सोफिया विश्वविद्यालय में भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
सोफिया : 05.09.2018
1. मुझे ‘एजुकेशन एज एन इंस्ट्रूमेंट ऑफ चेंज एंड शेयर्ड प्रॉस्पेरिटी’ विषय पर व्याख्यान देने के लिए बल्गारिया के इस उत्कृष्ट उच्च शिक्षा संस्थान सोफिया विश्वविद्यालय में आकर प्रसन्नता हुई है। इस विश्वविद्यालय का विकास,बल्गारिया के राष्ट्रीय नवीकरण के साथ समानांतर रूप से हुआ है।इसकी स्थापना 1888 में बल्गारिया द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त किए जाने के तुरंत बाद हुई थी और यह बौद्धिक उथल-पुथल का केन्द्र रहा है। मेरे लिए यह संस्थान, बल्गारिया के विद्यार्थी समुदाय से मिलने और इस विषय पर विचार साझा करने का एक उपयुक्त संस्थान है कि हमारे लोग मिलकर क्या कर सकते हैं। शोधवृत्ति और शिक्षण किसी भी सार्थक अंतरराष्ट्रीय संबंध की आधारशिला होते हैं, तथा बल्गारिया और भारत के बीच यह स्थिति निश्चित रूप से मौजूद है।
2. यह एक संयोग है कि मैं 5 सितंबर को इस विश्वविद्यालय में आया हूं। भारत में इस दिन हम डॉ. एस.राधाकृष्णन जिनकी आज जयंती है, के सम्मान में ‘शिक्षक दिवस’ मनाते हैं। डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति के रूप में मेरे विशिष्ट पूर्ववर्तियों में से एक हैं। वह महान ख्यातिप्राप्त विद्वान, राजनेता और दार्शनिक थे। 1954 में, भारत के उप-राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने बल्गारिया की यात्रा की थी और हमारे आधुनिक संबंधों की नींव डालने में मदद की थी। आज का मेरा संबोधन इस महान शिक्षक और बल्गारिया-भारत रिश्तों की इस प्रतिमूर्ति के प्रति समर्पित है।
3. मैं इस अवसर पर, भारत के शिक्षकों, विद्वानों और शिक्षाविदों के प्रति भी सम्मान व्यक्तकरता हूं। उन्होंने भारत की युगों पुरानी शिक्षा और प्रज्ञा परंपराओं से प्रेरणा ग्रहण की है और ज्ञान-आधारित शक्ति के रूप में भारत की प्रतिष्ठा में उन्होंने योगदान दिया है। वे भारत के लिए गौरव के स्रोत हैं। भारतीय विद्वत्ता और शैक्षिक उत्कृष्टता का सम्मान सभी महाद्वीपों में सम्मान किया जाता है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था और ज्ञान संरचनाओं में वृद्धि होती है तथा भारत के प्रति सद्भावना बढ़ती है।
4. भारत के समान बल्गारिया ऐसी बौद्धिक विरासत से परिचित है। हम उन प्राचीन सभ्यताओं के प्रतिनिधि हैं जिनका उल्लेख पुरातनकाल में मिलता है। मेरे देश में मौर्य राजवंश के समय ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में संपर्क के प्रमाण मिलते हैं। भारतीय ब्राह्मी लिपि और प्राचीन बल्गारियाई ‘ग्लागोलित्सा‘ लिपि के बीच समानताएं पाई गई हैं।
5. ये समानताएं यहीं समाप्त नहीं हो जातीं। परस्पर आकर्षण अभी भी कायम है। सोफिया विश्वविद्यालय में 1983 से भारत विद्या विभाग मजबूती से काम कर रहा है। यह विभाग भारत-केन्द्रित पाठ्यक्रम संचालित करता है और शोध संचालित करता है। यहां पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के सहयोग से एक हिंदी पीठ भी विद्यमान है। इसके समान ही, दिल्ली विश्वविद्यालय में बल्गारियाई भाषा अध्ययन की एक पीठ है। सोफिया विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के विद्यार्थी छात्रवृत्तियों पर भारत की यात्रा करते हैं। वे भारत में 166 देशों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी समुदाय का हिस्सा हैं। मेरा मानना है कि इस समूह के सदस्य युवा बल्गारियाई अपने देश में वापस आने पर भारत के मित्र और राजदूतों के रूप में योगदान करते हैं।
