केरल विधानसभा के हीरक जयंती समारोह के समापन के अवसर पर आयोजित ‘फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी’ के उद्घाटन समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
तिरुअनंतपुरम : 06.08.2018
1. मुझे केरल विधानसभा की हीरक जयंती समारोह के भाग के रूप में आयोजित किए जा रहे ‘फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी’ के उद्घाटन के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हुई है। मैं इस उपलब्धि के लिए राज्य के लोगों और विधानसभा के सभी सदस्यों और पूर्व सदस्यों तथा यहां पूर्व एवं वर्ममान में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई देता हूं।
2. मैं, इस राष्ट्रीय स्तर के महोत्सव के आयोजन की पहल करने के लिए विशेष रुप से विधानसभा अध्यक्ष की सराहना करता हूं। मुझे बताया गया है कि इसमें विधायी लोकतंत्र के महत्वपूर्ण विषयों पर छह भिन्न-भिन्न संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।इनमें कमजोर वर्ग, विशेषकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय का सशक्तिकरण; महिलाओं और लैंगिक मुद्दों पर ध्यान देना; विधानसभा की कार्यवाहियों को और अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुख बनाना; मीडिया और विद्यार्थियों को संसदीय लोकतंत्र के साथ जोड़ना और अंततः केरल के विकास मॉडल की प्रासंगिकता और व्यापक प्रयोज्यता शामिल है।
3. ये सभी अत्यंत सार्थक विषय हैं। मुझे विश्वास है कि ‘फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी’ में होने वाली परिचर्चा से हमारे देश के विधायी लोकतंत्र की प्रगति के लिए कार्रवाई-योग्य और व्यावहारिक विचार प्राप्त होंगे। विचार-मंथन का ऐसा आयोजन, केरल की समृद्ध बौद्धिक विरासत के अनुरूप ही है।
4. राजनीति, सार्वजनिक जीवन और लोकतंत्र की गुणवत्ता समाज के मौलिक लोकाचार का प्रतिबिंब होती है। इसलिए केरल विधानसभा ने स्वयं और इसमें होने वाली चर्चाओं और परिचर्चाओं ने, ऐतिहासिक तौर पर जिन मानवतावादी मूल्यों का समर्थन किया है, उन पर कानून बनाए हैं, वे इस राज्य की परंपराओं को ही दर्शाते हैं। केरल ने ही हमारे राष्ट्र को राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के रूप में एक महान शख्सियत प्रदान की जो राष्ट्रपति भवन में मेरे विशिष्ट पूर्ववर्ती रहे हैं। वे अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निकलकर सर्वोच्च पद पर पहुंचे और उन्होंने विद्वता, मेहनत और संकल्प से यह उपलब्धि प्राप्त की।
5. पिछली शताब्दियों में भी केरल के सामाजिक ढांचे में चर्चा-परिचर्चा और संवाद को प्रोत्साहित किया जाता था। आदि शंकराचार्य, श्री नारायण गुरु और अय्यनकली जैसे दूरदर्शी सुधारकों ने यही मार्ग अपनाया था। केरल को अपना प्रारंभिक बसेरा बनाने वाले हिंदू, यहूदी, ईसाई, इस्लाम आदि महान पंथों और आध्यात्मिक परंपराओं को मानने वाले लोगों के बीच परस्पर विमर्श की प्रेरणा इसी मार्ग से मिली थी। राष्ट्रपति ने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी न किसी पंथ में विश्वास करता ही हो; यह भी संभव है कि वह किसी भी पंथ में विश्वास न करता हो। महत्वपूर्ण यह है कि सुचिंतित और सुविचारित वाद-विवाद तथा आपसी सामंजस्य की जो संस्कृति है और जो केरल के ताने-बाने का हिस्सा रही है, उसे सहेजकर रखा जाना चाहिए। इसे सार्वजनिक जीवन में सहेज कर रखा जाना चाहिए और विधानसभा में भी।
6. विगत 60 वर्षों में दौरान, विधानसभा को असाधारण योग्यता वाले जन प्रतिनिधियों की वाणी और बौद्धिक क्षमता से सशक्त होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इनमें केरल के कुछ पहले-पहले पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री शामिल हैं- जैसे कि ई.एम.एस. नंबूदरीपाद, श्री आर. शंकर और श्री सी. अच्युत मेनन, प्रथम विधानसभा के एक सदस्य रहे सम्माननीय और अति लोकप्रिय न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्ण अय्यर; स्वर्गीय श्री के. करुणाकरण और श्री ई.के. नयनार; श्री वी.एस.अच्युतानंदन और स्वतंत्र भारत की सर्वाधिक सम्मानित महिला राजनीतिज्ञों में शामिल श्रीमती के. आर. गौरी अम्मा जैसे वरिष्ठ राजनेता तथा श्री ए. के. एंटनी और मुख्यमंत्री श्री पिनाराई विजयन जैसे समकालीन व्यक्ति शामिल हैं। मैंने केवल कुछ नामों का ही जिक्र किया है। ऐसे और भी उल्लेखनीय नाम हैं। यह हीरक जयंती उनके सामूहिक योगदान के प्रति एक श्रद्धांजलि है।
