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'नॉर्थ—ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी' (नेहू) के 26वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

Shillong : 04.11.2019

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1. नॉर्थ—ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के 26वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर इस सुंदर परिसर में आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

2. मैं उन सभी विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों को बधाई देता हूं जिन्होंने अपना शैक्षिक कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न करके आज डिग्रियां और पदक प्राप्त किए हैं। यह अवसर, संकाय सदस्यों तथा माता—पिता के योगदान को भी स्मरण करने का है जिनके स्नेह, दिशा—निर्देश और सहायता से सभी सफल विद्यार्थियों ने यह उपलब्धि हासिल की है। मैं ‘नेहू’ परिवार के सभी सदस्यों की सराहना करता हूं जिनके प्रयासों से यह विश्वविद्यालय सुदृढ़ हुआ है।

3. मुझे इस बात की विशेष प्रसन्नता है कि आज के दीक्षांत समारोह में पदक पाने वाले विद्यार्थियों में से 76 प्रतिशत छात्राएं हैं। जिन विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में जाने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ है, उनमें से अधिकांश में मैंने यह देखा है कि छात्राओं का प्रदर्शन छात्रों से बेहतर होता है। यह हमारे समाज की प्रगति का द्योतक है और एक विकसित राष्ट्र के रूप में हमारे उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करता है।

4. मुझे यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि इस विश्वविद्यालय ने देश के सभी भागों से शिक्षकों और विद्यार्थियों को आकर्षित किया है। विश्वविद्यालय के निरंतर बढ़ रहे अंतर्राष्ट्रीय संपर्कों के बारे में जानकर भी मुझे खुशी हुई है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आपके विश्वविद्यालय के कुछ विभागों में थाइलैंड, बांग्लादेश, भूटान, अफ्रीका और पश्चिम एशियाई देशों के विद्यार्थियों का नामांकन किया जाने लगा है। इससे सांस्कृतिक जुड़ाव और परस्पर ज्ञान-सृजन को प्रोत्साहन मिलता है।

5. मैं इस अवसर पर, पद्मश्री से सम्मानित श्री कनुभाई टेलर को बधाई देता हूं जो स्वयं दिव्यांग हैं और अपनी संवेदनापूर्ण सेवाओं से दिव्यांग-जनों के जीवन में आशा का संचार कर रहे हैं। उन्हें मानद उपाधि देने तथा इसके द्वारा हमारे समाज और राष्ट्र के लिए मानवीय सेवा का महत्व रेखांकित करने हेतु मैं इस विश्वविद्यालय की सराहना करता हूं।

6. भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद मेघालय की यह मेरी पहली यात्रा है। कई वर्ष पूर्व जब मैं राज्य सभा का सदस्य था, उस समय मैं मेघालय आया था और मैंने चेरापूंजी की यात्रा का आनंद लिया था जो कि मौसिनराम सहित विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाले दो स्थानों में से एक है। ‘बादलों का घर’ कहे जाने वाले मेघालय का सौंदर्य अनुपम है। इस प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां के निवासियों की गर्मजोशी, स्वामी विवेकानंद और गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को आकर्षित करती थी और वे कई बार इस भूमि पर आए।

7. इस धरती ने यू तिरोत सिंह, यू कियांग नोंगबाह और पा तोगन संगमा जैसे महान स्वतंत्रता—सेनानियों को जन्म दिया है जिनकी स्मृतियों को शिलॉन्ग के ‘मार्टर्स कॉलम’ में अमरत्व प्राप्त है।

8. मुझे विश्वास है कि राज्यपाल श्री तथागत रॉय और युवा मुख्यमंत्री श्री कोनराड संगमा के नेतृत्व में मेघालय अपने सामर्थ्य के आधार पर विकासरत रहेगा।