6. बहुत से भारतीय विद्यार्थी भी बल्गारिया विशेषकर सोफिया, प्लेविन, वारना आदि स्थानों के चिकित्सा विश्वविद्यालयों में अध्ययन करते हैं।यूरोपीय संघ की यूरेशिया परियोजना के अंतर्गत, हमारे देश उच्च शिक्षा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग कर रहे हैं।‘बल्गारिया-इंडिया प्रोग्राम फॉर को ऑपरेशन इन द फील्ड ऑफ साइंस एजुकेशन एंड कल्चर’ जो 1994 में शुरू हुआ था, अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ है। मेरी वर्तमान यात्रा के दौरान जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, उनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग पर भी एक समझौता शामिल है। मुझे विश्वास है कि इससे हमारे शैक्षिक और अनुसंधान समुदायों के बीच साझेदारी आगे बढ़ेगी।
देवियो और सज्जनो और प्यारे विद्यार्थियो,
7. शिक्षा और शिक्षा-प्राप्ति के उद्देश्य बहुविध होते हैं। बुनियादी स्तर पर वे मानव जिज्ञासा और ब्रह्मांड को खूब अधिक तथा बेहतर ढंग से समझ की व्याकुलता को संतुष्ट करते हैं। तथापि, शिक्षा-प्राप्ति के परिणाम हमारे समाजों की तात्कालिक समस्याओं के समाधान और चुनौतियों से निपटने के लिए भी प्रासंगिक होते हैं। ऐसी स्थिति खासतौर पर उन युवा लोगों के मामले में देखी जाती है जो अभूतपूर्व बदलावों का सामना कर रहे हैं।
8. हमारी शिक्षा प्रणाली का, हमारे ज्ञान सृजन का और हमारे व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक प्रयासों का मुख्य बल रोजगार संभावना और सामाजिक बेहतरी के क्षेत्र में योगदान में हमारी युवापीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित बनाने पर है। बल्गारिया और भारत में इतनी भिन्नताओं के बावजूद साझी चिंताएं और आकांक्षाएं मौजूद हैं। बल्गारिया की एक चौथाई आबादी 25 वर्ष से कम आयु की है। भारत में हमारी 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। इन युवाओं के इस विश्वविद्यालय में उपस्थित लोगों के सपने ही हमारे प्रयासों को प्रेरणा प्रदान करते हैं।
9. ये वे सपने हैं जिन्हें हम दोनों मिलकर साकार कर सकते हैं। भारत को बल्गारिया के साथ आपके देश की प्राथमिकताओं के अनुसार अपनी योजनाएं और अपनी उम्मीदों को साझा करके खुशी होगी।
10. भारत में 903 विश्वविद्यालयों और 39050 कॉलेजों का एक विशाल नेटवर्क है। इनमें से लगभग 40 प्रतिशत विश्वविद्यालयों और 80 प्रतिशत कॉलेजों का संचालन निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता है। सरकार अधिक से अधिक संस्थानों विशेषकर चिकित्सा विज्ञान, प्रोद्योगिकी और मौलिक व अनुप्रयुक्त विज्ञान संस्थानों की स्थापना को प्रोत्साहन दे रही है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि ये संस्थान सार्वजनिक क्षेत्र में होंगे या निजी क्षेत्र में महत्वपूर्ण यह है कि ये संस्थान गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप हों।
11. गुणवत्ता की इस खोज में भारत सरकार ने हाल ही मेंदो सुविख्यात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों सहित छह प्रमुख संस्थानों को ‘उत्कृष्ट संस्थान’ के रूप में नामित किया है। इनमें से तीन सार्वजनिक विश्वविद्यालय हैं और तीन निजी विश्वविद्यालय हैं।इन्हें शैक्षिक और प्रशासनिक लचीलापन और विशेष सहयोग प्रदान किया गया है।बदले में उन्होंने प्रोन्नत होने तथा अपने-अपने क्षेत्रों में विश्व के सर्वोच्च संस्थानों में शामिल होने के लिए एक समयबद्ध योजना के अनुपालन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