अध्यक्ष महोदय, सदन के सदस्यो और देवियो और सज्जनो,
7. भूमि सुधार से लेकर पंचायती राज, साक्षरता से लेकर स्वास्थ्य-चर्या तक केरल के लोगों ने बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की हैं। इस प्रक्रिया में इस सदन में निर्मित और पारित किए गए कानूनों से मदद की मिली है। इनसे सामाजिक क्षेत्र में ऐसी उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं जिन्हें‘केरल मॉडल’कहा जाने लगा है। जैसा कि मैंने अभी-अभी उल्लेख किया है कि आज उद्घाटित किए जा रहे महोत्सव के एक सत्र में इस पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
8. फिर भी, अतीत की उपलब्धियों के प्रति संतुष्टि होते हुए भी यह भी जरूरी है कि हम आकांक्षा के साथ भविष्य की ओर देखें। केरल के सामाजिक क्षेत्र में निवेश किए जाने से इस राज्य के प्रतिभावान लोगों को न केवल हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था बल्कि विश्व के अलग-अलग भागों में योगदान करने में भी मदद मिली है। अध्यापकों और स्वास्थ्य-चर्या प्रदाताओं के रूप में, प्रौद्योगिकीविदों और कारोबारियों के रूप में, मेहनती कामगारों और अथक रहने वाले निर्माण-श्रमिकों के रूप में और पर्यटन उद्योग में भी केरल के युवा लोगों की बहुत कद्र की जाती है और मानव पूंजी के रूप में उनकी बहुत मांग है।
9.‘केरल मॉडल' का अगला चरण केरल के युवाओं को उनके अपने राज्य में ही और ज्यादा अवसर सुनिश्चित करने का होना चाहिए। हालांकि यह सच है कि देश में कहीं भी काम करने पर उनका खूब स्वागत होता है, परंतु केरल में उद्यमिता और कारोबार क्षमताओं के पल्लवन पर सभी हितधारकों को ध्यान देने की जरूरत है। मुझे विश्वास है कि अगले दो दिन की परिचर्चा में इस पहलू पर भी बल दिया जाएगा।
10. एक अन्य चिंता भी है जिसकी और मैं आपका ध्यान ले जाना चाहता हूं। जैसा कि मैंने पहले भी जोर देकर कहा है, संवाद, आपसी गरिमा और दूसरों के नजरिए का सम्मान करना, केरल के समाज की पहचान रही है। इस कारण मलयालियों को हमारे देश के अगुवाकार चिंतकों में शामिल किया जाता है। इन विशेषताओं से विगत 60 वर्षों में इस सदन के शालीन और प्रबुद्ध संचालन पर भी प्रभाव डाला।ऐसा होते हुए भी केरल, खासतौर से इस राज्य के कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक हिंसा के विरोधा भासी हालात बने हुए हैं।
11. यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है और इस राज्य और इसकी जनता की महान परंपराओं से मेल नहीं खाती। सभी राजनीतिक दलों और सभी प्रबुद्ध नागरिकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे ऐसी प्रवृत्तियों को पनपने से रोकने का भरसक प्रयास करें। वाद-विवाद, असहमति और मतभेद पूरी तरह से स्वीकार्य होने चाहिए और हमारी राजनीतिक व्यवस्था में इनका स्वागत किया जाना चाहिए। परंतु हमारे संविधान में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है।यदि हम ‘फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी' में इस पर विचार करें तो उपयुक्त ही होगा। केरल के लोगों और भारत के नागरिकों का यह अधिकार है कि हम लोग इस मुद्दे पर गंभीरचिंतन करें।
12. अंतत: मैं एक बार फिर केरल विधानसभा की हीरक जयंती पर राज्य के लोगों और सदन के सदस्यों को बधाई देता हूं। मैं ‘फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी’ के लिए सभी प्रतिभागियों को भी शुभकामनाएं देता हूं। और अंत में, मैं इस महीने की समाप्ति पर आने वाले‘ओणम पर्व’ की अग्रिम बधाई भी देता हूं। यह पर्व, केरल के प्रत्येक परिवार और प्रत्येक घर में उल्लास और समृद्धि लेकर आए।