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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के 7 वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद : 05.08.2018

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1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के सातवें दीक्षांत समारोह के लिए यहां उपस्थित होकर मुझे खुशी हुई है।यह दोहरे उत्सव का अवसर है क्योंकि इस संस्थान की स्थापना की दसवीं वर्षगांठ भी इसके साथ आयोजित की जा रही है। सबसे पहले मैं इन उपलब्धियों के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद परिवार को बधाई देता हूं। स्नातक बन रहे विद्यार्थियों के लिए आज का दिन विशेष है। यह आपके और आपके अध्यापकों तथा प्रोफेसरों एवं आपके परिवारों की वर्षों की मेहनत और समर्पण का फल है।

2. सुदृढ़ नींव के साथ-साथ युवाओं की ऊर्जा और उत्साह से एक अतिप्रभावी ताल-मेल बन जाता है। इसकी सहायता से व्यक्ति बहुत तरक्‍की कर सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के नए स्नातकों के रूप में, आप एक ऐसी दुनिया और ऐसे भारत में कदम रख रहे हैं जो अवसरों से भरपूर है। आप अपने लिए, अपने परिवारों के लिए और समग्र समाज के लिए विशेषकर आपसे कम भाग्यशाली लोगों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं और बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। सपने बड़े देखें और लक्ष्य ऊंचा रखें और जोखिम लें और यह सब करने का यही उपयुक्‍त समय है।

3. व्यक्तियों की तरह ही संस्थान भी अपने सर्जनात्‍मक वर्षों के दौरान लिए गए निर्णयों पर बहुत कुछ निर्भर होते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद एक नया संस्थान है। यह केवल 10 वर्ष पुराना है। इसे अपनी ऊर्जा और उत्साह से ही पहचाना जाता है और इसने अपनी एक ठोस बुनियाद रखी है। आज आपके यहां 2500 विद्यार्थी अध्‍ययनरत हैं; और इनमें, प्रत्येक पांच में से एक विद्या‍र्थी युवती है। संस्थान का स्नातकोत्तर कार्यक्रम भी बहुत मजबूत है; इस कार्यक्रम में 30 प्रतिशत विद्यार्थी पीएच-डी कर रहे हैं। ये आंकड़े सराहनीय हैं परंतु सवाल यह है कि अब आगे क्या किया जाए? जो रास्ता आज आप अपनाएंगे, वह न केवल अगले कुछ वर्ष बल्कि शायद बची हुई शताब्‍दी के लिए आपका भविष्य तय करेगा। यह वक्‍तव्‍य अतिश्‍योक्ति भरा लग सकता है परंतु विश्व के कुछ प्रमुख विश्वविद्यालयों याअपने समकक्ष, पुराने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों पर गौर करें। दशकों की उनकी उपलब्धियां, शुरुआती दिनों में उनके द्वारा अपनाए गए प्रगति पथ के अनुरूप आकार ग्रहण करती रही हैं।

4. दूसरी पीढ़ी का आईआईटी होने के नाते भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के लिए यह महत्‍वपूर्ण है कि वह अतीत के आदर्शों को ग्रहण करे और उनसे सीखे। 1950 और 1960 के दशकों की तुलना में आज हालात अलग हैं। भारत बदल चुका है। प्रौद्योगिकी और इंजीनियरी के विषय भी विकसित हो चुके हैं। हमारी आकांक्षाएं अब छह दशक पहले निर्मित भारी औद्योगिक आधार तक सीमित नहीं हैं। इसकी बजाय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद को 21वीं शताब्दी की पटकथा लिखने वाली 'चौथी औद्योगिक क्रांति' से संगति बैठानी होगी।

5. मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इस संस्थान में अनुसंधान और उद्यमिता प्रोत्साहन केन्‍द्रों का एक नेटवर्क स्थापित करके इस कार्य शुरुआत की जा चुकी है। इनमें सेंटर फॉर हेल्थकेयर आंत्रप्रन्‍यूरशिप, द सेंटर फॉर साइबर-फिजिकल सिस्टम्‍स एंड इंटरनेट ऑफ थिंग्स तथा फैबलेस चिप डिजाइन इनक्‍यूबेटर और अन्‍य पहलें शामिल हैं जो आई- टीआईसी फाउंडेशन के अंतर्गत आती हैं। 5 जी टेक्नोलॉजी, कम खर्चीले आवास तथा प्राकृतिक आपदा शमन एवं बहाली के लिए सूचना नेटवर्कों जैसे व्यापक उपयोगिता वाले क्षेत्रों में सहकारी अनुसंधान किए जा रहे हैं। अग्रणी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन तथा जापानी औद्योगिक निगमों के साथ किए गए अनुसंधान और विकास समझौते भी सराहनीय हैं।