9. मेघालय आने पर, स्वर्गीय पी. ए. संगमा का स्मरण होना स्वाभाविक है। उनकी जीवन—गाथा बहुत प्रेरक है। उन्होंने असाधारण चरित्र बल का प्रदर्शन करते हुए महान उपलब्धियां हासिल कीं। आप सभी जानते हैं कि वह मेघालय के मुख्यमंत्री और लोक सभा के अध्यक्ष के उच्च पदों तक पहुंचे। संयोग से जबमैं राज्य सभा का सदस्य था उस समयवे लोक सभाअध्यक्ष के पद पर आसीन थे। अनेक अवसरों पर हमारा मिलना-जुलना हुआ था। मेरे विचार में यहां उपस्थित युवा विद्यार्थियों को उनके आदर्श से प्रेरणा लेनी चाहिए।

10. इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के बाद राज्यसभा-सदस्य व केंद्रीय मंत्री बने श्री के॰ जे॰ अल्फोंस तथा संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर डेविड सिम्लिह जैसे प्रख्यात पूर्व—विद्यार्थियों से भी प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए। ‘नेहू’ के ऐसे अनेक प्रभावशाली पूर्व—विद्यार्थी रहे हैं जिन्होंने भारत तथा अनेक विकसित देशों में कार्य करते हुए अपनी छाप छोड़ी है।

11. मेघालय के जनजातीय भाइयों—बहनों के पारंपरिक ज्ञान और बुद्धिमत्ता से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। मेघालय के प्रगतिशील समाज में महिलाओं का प्रमुख स्थान होता है। मेघालय के लोग हमें स्वच्छता का महत्व भी सिखाते हैं। अनेक वर्षों से, मौलिनोंग को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव माना जाता रहा है। स्वच्छता के संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि मेघालय की झाड़ू—घास से बने झाड़ुओं की देश भर में बहुत मांग है। डौकी और उमगोट नदियों के निर्मल जल में प्रकृति के सौंदर्य के साथ—साथ, मेघालय के लोगों की बुद्धिमत्ता का भी प्रतिबिंब दिखाई देता है।

12. मेघालय के जनजातीय लोगों ने जड़ों से पुल बनाने की अनूठी कला में महारत हासिल की है। नदियों के तटों और घाटियों में, तेजी से बढ़ने वाले पेड़ों की शाखाओं और जड़ों को ऐसे आकार दिया जाता है कि उन सबके मिलने से पुल बन जाता है। जड़ों के पुल बनाने में 15 से 25 वर्ष लगते हैं परजैव—इंजीनियरी के चमत्कार स्वरूप वे पुल 500 साल तक उपयोगी बने रहते हैं। पीढ़ी—दर—पीढ़ी चलने वाली इस पर्यावरण—अनुकूल प्राकृतिक अवसंरचना के निर्माण में पूरी मानव—जाति के लिए अनेक संदेश निहित हैं।

13. मेघालय के लोगों में खेलों, खास कर फुटबॉल के प्रति जुनून को सभी जानते हैं। मुझे प्रसन्नता है कि लड़कियों सहित, प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए मेघालय द्वारा ‘मिशन फुटबॉल’ का कार्यान्वयन किया जा रहा है। मेघालय सहित सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत के ऊर्जावान और प्रतिभाशाली युवाओं ने सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य—सेवा, आतिथ्य—सेवाऔर अन्य अनेक उद्योगों में सिद्धहस्त प्रोफ़ेशनल्स के रूप में नाम कमाया है। मैं युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे उत्कृष्ट खिलाड़ी, कलाकार और प्रोफेशनल के रूप में अपनी छवि को और भी मजबूत बनाएं तथा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक व्यसनों अथवा नशीले पदार्थों के शिकार न बनें।

14.‘नेहू’, ज्ञानार्जनके एक अग्रणी केंद्र के रूप में उभरा है। यह प्रसन्नता की बात है कि सभी प्रमुख विषयों में उच्च शिक्षा प्रदान करने के साथ—साथ, यह विश्वविद्यालय इस जनजाति—बहुल क्षेत्र के विकासपर विशेष ध्यान दे रहा है। ‘नेहू’ जैसे उच्च शिक्षा—संस्थान सामाजिक—आर्थिक बदलाव के वाहक बन सकते हैं। यह विश्वविद्यालय मेघालय को मानव विकास सूचकांक में उच्चतर स्थान दिलाने में सहायता कर है।

