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भारतीय वन सेवा के 2016-18 पाठ्यक्रम के परिवीक्षाधीनों के साथ भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 03.08.2017

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मुझे आपके बीच उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मैं राष्ट्रपति भवन में आपका स्वागत करता हूं और ऐसी कठिन और प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने पर बधाई देता हूं।

आपने एक श्रेष्ठ कार्यक्षेत्र का चुनाव किया है। भारतीय परंपरा और संस्कृति में वनों का विशेष स्थान रहा है। हमारी सभ्यता ने वनों से अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की है। इसलिए वन केवल संसाधन नहीं हैं बल्कि उनमें देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत भी समाविष्ट है।

इस विरासत की रक्षा करने का दायित्व अब आप पर है। आपके ऊपर पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करने,देश के सतत विकास की आवश्यकताओं में सहायता पहुंचाने की जिम्मेदारी है।

पिछले कुछ दशकों के दौरान,पर्यावरणीय हृस,वन क्षेत्र के सिकुड़ने और इन सबसे बढ़कर,वैश्विक तापमान के कारण जलवायु परिवर्तन से मानव अस्तित्व को होने वाले खतरे के प्रति दुनिया जागरूक हुई है। इसीलिए21वीं सदी में पर्यावरण एक प्रमुख चिंता के रूप में उभरा है और वन इसके समाधान का एक अहम हिस्सा बन गए हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि भारत जटिल जलवायु परिवर्तन मामलों के निपटान में एक विश्व अग्रणी के रूप में उभर कर आया है। हमारी राष्ट्रीय वन नीति में परिकल्पना की गयी है कि भू-भाग का33 प्रतिशत वन क्षेत्र होना चाहिए। आपको प्राकृतिक वनों को समृद्ध करने के उपाय ढूंढने होंगे और गैर वन क्षेत्र को वृक्ष क्षेत्र में लाने में सुविधा पहुंचानी होगी।

वन,कार्बन कम करने वाले सशक्त स्रोत हैं। वे वातावरण में मौजूद ग्रीन हाऊस गैसों और वैश्विक तापमान के खतरे को कम करने में हमारी मदद करते हैं। हमारे देश ने 2030 तक हमारे वनों में अतिरिक्त रूप से2.5 से3 अरब टन कार्बन पृथक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।


वन, जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों का मुकाबला करने में भी सहायता कर सकते हैं।

० मैंग्रोव वन, चक्रवातों और सुनामियों से तटीय इलाकों की रक्षा करते हैं।

० पहाड़ी ढलानों पर वन मिट्टी का बचाव करते हैं तथा भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ को रोकते हैं।

भरपूर जल-विभाजक वाले बेहतर वन क्षेत्र सूखे से बचाते हैं और कृषि पैदावार को बढ़ाते हैं।

आदिवासियों सहित करोड़ों गरीब लोग हमारे देश के वनों में और उनके आस-पास रहते हैं। हमें उनकी भोजन,ईंधन,चारे की बुनियादी और ऐसी छोटी-छोटी जरूरतों की जानकारी होनी चाहिए। वे सरल और कठिन परिश्रमी लोग हैं और मार्ग-दर्शन और आश्वासन के लिए आपकी ओर देखते हैं। आप कृपया इनसे साझेदार के रूप में व्यवहार करें,न कि अतिकर्मियों के रूप में।

हमारे देश में संयुक्त वन प्रबंधन मॉडल अपनाया गया है जो‘‘केयर एंड शेयर’’सिद्धांत पर आधारित है। इसमें वनों के प्रबंधन में स्थानीय लोगों और समुदायों को शामिल करके एक सहभागी दृष्टिकोण का विचार किया गया है। आपको सौंपे गए कार्यों को आप इन लोगों और समुदायों को सहभागी बनाए बगैर पूरा नहीं कर सकते।

आप जन सेवा के कार्य में शामिल हुए हैं और पर्यावरण तथा पारितंत्र की रक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्र में राष्ट्र के सेनानी है। अपना कर्तव्य निष्पक्ष होकर,बिना भय और ईमानदारी के साथ इस प्रकार निभाएं कि आपके कार्यों से राष्ट्र और आम नागरिकों को फायदा मिले।

भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। और हमने अपने लिए कड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं। आपको संरक्षण संबंधी जरूरतों और विकास की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना है। आपका काम समस्या उत्पन्न करना नहीं बल्कि समाधान प्रदान करना है।

वानिकी एक चुनौतीपूर्ण कार्यक्षेत्र है। इस पर अभी तक पुरुषों का ही आधिपत्य था परंतु अब इसमें बदलाव आ गया है। यह प्रसन्नता की बात है कि अधिक से अधिक महिला अधिकारी भारतीय वन सेवा में शामिल होने का फैसला कर रही हैं।

मुझे उम्मीद है कि महिला अधिकारी अपनी मेहनत और लगन द्वारा एक सार्थक परिवर्तन लाएंगी। महिला वन अधिकारियों द्वारा लैंगिक असंतुलन दूर होगा और आपके विभाग के काम काज को भी एक नया आयाम मिलेगा। यह देश के लिए एक स्वागत योग्य प्रगति है।

मैं आपके दीर्घ और संतोषजनक कैरियर की कामना करता हूं।

जय हिंद