12. 21वीं शताब्दी का समयतीव्र प्रौद्योगिकीय परिवर्तन का युग है। चौथी औद्योगिक क्रांति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा रोबोटिक्स एवं 3D प्रौद्योगिकियों की परिपक्वता तथा परिशुद्ध विनिर्माण से हमारे रहन-सहन और कार्य-व्यवहार में बदलाव आ रहे हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकियों से हम इतनी तीव्र प्रगति कर पा रहे हैं जो इससे पहले संभव नहीं थी। कक्षा में और कक्षा के बाहर प्रौद्योगिकी एक समर्थकारी और बलवर्धक भूमिका निभा सकती है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। भारत, एक अरब से अधिक मोबाइल फोन प्रयोक्ताओं विश्व के विशालतम मोबाइल फोन बाजारों में से एक है। मुझे बताया गया है कि बल्गारिया में भी प्रभावी मोबाइल व्याप्ति है, यहां के प्रति सौ निवासियों के पास 125 से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन हैं।
13. ये आंकड़े एक संचार क्रांति का संकेत देते हैं जिसकी वजह से हमारे लोग लैंडलाइन कनेक्शन के चरण से छलांग लगाकर आगे निकल गए हैं। भारत में, एक छोटे से मोबाइल फोन और इंटरनेट विस्तार का मतलब केवल एक दूसरे से बात करना या ईमेल करना नहीं है बल्कि इस से कहीं ज्यादा आगे की बात बन चुका है। इन्होंने नवाचार और स्टार्टअप क्रांति पैदा की है जो बहुत सी पारंपरिक कारोबार प्रणालियों में हलचल पैदा कर रही है, परंतु साथ ही साथ आकर्षक अवसर पर पैदा कर रही है।
14. इस परिघटना से किसानों की पहुंच सुदूर बाजार तक और बिल्कुल अपने खेतों पर ही उपज के प्रसंस्करण से तथा अपने उत्पादों या मूल्य संवर्धित खाद्य उत्पादों के लिए बेहतर कीमत तक हो रही है। इससे दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले समुदायों के लिए औपचारिक वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली, व्यक्तिगत रूप से बैंकों में जाए बिना ही सुगम हो रही है।इससे वित्तीय लेन-देन की लागत बहुत घट गई है और कारोबार करना और व्यवहार में लाना सुगम हो गया है। प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्रांति का नेतृत्व शैक्षिक संस्थानों में अध्ययनरत युवाओं द्वारा किया जा रहा है।21वीं शताब्दी के विश्वविद्यालय परिसर केवल उपाधियां प्रदान नहीं करते हैं बल्कि प्रौद्योगिकी तथा विचारों के स्फुरण और परिवर्तनकारी अनुप्रयोग डिजायन करके और नए-नए विचारों से भर-पूर रचनात्मक दिमाग के सदुपयोग से वे प्रौद्योगिकी-चालित स्टार्ट-अप्स व छोटे कारोबारों के पोषण के साथ-साथ नवान्वेषण और उद्यमिता के केन्द्र भी बन गए हैं।
15. यह एक ऐसी क्रांति है जो इस समय जीवन्त रूप में भारत में चल रही है। इसने भारत को विश्व का तीसरा सबसे विशाल नवाचार और स्टार्ट-अप संकुल बना दिया है। और, इसी ने भारत के तीव्रतम गति से बढ़ रही विशाल अर्थव्यवस्था वाला देश बना दिया है। भारत का स्टार्ट-अप जगत न केवल रोजगार और धन बल्कि बौद्धिक संपदा भी सृजित कर रहा है।2017 में केवल भारतीय स्टार्टअप पेटेंट आवेदन अपेक्षाकृत बढ़कर 909 तक पहुंच गया जो 2016 की तुलना में 15 गुना अधिक है। यह एक बड़ी गाथा का हिस्सा है जिसमें भारत कोउच्च गुणवत्ता-पूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान में विश्व के दूसरे विशालतम योगदानकर्ता और फाइल किए गए पेटेंट के मामले में 12वां सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।भारत का अनुसंधान और विकास निवेश बढ़कर इस वर्ष 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक हो जाने की उम्मीद है। यह उत्साह जनक माहौल है। मैं बल्गारिया के युवाओं को इसका हिस्सा बनने के लिए आमंत्रितकरता हूं। बल्गारियाई और भारतीय संस्थानों के बीच सहयोग का वातावरण है और इसे हम साझे हित के लिए प्रयोग में ला सकते हैं।
