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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन में सम्बोधन

दमोह: 07.03.2021

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गोंडवाना परिक्षेत्र की धरती पर आयोजित इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में आप सबके बीच आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

मध्य प्रदेश में जन्मे, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत-रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का मुझे आज विशेष रूप से स्मरण हो रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री के उनके कार्यकाल के दौरान ही केंद्र सरकार में एक अलग जनजातीय कार्य मंत्रालयका गठन किया गया था। मुझे प्रसन्नता है कि अटल जी की सोच के अनुसार यह मंत्रालय निरंतर अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाता रहा है।

नवंबर 2017 में अपनी मध्य प्रदेश यात्रा के दौरान मुझे बुंदेलखंड की वीरांगना झलकारी बाई की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर मिला था। आज मुझे रानी दुर्गावती की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित करने तथा वहां वृक्षारोपण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बुंदेलखंड और गोंडवाना की शौर्य परंपरा को सम्मानित करके मुझे गर्व का अनुभव हो रहा है।

इस क्षेत्र के घर-घर में सुनी जाने वाली वीर-गाथाओं की महानायिका रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित एकलव्य विद्यालयों के बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम सराहनीय है। ऐसे कार्यक्रमों से ,दर्शकों को यहां की समृद्ध विरासत से जुड़ने का अनुभव होता है तथा उनमें प्रेरणा का संचार होता है। रानी दुर्गावती के अंतिम युद्ध का विवरण सबके हृदय को आंदोलित करता है एवं श्रद्धा से ओत-प्रोत कर देता है। सिंग्रामपुर की ऐतिहासिक विरासत को प्रदर्शित करने वाली फिल्म सभी दर्शकों को भारतीय इतिहास के एक ऐसे गौरवशाली अध्याय से परिचित कराती है।

रानी दुर्गावती ने 16वीं सदी में आत्म-गौरव की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने का इतिहास रचा। उनके बलिदान के लगभग 300 वर्ष बाद, उनकी वंश परंपरा में ही उत्पन्न राजा शंकर शाह को अंग्रेजों का विरोध करने के कारण 19वीं सदी में मृत्यु दंड दिया गया। आज के इस समारोह में उन दोनों अमर शहीदों की स्मृति में स्थापित पुरस्कारों द्वारा जनजातीय विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाने की मैं सराहना करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

अंग्रेजी हुकूमत के दौर में, यदि हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने अपनी वीरता और पराक्रम का प्रदर्शन न किया होता तो हमारी अमूल्य वन संपदा का और भी बड़े पैमाने पर दोहन हो चुका होता। इस प्रकार, हमारे आदिवासी भाई-बहन हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रहरी और रक्षक रहे हैं।

विभिन्न जनजातीय समुदायों ने हमारे स्वाधीनता संग्राम में गौरवशाली योगदान दिया है। हमारे वे जनजातीय शहीद,केवल स्थानीय रूप से ही नहीं पूजे जाते हैं बल्कि पूरे देश में उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है किजनजातीय स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों की वीर -गाथाओं को संरक्षित करने एवं आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से छिन्‍दवाड़ा में एक संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है।

कुल जनसंख्या की दृष्टि से लगभग डेढ़करोड़ से अधिक की देश में सबसे बड़ी जनजातीय आबादी मध्य प्रदेश में ही है। अतः मध्य प्रदेश में आयोजित यह जनजातीय सम्मेलन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के इस सम्मेलन में,कला प्रशिक्षण हेतु वर्चुअल क्लास के पोर्टल का उद्घाटन करके मुझे प्रसन्नता हुई है। ऐसे विशेष प्रयासों के बल पर, जनजातीययुवाओं को टेक्नॉलॉजी औरकला -साहित्य के माध्यमसे उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करके उन्हें आधुनिकभारत के निर्माण मेंसहभागी बनाना है।

जनजातीय समुदायों के तीज-त्योहार और मेले इतने आकर्षक होते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का हृदय आनंद से भर उठता है। आज के कार्यक्रमों में हमारी समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली है। मैं सभी आयोजकों व कलाकारों को बधाई देता हूं।

देवियो और सज्जनो,

हम सबको यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि आदिवासी समुदाय का कल्याण तथा विकास पूरे देश के कल्याण और विकास से जुड़ा हुआ है। इसी सोच के साथ केंद्र एवं राज्य की सरकारों द्वारा जनजातियों के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

यह मध्य प्रदेश के निवासियों का सौभाग्य है कि श्रीमती आनंदीबेन पटेल यहां की राज्यपाल हैं जो अपने लंबे और प्रभावशाली जनसेवा के अनुभव के बल पर राज्य का कुशल मार्गदर्शन कर रही हैं।मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में समग्र विकास के साथ-साथ जनजातीय समुदायों के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए मैं उनकी और राज्य सरकार की पूरी टीम की सराहना करता हूं।

