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साइप्रस के ‘हाउस ऑफ रेप्रिजेंटेटिव्स’ में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का सम्बोधन

साइप्रस : 03.09.2018

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1. मित्रों के बीच आना हमेशा सुखदायी होता है। भारत, साइप्रस गणराज्य को केवल एक मित्र के रूप में नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में हमारे सबसे मजबूत सहयोगियों में से एक मानते हैं। इसीलिए आपके राष्ट्र की संसद को संबोधित करना मेरे लिए गर्व की बात है। इस निमंत्रण को मैं भारत के प्रति सम्मान और व्यक्तिगत तौर पर अपने लिए सौभाग्य का विषय मानता हूं।

2. इस भव्य इमारत में प्रवेश करते ही मेरा जिस प्रकार उत्साहपूर्ण स्वागत किया गया,उसने मुझे बहुत प्रभावित किया। मैं इस सम्मान के लिए प्रतिनिधि सदन के अध्यक्ष और सदन के सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं। कल दोपहर यहाँ आगमन के समय से ही, मेरे और मेरे प्रतिनिधिमंडल के भव्य स्वागत सत्कार के लिए मैं साइप्रस की जनता और राष्ट्रपति के नेतृत्व में संचालित साइप्रस की सरकार को धन्यवाद देता हूं।

3. साइप्रस की यह मेरी पहली यात्रा है। आपके देश की प्राकृतिक सुषमा और नैसर्गिक सुंदरता देखकर मैं चकित हूं। भूमध्य सागर के जल में कुछ तो ख़ास बात है और यहाँ की स्वच्छ हवा मन को बहुत शांति देती है। यहाँ पर सूरज की गुनगुनी धूप मुझे घर की याद दिलाती है। हमारे साझा जीवन-मूल्य जिनके प्रतीक इस सदन के साथ-साथ चहुँओर दिखाई देते हैं, मुझे भारत की याद दिलाते हैं।

4. ये जीवन-मूल्य और प्रतीक, दोनों देशों द्वारा अपनाए गए लोकतंत्र की गाथा के रूप में मौजूद हैं। ये, एक दूसरे के राष्ट्र-निर्माताओं के लिए परस्पर सम्मान में भी विद्यमान हैं। नई दिल्ली में, एक प्रमुख सड़क का नाम पूज्य आर्कबिशप मकारिओस के सम्मान में रखा गया है। यहां आने से ठीक पहले, मैंने निकटवर्ती पार्क में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित की। महात्मा गांधी केवल हमारे स्वतंत्रता आंदोलन और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के ही नेता नहीं थे बल्कि वे सर्वत्र ही वह उपनिवेशवाद-विरोधी संघर्षों और मानवीय गरिमा एवं स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रेरणा-स्रोत बने।

5. भारत के लोग, लगभग 50 साल पहले साइप्रस द्वारा महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के अवसर पर दो डाक टिकट जारी किए जाने की मधुर स्मृति संजोए हुए हैं। डाक-टिकट संग्रहकर्ताओं द्वारा दो टिकट अभी भी संभाल कर रखे गए हैं। यह सुखद संयोग है कि मेरी वर्तमान यात्रा 2 अक्टूबर से कुछ ही सप्ताह पहले हो रही है इसी वर्ष 2 अक्टूबर से हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का द्विवार्षिक समारोह आरम्भ करने जा रहे हैं। गांधीजी और आर्कबिशप मकारिओस जैसे महान व्यक्ति किसी एक देश के नहीं होते। वे मानवता की धरोहर होते हैं।

दोस्तो,

6. साइप्रस और भारत के बीच के संबंध बहुत पुराने तथा गहरे हैं और अपने में कई आयाम समेटे हुए हैं। प्राचीन सभ्यताओं के रूप में, हमारी पहली प्राथमिकता हमारे लोग हैं। साइप्रस और भारत के नागरिकों के बीच मजबूत संबंध हमारी द्विपक्षीय ऊर्जा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है। लोगों से लोगों के बीच संपर्क के माध्यम से, हम आर्थिक और व्यापारिक संबंध, शैक्षिक तथा बौद्धिक संबंध और लाभकारी द्विपक्षीय साझेदारी का निर्माण करते हैं। इसके साथ ही, हमारी साझा चिंताओं के मुद्दे और शांति, सुरक्षा तथा संप्रभुता के लिए हमारी परस्पर प्रतिबद्धता के मुद्दे भी हैं। इन सब के बल पर जब हम बहुपक्षीय और वैश्विक मामलों तक पहुंचते हैं, तो वहां निस्संदेह हम दोनों एक ही पाले में खड़े होते हैं। शायद ही कोई ऐसा बड़ा मुद्दा हो जहाँ साइप्रस और भारत एक दूसरे से असहमत हों।

7. भारत का महत्वाकांक्षी अभियान अपने समाज के सभी वर्गों तक विकास के लाभ पहुंचाते हुए, आर्थिक वृद्धि और आधुनिकीकरण करना है। विश्वसनीय सहभागी और भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक होने के नाते,साइप्रस, इस प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण है। भारत एक परिवर्तनकारी दौर में है और अपने यहां आकर्षक व्यावसायिक अवसर उपलब्ध करा रहा है। नई दिल्ली से मेरे प्रस्थान से ठीक पहले जारी आंकड़ों में बताया गया है कि पिछली तिमाही में भारत की जीडीपी 8.2 प्रतिशत की तीव्र दर से बढ़ी है। यह बढ़ोत्तरी, पिछले कुछ वर्षों में हुए उच्च विकास की प्रवृत्ति का हिस्सा है। इससे भारत, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

8. भारत को निवेश के लिए दुनिया के सर्वाधिक पसंदीदा स्थलों में से एक, प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप का प्रमुख केन्द्र और व्यापार का सुगम स्थान बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रतिबद्ध प्रयासों तथा नीतिगत पहलों के कारण यह संभव हुआ है। विश्व बैंक की ‘डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018’ में भारत की रैंकिंग में एक वर्ष में 30 स्थान ऊपर आने का उल्लेख है। यह किसी भी राष्ट्र द्वारा की गई सर्वाधिक तेज प्रगति है। ‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ में, भारत ने 2015 में 81वें स्थान से 2018 में 57वें स्थान पर आकर- पिछले तीन वर्षों में 24 स्थानों की छलांग लगाई है।

9. भारत की व्यापक विनिर्माण और व्यापारिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कर सुधारों से और इसके विशाल घरेलू बाजार से भी मदद मिली है। ‘वस्तु एवं सेवा कर’ के कार्यान्वयन से हमारे सभी 29 राज्यों में एक-समान,सरलतर और डिजिटल रूप से सक्षम कर व्यवस्था लागू हो पायी है। इससे व्यापार प्रणाली के क्षेत्र में देश एकीकृत हो गया है। यह एक ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसकी तुलना यूरोपीय संघ को ‘समान राजकोषीय ढांचे’ में लाने वाली घटना से की जा सकती है। इसके अलावा भी अन्य उपाय किए गए हैं। ‘इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड’ के लागू होने से ‘अच्छा प्रदर्शन न करने वाले व्यवसायों’के लिए व्यवसाय से बाहर निकलना आसान हो गया है। भारत ‘स्वच्छ अर्थव्यवस्था’ बनाने के लिए भी प्रयासरत है। यह समस्या घरेलू भी है और वैश्विक भी। इस संदर्भ में, भारत की ‘वित्तीय खुफिया इकाई’ और साइप्रस की ‘यूनिट फॉर कॉम्बेटिंग’ मनी लॉन्ड्रिंग के बीच आज किए गए समझौते, दोनों देशों के लिए उपयोगी होंगे।

10. देश में विशाल परिव्यय और आकर्षक तथा व्यवहार्य परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। जैसे कि-‘डिजिटल इंडिया मिशन’ ग्रामीण भारत के भीतरी इलाकों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंच रही हैं; ‘स्मार्ट शहर मिशन’,जिससे शहरी पुननिर्माण का लक्ष्य है;और बिजली तथा ऊर्जा,राजमार्गों एवं बंदरगाहों और जहाजरानी जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों की परियोजनाएं। भारत पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहा है,जिसमें वीजा प्रावधानों को आसान बनाने और पर्यटन अवसंरचना तथा सुविधाओं को बढ़ावा देना भी शामिल है।

11. इन सभी क्षेत्रों में,हम साइप्रस से भागीदारी के लिए तत्पर हैं। निवेशकों के रूप में या हितधारकों के रूप में खरीददारों के रूप में या विक्रेताओं के रूप में, विशेषज्ञों के रूप में और बड़े-बड़े ब्रांडों तथा कौशलों के रूप में - किसी भी रूप में आपका सदैव स्वागत है। भारत व्यापार के लिए खुला है - और भारत साइप्रस के स्वागत के लिए तैयार है। जरुर आइए,और जितनी जल्दी हो सके, आइए।

देवियो और सज्जनो

12. महात्मा गांधी प्रायः कहा करते थे कि भारत के गांव एक सुव्यवस्थित,एकीकृत इकाई के रूप में काम करते हैं,जहाँ हर व्यक्ति, हर परिवार,परस्पर जुड़ी हुए श्रृंखला का हिस्सा होता है और एक-दूसरे की समृद्धि के साथ-साथ पूरे समाज की समृद्धि में योगदान देता है। यह सोच भारत की प्राचीन परंपराओं में निहित है। इन बीते वर्षों में, और हमारे सभी प्रयासों में,इसी सोच से भारत को प्रेरणा मिलती रही है। जब हम भारत के बारे में सोचते हैं और जब हम भारत के हित में कार्य करते हैं, तो हमारा प्रयास, हमारी सोच और हमारा कार्य पूरी दुनिया के लिए होता है। हमारा दृढ़ विचार है कि वैश्विक गाँव भी एकीकृत इकाई है,जहाँ हर व्यक्ति,हर राष्ट्र,आपस में जुड़ी हुए श्रृंखला का हिस्सा है और एक दूसरे की समृद्धि में योगदान करता है।

13. मैं आपको दो उदाहरण दूंगा। पहला उदाहरण यह कि, भारतीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं और कंपनियों ने औषध निर्माण में प्रभावशाली क्षमता विकसित की है। फिर भी, हम इसे केवल व्यवसाय के रूप में नहीं देखते हैं। इसे व्यवहार्य उद्योग के रूप में विकसित करते हुए भी, हम इसे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में हमारे योगदान के तौर पर भी देखते हैं। उच्च गुणवत्ता वाली भारतीय जेनरिक औषधियों और टीकों से इनकी कीमतों में कमी आई है, स्वास्थ्य चर्चा की लागत कम हुई है और दुनिया भर में सभी समुदायों को इससे मदद मिली है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें साइप्रस के साथ अपने अनुभवों और क्षमताओं को साझा करके हमें खुशी होगी।

14. दूसरा उदाहरण यह है कि इस वर्ष की शुरुआत में भारत ने ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की सह-स्थापना और इसके उद्घाटन सम्मेलन की मेजबानी की। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का सचिवालय भारत में है और यह संस्थान, जलवायु परिवर्तन से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों और प्रौद्योगिकियों को जुटाने के भारत के प्रयास के केन्द्र में है। नवीकरणीय ऊर्जा की संभावनाएं अपार हैं और बढ़ते तापमान तथा समुद्रों के बढ़ते जल स्तर की रोकथाम के लिए यह ऊर्जा महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। भौगोलिक रूप से दोनों देशों में इसलिए लंबी-लंबी तटरेखाएं हैं और पर्याप्त धूप होती है, साइप्रस और भारत सौर-ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत कुछ कर सकते हैं। हम आपको अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन परिवार का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हैं।

15. जिम्मेदार राष्ट्र-राज्य होने के नाते,साइप्रस और भारत-दोनों अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में व्याप्त चुनौतियों के प्रति सजग हैं। प्राचीन सभ्यताओं के रूप में,हम सदियों से मुक्त समाज और व्यापारिक अर्थव्यवस्था वाले देश रहे हैं। व्यापार के लिए,हमारे समुद्री नौवहन के लिए और वैश्विक समुद्री साझा संपदा के लिए तथा अन्य क्षेत्रों में नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय कानून की निरंतर प्रासंगिकता,हमारे लिए आस्था का विषय रही है। राष्ट्रीय संप्रभुता को महत्व और कट्टरता तथा आतंकवाद को परास्त करने की मौलिक आवश्यकता हम दोनों ही महसूस करते हैं। इस संबंध में,भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कांप्रिहेंसिव कन्वेंशन को अंतिम रूप देने का अनुरोध किया है और इस प्रयास में हमें आपके समर्थन का भरोसा है। मैं एक विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साथ-साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की उम्मीदवारी के उदारता पूर्वक समर्थन के लिए भी साइप्रस को धन्यवाद देना चाहूंगा।

सदन के सदस्यो,

16. हमारे देशों के बीच अक्सर यात्राओं और परिचर्चाओं का आदान-प्रदान होता रहता है और हमें इनका इंतज़ार भी रहता है। मैं साइप्रस का दौरा करने वाला भारत का चौथा राष्ट्रपति हूं;और केवल एक वर्ष पहले साइप्रस के राष्ट्रपति ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से हमें गौरवान्वित किया था। कूटनीति के लिहाज से दो देशों के राष्ट्रपतियों का एक-एक वर्ष में एक दूसरे देश की यात्रा पर आना कोई आम बात नहीं है। लेकिन ऐसा होना इस बात का सूचक है कि हमारे संबंध कितने खास हैं। हमारे संसद सदस्यों के बीच भी एक-दूसरे से मिलने और लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने तथा विकास पर विचार साझा करने की परंपरा रही है। मैं इसकी सराहना करता हूं और आप सभी को भारत आने के लिए आमंत्रित करता हूं। हमें भी अपने सत्कार और स्वागत का अवसर प्रदान करें जैसा कि आपने मेरा और मेरे प्रतिनिधिमंडल का - तथा हमारे माध्यम से भारत के लोगों का उदारतापूर्वक अतिथि-सत्कार किया है।

17. इन्हीं शब्दों के साथ,मैं एक बार फिर इस सदन को संबोधित करने का अवसर देने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। मैं आप सभी को, और साइप्रस के लोगों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद!