Back

मद्रास विश्वविद्यालय के 160 वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द का संबोधन

चेन्‍नै : 05.05.2018

Download PDF

1. मुझे मद्रास विश्वविद्यालय का 160वां दीक्षांत संबोधन करते हुए प्रसन्नता हो रही है। आज का दिन स्नातक बन रहे विद्यार्थियों और उनके प्रोफेसरों तथा परिजनों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।अपने शैक्षिक कार्यक्रम को पूरा करने के लिए आपने जो मेहनत की है उसमें उन्होंने आपको परिश्रमपूर्वक सहयोग दिया है। यह विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक वर्षगांठ भी है जिसकी गाथा नेहमारे देश में आधुनिक उच्चतर शिक्षा के विकास को प्रतिबिंबित किया है। आप सभी को, विशेषकर स्‍नातक बन रहे विद्याथियों तथा इस प्रख्‍यात विश्वविद्यालय से जुड़े सभी अन्‍य लोगों को मेरी बधाई।

2. 19वीं शताब्दी के मध्य से मद्रास विश्वविद्यालय हमारी राष्ट्र निर्माण परियोजना का मुख्य स्तंभ रहा है। यह विश्वविद्यालय भारत विशेषकर हमारे देश के दक्षिणी भाग में शिक्षा, बौद्धिक उन्नति और ज्ञानार्जन की मजबूत नींव के निर्माण में शामिल संस्थानों में से एक है। मुझे बताया गया है कि यह विश्‍वविद्यालय इस क्षेत्र में ‘विश्वविद्यालयों की जननी’ के रूप में प्रसिद्ध है। यह वास्तव में एक ऐतिहासिक संस्थान हैं और ऐसा करते हुए मैं केवल इस परिसर की मौजूदा विरासती इमारतों का ही उल्लेख नहीं कर रहा हूं।

3. जो महानुभाव इस विश्वविद्यालय या इससे संबद्ध कॉलेजों के पूर्व विद्यार्थी रहे हैं, उन राष्ट्र निर्माताओं के नामों की एक उल्‍लेखनीय सूची हमारे सामने है। भारत का कोई भी अन्‍य विश्वविद्यालय यह दावा नहीं कर सकता है कि मेरे विशिष्ट पूर्ववर्ती-छह पूर्व राष्ट्रपति इस विश्‍वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी रहे हैं। डॉ. एस. राधाकृष्णन, डॉ. वी. वी. गिरि, श्री नीलम संजीव रेड्डी, श्री आर. वेंकटरमन, डॉ. के. आर. नारायणन और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभी ने राष्ट्रपति भवन के सर्वोच्च पद पर आसीन होने से पहले यहीं अध्ययन किया था। हमारे देश के गवर्नर जनरल बनने वाले प्रथम भारतीय माननीय सी. राजगोपालाचार्य या ‘राजाजी’ कहकर हम जिन्‍हें याद करते हैं, वे भी इसके एक पूर्व विद्यार्थी थे।

4. दो नोबेल विजेता- सर सी.वी. रमन और डॉ. सुब्रमण्यन चंद्रशेखर तथा भारत के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश- न्‍यायमूर्ति के. सुब्बाराव और न्‍यायमूर्ति एम. पतंजलि शास्त्री ने यहीं पर पढ़ाई की थी। श्रीमती सरोजिनी नायडू और श्रीमती दुर्गाबाई देशमुख जैसी अग्रणी महिला नेताओं ने मद्रास विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। इस विश्वविद्यालय में अपना प्रारंभिक समय बिताने वाले भारतीयों की सूची इतनी लंबी है कि यदि मैं सभी का जिक्र करना चाहूं तो मुझे बोलने के लिए कुछ घंटे का समय चाहिए। मैं विशेष तौर पर एक विभूति अर्थात् स्वर्गीय सी. सुब्रमण्यम का उल्लेख करना चाहूंगा। वे एक राजनीतिज्ञ और लोकसेवक के रूप में प्रेरणा-पुरुष थे। कृषि मंत्री के रूप में हरित क्रांति और हमें खाद्य में आत्मनिर्भर बनाने में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका थी।

5. विद्वत्‍ता, शिक्षण और उपलब्धि की वह विरासत आज भी जीवित है। शतरंज के ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद से लेकर कॉरपोरेट मुखिया इंदिरा नूई जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर सुविख्यात व्यक्तिमद्रास विश्वविद्यालय के स्नातक रहे हैं। आज स्नातक बन रहे विद्यार्थी ऐसी समृद्ध विरासत को आगे लेकर जा रहे हैं।

6.‘निरंतरता के साथ बदलाव’अभिव्‍यक्ति का प्रयोग और कभी-कभी अति प्रयोग भी किया जाता है। परंतु मद्रास विश्वविद्यालय जैसे कुछ संस्थानों के मामले में यह कहावत सार्थक है। इस विश्वविद्यालय की एक पहचान आधारभूत मूल्यों को बनाए रखते हुए बदलाव को समाहित करने की योग्यता की रही है। इस विशेषता ने इसे विद्यार्थियों और समाज की उभरती हुई आवश्यकताओं के प्रति सम-सामयिक और प्रासंगिक बनाए रखने में मदद की है। यहां संचालित किए जाने वाले पाठ्यक्रम और विषय इसका प्रतीक हैं। और ये विषय पारंपरिक उदारतावादी कलाओं से लेकर 21वीं सदी के अनुकूल विषयों तक फैले हुए हैं। यहां इतिहास व अर्थशास्त्र पढ़ाया जाता है और इसी प्रकार से नृविज्ञान और धर्मशास्‍त्र भी पढ़ाए जाते हैं। और आजइस विश्वविद्यालय में अन्य विषयों के साथ साथ बायोइन्फोरमेटिक्स, नैनो साइंस और एक्चुरियल साइंस पढ़ाए जाने की गुंजाइश बनाई गई है जो हमारे बीमा उद्योग के लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है।

7. मद्रास विश्वविद्यालय को तमिलनाडु की अस्मिता में अध्ययन शीलता की केन्‍द्रीय भूमिका की परंपरा से लाभ हुआ है और इसने इसमें योगदान भी किया है। यहां तक कि राज्य के साधारण से साधारण परिवार भी शिक्षा की महत्ता पर बल देते हैं। सामाजिक विकास संकेतकों और अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है। चाहे विशुद्ध विज्ञान हो या चिकित्सा चाहे इंजीनियरिंग हो या विनिर्माण; तमिलनाडु में अनुसंधान और नवाचार की गौरवपूर्ण संस्कृति विद्यमान है। तमिलनाडु में एक सुप्रतिष्ठित सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र और बढ़ती हुई डिजिटल अर्थव्यवस्था है। मानविकी विषयों में उत्कृष्टता का पूर्ण सहयोग इन विषयों को मिल रहा है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि तमिल भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। दूसरों की अपेक्षा शताब्दियों पहले इस भाषा में साहित्य और अधिगम के दर्शन की खोज की जा रही थी।

8. अपने आप में एक उद्देश्य के रूप में शिक्षा प्राप्त करने की योग्यता और हमारे देशवासियों के दैनंदिन जीवन की कमियां दूर करने में मदद करना सराहनीय है। इस संदर्भ में, तमिलनाडु के लोग और मद्रास विश्वविद्यालय जैसे संस्थान हमारे देश के लिए एक आदर्श हैं। अंततः इस प्रकार के संस्थानों से ही हम 21वीं शताब्दी की शुरुआत में दिशा और नेतृत्व प्राप्त कर सकते हैं।यह भारत का एक उत्‍साहपूर्ण अध्याय है। हम एक विकसित समाज बनने तथा गरीबी को तत्काल दूर करने तथा अपने सभी देशवासियों के लिए स्वास्थ्यचर्या, शिक्षा, आवास और ऊर्जा उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं, साथ ही साथ हमारा देश चौथी औद्योगिक क्रांति- रोबोटिक्‍स जीनोमिक्‍स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियों और अवसरों पर काम करना चाहता है।

9. इस यात्रा में मद्रास विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों से हमारा दिग्दर्शक बनने की उम्मीद की जाती है। तमिलनाडु के संस्थानों ने एक ऐसा माहौल पैदा करने में सराहनीय कौशल दर्शाया है जिससे इंजीनियरों और दूसरे योग्य युवाओं को उद्यमी और रोजगार प्रदाता बनने में मदद मिलती है। यह मार्ग ही भविष्य का मार्ग है और यही मार्ग है जिस पर हमारे देश के युवाओं को आगे बढ़ना है।

देवियो और सज्जनो और प्यारे विद्यार्थियो

10. यह दीक्षांत समारोह और यह वर्षगांठ मद्रास विश्वविद्यालय और आज स्नातक बन रहे विद्यार्थियों-दोनों के लिए पुनरुत्थान की घड़ी है। विश्वविद्यालय के लिए 160वीं वर्षगांठ एक ऐसी घटना है जो यह अवसर उपलब्‍ध करा रही है कि आप अपनी द्विशताब्‍दी मनाने के लिए आगामी 40 वर्षों में किस लक्ष्‍य तक पहुंचना चाहते हैं। विश्वविद्यालय को अगले स्तर पर पहुंचने, विश्व के सर्वोत्तम मानदंडों के बराबर खुद को लाने, शीर्ष विद्यार्थियों और शीर्ष शिक्षकों के यहां आकर पढ़ने और पढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धी बने रहने की आकांक्षा रखनी चाहिए।

11. भारत सरकार ने उच्‍चतर शिक्षा में उत्‍कृष्‍टता को बढ़ावा देने के लिए 20 प्रतिष्ठित संस्थानों में क्षमता निर्माण के एक कार्यक्रम की घोषणा की है। मुझे बताया गया है कि मद्रास विश्वविद्यालय ने इस संबंध में एक महत्वाकांक्षी और विस्तृत योजना तैयार की है, और मैं आपको इस योजना के लिए शुभकामनाएं देता हूं। कृपया अपने प्रभावी और वैश्विक रूप से यत्र-तत्र स्थापित पूर्व विद्यार्थियों का नेटवर्क भी बनाएं और इस विश्वविद्यालय, इसकी प्रणालियों और इसकी शोध-क्षमता के उन्नयन के लिए उन्‍हें व्यवहार्य प्रस्तावों में शामिल करें।

12. जो विद्यार्थी आज स्नातक बन रहे हैं, उनसे मैं यही कह सकता हूं कि आप अवसरों से भरपूर दुनिया में कदम रख रहे हैं। आपकोऐसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है। हर एक को यह सौभाग्य प्राप्‍त नहीं होता है। इस परिसर से जाने के बाद अपनी शिक्षा के साथ विनम्रता को अपनाकर आगे बढ़ें। आप कोई भी तरीका या कोई भी रास्ता चुनें लेकिन समाज की और वंचितों की मदद करें। यही आप की शिक्षा की सच्ची परीक्षा होनी चाहिए।

धन्यवाद

जय हिंद