साइप्रस विश्वविद्यालय में 'यूथ टेक्नोलॉजी एंड आइडियाज: शेपिंग द कंटूर्स ऑफ द ट्विन्टी फर्स्ट सेंचुरी' विषय पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
साइप्रस : 04.09.2018
1 .मुझे आपसे मिलने और सभी राष्ट्रों के युवाओं के भविष्य पर विचार व्यक्त करने के लिए साइप्रस विश्वविद्यालय में आकर खुशी हुई है। मैं पहली बार साइप्रस आया हूं और साइप्रस-वासियों की सद्भावना से अभिभूत हूं। हमारे दोनों देशों के संबंध बहुत ही विशेष हैं और हम बहुत ही खुशी और गर्व के साथ इस मैत्री पर उल्लास का अनुभव करते हैं।
2. आपके प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ने शैक्षिक उत्कृष्टता की प्राप्ति में और एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में साइप्रस की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नोबेल विजेता क्रिस्टोफर पिसाराइडस के कार्य तथा इस कैंपस में किए जा रहे अग्रणी अनुसंधान वास्तव में प्रेरणादायी हैं।
3. हम तेजी से विकसित हो रही दुनिया में रह रहे हैं। आने वाले दशक में और उससे आगे हम जो बदलाव देखने की उम्मीद रखते हैं मानव इतिहास में वह अभूतपूर्व होगी। प्रौद्योगिकी,स्टार्ट-अप,नवाचार,नए विचार,डिजिटल असिस्टेंट्स,स्वच्छ ऊर्जा और पास्ता स्ट्रा की दुनिया हमारे दैनिक जीवन को एक अविश्वसनीय तरीके से बदल देगी। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण शायद इतिहास में पहली बार युवा वर्ग इतने बड़े पैमाने पर सीधे व्यापक परिवर्तन लाने में शामिल है। यह सही है कि हमारी औद्योगिक क्रांति में हमारे युवाओं ने भाग लिया था परंतु आज हम जो देख रहे हैं उससे उनकी उस समय की ऊर्जा और जुड़ाव की तुलना नहीं की जा सकती।
4. इन बातों में कोई सह संबंध है या फिर यह मात्र संयोग ही है कि आबादी का आधा हिस्सा30साल से कम उम्र का है, और हम युवा नेताओं के नेतृत्व में डिजिटल क्रांति के साक्षी बन रहे हैं?अभी इस प्रश्न को भविष्य के लिए यहीं छोड़ देते हैं। युवा लोग स्वभाव से खुले मन के होते हैं और हमेशा नई स्थिति के साथ प्रयोग करने के लिए तत्पर रहते हैं। समूची दुनिया में उन्होंने प्रौद्योगिकी को अपनाया है और वे डिजिटल क्रांति के प्रमुख वाहक हैं। ये बदलाव हमारे युवाओं के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं परंतु अनेक चुनौतियां भी प्रस्तुत कर रहे हैं। चूंकि आज हम विद्यार्थियों के बीच हैं, इसलिए हमें गौर करना चाहिए कि केवल शिक्षा के ही क्षेत्र में इन घटनाक्रमों से किस प्रकार का प्रभाव दिखाई दे रहा है।
5. आज शिक्षा के लिए उपलब्ध साधन कई गुना बढ़ गए हैं। डिजिटल कक्षाओं से शिक्षण और अधिक समावेशी और अंतर-क्रियात्मक बन गया है। भिन्न-भिन्न महाद्वीपों में बैठे विद्यार्थी एक ही कक्षा से जुड़े होते हैं। शिक्षा में शामिल विचारों और संस्कृतियों का ग्रहण क्षेत्र कई गुना बढ़ गया है। स्पष्ट तौर पर, समस्याओं को सुलझाने में अब अधिक कल्पनाशीलता, चिन्तन और भागीदारी का बोलबाला हो रहा है। आज रसायन शास्त्र केवल पुस्तकों से ही नहीं बल्कि ध्वनियों, दृश्यों और डिजिटल प्रयोगों से पढ़ाया जा रहा है। ई-बुक और शिक्षण अनुप्रयोगों ने नए-नए रूप धारण कर लिए हैं। मैं जानता हूं कि आप इस विश्वविद्यालय में ऊर्जा और समुद्र पर उन्नत शोध में जुड़े हुए हैं। अपने सहकर्मियों से बातचीत करने से आपको पता लगेगा कि सहयोग की नई दुनिया से किस प्रकार उनके कामों में सहायक हो रही है।
