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वियतनाम के महामहिम राष्ट्रपति, श्री चान दाई क्वांग के सम्मान में आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 03.03.2018

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वियतनाम के महामहिम राष्ट्रपति चन दाई क्वांग और

मादाम नूयन थी हियेन

विशिष्ट अतिथि-गण,

देवियो और सज्जनो,

सीन चाओ , नमस्ते!

महामहिम ! आपका और आपके शिष्टमंडल का स्वागत करके मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। विशेष तौर पर इसलिए भी क्योंकि हम अपने संबंधों की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं।

पिछला वर्ष, हमारी मैत्री का वर्ष था। तब हमने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 45वीं वर्षगांठ मनाई थी। पिछला वर्ष,हमारी कार्यनीतिक साझेदारी की 10वीं सालगिरह का और‘भारत-आसियान संवाद साझेदारी’के25वर्ष पूरे करने का वर्ष भी था।

जनवरी में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आसियान नेताओं की मेज़बानी करने का भी सम्मान मुझे प्राप्त हुआ था। इस सम्मेलन में प्रधान मंत्री फुक की उपस्थिति से हमें बहुत खुशी हुई थी।

महामहिम, हमारे सभ्यतागत संबंध काफी पुराने हैं।2000 से भी अधिक वर्ष पहले,भारत के बौद्ध भिक्षु,बौद्ध धर्म को वियतनाम ले गए। उसके बाद,संस्कृत भाषा और हिन्दू ग्रंथ वहां ले जाए गए।

हिन्दू चम्पा शासकों ने अनेक प्रकार से हम दोनों देशों को जोड़ा। इन विनिमयों से दो-तरफा संपर्क शुरू हुआ और इस प्रक्रिया में हमने एक-दूसरे से बहुत-कुछ लिया-दिया।

हमारे स्वाधीनता संघर्ष के महान नेताओं महात्मा गांधी और राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने आधुनिक युग में हमारे संबंधों को नई ऊर्जा दी। फरवरी, 1958में,ठीक60वर्ष पहले,राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने,जिन्हें हम सब‘अंकल हो’के रूप में जानते हैं,भारत की यात्रा की और मेरे तत्कालीन पूर्ववर्ती,डॉ. राजेन्द्र प्रसाद से मुल़ाकात की।

आज हमने, उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए,अपनी घनिष्ठ मैत्री को और प्रगाढ़ किया है।

महामहिम, मुझे खुशी है कि आपने अपनी भारत यात्रा,बोध गया के दर्शन से शुरू की है। मुझे उम्मीद है कि आपके नववर्षटेट के तुरंत बाद भगवान बुद्ध का आशीर्वाद हमारे संबंधों के लिए शुभ रहेगा।

जब मैं बिहार का राज्यपाल था, उस दौरान मुझे अनेक बार बोध गया जाने और भगवान बुद्ध का आशीर्वाद मांगने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

मजबूत प्रतिरक्षा और सुरक्षा सहयोग पर आधारित हमारी व्यापक सामरिक साझेदारी,विस्तृत आधार वाले आर्थिक संबंध तथा इन्नोवेटिव वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय सहयोग सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।

प्रशिक्षण, विकास सहयोग या सांस्कृतिक संपर्क विस्तार के ज़रिए हम अपने लोगों को सार्थक रूप से इसके दायरे में लेकर आए हैं। मुझे खुशी है कि योग,मनोरंजन और उद्यम के माध्यम से हमारे युवा एक-दूसरे के साथ जुड़ रहे हैं।

आज वियतनाम भारत के बाद, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। आपका देश एक प्रमुख कृषि- अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर सामने आए,इस प्रयोजन से आपके देश के साथ साझेदारी करके हमें खुशी हुई है।

क्यू लोंग राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट, भारत-वियतनाम मैत्री के सुनहरे प्रतीक के रूप में मज़बूती से खड़ा है।

महामहिम, हमारा दृढ़ विश्वास है कि मज़बूत भारत-वियतनाम साझेदारी हमारे लोगों के लिए तथा इस वृहत्तर क्षेत्र के लिए शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी।

इस उद्देश्य की पूर्ति में, भारत और वियतनाम का ठोस आर्थिक विकास और ऊर्जा,एक-दूसरे की पूरक बनेगी।

महामहिम, वियतनाम हमारी‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’का एक मज़बूत स्तंभ है और हम‘आसियान’की केन्द्रीयता के प्रति तथा एक खुले,पारदर्शी,समावेशी और नियम-आधारित क्षेत्रीय ढांचे के प्रति वचनबद्ध हैं।

हम अपने सांस्कृतिक संबंध और आपके साथ संपर्क विस्तार के लिए उत्सुक हैं। हमारे पुरातत्व विशेषज्ञ यूनेस्को विश्व विरासत स्थल‘मी सोन’के जीर्णोद्धार में मदद कर रहे हैं और दूसरे क्षेत्रों में भी हम ऐसे प्रयास जारी रखेंगे।

महामहिम, आपकी यात्रा से हमारी व्यापक कार्यनीतिक साझेदारी को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान प्राप्त होगा और भविष्य में प्रगाढ़ संबंधों की रूप-रेखा इससे तैयार होगी।


इसी आशावादी विचार के साथ, महामहिम-गण,देवियो और सज्जनो,आइए हम सब मिलकर:


- महामहिम राष्ट्रपति चन दाई क्वांग और मादाम नूयन थी हियेन के स्वास्थ्य और प्रसन्नता की;

- वियतनाम के लोगों और नेतृत्व की कुशलता और समृद्धि की;तथा,

- भारत और वियतनाम के बीच चिर-स्थायी मैत्री की कामना करें।

धन्यवाद।