देवियो और सज्जनो, संकाय सदस्यो और प्यारे विद्यार्थियो,

6. सर्वोत्तम विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थान केवल अध्यापन की दुकानें या उपाधियों की फैक्ट्रियां नहीं हैं। वे उत्‍तरोत्‍तर नवान्‍वेषण के स्रोत तथा प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी प्रेरित स्टार्ट-अप उद्यमों के विकास केन्‍द्र बन रहे हैं। विज्ञान, शैक्षिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों,अनुसंधान प्रयोगशालाओं, वाणिज्यिक अनुप्रयोगों और निजी उद्यमों में सार्वजनिक निवेश के ज्ञान पारितंत्र में लगभग विस्मयकारी शक्तियां छिपी हैं। संयुक्त राज्य की‘सिलिकॉन वैली’इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। सिलिकॉन वैली के मूल में,मौलिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिसर और इनके प्रतिभावान संकाय-सदस्‍य और विद्यार्थी हैं।

7. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान एक ऐसे शहर और एक ऐसे महानगरीय क्षेत्र में स्थापित किया गया है जहां ऐसे पारितंत्र के अनेक तत्व पहले से ही मौजूद हैं। हैदराबाद में वैज्ञानिक खोज और अनुप्रयोग की एक लंबी परंपरा रही है। 19वीं शताब्‍दी में, रोनाल्ड रॉस ने, जिन्‍हें मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की पहचान के लिए मेडिसिन का नोबल पुरस्कार मिला था, यहीं पर अपना अग्रगण्‍य कार्य किया था। स्वतंत्रता के बाद, हैदराबाद औद्योगिक विनिर्माण स्‍थल बन गया। यहां सार्वजनिक क्षेत्र और इसके बाद निजी क्षेत्र द्वारा बड़ी मात्रा में और दूरदर्शी निवेश किया गया।

8. धीरे-धीरे शहर की प्रतिष्ठा एक अनुसंधान केन्‍द्र के रुप में बढ़ती गई। यहां आने से पहले मैंने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद्, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से विवरण मांगा था। मुझे बताया गया कि हैदराबाद में इन संस्‍थानों/संगठनों की 19 से ज्यादा अनुसंधान सुविधाएं और प्रयोगशालाएं हैं। मैंने इनमें निजी क्षेत्र का उल्लेख नहीं किया है। हैदराबाद स्थित कंपनियां जैव औषधीय तथा रोग प्रतिरोधक टीकों पर तथा इससे अलग, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मौलिक अनुसंधान और विनिर्माण कार्यों में संलग्‍न हैं।

9. इनमें से अधिकांश प्रतिष्ठान, अलग-अलग, उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। परंतु प्रश्न यह है कि क्या वे अपनी शक्तियां समेकित करने का प्रयास कर रहे हैं? क्या वे एक-दूसरे के साथ पर्याप्त आदान-प्रदान कर रहे हैं?

10. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद की संकल्पना इस पारितंत्र में एक और आईआईटी जोड़ने के लिए ही नहीं की गई है। इसकी बजाय इसे इस पारितंत्र का केन्‍द्र बनना चाहिए। इसे और बड़े सहकार्य के लिए संपर्क सूत्र और प्रेरक तत्‍व बनना चाहिए। यही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद का दायित्व है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि इसे इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस तथा नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च जैसे संस्‍थानों के साथ सघनतर संबंध न बनाने चाहिए क्‍योंकि कुल मिलाकर, प्रौद्योगिकी प्रबंधन तथा प्रौद्योगिकी विधि व नियमन अब गतिशील और महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण होगा यदि प्रौद्योगिकी को व्‍यवहार में उतार रहे लोग इन्‍हें अविशेषज्ञों के भरोसे छोड़ने की बजाए इन क्षेत्रों में और बड़ी भूमिका निभाएं।

11. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के कार्यकरण कावास्तविक मापदंड श्रेणी अंक औसत, कैम्‍पस प्लेसमेंट तथा प्रकाशित शोध-पत्रों की संख्या तक सीमित नहीं हो सकता। निस्संदेह ये सभी जरूरी हैं परंतु अपनी महत्वाकांक्षाओं को परिसीमित ना करें। इन दायरों से बाहर निकलें और दूसरों को भी इन दायरों से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित करें। भारत, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद की सफलता को उस ऊर्जा और परिणाम के रूप में देखेगा जिसे वह न केवल अपने लिए बल्कि संपूर्ण हैदराबाद के ज्ञान पारितंत्र के लिए सुनिश्चित कर सकता है।

12. जीवन में आगे बढ़ते हुए, अपने पेशेवर कार्यक्षेत्र में अग्रसर होते हुए स्‍नातक विद्यार्थी दूसरे दशक में प्रवेश करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, हैदराबाद इन विचारों को ध्‍यान में अवश्‍य रखें। मेरी शुभ-कामनाएं तो आपके साथ रहेंगी ही।

धन्‍यवाद

जय हिन्‍द!