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सेंट थॉमस कॉलेज के शताब्‍दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द का संबोधन

त्रिशूर : 07.08.2018

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1. मुझे सेंट थॉमस कॉलेज के ‘सत्‍य प्रयाण अथवा शताब्दी समारोह के उद्घाटन में उपस्थित होकर खुशी हुई है।यह इस संस्थान के लिए अत्यंत गौरव और संतुष्टि का क्षण है, जिसे न केवल केरल में बल्कि देश भर में अपनी विद्वत्‍ता एवं योगदान के लिए याद किया जाता है। मैं, सेंट थॉमस कॉलेज परिवार, विद्यार्थियों और शिक्षकों एवं प्रोफेसरों, कॉलेज प्रशासन ख्‍याति प्राप्‍त पूर्व विद्यार्थियों तथा प्रोफेसरों और कॉलेज से जुड़े समुदाय को बधाई देता हूं। आपके लिए विगत शताब्‍दी उपलब्धियों से भरपूर रही है।मुझे विश्वास है कि पिछली शताब्‍दी ने आगामी 100 वर्षों की आधारशिला रख दी है।

2. इस कॉलेज की शुरुआत की गाथा वाकई प्रेरणादायक है। 1887 में रेवरेंड डॉ. अडोल्फ़स एडविन मेडलीकाट ने त्रिशूर के प्रथम बिशप के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। कुछ ही समय के बाद उन्होंने वेटिकन में पोप को एक पत्र लिखा जिसमें पांच प्राथमिकताओं का उल्‍लेख था। उनकी पहली दो प्राथमिकताओं में बालक और बालिकाओं के लिए स्कूल खोलने की बात थी। स्वयं के लिए बिशप हाउस का निर्माण उनकी तीसरी प्राथमिकता थी। उस समय वे किराए के एक छोटे से घर में रहा करते थे।

3. 1889 में लड़कों के लिए स्कूल की शुरुआत हुई।तीस वर्ष बाद, इसे कॉलेज का दर्जा दे दिया गया, और आज यह संस्थान 100वर्ष का हो चुका है। इस दौरान कॉलेज में सुविख्‍यात लोगों ने शिक्षा प्राप्‍त की और यहांका दौरा भी किया। मुझे बताया गया है कि अक्टूबर, 1927में, महात्मा गांधी यहां आए थे और उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में सेंट थॉमस कॉलेज की भूमिका का जिक्र किया था। उन्होंने परिसर में उपस्थित लोगों को संबोधित किया और यहां के विद्यार्थियों ने स्वाधीनता की लड़ाई में सहयोग के लिए पांच सौ एक रुपयेकी राशि एकत्र की थी। आज यह राशि मामूली प्रतीत हो सकती है परंतु 1927में यह एक भारी रकम मानी जाती थी।

4. आज यहां आकर, मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में मेरे दो पूर्ववर्तियों के महान पदचिह्नों का ही अनुकरण कर रहा हूं।1980 में नीलम संजीव रेड्डी ने भारत के राष्ट्रपति के रूप में कॉलेज की हीरक जयंती समारोह में भाग लिया था।2008 में इसकी 90वीं वर्षगांठ में राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम उपस्थित हुए थे। इस बीच 1994 में इसकी प्लेटिनम जुबली समारोह में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पी. वी. नरसिम्हा राव को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। मैं जानता हूं कि उस वर्ष हमारे युग की संत और भारत रत्न से सम्मानित मदर टेरेसा भी यहां आई थीं और उन्होंने कॉलेज को आशीर्वाद दिया था।

5. ऐसी विभूतियों का आगमन कोई संयोग मात्र नहींथा। यह केरल और शेष राष्ट्र के सार्वजनिक और बौद्धिक जीवन में सेंट थॉमस कॉलेज की भागीदारी का सम्मान था। राज्य के दो प्रारंभिक और सर्वाधिक विख्यात मुख्यमंत्री श्री एम. एस. नंबूदरी पाद और श्री अच्‍युत मेनन ने यहीं पर अध्‍ययन किया था।इसी प्रकार लोक सभा के वरिष्ठ सदस्य श्रीसी.एम. स्टीफन और बहुत सी अन्य राजनीतिक शख्सियतों ने भी यहीं पढ़ाई की थी।चिन्मय मिशन के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद भी कभी इसी कॉलेज के विद्यार्थी थे। बिशप मार जॉर्ज अलापट्ट और मार ऐ प्रेम भी इसके पूर्व विद्यार्थियों में शामिल हैं। यहां अध्ययन कर चुके सफल लोगों की सूची बहुत लंबी है। इसमें वैज्ञानिकों से लेकर शिक्षाविद्, वकील से लेकर राजनयिक तक शामिल हैं।

देवियो व सज्जनो और प्यारे विद्यार्थियो,

6. अलग-अलग पृष्ठभूमि के होते हुए भी, केरल का प्रत्येक निवासी सेंट थॉमस कॉलेज की अनवरत सफलता और प्रगति में हितधारक है। इन सबके बावजूद, कॉलेज की स्थापना और संचालन के लिए तथा इसे इतने ऊंचे शिखर पर ले जाने में चर्च की भूमिका की सराहना करना जरूरी है। केरल का ईसाई समुदाय न केवल भारत बल्कि पूरे विश्‍व के ईसाई समुदायों में एक प्राचीनतम समुदाय है। इसकी विरासत और इतिहास समूचे देश के लिए गौरव का विषय है तथा विविधता और बहुलवाद के प्रति भारत की सुदृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

7. मैं कहना चाहूंगा कि शेष केरल की भांति, इससमुदाय ने बहुत से क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की हैं। फिर भी, इसने दो कार्यों-शिक्षा और उपचार में अपने लिए विशेष बनाया है।अनेक भारतीय चिकित्सा व परिचर्या और अध्यापन व शिक्षा के साथ इस समुदाय को स्वाभाविक तौर पर संबद्ध मानते हैं।ऐसी सद्भावनाएं अन्य देशों में भी विद्यमान है। भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद, 2017 में मैंने अपनी पहली राजकीय यात्रा के भाग के रूप में इथियोपिया की यात्रा की थी। इथियोपियावासी उन भारतीय अध्यापकों के प्रयासों को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से याद किया करते हैं, जिन्‍होंने50 वर्ष पहले उस देश के अंदरूनी हिस्सों में जाने का जोखिम उठाया था। उन्होंने इथियोपियाई बच्चों की कई पीढ़ियों को शिक्षित किया और अभी भी उन्हें कृतज्ञता के साथ याद किया जाता है। उनमें से अनेक अध्यापक केरल से थे और वास्तव में इसी क्षेत्र और समुदाय से थे।

8. सेंट थॉमस कॉलेज का सूत्र वाक्य, ‘वेरितास वूस लिबेराबित' अथवा ‘सत्य से ही मुक्ति मिलेगी' अति उपयुक्त है। यह हमें याद दिलाता है कि शिक्षा का वास्तविक महत्‍व परीक्षा और उपाधियों में नहीं बल्कि इस बात में निहित है कि हम किस प्रकार अन्य लोगों की सहायता करना, गरीब लोगों और जरूरतमंदों की मदद करना और जो हमारे पास है, उसे उनके साथ साझा करना सीखते हैं। मैंने हमेशा से यह माना है दूसरों की मदद करना, दूसरों का उपचार करना तथा दूसरों तक ज्ञान का प्रकाश फैलाना ईश्वर की महानतम सेवा है। आपका कॉलेज इस महान परंपरा का अंग है।

9. जब हम अपने समाज को शिक्षित और विकसित करने तथा अपने सपनों का केरल और भारत बनाने का प्रयास करें तो इस स्थिति में हमें इसी मिशन से मार्गदर्शन लेते रहना होगा। सेंट थॉमस कॉलेज जैसे शिक्षा संस्थान इस यात्रा में महत्वपूर्ण हैं।जब आप अपनी दूसरी शताब्दी में कदम रख रहे हैं तब मैं एक बार फिर आपको इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं तथा शुभकामनाएं देता हूं कि आप भविष्‍य में और अधिक उपलब्धियां हासिल करें।

धन्‍यवाद

जय हिन्‍द!