6. वास्तव में, प्रौद्योगिकी ने शिक्षण की एक नई दुनिया खोल दी है और इसमें हमारे कार्यों को पूरा करना आसान बना दिया है। हालांकि, प्रौद्योगिकी की त्वरित प्रकृति से किसी को अपना विवेक नहीं खोना चाहिए। तुरंत पारितोष प्राप्त होने की अपेक्षा छोड़कर आपको मेहनत से काम जारी रखना चाहिए। उत्कृष्टता प्राप्त करना ही महत्वपूर्ण कारक होना चाहिए जो भावी पीढि़यों के मन में बसा हो।
7. डिजिटल प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि चौथी औद्योगिक क्रांति में हमारे लिए क्या छिपा है। मेरे विचार से यह क्रांति विकास और प्रगति की एक बड़ी शक्ति होगी। यह सही है कि इससे पारंपरिक रोजगार में व्यवधान आएगा परंतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीवन विज्ञान और ऊर्जा प्रबंधन में हुई उन्नति से रोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, रोबोटिक्स और डेटा एनालिटिक्स से न केवल कारोबार प्रक्रियाओं, मानव स्वास्थ्य, सार्वजनिक आवागमन पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि इनका असर डेयरी उत्पादन, कृषि उत्पादकता और वन संरक्षण पर भी होगा।
8. एक समूची नई दुनिया हमारी प्रतीक्षा कर रही है। ये बदलाव सामाजिक क्षेत्रों को भी प्रभावित करेंगे। हमें इन दबावों से परंपरागत सामाजिक ढांचे और परिवार की रक्षा करनी होगी। एक ओर, अभी तक के हमारे अनुभव सकारात्मक रहे हैं। प्रौद्योगिकी विकास ने विद्यार्थियों को नए युग का शिक्षक बना दिया है। वे पुरानी पीढ़ी को एप्स डाउनलोड करने और नए युग के उत्पादों की सुविधा का आनंद उठाना सिखा रहे हैं।
प्यारे विद्यार्थियो,
9. एक ज्ञान आधारित समाज की दिशा में अग्रसर होते हुए हमें कौशल निर्माण और पुन:प्रशिक्षण को अपने नीति निर्माण और कारोबार विकास का केंद्र बनाना होगा। भारत में हमने अगले कुछ वर्षों में150मिलियन लोगों को कौशल प्रदान करने का एक व्यापक कार्यक्रम आरंभ किया है।
10. हम अपने शैक्षिक संस्थानों द्वारा वैश्विक मानदंड प्राप्त करने पर भी ध्यान दे रहे हैं। हाल ही में छह शैक्षिक संस्थानों को विश्व स्तरीय अध्यापन और शोध केंद्र बनाने में मदद के लिए उन्हें'इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस'का दर्जा दिया गया है। भारत में प्रतिवर्ष 4000 से अधिक डॉक्टरेट उपाधि प्रदान की जाती है और इस प्रकार विश्व में तीसरी विशालतम वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति वहां मौजूद है। वर्ष 2016 के 61 के मुकाबले भारतीय स्टार्ट-अप पेटेंट की संख्या 2017 में 15 गुना बढ़कर 909 हो गई है।
11. बदलती हुई दुनिया में वैश्विक समुदाय के व्यापक सहयोग की जरूरत महसूस की जा रही है। यदि भारत के पर्वतीय समुदायों को साइप्रस की ग्रामीण लोगों को या अफ्रीका के रेगिस्तानी शहरों को पीछे छोड़ दिया जाए तो अपने महत्व के बावजूद, डिजिटल क्लासरूम से सभी को शिक्षा दिया जाना मुश्किल हो सकता है। प्रौद्योगिकी की दुनिया में और आगे बढ़ते हुए हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सुपरिणामों तक समुदायों और देशों की पहुंच के लिए उन्मुक्त संसाधन मंच पैदा करने चाहिए। प्रौद्योगिकियों के विकास और उन्हें लागू करने के लिए सुगमता,समानता और समावेशन पर प्रमुखता से ध्यान दिया जाना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