16. प्रौद्योगिकी और ज्ञान-प्रेरित उद्योगों में हो रही तीव्र वृद्धि के प्रभाव प्रयोगशाला और बोर्ड रूम से परे दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, भारत के अंतरिक्ष के अंतर्गत अनेक देशों के उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाता है और हमारी पृथ्वी की कक्षा से बाहर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी यहां की जा रही है। तथापि, हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम की वास्तविक क्षमता सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी में है जो हमारे किसानों को जलवायु संबंधी पूर्व सूचनाएं और मृदा प्रतिरूप संबंधी जानकारी प्रदान करती है और इससे कृषि पैदावार और आय में वृद्धि होती है। इसी प्रकार के नवाचार से भारत को पर्यावरणीय चुनौतियों और वायु प्रदूषण से मुकाबला करने, औद्योगिक अपशिष्टों से निपटने और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज में मदद मिल रही है। भारत, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, जिसका इस वर्ष की शुरुआत में उद्घाटन हुआ था, का सह-संस्थापक और सचिवालयी मेजबान रहा है। यह, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने तथा और अधिक सतत विश्व का निर्माण करने के हमारे प्रयास का हिस्सा है।
17. बल्गारिया और भारत के बीच अनुसंधान और शोध-परक सहयोग के अन्य संभावित क्षेत्र हैं- नदियों को स्वच्छ बनाने की प्रौद्योगिकियों का विकास करना और समुद्री अर्थव्यवस्था की क्षमता का पता लगाना। काला सागर से लेकर हिंद महासागर तक समुद्र के नीचे खनिज संपदा का विशाल खजाना छिपा हुआ है। हमें इसे खोजने और प्रयोग में लाने की आवश्यकता है, और इसमें भी हमारे समुद्री वैज्ञानिक और विश्वविद्यालय एकजुट होकर काम कर सकते हैं।
देवियो और सज्जनो और प्यारे विद्यार्थियो
18. 21वीं शताब्दी हमारे सामने कई बड़े सवाल खड़े कर रही है। अन्य किसी शताब्दी की तुलना में इसने हमारी मान्यताओं को बहुत अधिक आंदोलित किया है। हमारी शैक्षिक प्रणाली और विश्वविद्यालयों को इस पर प्रतिक्रिया करनी होगी और हमारे समाज द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देने होंगे। और हमारे विश्वविद्यालय इस रोलर-कोस्टर सवारी में हमारे पथ-प्रदर्शक बनेंगे। ऐतिहासिक रूप से बल्गारिया और भारत परंपरा और बदलाव के केन्द्र रहे हैं। हम गहरी चिन्तन-धाराओं और दीर्घ स्मृतियों वाले समाज हैं। हम बाल्कन क्षेत्र और हिंद महासागर क्षेत्र के अपने अपने भू-भागों में प्रमुख राष्ट्र हैं। यह हमारा, हमारे लोगों और मेरे समक्ष विद्यार्थियों के रूप में उपस्थित युवाओं का दायित्व है कि वे हमारी साझेदारी को और सार्थक बनाएं। हम प्राचीन सभ्यताएं और युवा राष्ट्र हैं। हम एक-दूसरे के महत्व को जानते हैं और हम एक-दूसरे के मूल्यों को समझते हैं। और यह प्रक्रिया सर्वोत्तम तरीके से तभी शुरू होती है जब हमारे विश्वविद्यालय के परिसरों में इसकी शुरुआत हो।
19. मेरी कामना है कि जिज्ञासा की यह भावना और शिक्षा-प्राप्ति की यह प्रवृत्ति बल्गारिया और भारत के विद्यार्थियों को आपस में सूत्रबद्ध करे और हमारे राष्ट्रों को और अधिक घनिष्ठ संबंध में आबद्ध करे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं आप सभी को और सोफिया विश्वविद्यालय को शुभकामनाएं देता हूं। मुझे आशा है कि भारत के साथ आपके संपर्क-संबंध निरंतर बने रहेंगे।