विचारों और सरकारी नीतियों तथा हमारे देश की और हमारी जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं की परख करते हैं। उनकी विरासत इतनी समृद्ध और इतनी व्यापक है कि कुछ घंटे तो छोड़िए, अगर कुछ दिन भी दे दिए जाएं तो हम उनका पूरी तरह वर्णन नहीं कर सकते।

3. महात्मा गांधी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे राष्ट्रवादी और अंतरराष्ट्रवादी, राजनीतिक नेता और आध्यात्मिक मार्ग-दर्शक, लेखक और चिंतक तथा आंदोलनकारी; भारत की परंपराओं और सभ्यता में सहजता अनुभव करने वाले लेकिन सामाजिक सुधार और परिवर्तन के लिए तत्पर परिवर्तन-कारी भी थे। परन्तु इन सबसे बढ़कर वह भारत की चेतना के प्रहरी थे। उन्होंने न केवल हमें राजनीतिक आजादी दिलाने में हमारा नेतृत्व किया अपितु एक बेहतर भारत, एक अधिक सिद्धांतवादी भारत और जाति-गत, पंथ-गत, आर्थिक और यहां तक कि स्त्री-पुरुष संबंधी भेद-भाव से मुक्त समाज बनने के लिए हमारा पथ-प्रदर्शन करने का भी भरसक प्रयत्न किया।

4. आज, हमें छोड़कर जाने के 70 वर्ष बाद तक भी, वे हमारे नैतिक मार्ग-दर्शक बने हुए हैं। यह याद रखना जरूरी है कि 1922 में, चौरी-चौरा में पुलिस स्टेशन पर हुए हमले के बाद, असहयोग आंदोलन को रोकने में वे एक क्षण के लिए भी हिचकिचाए नहीं। कई लोगों ने उनसे कहा कि यह एक छिट-पुट और मामूली सी घटना है और कि उन्हें इसकी बजाय वृहत्तर संघर्ष पर ध्यान देना चाहिए। परंतु वे अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे। उनके लिए कोई घटना ‘छिट-पुट’ घटना नहीं थी; उनके लिए एक ‘मामूली घटना’ का और ‘वृहत्तर संघर्ष’ का महत्व बराबर था। वे अकसर कहा करते थे कि किसी साध्य के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले साधन भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं जितना महत्वपूर्ण ‘साध्य’ होता है।

5. हममें से सभी लोग उनके सिद्धांतों पर सदैव अमल नहीं कर सकते; परंतु महात्मा गांधी की हिदायतें हम समय सही रास्ता दिखाने और रास्ते से भटकने पर हमें प्यार से झिड़कने के लिए मौजूद रहेंगी। इसीलिए उनका संदेश हमारे लिए आज भी पथ-प्रदर्शक बना हुआ है। गांधीजी के एक प्रिय भजन में कहा गया है- ‘‘रोशनी ही हमें ‘गहरे अंधकार के बीच’ रास्ता दिखाती है’’।

देवियो और सज्जनो,

6. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का तात्पर्य उस महान व्यक्तित्व पर गर्व करने और इतिहास का स्मरण करने से कहीं ज्यादा है। मेरे विचार से, गांधीजी खुद भी यही चाहते कि हम इस अवसर पर, देश और विदेश में न्यायपूर्ण, ईमानदार और निष्पक्ष समाज के निर्माण के लक्ष्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता नए सिरे से दृढ़ करें।

7. महात्मा गांधी हमारा अतीत हैं, वे हमारा वर्तमान हैं और हमारे भविष्य भी। उन्होंने बहुत से विषय और विचार हमारे सामने रखे और लिखे हैं- हालांकि उनमें से कुछ विचार अपने समय से काफी आगे की चीज थे-लेकिन वे विचार आज, पहले से अधिक प्रासंगिक हैं।

8. जब हम भारत को जाति और पंथ के पूर्वाग्रहों से मुक्त करने के लिए कार्य करते हैं तब हम गांधीजी को याद करते हैं। जब हम ‘स्वच्छ भारत’ और अपेक्षाकृत साफ-सुथरे तथा स्वास्थ्यप्रद भारत के निर्माण के लिए प्रयास करते हैं, तब गांधीजी का उदाहरण देते हैं। जब हम महिलाओं और बच्चों के अधिकारों और छोटे-छोटे तथा पिछड़े समूहों की नागरिक स्वतंत्रता की बात करते हैं तब गांधीजी को याद करते हैं। जब हम भारत के किसानों और भारत के गांवों की सेहत और बेहतरी की बात करते हैं तब भी हम गांधीजी को याद करते हैं। जब हम अखिरी गांव और आखिरी घर तक बिजली पहुंचाने का प्रयास करते हैं तब गांधीजी को याद करते हैं; और जब हम सौर और नवीकरणीय ऊर्जा में क्षमता निर्माण के लिए काम करते हैं तब गांधीजी को याद करते हैं। जब जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करते हैं और हरित एवं पर्यावरण अनुकूल रहन-सहन को बढ़ावा देते हैं, तब हम गांधीजी को याद करते हैं। (थोड़ा रुककर) ये सतत विकास की बातें, गांधीजी के उस सरल मंत्र की प्रतिध्वनि ही तो हैं कि -‘धरती के पास सबकी जरूरतें पूरी करने के लिए तो पर्याप्त साधन हैं लेकिन किसी के लालच की पूर्ति के लिए नहीं’।

9. महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह की नीति पर चलकर भारत की आज़ादी की लड़ाई का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व से औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ रहे अनेक अन्य राष्ट्रों के साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलनों को भी प्रेरणा प्राप्त हुई। आतंकवाद और अन्य प्रकार के संघर्षों के रूप में हिंसा का सामना कर रहे वर्तमान विश्व के लिए अहिंसा का सिद्धांत आज भी बहुत प्रासंगिक है। ऐसे समय में महात्मा गांधी द्वारा अपनाए गए जीवन-मूल्य दुनिया को एक बेहतर भविष्य की दिशा में ले जा सकते हैं।

10. इसी वजह से, 150वीं जयंती के स्मरणोत्सव का महत्व विश्वव्यापी है। आइए, संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य बहुपक्षीय संगठनों जैसे मंचों का सदुपयोग करते हुए, हम इसे एक विश्व-समारोह का स्वरूप दें। हमारा जोर कार्यक्रमों पर ही न हो बल्कि उन ठोस, व्यावहारिक विरासतों के सृजन पर होना चाहिए जिनसे आम लोगों के जीवन में बदलाव आए, चाहे वे दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों न रहते हों।

11. महात्मा गांधी सभी देशों में हम सभी के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं। दुनिया को चाहिए कि ऐसी 21वीं सदी का निर्माण करने के लिए उनके विचारों को अपनाए जहां न्याय और समानता, शांति और प्रज्ञा का वातावरण हो और जहां ़गरीबी न हो। ऐसी दुनिया जब बनेगी तब ही महात्मा गांधी को आत्मतोष होगा। आइए, गांधीजी की 150वीं जयंती को ऐसे तौर-तरीकों से मनाएं जो उन जैसे महापुरुष की प्रतिष्ठा के अनुरुप हो। मैं, यहां उपस्थित आप सभी से यह आग्रह करता हूं कि आप महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के बारे में अपने विचार और सुझाव हमारे साथ साझा करें। मैं इस बारे में आपके विचार जानने के लिए उत्सुक हूं।

धन्यवाद

जय हिन्द।