12. इस संदर्भ में भारतीय अनुभव प्रासंगिक हैं। डिजिटल सुगमता के माध्यम से सशक्तिकरण एक ऐसा उद्देश्य है जिसके प्रति भारत सरकार वचनबद्ध है। डिजिटल इंडिया विश्व का विशालतम प्रौद्योगिकी-संचालित रूपांतरकारी कार्यक्रम है जो हमारे नागरिकों के लिए जन सेवाओं को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। मैं आपको इस आशय के कुछ उदाहरण देना चाहूंगा कि किस प्रकार डिजिटल टेक्नोलॉजी भारत में‘जीवन की सुगमता’ के लिए इतना अधिक सुविधाजनक बन रही है:
·आज कोई किसान केवल बटन दबाकर मौसम और वर्षा की जानकारी प्राप्त कर सकता है और उसके अनुसार अपनी फसल के विकल्प तय कर सकता है। इसलिए डिजिटल टेक्नोलॉजी किसानों की आय बढ़ाने में योगदान दे रही है।
·कोई लघु उद्यमी भी गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस पर पंजीकरण कर सकता है और वस्तुओं की आपूर्ति के लिए स्पर्धात्मक बोली लगा सकता है। इससे सार्वजनिक धन की दक्षता और सरकारी धन की मूल्यवत्ता में वृद्धि होगी।
·हमारे विद्यार्थी नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी सेवाओं का लाभ उठाते हैं। इससे उन्हें अपने प्रमाण-पत्र और अवार्ड आसानी से सुलभ हो जाते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया इससे आसान हो गई है।
13. और ऐसा भी नहीं है कि हमने इन प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्मों को केवल अपने लिए ही विकसित किया हो। हम उनके साथ भी इन्हें साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है जिन्हें इनकी जरूरत है। इस प्रयास में हमारा पथ प्रदर्शन, युगों पुराने हमारे दर्शन 'वसुधैव कुटुंबकम', जिसका अर्थ है, संपूर्ण विश्व एक परिवार है,से होता है। हम अपनी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को मेडागास्कर के ग्रामीण विकास के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं और टेलीमेडिसिन के फायदों को विश्व के बहुत से हिस्सों में पहुंचा रहे हैं।
14. ऊपर इस खुले आकाश की तरह हमारे समुद्रों की गहराई में भी बहुत अधिक उम्मीदें छिपी हुई हैं। समुद्री अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने हमारे पास असीम संभावनाएं हैं। साइप्रस सदियों से समुद्री यात्रा करने वालों का राष्ट्र रहा है। अब समय आ गया है कि हम विज्ञान, सातव्य और खाद्य पदार्थों के लिए अपने महासागरों और उनकी गहराइयों को खोजें।
15. अब तक मैंने हमारे समक्ष उपलब्ध अवसरों के बारे में चर्चा की है। अब मैं कुछ चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगा। जैसा कि मैंने पहले कहा था कि विश्व की आधी से ज्यादा आबादी30 वर्ष से कम आयु की है। भारत में हमारी 65% आबादी35 वर्ष से कम आयु की है। इस जनसांख्यिकीय प्रवृत्ति को देखते हुए हमें सतत विकास की जरूरत है ताकि हमारे युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार उपलब्ध हों। इसलिए,वैश्विक विकास वाहकों को तेजी से आगे बढ़ते रहना होगा तथा व्यापार,वित्त का उन्मुक्त प्रवाह तथा उद्देश्यपूर्ण प्रौद्योगिकी सहयोग में बढ़ोत्तरी ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों की कसौटी बननी चाहिए।
