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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज (एम्स), ऋषिकेश के प्रथम दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

ऋषिकेश : 03.11.2018

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1. आज इस प्रतिष्ठित संस्थान सेउपाधि प्राप्त करने वाले सभी मेडिकल और नर्सिंग स्टूडेंट्स को मैं हार्दिक बधाई देता हूं। इस अवसर पर मैं सभी शिक्षकों, अभिभावकों एवं परिवारजनों को भी बधाई देता हूं जिनके मार्गदर्शन एवं त्याग के बल पर ही आज आप सबने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल किया है।

देवियों और सज्जनों

2. हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड, जिसे देव-भूमि भी कहा जाता है, शिक्षा और स्वास्थ्य, दोनों ही दृष्टि से,सदैव आकर्षण का केंद्र रहा है। प्राचीन काल से ही, यहाँ अध्यात्म और योग के पीठ स्थापित होते रहे हैं। आज भी ऋषिकेश, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, योग और अध्यात्म के एक बहुत बड़े केंद्र के रूप में सुप्रसिद्ध है। गांधी जी ने इस क्षेत्र की जलवायु से प्रभावित होकर कहा था कि‘न जाने क्यों लोग स्वास्थ्य लाभ करने यूरोप जाया करते हैं?’मैं भी मानता हूँ कि यदि हम इस क्षेत्र का सही विकास करें तो शायद यूरोप और पूरी दुनियाँ से लोग स्वास्थ्य लाभ करने यहाँ आया करेंगे। उत्तराखंड में, nature tourism और adventure tourism के साथ-साथ, medical tourism का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने की, पर्याप्त क्षमता मौजूद है।

3. रामायण की कथा-परंपरा में उत्तराखंड, संजीवनी बूटी का क्षेत्र है। यहाँ औषधिगुणों से सम्पन्न वनस्पतियों की प्रचुर संपदा है। नई टेक्नोलोजी की सहायता से योग, सिद्ध, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ विकसित करते हुए यहाँ‘holistic healing’ की विश्व-स्तर की सुविधाएं और भी व्यापक स्तर पर स्थापित करने की अपार संभावना है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यहाँ, ‘एम्स’ ऋषिकेश में, ‘आयुष’ चिकित्सा-व्यवस्था भी उपलब्ध है।

4. दूरदराज़ के क्षेत्रों से ट्रामा-पेशेंट्स को यहाँ लाने के लिए एयर एंबुलेंस और हेलीपैड की सुविधा,बहुत ही उपयोगी पहल है। मुझे विश्वास है कि‘एम्स’ ऋषिकेश द्वारा, इस पहाड़ी क्षेत्र के दुर्गम स्थानों से मरीजों को यहाँ लाकर, समय से, प्रभावी स्वास्थ्य सेवा, उपलब्ध कराई जा सकेगी।

5. मुझे यह बताया गया है कि‘आयुष्मान भारत’योजना की स्वास्थ्य कल्याण योजनाओं का लाभ, उत्तराखंड और आस-पास के क्षेत्र के लगभग पचास लाख परिवारों को पहुंचाया जा सकेगा। मुझेयह भी बताया गया है कि‘एम्स’ऋषिकेश ने‘आयुष्मान भारत’के तहत स्वास्थ्य कल्याण सेवाएँ शुरू कर दी हैं। कमजोर वर्गों के लोगों पर इलाज का आर्थिक बोझ कम करने वाली इस योजना को सक्रिय योगदान देने के लिए, मैं आप सबकी सराहना करता हूँ।

प्यारे विद्यार्थियों

6. भारत में,चिकित्सा और अनुसंधान के क्षेत्र में‘एम्स’,उत्कृष्टता का प्रतीक माना जाता है।स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से अंडर-सर्व्ड क्षेत्रों में, ‘एम्स’ की स्थापना करने से, मरीजों के लिए उच्च-स्तरीय चिकित्सा को accessible और affordable बनाने में बहुत मदद मिलती है।साथ-ही-साथ, चिकित्सा-अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे,देश के अनेक क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर ऊपर उठेगा तथा महानगरों के गिने-चुने प्रसिद्ध अस्पतालों पर मरीजों की भारी संख्या का दबाव भी कम होगा। इन सब कार्यों में आप सभी डाक्टरों और नर्सों की विशेष भूमिका होगी। जरूरत है,आप सबको अपनी विशेष भूमिका सदैव याद रखने की।

7. ‘एम्स’ ऋषिकेशको केवल एक अच्छे अस्पताल ही नहीं, बल्कि एक प्रभावीअनुसंधानकेंद्र के रूप में भी आगे बढ़ना है। मैं आशा करता हूँ कि ‘एम्स’ ऋषिकेश में अनेक super-specialty centres विकसित हो जाएंगे जिससे इस क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों के लोग भी यहाँ इलाज के लिए आएंगे।

8. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यहाँ अनुसंधानकार्य कोभी विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।आप सभी डॉक्टरों को,यहाँ की स्थानीय स्वास्थ्य-समस्याओं से जुड़े विषयों पर भी अनुसंधान करना चाहिए। उत्तराखंड में,धूप की कमी और खान-पान से जुड़ी ओस्टियो-पोरोसिस और अनीमिया जैसी बीमारियाँ, महिलाओं को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। ऐसी स्थानीय समस्याओं से जुड़े अनुसंधान,अधिक मौलिक और उपयोगी सिद्ध होते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि यहाँ के शिक्षक और विद्यार्थी,विश्व-स्तर के अनुसंधान करेंगे, तथा भारत के हेल्थ-केयर-सेक्टर को, लाभान्वित और गौरवान्वित करेंगे।

9. यह आज की सामान्य जीवन-शैली की विडम्बना ही है, कि उत्तराखंड की इतनी अच्छी आबो-हवा के बावजूद, अब यहाँ भी High Blood Pressure और Diabetes जैसी life style diseases बढ़ने लगी हैं। मैं आशा करता हूँ कि prevention is better than cure, इस कथन को चरितार्थ करते हुए, ‘एम्स’ ऋषिकेश की टीमके आप सभी सदस्ययहाँ के लोगों में जागरूकताफैलाएंगे और ऐसी बीमारियों की रोकथाम में अपना योगदान देंगे।

10. ‘एम्स’ऋषिकेश इस पूरे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ‘चेंज-एजेन्ट’की भूमिका निभा सकता है। हर जिला मुख्यालय पर AIIMS जैसी संस्था स्थापित करना संभव नहीं है, लेकिन गाँव और ब्लॉक तथा जिला और मण्डल स्तर पर संचालित स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों और अस्पतालों के डॉक्टरों और नर्सों की capacity building , ‘एम्स’ऋषिकेश की टीम द्वारा की जा सकती है। साथ ही, निरंतर बेहतर होती हुई information और communication technology की सुविधाओं के बल पर, tele-medicine और tele-surgery के व्यापक स्तर पर उपयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है। इस प्रकार आधुनिक technology का उपयोग करके सुदूर और दुर्गम इलाकों के लोगों तक‘एम्स’की क्षमता का लाभ पहुंचाया जा सकेगा, उन्हें उसी प्रकार की चिकित्सा प्रदान की जा सकती है जो शहरों में उपलब्ध है।

11. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि, एक ही तरह के symptoms की जांच और इलाज के लिए, एक छोटे कस्बे के अस्पताल में, जिला अस्पताल में, बड़े सरकारी अस्पताल में या फिर प्राइवेट अस्पताल में अलग-अलग तरह के टेस्ट होते हैं। कहीं सिर्फ एक या दो टेस्ट किए जाते हैं, तो कहीं बहुत से diagnostic tests कराए जाते हैं। इन कारणों से,या तो बहुत से मरीजों की बीमारी की ठीक से डाइग्नोसिस नहीं हो पाती है, या फिर, अनेक मरीजों को ऐसी दवाएं दे दी जाती हैं, जिनका उनके इलाज से कोई संबंध नहीं होता है। आज e-connectivity की वजह से यह संभव हो गया है कि एक standard protocol बनाया जाए, जिसके अनुसार हर डॉक्टर उपचार करे, चाहे वह किसी छोटे कस्बे में हो, या सिविल अस्पताल अथवा निजी या सरकारी बड़े अस्पताल में हो।इससे सभी मरीजों, खासकर ग़रीब मरीजों को, अनावश्यक जांच और इलाज के दबाव से मुक्ति मिलेगी और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य-सेवा प्राप्त हो सकेगी।केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर, इस समस्या और इसके समाधान के सभी पहलुओं पर विचार करके, आगे बढ़ने की जरूरत है।

12. देश के कोने-कोने में,और सभी वर्गों तक, समुचित स्वास्थ्य सेवाएँ पहुंचाने के लिए,आज पूरे देश में, युद्ध स्तर पर, अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनके लिए मैं केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री नड्डा जीकी, और उनकी पूरी टीम की, सराहना करता हूँ। मुझे प्रसन्नता है कि उत्तराखंड को श्रीमती बेबी रानी मौर्य जैसी संवेदनशील राज्यपाल का मार्गदर्शन उपलब्ध है। साथ ही, राज्य के विकास को कुशल नेतृत्व देने के लिए मैं मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावतकी भी सराहना करता हूँ।

प्यारे विद्यार्थियों

13. अब आप एक डिग्री होल्डर के रूप में, मरीजों की सेवा के नोबल प्रोफेशन में, अपनी सेवा की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस सेवा में, आपके मरीज को जितना सहारा आपके ट्रीटमेंट से मिलेगा उतना ही, या शायद उससे भी अधिक, राहत आपके consolation और counselling से मिलेगी। आपके पास आने वाला मरीज केवल एक medical case नहीं होता है। वह बीमारी से कमजोर और परेशान, आशंका और उम्मीद के बीच, चिंता की मनोदशा में उलझा हुआ एक इंसान होता है। उसे केवल-और-केवल medical treatment ही नहीं, बल्कि आपके प्रोत्साहन की भी जरूरत होती है। ऐसे में, आपकी भूमिका, केवल एक competent doctor की ही नहीं, बल्कि एक compassionate healer की भी होनी चाहिए। इस सोच के साथ, आप मरीजों का विश्वास जीत पाएंगे, बेहतर उपचार कर पाएंगे, और एक डॉक्टर के रूप में अधिकसम्मान और सफलता प्राप्त करेंगे। साथ ही, मैं समझता हूँ कि, जो डॉक्टर मरीज के लिए संवेदनशीलता और अपनेपन का भाव रखते हैं उनका professional ethics और भी अधिक मजबूत रहता है।

14. अब आप सब उस महत्वपूर्ण समुदाय के सदस्य हो गए हैं,जिसके योगदान के बल पर, हम‘स्वस्थ भारत’के राष्ट्रीय लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। मैं चाहूँगा कि, गरीबी और बीमारी जैसे शत्रुओं से लड़ रहे भारतवासियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, आप सभी युवा डॉक्टर और नर्स, उसी जोश और उत्साह के साथ स्वयं को समर्पित करेंगे, जैसे, सीमाओं पर देश की रक्षा के लिए, हमारी सेना के जवान किया करते हैं। सभी देशवासियों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ पहुंचाने के इस अभियान में, आप की भूमिका, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य-सेनानियों की है।

15. आज के इस समारोह में सभी स्वर्ण पदक बेटियों ने प्राप्त किए हैं। यह‘एम्स’ऋषिकेश की एक शानदार उपलब्धि है। इसी सप्ताह, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, टांडा, के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लेने का अवसर मुझे मिला। आप सबको यह बताते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि कांगड़ा के मेडिकल कॉलेज में, आठ में से सात स्वर्ण पदक बेटियों ने ही जीते हैं। संयोग से, वहाँ का और आपका, दोनों मेडिकल संस्थान पर्वतीय प्रदेशों में स्थित हैं। बेटियों का बढ़ता हुआ वर्चस्व, एक बहुत ही अच्छा बदलाव है, जिसके लिए इन बेटियों की जितनी भी तारीफ की जाए, वह कम है। इन बेटियों की सफलता में, मुझे विकसित भारत व भारतीय समाज की, झलक दिखाई देती है।

16. मैं एक बार फिर, आप सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूं तथा पदक विजेताओं की विशेष सराहना करता हूँ।साथ ही, सभी विद्यार्थियों को मैं आशीर्वाद देता हूँ किआप सब पूरी निष्ठा के साथ अपना सेवा-धर्म निभाते हुए, सफलता और सम्मान के बहुत ऊंचे मुकाम हासिल करें।

धन्यवाद

जय हिन्द!