भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से भेंट के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविन्द का संबोधन
राष्ट्रपति भवन : 06.06.2018
1. मैं राष्ट्रपति भवन में आपका हार्दिक स्वागत करता हूं। मुझे आपसे मिलकर खुशी हुई है। आपने एक रोमांचक करियर चुना है। अपने देश का प्रतिनिधित्व करना वास्तव में,एक सम्मान की बात है और मुझे विश्वास है कि आपको ऐसा करने में गर्व अनुभव होगा।
2. मैं जानता हूं कि एक राजनयिक के रूप में अपने कौशल को निखारने के लिए आपने विदेश सेवा संस्थान में छह महीने बिताए हैं। प्रशिक्षण के दौरान आपने अनुभव किया होगा कि विदेश सेवा के किसी अधिकारी के कौशल हमारी सिविल सेवा के दूसरे सदस्यों के कौशल से बिल्कुल अलग होते हैं। आपकी दुनिया प्रभावी संप्रेषण,रणनीतिक चिन्तन और मेज़बान समाज की गहरी राजनीतिक और सांस्कृतिक समझ के इर्द-गिर्द घूमती है। आपके लिए भाषायी बारीकि़यों में दक्षता प्राप्त करने,गूढ़ताओं को समझने और निहितार्थों को भांपने की कला में महारत हासिल करना जरूरी है। अपने करियर के प्रगति पथ पर आगे बढ़ते हुए आपको ये बातें ध्यान में रखना है और इन गुणों को निखारते रहना है।
3. जल्द ही आप विदेश में अपनी नियुक्ति पर रवाना हो जाएंगे। आप विविध क्षेत्रों के लोगों के साथ कार्य करेंगे। अपने काम में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए आपको उनकी सांस्कृतिक भावनाओं को समझना और सराहना होगा। इन बातों की समझ, सभी पहलुओं से होना आपके लिए आवश्यक है। आप में से प्रत्येक को एक विदेशी भाषा सीखने के लिए कहा गया होगा,परंतु आपको मेरी सलाह है कि आप जितनी हो सकें उतनी भाषाएं सीखें। उनमें आपके लिए और उससे ज्यादा राजनयिक व्यवहार में एक बिल्कुल नई दुनिया खोलने की ताकत है।
4. मुझे खुशी है कि विदेश सेवा संस्थान में आपके प्रशिक्षण के दौरान, आपको भारत के विभिन्न आयामों, इसकी आर्थिक दक्षता, सांस्कृतिक विविधता, वैज्ञानिक क्षमताओं और सुरक्षा जरूरतों की समूची जानकारी मिली है। इनसे आपको विदेश में कूटनीति की जटिल दुनिया को समझने में मदद मिलेगी।
5. प्रशिक्षु अधिकारियो, मुझे आपसे यही कहना है कि आप एक जाग्रत समय में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हो रहे हैं। भारत अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ा रहा है। हम विश्व के प्रत्येक भाग में अपने हितों को सुरक्षित बना रहे हैं। हम वैश्विक शांति, सुरक्षा और प्रगति को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों चाहे वे आतंकवाद से लड़ना हो या जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के प्रयासों को तेज करना हो, में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। हमारी आकांक्षाओं से भारतीय विदेश सेवा पर नए दायित्व आ रहे हैं और मुझे विश्वास है कि प्रशिक्षु अधिकारी इस अवसर का पूरा उपयोग करेंगे।
6. वर्तमान अति-संयोजित विश्व में कूटनीति घरेलू कार्य-व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। चाहे 'स्वच्छ ऊर्जा' हो, 'डिजिटल इंडिया', 'स्किल इंडिया', 'मेक इन इंडिया' हो या तेज गति के रेलवे नेटवर्क का निर्माण हो, हमारे देश की प्रगति और विकास के प्रत्येक पहलू का अंतरराष्ट्रीय संबंध है। इसलिए आर्थिक कूटनीति हमारे लिए एक प्राथमिकता है। आपको नई प्रौद्योगिकियां खोजनी होंगी,हमारे निर्यात को बढ़ाने के तरीके तलाश करने होंगे तथा आर्थिक प्रगति और उत्पादकता को तेज करने के अवसर पैदा करने होंगे। ऐसे परिदृश्य में मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि राष्ट्र निर्माण में आपकी अहम भूमिका है।
7. आपका कार्य स्पष्ट रूप से निर्धारित है। हमें एक सुरक्षित और समृद्ध माहौल बनाने और हमारी विकासात्मक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हमारे सभी मित्रों और साझीदारों के साथ सुदृढ़ संबंध कायम रखने होंगे। आपको हमारे हितों को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित और समायोजित करने वाले वैश्विक शासन ढांचे पर काम करना होगा, उसके लिए संघर्ष करना होगा और उसका पुनर्निर्माण करना होगा।
8. भारत के प्रतिनिधि के रूप में,आपकी जिम्मेदारी भी खास होगा और आपका जीवन भी खास होगा। मुझे विश्वास है कि आप जितना हो सकेगा, देशहित के लिए इनका प्रयोग करेंगे। जब आप ऐसा करें तो आप अपने देश के उन लोगों का ध्यान करें जिन्होंने अभी तक विकास की सीढ़ियों पर पैर नहीं रखा है। आपको समाज में, जिस भी रूप में संभव हो, अपना योगदान करने के लिए स्वयं को समर्पित करना चाहिए। आपको सदैव अपने कामकाज में निष्ठा और ईमानदारी के सिद्धांतों का अनुपालन करना चाहिए।
9. मैं आपके भावी करियर में आपकी सफलता की कामना करता हूं।