16. आपके लिए इससे भी बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय प्रबंधन की है। वर्तमान पीढ़ी के लिए यह चुनौती मौसम पद्धति में बदलाव, त्वरित बाढ़ और जंगल की आग से निपटने की है। भावी पीढ़ियों के लिए यह कठिनाई कहीं अधिक गंभीर हो सकती है। समस्या ऐसी नहीं है जिसे परास्त नहीं किया जा सके। विकास के साथ सातव्य का ध्यान रखकर वनों को संरक्षित करके,पारिस्थितिकीय सम्मान करके और स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को अपनाने से,हम जलवायु परिवर्तन से निपट सकते हैं। इसी दिशा में कार्य करते हुए भारत, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से आगे आया है। दो प्राचीन संस्कृतियों के रूप में,भारत और साइप्रस का सदियों से प्रकृति के साथ सामंजस्य रखते रहे हैं। यह समय हमारे लिए अपने आधुनिक जीवन में सतत प्रक्रियाओं को अपनाने का है। अतीत के ज्ञान के साथ नवीन प्रौद्योगिकी को जोड़ने से हमारी कई पारिस्थितिकीय समस्याओं को हल किया जा सकता है।
17. बिग डेटा की दुनिया के अपने सुरक्षा जोखिम भी हैं। जब हम अपनी अर्थव्यवस्था,अपने स्वास्थ्य और अपनी शिक्षा को ऑनलाइन करते हैं तो हम इसमें कोई भी कमजोरी नहीं छोड़ सकते। आने वाले समय में साइबर सुरक्षा से निपटने के लिए मैं और अधिक सक्रिय वैश्विक सहयोग और समन्वय की उम्मीद करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
18. हमारे दोनों देशों में एक दूसरे के नेताओं के प्रति अगाध सम्मान है।हम भारत में आर्चबिशप मकारियोस के प्रति गहरे सम्मान का भाव रखते हैं। उन्होंने आपको स्वतंत्रता दिलाई और हमें गौरवान्वित किया। हम एक महीने से भी कम समय में यानी 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने की शुरुआत करने जा रहे हैं। अपने लिए और दूसरों के लिए एक बेहतर दुनिया के निर्माण के प्रयास में शांति,करुणा और न्याय का उनका संदेश हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा। मैं शीघ्र ही आपके परिसर में हमारे महाकवि रवींद्रनाथ टैगोर की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण करूंगा। मैं उनके एक कथन द्वारा अपना संबोधन समाप्त करता हूं, उन्होंने कहा था, 'सर्वोच्च शिक्षा वह है जो हमें केवल ज्ञान ही नहीं देती बल्कि समस्त चर-अचर जगत के साथ साहचर्य सिखाती है।'प्रौद्योगिकी की नई दुनिया और पर्यावरणीय कार्रवाई के बीच संतुलन तलाश करने की हमारी कोशिश में ये बुद्धिमत्तापूर्ण शब्द आज और भी प्रासंगिक हो गए हैं।
19. आपके साथ अपने विचार साझा करने का अवसर देने के लिए मैं एक बार फिर साइप्रस विश्वविद्यालय का धन्यवाद करता हूं। साइप्रस के युवा इस देश के भावी नेता हैं। आप तरक्की करते रहें और अपने राष्ट्र को नए शिखर पर ले जाएं।मैं आपके करियर में आपकी सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।