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स्वीडन नरेश के सम्मान में आयोजित राज-भोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

राष्ट्रपति भवन : 02.12.2019

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• महामहिम नरेश एवं महारानी,
• माननीय विशिष्ट अतिथिगण,
• देवियो और सज्जनो,

गूद कवाल और नमस्कार!

1. महामहिम, आपके और महारानी के भारत आगमन पर, आप लोगों का स्वागत करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। हमारे देश की, आपकी यह तीसरी यात्रा है, और आपकी प्रत्येक यात्रा से हमारी मैत्री को नई गर्मजोशी व नई ऊर्जा प्राप्त हुई है। स्वीडन और भारत के बीच संबंधों के प्रति, आपके समर्थन और प्रतिबद्धता के लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं।

महामहिम,

2. हमारे दोनों ही देश लोकतंत्र, स्वतंत्रता और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति दृढ़ विश्वास रखते हैं। हमारे दोनों देश बहु-पक्षीय और बहु-ध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे विश्वास है कि आपकी यात्रा से परस्पर द्विपक्षीय मुद्दों और हमारी वैश्विक साझेदारी को और बढ़ावा मिलेगा।

3. महामहिम, अपनी यात्रा के दौरान, आपको भारत के विविध और विशिष्ट आयामों को देखने का अवसर मिलेगा। जब आप हमारी सांस्कृतिक विविधता, हमारी बहु-विध आस्था, हमारे वन समुदायों, हमारी नदियों और हमारे उद्यमों तथा उद्योगों का साक्षात्कार करेंगे, तब आप हमारे चिरस्थायी लोकाचार और हमारी आकांक्षाओं को समझ सकेंगे। हम, अपने लोगों और पर्यावरण को अपने विकास के केन्द्र में लाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।

4. स्वीडन को इसके प्रौद्योगिकी कौशल, आर्थिक गतिशीलता, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और स्त्री-पुरुष समानता के लिए जाना जाता है। चाहे वह फ़ुटबाल हो या टेनिस दिग्गज ब्योन बौर्ग का बैक हैण्ड स्ट्रोक हो, खेल जगत की आपकी उपलब्धियां भी इतनी ही प्रेरणादायक हैं। इन सभी क्षेत्रों में, हमने सार्थक सहयोग स्थापित किया है। भारतीय विकास और स्वीडिश क्षमताओं के बीच दशकों से परस्पर साझेदारी रही है। लेकिन हम आपके साथ मिलकर इसे और भी बेहतर आयाम देने के इच्छुक हैं। हमें अपने युवाओं को एक साथ लाना चाहिए, ताकि वे डिजिटल क्षेत्र में हमारा मार्ग प्रशस्त कर सकें; हमें अपने उद्यमियों को एक साथ लाना चाहिए, ताकि वे हमें ‘कचरे से ऊर्जा निर्माण’ के क्षेत्र में आगे बढ़ा सकें; और हमें अपनी महिलाओं को भी एकजुट करना चाहिए, ताकि हम यह सीख सकें कि उनके अधिकारों की बेहतर रक्षा कैसे की जाए और उनकी प्रतिभा का उन्नयन किस प्रकार किया जा सके।

महामहिमगण,

5. नवाचार के क्षेत्र में हमारी साझेदारी में बहुत अधिक संभावनाएं मौजूद हैं। अपने कौशल और अपनी प्रतिबद्धता के बल पर हम‘चौथी औद्योगिक क्रांति’ का अग्रदूत बन सकते हैं। तथापि, हमें इससे भी आगे की दृष्टि रखनी है। लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने, हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने और हमारी धरती को संरक्षित करने के लिए ‘मशीन-इंटेलिजेंस’ की दुनिया को अधिक से अधिक समतावादी बनाया जाना चाहिए। ‘नमामि गंगे’ से लेकर ‘जल जीवन मिशन’ तक, और ‘स्वच्छ भारत’ से लेकर ‘स्मार्ट सिटी’ तक, भारत के सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रमों में हमारे दोनों देशों के लिए एक साथ मिलकर काम करने के कई अवसर मौजूद हैं। हम आपके साथ ‘सर्कुलर अर्थव्यवस्था’, ‘संसाधन दक्षता’ और ‘जलवायु स्मार्ट मॉडलों’ पर साथ मिलकर कार्य करना चाहते हैं।

6. प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा रखने वाले देश के रूप में, हम पर्यावरणीय मुद्दों पर आपके नेतृत्व को महत्व देते हैं। ‘स्टॉकहोम सम्मेलन’ हमारे मन और मस्तिष्क में जीवित है। हम ‘इंडस्ट्री ट्रांजिशन ट्रैक’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ के तहत, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध कार्रवाई को मजबूती देने के लिए आपके साथ मिलकर कार्य करने को तत्पर हैं।

महामहिम,

7. हम पृथ्वी को सातत्य व स्थायित्व देने की दिशा में कई कार्य कर रहे हैं। हमें अपनी दुनिया को सुरक्षित करने के लिए भी उतना ही ध्यान देने की आवश्यकता है। आतंकवाद का जहरीला दानव स्टॉकहोम से मुंबई तक अपने पैर फैला चुका है। हमारे सामने, साथ मिलकर काम करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

8. महामहिम, जब हम भविष्य की ओर निगाह डालते हैं, तो ऐसी अनुभूति होती है कि हमारे एक समान जीवन मूल्य, परस्पर पूरक अर्थव्यवस्थाएं और साझा हित हमारे संबंधों को प्रगाढ़ और मजबूत बनाए रखेंगे।

9. मैं आपके और आपके लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि की कामना करता हूं। मेरी कामना है कि हमारी मैत्री हमेशा फलती- रहे!

आपका बहुत बहुत धन्यवाद। ताक सो मीके