सामुदायिक स्वागत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
अदीस अबाबा : 04.10.2017
इथियोपिया के भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ मिलना मेरा सौभाग्य है। इतनी गर्मजोशी और प्यार के साथ मेरा स्वागत करने के लिए आपका धन्यवाद।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में भारत के बाहर यह मेरी पहली यात्रा है और इस देश में भारत के लिए असाधारण सद्भावना, प्रेम और अपनेपन से मैं अभिभूत हो गया हूं।
पूरे विश्व में निवास कर रहे हमारे समुदाय ने हमारे विश्व संबंधों के निर्माण में योगदान दिया है। यह बात आपके मामले में भी और भी ज्यादा सच है। आप लोग भारत-इथियोपिया संबंधों के मूल में रहे हैं।
शिक्षकों और शिक्षाविदों के रूप में, आपने अपने मेज़बान देश के निर्माण में मदद की है। उद्यमियों के रूप में, अपने स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसर पैदा किए हैं और उन्हें कौशल प्रदान किए हैं। तकनीकी पेशेवरों और कामगारों के रूप में आपने इथियोपियाई उद्योग में ज्ञान-मूल्य और विशेषज्ञता में वृद्धि की है।
हमारा सम-सामयिक जनता के स्तर पर परस्पर संपर्क, भारत-इथियोपिया संबंधों का एक हिस्सा भर है। हम युगों-युगों से इथियोपिया के अपने भाइयों और बहनों के साथ जुड़े रहे हैं और एक दूसरे को अपनाते रहे हैं। पहले-पहल हमारे पूर्वज बाइबल की इस धरती पर बहुत पहले आए थे। वे व्यापारी और शिक्षुओं के रूप में, खोजकर्ताओं और यात्रियों के रूप में आए। वे मसालों और विचारों को लेकर आए और एबिसिनिया से सोना और ज्ञान लेकर वापस गए।
सदियों बाद, हमारे संबंध कुछ अधिक स्थिर से हो गए। भारतीय व्यापारियों और कारीगरों ने यहीं रहना शुरू कर दिया। यहां उपस्थित आपमें से बहुत से लोगों, विशेषकर गुजरात और पश्चिमी भारत से आए हुए लोगों का संभवतः यही पारिवारिक इतिहास हो। इस सम्माननीय जनसमूह में उन लोगों के गौरवान्वित वंशज भी मौजूद हो सकते हैं जो इथियोपिया के लिए लड़े और जिन्हें विश्व युद्धों में अपने शौर्य और बलिदान के लिए याद किया जाता है। उनकी लड़ाई, निःस्वार्थ लड़ाई थी; उन्होंने अपने लिए इंच भर भूमि कब्जाने के लिए यह नहीं कर रहे थे बल्कि वे सुदूर देश में दूसरे लोगों की रक्षा करने के लिए लड़ रहे थे।
मित्रो,
अपनी मेहनत और लगन के साथ आपने इथियोपियाई समाज में सम्माननीय जगह बनाई है। आपने इस अपनाए हुए देश में खुद को भली-भांति ढालते हुए अपने मूल्यों, पारिवारिक परंपराओं और कार्यनिष्ठा को कायम रखा है और उन्हें आगे बढ़ाया है।
यदि मैं पिछले कुछ वर्षों के भारत-इथियोपिया द्विपक्षीय रिश्तों पर गौर करूं तो स्पष्ट होता है कि हमारी आर्थिक साझेदारी तेजी से विकसित हो रही है; इस देश के संस्थानों की क्षमता निर्माण में हमारा योगदान सराहनीय माना जा रहा है; हमारे द्वारा प्रदान किए गए प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति अवसरों की काफी मांग है; हमारी विकास साझेदारी लगातार मजबूती से बढ़ती रही है; और हमारे सांस्कृतिक संबंध अनवरत फलते-फूलते रहे हैं। मैं जोर देकर कहना चाहूंगा कि यह सब यहां के भारतीय समुदाय से प्राप्त बहुमूल्य सहयोग के कारण संभव हो पाया है।
इथियोपियाई लोगों के प्रति आपका नजरिया और उनके साथ संबंध भी इसमें मददगार रहे हैं। क्रिकेट प्रतियोगिताओं और बॉलीवुड की संगीत सभी प्रस्तुतियों के जरिए आप उनके मन-मस्तिष्क पर छा गए हैं। यदि ऐसा न होता हो, यहां के लोग खुद को अभिव्यक्त करने के लिए नहीं बल्कि बॉलीवुड की धुनों को गुनगुनाने और गाने के लिए हिन्दी क्यों सीखते।
भारतीय जीवनशैली को बढ़ावा देने में आपने अपने आस-पास के लोगों को योग के विचार और उसकी वैज्ञानिकता को तथा आयुर्वेद के फायदे बताने का बेहतरीन कार्य किया है। मेरे लिए यह जानना प्रेरणादायक है कि प्रत्येक वर्ष इस देश में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अत्यंत धूम-धाम से मनाया जाता है। इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि प्रख्यात हैले गैबरसेलेस्सी कीआपके साथ हैं और उनसे बेहतर साझीदार या समर्थक ढूंढ पाने की बात सोची भी नहीं जा सकती।
हमारी तरह इथियोपिया भी अनेक भाषाओं और खानपान, संगीत, नृत्य और रंगकर्म वाला देश है। आपको स्थानीय उदारवादी संस्कृति का लाभ उठाना चाहिए तथा अपनी सांस्कृतिक विविधता को इनके समकक्ष प्रदर्शित करने और उसे इनके साथ साझा करने का काम करना चाहिए।
भारत और इथियोपिया दोनों क्षेत्रों में विशाल युवा जनसंख्या मौजूद है। आपको इस देश के युवाओं के साथ जुड़ने के विशेष प्रयास करने चाहिए। युवा इस समाज के भविष्य हैं और उनसे ही भावी प्रगति के नए विचार सामने आएंगे। इससे एक बेहतर विश्व के लिए समाधान, चाहे वह जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने का मामला हो, हमारी पवित्र नदियों को साफ करने की बात होे अथवा लोगों को कुशल बनाना हो, उपलब्ध कराने के लिए अपने विचारों को प्रस्फुटित करने में आपको मदद मिलेगी।
