भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का गुरु नानक देव जी के 550वीं जयंती वर्ष के अवसर पर भाषण
राष्ट्रपति भवन : 05.11.2019
1. पिछले एक साल से, भारत में, और पूरी दुनिया में, गुरु नानक देव जी का 550वां ‘प्रकाश उत्सव’ मनाया जा रहा है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में,‘भाई वीर सिंह साहित्य सदन’ द्वारा गुरु नानक देव जी के जीवन-दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए, अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। आज का कार्यक्रम भी इसी कड़ी का हिस्सा है। इस अवसर पर, राष्ट्रपति भवन में आप सभी को उपस्थित पाकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
2. गुरु नानक देव के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयासों के लिए मैं डॉक्टर मनमोहन सिंह जी और ‘भाई वीर सिंह साहित्य सदन’ से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूँ।
3. 15वीं सदी के दौरान, भारत में जात-पांत और ऊंच-नीच की कुरीतियां फैली हुई थीं, अज्ञान का अंधकार फैला हुआ था। ऐसे कठिन समय में, तलवंडी साहिब के पास राय भोई में एक तेजस्वी बालक का उदय हुआ: सतगुरु नानक प्रगटया, मिटी धुंध जग चानन होया।
4. गुरु नानक देव हम सभी के दिलों में रहते हैं। वे हमारी सांझी धरोहर हैं। वे पूरी मानवता के कल्याण का मारग दिखाने वाली विभूति हैं। उन्होंने सत, संतोष, दया, निमरत और प्यार पर आधारित एक ऐसा समाज बनाने के प्रयास किए, जिसमें सब बराबर हों। ऐसी मान्यता है कि एक साथ बैठकर, मिल-बांटकर भोजन करने की शुरूआत उन्होंने ‘करतारपुर साहिब’ में की। आज भी सभी धर्म, जाति और समुदाय के लोग, एक साथ बैठ कर लंगर छकते हैं।
5. मुझे प्रसन्नता है कि भारत सरकार ने गुरु नानक की तपस्थली करतारपुर साहिब तक, गुरु के प्यारों के लिए, गलियारा तैयार करने का काम बहुत तेजी से पूरा किया है। आज से केवल चार दिन बाद, यह गलियारा दर्शन करने वालों के लिए खोल दिया जाएगा। इस सुखद उपलब्धि के लिए मैं, सभी भारतवासियों को ‘लख लख बधाइयां’ देता हूं।
देवियो और सज्जनो,
6. गुरु नानक देव ने मानवता को ‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’ का महामंत्र दिया, जिसका अर्थ है: ईश्वर का नाम जपो, ईमानदारी और मेहनत से अपना काम करो, और जो कुछ भी कमाई करो, उसे लोगों के साथ मिल-बांटकर छको। अब, यह हम सब की जिम्मेदारी है कि अपने जीवन में इन आदर्शों को ढालकर,समाज की विषमताएं दूर करने में जुट जाएं।
7. गुरु नानक देव सभी धर्मों का सम्मान करते थे। वे यह मानते थे कि ईश्वर सब जगह मौजूद है और निर्मल मन से उसे प्राप्त किया जा सकता है। यह मान्यता है कि वेई नदी में स्नान करते समय बाबा नानक को परमात्मा के दर्शन हुए। परम ज्ञान प्राप्त होने के बाद, उन्होंने मानवता को यह अमर संदेश दिया: इक ओंकार, सतनाम, करता पुरख, निरभय, निरवैर, अकाल मूरत, अजूनी सैभं, गुर परसाद। आदि सच, जुगादि सच, है भी सच, नानक होसी भी सच। अर्थात ईश्वर एक है, उसका नाम सत्य है, वही इस सृष्टि का कर्ता है, वह निर्भय है और किसी के साथ उसका वैर नहीं है, वह आदि स्वरूप है, अजन्मा है, स्वयंभू है, उसे गुरु की कृपा से ही जाना जा सकता है, वह आदि सत्य है, युगादि सत्य है, वह सत्य है और सत्य रहेगा भी।
देवियो और सज्जनो,
8. गुरु नानक महिलाओं को समाज में समान अधिकार देने की शिक्षा देते थे। मैं मानता हूं कि सभी बेटियों को - महिलाओं को, मुक्त भाव से आगे बढ़ने के अवसर मिलने ही चाहिए। साथ ही, उनकी तरक्की और कामयाबी की सराहना होनी चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
9. गुरु नानक पूरे मानव समाज के लिए प्रकाश-स्तम्भ यानि कि ‘चानन मिनार ’बने। उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए चारों दिशाओं में यात्राएं कीं। अपनी यात्राओं के दौरान वे कामरूप, श्रीलंका, कश्मीर तथा मक्का-मदीना-बगदाद जैसे स्थानों पर गए।
10. सिख समाज को पूरी दुनिया में निर्भयता,परिश्रम और सांझी-वालता के लिए जाना जाता है। इसके पीछे जहां गुरु नानक सहित सभी गुरुओं की सीख काम कर रही है, वहीं दसवें गुरु गोविन्द सिंह की वीरता एवं पराक्रम भी।
11. सिख समाज का पूरा इतिहास शौर्य और बलिदान की एक बेमिसाल गौरवगाथा है। यह भारत की मिट्टी और संस्कृति की देन है। गुरबानी भारत की अंतरात्मा का अभिन्न हिस्सा है।
12. मेरी शुभकामना है कि गुरुओं की यह अमर वाणी हम सबका मार्गदर्शन करती रहे -