15. मेघालय की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि—उत्पादकता बढ़ाने में सहायता करके ‘नेहू’, मेघालय और समूचे पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक—आर्थिक विकास में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकता है। ‘नेहू’के ‘ग्रामीण विकास एवं कृषि उत्पादन’, कृषि—व्यापार तथा खाद्य—प्रौद्योगिकी’ और ‘बागवानी’ विभागों के विद्यार्थी व शिक्षक किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। अब यहां खोले जा रहे ‘वानिकी विभाग’ के सम्मुख, मेघालय और पूर्वोत्तर भारत के लोगों की प्रगति और विकास में योगदान करने का महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध रहेगा।

16. मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय समुदाय ने इस क्षेत्र के लोगों के विकास से जुड़ी अनेक शोध परियोजनाएं पूरी की हैं। मैं आशा करता हूं कि ‘नेहू’, स्थानीय से लेकर वैश्विक मुद्दों तक, ज्ञानार्जन के उपयोगी क्षेत्रों की निरंतर तलाश करता रहेगा।

17. लोगों को रोजगार के योग्य बनाने और स्व—रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालय के प्रयासों को सर्वाधिक प्रोत्साहन देना ज़रूरी है। मुझे प्रसन्नता है कि इस विश्वविद्यालय ने कौशल—आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए ‘दीन दयाल उपाध्याय कम्यूनिटी कॉलेज’ स्थापित किया है। मेघालय सरकार की भागीदारी के साथ ‘नेहू’ ने स्टार्ट अप्स के अनुकूल स्थितियां और कौशल विकसित करने के लिए एक इंक्यूबेशन सेंटर बनाया है। इससे वाणिज्यिक तथा सामाजिक उद्यमिता की संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा।

18. अब आप अवसरों और चुनौतियों भरी दुनिया में प्रवेश करने जा रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने का विशेष अवसर हमारे देश में बहुत से लोगों को प्राप्त नहीं होता। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि अपेक्षाकृत कम सुविधा सम्पन्न देशवासियों की स्थिति सुधारने में मदद करें। मैं आप से यह भी आग्रह करता हूं किजैसे भी आपसे संभव हो सके, समाज के लिए प्रतिदान अवश्य करें।

19. जून 2018 में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में, मैंने सभी हितधारकों से ‘यूनिवर्सिटीज़ सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी’ यानि यूएसआर पर ध्यान देने का आग्रह किया था। अपने यूएसआर दायित्वों को निभाने के लिए इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कुछ समय गांवों में बिता सकते हैं, और अगर हो सके तो रात में वहाँ रुक भी सकते हैं। उन्हें समस्याएं सुलझाने में ग्रामीणों की मदद करनी चाहिए। स्वच्छता, साक्षरता, टीकाकरण और बाल पोषाहार के महत्व के बारे में उन्हें ग्रामवासियों को जागरूक बनाना चाहिए। ऐसे प्रत्यक्ष अनुभव से ग्रामीणों को तो मदद मिलेगी ही, विद्यार्थी भी जमीनी वास्तविकताओं के बारे में अधिक जागरूक और संवेदनशील बनेंगे।

20. इस विश्वविद्यालय का ध्येय-वाक्य—'राइज अप एंड बिल्ड’ (जागो और नव—निर्माण करो) मुझे अच्छा लगा। हर विद्यार्थी को चाहिए कि वह इस ध्येय-वाक्य को आत्मसात करे और इसे कार्यरूप दे। आपको प्रतिबद्धता, करुणा, साहस और योग्यता से सम्पन्न व्यक्ति के रूप में जाग्रत होना है। आपको अपने भविष्य, चरित्र, समुदाय और देश का नव—निर्माण करना ही चाहिए।

21. शैक्षिक लक्ष्यों में सफल होने पर, आप सभी विद्यार्थियों को, मैं एक बार फिर बधाई देता हूं। मैं आपके खुशहाल व सफल जीवन की कामना करता हूं। मेरी शुभकामना है कि आप अपने माता—पिता और राष्ट्र को गौरवान्वित करें।


धन्यवाद,


जय हिन्द!