हाल ही में 71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में, मैंने कहा था कि चाहे हम देश में रहें या विदेश में, भारत के नागरिकों के रूप में हमें आपने आप से पूछना चाहिए कि हम अपने देश का गौरव कैसे बढ़ा सकते हैं। मैंने यह भी कहा था कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति को समाज में योगदान देने का रास्ता खोजना चाहिए।
आप स्थानीय समुदाय के साथ जुड़ते हुए और मेज़बान देश के लिए स्वयं को महत्वपूर्ण बनाते हुए अच्छे कार्य करने वाले वाले समुदाय की भूमिका निभा सकते हैं। एक देश के रूप में हमारी छवि, हमारी सौम्य शक्ति और हमारी ताकत को प्रस्तुत करने के लिए और अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को इनकी पेशकश करने के लिए एकजुट होकर ऐसा किया जा सकता है।
ऐसा करके देश से बाहर रहते हुए भी अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभाकर नए भारत के निर्माण में अपना यथायोग्य योगदान दे पाएंगे।
हमारी सरकार विदेश में रह रहे हमारे देशवासियों के साथ संबंधों को घनिष्ठ बनाने के लिए उत्सुक है। नई योजनाएं शुरू की गई हैं और पुरानी योजनाएं आसान बनाई गई हैं। आपको ओसीआई कार्यक्रम का फायदा उठाना चाहिए। इससे आप अपने पूर्वजों की धरती से हमेशा जुड़े रहेंगे।
यहां के हमारे समुदाय को मैं विश्वास दिलाता हूं कि जरूरत पड़ने पर हम आपके साथ हैं और आपकी मदद करेंगे। चाहे ‘ऑपरेशन राहत’ हो या लीबिया या संयुक्त राज्य अमरीका में अपने लोगों की मदद करना हो, हमने अपना वादा निभाया है। हमारी सरकार एक ऐसी सरकार है जो अपने लोगों का ध्यान रखती है और उनकी मदद करती है।
मित्रो,
आज भारत उच्च आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर है। हमारे युवाओं में विश्वास और उम्मीद का भाव है। एक नया भारत आकार ले रहा है। भारत के उत्थान से बाहरी दुनिया के साथ सहयोग के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
हमने कुछ महीने पहले कराधान संबंधी ऐतिहासिक सुधार लागू किए हैं। हमारी स्वतंत्रता के बाद पहली बार लागू हुए ‘वस्तु और सेवा’ कर ने भारत में एकल एकीकृत कर प्रणाली स्थापित की है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को अपार लाभ होगा।
नए भारत के निर्माण की हमारी अभिलाषा है, उसका मंत्र है-सुशासन। हम भ्रष्टाचार का मुकाबला करने में सफल रहे हैं और लोक-नीति में सर्वोच्च नैतिक मानदंड स्थापित करने के प्रति वचनबद्ध हैं। अपने वित्तीय समावेशी कार्यक्रम ‘जन-धन योजना’ के जरिए हमने 300 मिलियन से ज्यादा गरीब लोगों के जीवन में नई उम्मीद जगाई है। हमने 29 मिलियन से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को खाना पकाने का ईंधन मुहैया करवाने संबंधी ‘उज्जवला योजना’ में भी ऐसी ही सफलता हासिल की है।
हमारी आकांक्षा भावी परिवेश के निर्माण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी, उन्नत अवसंरचना और जलवायु-अनुकूल तरीकों का लाभ उठाने की है।
भारत की बढ़ती हुई प्रतिष्ठा और पहचान से और अधिक अपेक्षाएं और दायित्व सामने आ रहे हैं। हम विकास साझेदार के रूप में इथियोपिया के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। आप इस प्रयास में दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकते हैं।
मित्रो,
हमारी सरकार अपने प्रवासी समुदाय के साथ निरंतर और सक्रिय संबंध-संपर्क बनाए रखना चाहती है। इस संबंध का उद्देश्य भारत में हो रहे परिवर्तनकारी बदलावों से तालमेल का अवसर प्रदान करने का है। प्रवासी समुदाय के साथ संवाद का उद्देश्य ऐसी संभावनाएं और मंच प्रदान करने का है जिनके द्वारा आप भारत की प्रगति और विकास में भागीदार बन सकें और अपनी मातृभूमि को कुछ प्रतिसाद प्रदान कर में योगदान दे सकें।
मैं इस प्रक्रिया में भाग लेने और साझेदार बनने के लिए आपको आमंत्रित करता हूं।
अपनी ओर से, हम विदेश के अपने भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए भारतीय सामुदायिक संगठनों के साथ घनिष्ठता के साथ मिलकर कार्य करते रहेंगे। अफ्रीका में कहा जाता है कि आपको वही करना चाहिए जो अफ्रीकी लोग करते हैं और सोचते हैं। इसलिए मैं अंत में एक अफ्रीकी कहावत का उद्धरण देना चाहूंगा, ‘पानी से ज्यादा कुछ और पाने के लिए पुराने जल भंडारों की ओर लौटिए; वहां आपको अपने मित्र और सपने इंतजार करते मिलेंगे’।
ध्यान से मेरी बात सुनने के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं। मैं आपको और आपके परिवार को अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली की शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद और जय हिन्द!