भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार समारोह में सम्बोधन
नई दिल्ली : 06.03.2019
1. शहरी-स्वच्छता के क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन देने और नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित ‘स्वच्छ-सर्वेक्षण’ से जुड़े इस समारोह में भाग लेकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मुझे बताया गया है कि यह अपने ढंग का विश्व का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है। इस सर्वेक्षण के द्वारा, 64 लाख नागरिकों की भागीदारी के जरिए लगभग 40 करोड़ की शहरी आबादी के लिए स्वच्छता संबंधी प्रयासों के विषय में उपयोगी जानकारी एकत्र की गई है।
2. हमारे देश में ग्रामीण और शहरी स्वच्छता के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सराहनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं। आजकल शहर या गांव की पहचान उसकी स्वच्छता से भी होने लगी है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
3. आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले शहरों और राज्यों के स्वच्छता-प्रतिनिधियों और सभी निवासियों को मैं बधाई देता हूँ। अब तक हुए सभी चार सर्वेक्षणों में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करके इंदौर शहर ने एक मिसाल कायम की है। इंदौर शहर की स्वच्छता के लिए सक्रिय योगदान देने वाले सभी नागरिक, कर्मचारी और संस्थान विशेष बधाई के पात्र हैं।स्वच्छता के काम को ज़मीन पर अंजाम देने वाले सभी स्वच्छताकर्मियों और स्वच्छाग्रहियों के योगदान के लिए, मैं उन सबको, पूरे राष्ट्र की ओर से धन्यवाद देता हूँ।
4. आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा योजनाबद्ध तरीके से नगरवासियों का जीवन-स्तर सुधारने के अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मंत्रालय द्वारा एक ‘ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स’ जारी किया गया है जिसमें ‘वेस्ट-मैनेजमेंट’ सहित स्वच्छता का पैमाना भी शामिल है। इन प्रयासों के लिए श्री हरदीप पुरी जी और उनकी टीम के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं।
देवियो और सज्जनो,
5. आज पुरस्कार के रूप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्तियाँ प्रदान की गई हैं। गांधी जी ने, अन्य क्षेत्रों में हमें दिशा दिखाने के साथ-साथ, स्वच्छता के अग्रदूत की भूमिका भी निभाई है। आज स्वच्छता को एक जन-आंदोलन का रूप दे कर हमारे देशवासियों ने राष्ट्रपिता के प्रति सच्चा सम्मान व्यक्त किया है। पिछले सप्ताह 26 फरवरी के दिन मुझे विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान के लिए ‘गांधी शांति पुरस्कार’ प्रदान करने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। उनमें से एक पुरस्कार स्वच्छता पर ही केन्द्रित था। स्वच्छता को एक सुनियोजित सामाजिक अभियान के रूप में आगे बढ़ाने के लिए ‘सुलभ इन्टरनेशनल’ को वर्ष 2016 के ‘गांधी शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
6. सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पूरे विश्व-समुदाय के लिए अपनाए गए ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ में यह भी शामिल है कि सन 2030 तक स्वच्छता की सुविधाएं सबको सुलभ हों, ‘खुले में शौच’ पूरी तरह समाप्त हो तथा महिलाओं व बालिकाओं और अन्य कमजोर वर्गों की स्वच्छता से जुड़ी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। लेकिन उपरोक्त समय सीमा से बहुत पहले, हमारे देश में 2 अक्तूबर, 2019 तक यानि गांधी जी की 150वीं जयंती तक ही इन लक्ष्यों को प्राप्त कर लेने का संकल्प लिया गया है। यह हम सबके लिए प्रसन्नता की बात है।
7. पिछले वर्ष ‘महात्मा गांधी इन्टरनेशनल सैनीटेशन कन्वेंशन’ का शुभारंभ करने का अवसर मुझे मिला था। गांधी जयंती के दिन सम्पन्न हुए उस समारोह में भाग लेने वाले 70 देशों के प्रतिनिधियों ने मिलकर Delhi Declaration पारित किया था जिसके अनुसार सभी भागीदार देशों ने, भारत की तरह, ‘खुले में शौच’ को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उस कन्वेंशन के दौरान अनेक देशों ने भारत के प्रयासों से सीखने का उत्साह प्रदर्शित किया। सरकार और प्रशासन से निरंतर प्रोत्साहन प्राप्त होने के कारण भारत के स्वच्छता अभियान को बहुत बल मिला है। इस प्रकार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा ‘स्वच्छता अभियान’ को दी गई प्राथमिकता विश्व के अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। इससे सभी भारतवासियों का गौरव बढ़ा है और ज़िम्मेदारी भी।
8. कल ही सम्पन्न हुए प्रयागराज में आयोजित कुम्भ की विशालता और दिव्यता के साथ-साथ, वहाँ की स्वच्छता की चर्चा और सराहना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। विश्व की सबसे बड़ी टेम्परेरी टेन्ट सिटी, कुम्भ नगरी, में आने वाले यात्रियों की संख्या, लगभग 25 करोड़ आँकी गई है। लगभग 1,20,000 शौचालयों की व्यवस्था के साथ-साथ, कूड़ा-कचरा लगातार साफ करने के लिए जो कार्य वहाँ किया गया है, उसे अनेक देशों में सराहा जा रहा है। प्रयाग-कुम्भ के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी कुम्भ का आयोजन होता है। देश के अन्य भागों में विभिन्न किस्म के त्योहार और मेले आयोजित होते हैं जहां बहुत बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। मुझे विश्वास है कि इस वर्ष के प्रयाग-कुम्भ से सीख लेकर, ऐसे बड़े समारोहों के आयोजक-गण स्वच्छता पर अधिक ध्यान देंगे और प्रभावी पद्धतियों का प्रयोग करेंगे।
