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भारतीय विज्ञान संस्थानों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों की बैठक में भारत के राष्ट्रपति का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 06.03.2018

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आज हमने राष्ट्रीय महत्व वाले 31 संस्थानों, जिन्हें मैं ‘राष्ट्रीय गौरव के संस्थान’ भी कहूंगा, के निदेशकों की बात सुनी है । विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा के आधार स्तंभ - ये संस्थान, हमारे करोड़ों युवा विद्यार्थियों के लिए शिक्षा के ऐसे संस्थान हैं जिनमें शिक्षा प्राप्त करने का स्वप्न वे देखा करते हैं। कुछ संस्थानों को दशकों से शानदार ख्याति प्राप्त होती रही है लेकिन कुछ अन्य संस्थानों की स्थापना अभी हाल ही तक यानि कि 2016 तक होती रही। यद्यपि इन सभी संस्थानों में उत्कृष्टता की और ज्ञान की ललक एक जैसी है।

2. भारत का राष्ट्रपति होने के नाते, मैं इन सभी संस्थानों का कुलाध्यक्ष हूं। शिक्षा, विशेषकर उच्च शिक्षा एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में मेरी व्यक्तिगत दिलचस्पी है। इसीलिए, हमारे संस्थानों द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जाता है उन्हें समझने, चर्चा करने और जहां तक संभव हो उनके तुरंत समाधान ढूंढ़ने के लिए यह बैठक बुलाई गई है।

3. आज विचार-विमर्श में उभरे कुछ साझे मुद्दे संकाय के चयन और भर्ती, शैक्षिक कर्मियों का प्रशिक्षण व कौशल का उन्नयन, बुनियादी ढांचे, आंतरिक राजस्व में वृद्धि, अनुसंधान सुविधाओं की बढ़ोतरी और ऐसे ही अन्य मामलों से संबंधित हैं। इन मुद्दों को सुलझाना एक प्रक्रिया का हिस्सा है। और मुझे खुशी है कि संस्थानों के स्तर पर और सरकार के स्तर पर भी इन मुद्दों को सुलझाने के कदम उठाए जा रहे हैं।

4. आज यहां मानव संसाधन विकास मंत्री, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के अधिकारी उपस्थित हैं, मैं इसकी सराहना करता हूं। आपकी उपस्थिति ने विचार-विमर्श को ज्यादा सार्थक बना दिया और विचार-विमर्श में शामिल मुद्दों को समयबद्ध ढंग से सुलझाने की दृढ़ प्रेरणा इससे झलकती है।

5. आपके संस्थानों पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी यह है कि हमारे देश और हमारे लोगों की जरूरतों के मुताबिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास का ताल-मेल आपको बैठाना है। हर वैज्ञानिक प्रयास के मूल में अकसर कोई न कोई समस्या होती है जिसे कोई वैज्ञानिक हल करना चाहता है। यह महत्वपूर्ण है कि हमारे राष्ट्र और हमारे समाज के सम्मुख जो चुनौतियां हैं, वे चुनौतियां ज्ञान, आविष्कार और नवान्वेषण के आपके प्रयासों के लिए प्रमुख प्रेरणा स्रोत बनें।

6. हमारे सामने असीम चुनौतियां हैं। चाहे हमारे लोगों को गरीबी से निकालना हो, उनका स्वास्थ्य और सेहत सुनिश्चित करनी हो या खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा हासिल करनी हो, आपके संस्थान एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रदूषण से लेकर तेजी से फैल रहे हमारे शहरों में यातायात जाम की समस्याओं का समाधान निकालने में आपके इन्क्यूबेशन सेंटर भी मदद कर सकते हैं। आप विचारों को साझा करने और संसाधनों को एकजुट करने के लिए आप आपस में सहयोग कर सकते हैं। ऐसे सहयोजन से आपको हमारे यहां मौजूद समस्याओं में से कुछ को बेहतर ढंग से सुलझाने में मदद मिल सकती है।

7. मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान अपने बी.टेक. कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए लैंगिक अनुपात को सुधारने के लिए कुछ कदम उठा रहे हैं और उन्होंने यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य तय किया है कि वर्ष 2020 तक बी.टेक. महिला विद्यार्थी 20 प्रतिशत तक हो जाएं। यह काम एक बड़ा काम है कि वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के बी.टेक. विद्यार्थियों में महिलाएं 10 प्रतिशत से भी कम हैं। हमें याद रखना चाहिए कि लैंगिक समानता के बिना और हमारी बहन-बेटियों को समान अवसर दिए बिना हमारे किसी भी विकास लक्ष्य का कोई अर्थ नहीं है।

8. विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को हरसंभव तरीके से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में छात्राओं और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना होगा। यदि इस असमानता पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियां हमेशा श्रेष्ठता के स्तर से और वांछित स्तर से नीचे रहेंगी। अब से लेकर दो दिन तक हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाएंगे। आइए, विज्ञान में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करें।

9. इन विख्यात संस्थानों के निदेशकों के रूप में यह आपकी जिम्मेदारी है कि इन संस्थानों को अधिक से अधिक मजबूत बनाया जाए। यह देखते हुए कि आपका वर्तमान स्तर पहले ही काफी ऊंचा है, इसमें और सुधार करना एक चुनौती होगी जिसे आपको स्वीकार करना ही चाहिए। आपको अनुसंधान और शिक्षा में अपने प्रदर्शन की तुलना विश्व के सर्वोत्तम मानदंडों से करनी चाहिए। हमारे यहां न तो प्रतिभा का और न ही संसाधनों का अभाव है और मुझे यकीन है कि आपके जैसे सर्वोत्तम संस्थानों को अभी सर्वोत्तम स्तर प्राप्त करना बाकी है। आपके लिए जरूरी केवल यह है कि आप उच्चतर मानदंड स्थापित करें और अपने समक्ष मौजूद हर समस्या को व्यवस्थित तरीके से हल करें।

10. हम सभी लोग, भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान क्षेत्र की महान विभूतियों-विक्रम साराभाई, होमी जहांगीर भाभा, सतीश धवन और उनके जैसे अन्य को याद करते हैं। जो बातें उन्हें बाकी लोगों से अलग सिद्ध करती हैं, वे हैं विकास को संस्थागत रूप देने की क्षमता और अगली पीढ़ी के वैज्ञानिक प्रशासकों और अगुणवाओं को तैयार करना। हमारी श्रेष्ठता वैज्ञानिक संस्थाओं के मुखिया होने के नाते आपको भावी पीढ़ी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व मार्ग-दर्शक की प्रमुख भूमिका निभानी होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे पास वैज्ञानिक-प्रशासकों का एक प्रतिभा समूह तैयार मिलेगा जो हमारे वैज्ञानिक संस्थानों की परिकल्पना, संस्थापना और संचालन का काम संभाल सके।

11. आज हमने कुछ चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया है और भावी रास्ते की पहचान में कुछ प्रगति भी की है। मुझे विश्वास है कि मंत्री, श्री प्रकाश जावड़ेकर के नेतृत्व में मानव संसाधन विकास मंत्रालय किसी भी समस्या को संकेंद्रित और समयबद्ध तरीके से हल करने के लिए आपके साथ कार्य करता रहेगा। मेरा प्रस्ताव है कि हम प्रगति की समीक्षा के लिए लगभग 6 महीने में, संभवतः अक्तूबर में, एक बार फिर मिलें।

12. इन्हीं शब्दों के साथ मैं इस अत्यंत प्रबुद्ध बैठक के लिए राष्ट्रपति भवन आने और विचार-विमर्श में भाग लेने के लिए आपका धन्यवाद करता हूं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आप सब अपने-अपने संस्थानों के प्रति और उन्हें उत्कृष्टता के अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं आपको और आपके संस्थान के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

जय हिन्द!