आज भूमिपूजन द्वारा जिन योजनाओं का शुभारंभ किया गया है तथा जिनका लोकार्पण किया गया है उनके कारण इस क्षेत्र में पर्यटकों की रुचि बढ़ेगी तथा स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा होंगे। साथ ही, जनजातीय समुदायों की समृद्ध विरासत के बारे में जागरूकता भी बढ़ेगी। इस परिक्षेत्र को नेशनल ट्राइबल टूरिज़म हब' के रूप में विकसित किया जा सकता है।

इस क्षेत्र के समग्र विकास को बल प्रदान करने वाली इन योजनाओं के लिए मैं केंद्र सरकार में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल की सराहना करता हूं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि उनके मार्गदर्शन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 6 नए मण्डलों का सृजन किया गया है। इन नए मण्डलों में जबलपुर मण्डल भी शामिल है जिसका आज ही शुभारंभ हुआ है। मैं आपको और आपकी पूरी टीम को शुभकामनाएं देता हूं कि आप सब भारत की गौरवशाली विरासत को सुरक्षित रखने तथा संवर्धित करने के अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त करें। साथ ही ,मुझे यह भी विश्वास है कि आप सब चंबल व मालवा सहित, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकोशल की सांस्कृतिक विरासत को विशेष पहचान दिलाने में भी अवश्य सफल होंगे।

देवियो और सज्जनो,

हम सबको अपने जनजातीय भाई-बहनों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। जनजातीय समुदायों में एकता-मूलकसमाज को बनाए रखने पर ज़ोर दिया जाता है। उनमें स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है। जनजातीय समुदायों में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है, प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। उनकी जीवनशैली में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। आदिवासी जीवन संस्कृति में सहजता होती है तथा परिश्रम का सम्मान होता है। यदि आपको मानवता की जड़ों से जुड़ना है तो आपको जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्यों को अपनी जीवनशैली में लाने का प्रयास करना चाहिए।

जनजातीय समुदायों में परंपरागत ज्ञान का अक्षय भंडार संचित है। मुझे बताया गया है कि मध्य प्रदेश मेंविशेष पिछड़ी जनजाति समूह में शामिल बैगा समुदाय के लोग परंपरागत औषधियों व चिकित्सा के विषय में बहुत जानकारी रखते हैं। प्रायः वे असाध्य रोगों का अचूक इलाज करने में भी सफल होते हैं। परंपरागत आयुर्वेदिक औषधियों के प्रसंस्करण एवं निर्माण की योजनाओं में जनजातीय समुदाय की भागीदारी बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

आज Made in India के साथ-साथHand Made in India को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया जा रहा है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे जनजातीय भाई-बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं। ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए जिससे उनके हस्तशिल्प के उत्पादों को अच्छी कीमत और व्यापक स्तर पर बाजार मिल सके।

जनजातियों के कौशल एवं ज्ञान को आधुनिक माध्यमों से प्रसारित करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, जबलपुर में स्थापित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय,अमरकंटक में स्थित राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय तथा अन्य शिक्षण संस्थान, जनजातीय ज्ञान एवं शिल्प परंपरा का व्यापक स्तर पर उपयोगी अध्ययन कर सकते हैं। ऐसे अध्ययनों का लाभ सभी को मिलेगा।

शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम है। इसलिए जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिए प्रयास करना बहुत महत्वपूर्ण है। सन 2017 में मुझे अमरकंटक में स्थापित राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ था और मुझे उन उत्साही व प्रतिभावान विद्यार्थियों से मिलकर बहुत खुशी हुई थी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मध्य प्रदेश में संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन पर विशेष बल दिया जा रहा है। जनजातीय छात्राओं में साक्षरता और शिक्षा के प्रसार के लिए मध्य प्रदेश में कन्या शिक्षा परिसरों के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।

आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए एक विशिष्ट योजना है।राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय वित्त और विकास निगम द्वारा इस योजना के तहत रियायती दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है। हमारी जनजातीय बहनों और बेटियों को ऐसी योजनाओं से मदद लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

हम सबको मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि हमारे जनजातीय भाई-बहनों को आधुनिक विकास में भागीदारी करने का लाभ मिले और साथ ही, उनकी जनजातीय पहचान व अस्मिता अपने सहज रूप में बनी रहे।

देवियो और सज्जनो,

कल यानि 8 मार्च का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन महिला सशक्तीकरण के लिए संकल्पबद्ध होने का दिन है। आज से लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पहले रानी दुर्गावती ने,युद्ध क्षेत्र में, महिला शक्ति का दुर्लभ उदाहरण प्रस्तुत किया था। आज उस महान वीरांगना की स्मृति को नमन करते हुए मैं सभी देशवासियों को, विशेषकर सभी बहनों और बेटियों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की अग्रिम बधाई देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!