देवियो और सज्जनो,
9. स्वच्छता को प्रभावी और स्थायी बनाने के लिए जरूरी है कि यह सभी नागरिकों की आदत, स्वभाव और व्यवहार का हिस्सा बने। जीने का तरीका, स्वच्छता पर आधारित हो; सोचने का तरीका,स्वच्छता पर केन्द्रित हो। बहुत से लोग व्यक्तिगत सफाई, अपने घर और परिसर की सफाई पर बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन सार्वजनिक और सामुदायिक सफाई के प्रति उदासीन रहते हैं। इस मानसिकता में बदलाव ज़रूरी है। सर्वत्र स्वच्छता ही प्रभावी स्वच्छता होती है। स्वच्छता की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए स्वच्छता की संस्कृति को नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा। स्वच्छता को लेकर लोगों में गर्व की भावना होनी चाहिए। इसके लिए जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों पर और अधिक बल देना होगा। सभी विद्यालयों और उच्च-शिक्षण संस्थानों में स्वच्छता को पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण विषय बनाना चाहिए। सभी शिक्षण तथा सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा स्वच्छता की मुहिम को और मजबूत बनाने के लिए रोचक और प्रेरक समारोह आयोजित करने चाहिए।
10. स्वच्छता में निवेश करने के अनेक सामाजिक और आर्थिक लाभ होते हैं। स्वच्छता से स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है; बेहतर स्वास्थ्य से कार्य-क्षमता बढ़ती है; कार्य-क्षमता या सामर्थ्य से व्यक्ति और समाज अधिक समृद्ध होते हैं। इस प्रकार, स्वच्छ भारत के आधार पर स्वस्थ भारत, और स्वस्थ भारत के आधार पर समर्थ और समृद्ध भारत का निर्माण संभव है।
11. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने अपने अध्ययन में यह पाया है कि भारत में ‘स्वच्छता अभियान’ के परिणाम-स्वरूप नागरिकों का बीमारियों से बचाव हो रहा है। ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ में लगातार प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले इंदौर शहर में वेक्टर-बॉर्न-डिज़ीज़ेज़ में 70 प्रतिशत की कमी आई है। इससे वहां के हेल्थ-केयर-कॉस्ट में भी उल्लेखनीय कमी आई है।
12. एक आकलन के अनुसार, ‘खुले में शौच’ के पूरी तरह समाप्त हो जाने से भारत के प्रत्येक परिवार में सालाना लगभग 50,000 रुपए की बचत होगी।
देवियो और सज्जनो,
13. शहरों में रहने वाले लगभग 40 करोड़ देशवासी, जी. डी. पी. में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं। अगले दशक के दौरान शहरी आबादी में तेजी से बढ़ोतरी होने का अनुमान है। शहरों को स्वच्छ रखने के बहु-आयामी लाभ होंगे।
14.‘स्वच्छ भारत मिशन’ के परिणामों को स्थायी और प्रभावी रूप देने के लिए होलिस्टिक और सस्टेनेबल सैनिटेशन पर ज़ोर दिया जा रहा है। किसी भी शहर या गाँव के लिए ‘खुले में शौच’ से मुक्त होना स्वच्छता की पहली पायदान है। स्वच्छता की सुविधाओं का निरंतर उपयोग, उनका समुचित रख-रखाव, सॉलिड और लिक्विड वेस्ट का प्रबंधन, नदियों, झीलों और वाटर बॉडीज़ को मल-प्रदूषण से मुक्त रखना, सतत स्वच्छता के लिए जरूरी है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि स्थायी स्वच्छता से जुड़े इन सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा और प्रगति हो रही है।
देवियो और सज्जनो,
15. हमारे देश की पिछली पीढ़ियों ने समय की मांग के अनुसार समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना महान योगदान दिया है। 19वीं सदी में राजा राम मोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर और जोतिबा फुले जैसी विभूतियों ने समाज सुधार के क्रांतिकारी कदम उठाए थे। 20वीं सदी के पूर्वार्ध में लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी और बाबासाहब डॉक्टर भीम राव आंबेडकर जैसे मार्गदर्शकों ने नई सामाजिक और राजनैतिक चेतना को जन्म दिया। आज हमारी पीढ़ी के सामने यह अवसर है कि हम अगली पीढ़ियों के लिए एक पूर्णतः स्वच्छ भारत का निर्माण करें। महात्मा गांधी कहा करते थे कि हम उन भावी पीढ़ियों के लिए भी जिम्मेदार हैं जिन्हें हम नहीं देख पाएंगे। साथ ही, गांधी जी ने यह भी कहा था कि उन्हें यदि ‘स्वच्छता’ और ‘स्वराज’ में किसी एक को चुनना पड़ता तो वे ‘स्वच्छता’ को प्राथमिकता देते। गांधी जी और उनकी समकालीन पीढ़ियों ने हमारे देश के लिए ‘स्वराज’ का लक्ष्य प्राप्त किया। आज गांधी जी की 150वीं जयंती के वर्ष में, हम सब यह संकल्प लें कि हम उनके सपनों के अनुरूप, पूर्णतया स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे और उसे स्थायी स्वरूप प्रदान करेंगे। आज का यह पुरस्कार समारोह इसी लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बढ़ाया गया एक प्रभावी कदम है।
16. मैं एक बार फिर आज के पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूँ। मैं यह आशा करता हूँ कि इन पुरस्कार विजेताओं से प्रेरणा लेकर और उनके कार्यक्रमों से सीख कर, अन्य शहर और राज्य, स्वच्छता के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे। मुझे विश्वास है कि स्वच्छता से जुड़ी यह प्रतिस्पर्धा देशवासियों का जीवन-स्तर सुधारने और विश्व-पटल पर भारत की छवि को बेहतर बनाने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी।