चेक गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन
प्राग : 07.09.2018
1. राष्ट्रपति महोदय, आपके भावभीने स्वागत भाषण और हार्दिक आतिथेय के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं। अपनी प्राचीन भव्यता से ओत-प्रोत शानदार प्राग नगर और इस सुंदर देश की यात्रा पर आकर मुझे अपार प्रसन्नता हुई है। मैं विशेष रूप से, आपकी मैत्री और सद्भावना से अभिभूत हुआ हूं।
2. महामहिम, हमारे संबंध गर्मजोशी से भरे और मैत्रीपूर्ण हैं। दोनों राष्ट्रों को विरासत में एक समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास प्राप्त हुआ है। अपने शहर और अपने दिलों में हमारे राष्ट्रकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर को गौरवशाली स्थान देने के लिए मैं आभारी हूं। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हम चार्ल्स विश्वविद्यालय में भारतविद्या केन्द्र की सफलता से गौरवान्वित हैं। इसने हमारे घनिष्ठ और सहृदयपूर्ण संबंधों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
3. महामहिम, 2001 में प्रधान मंत्री के रूप में आपकी भारत यात्रा से हमारे संबंधों को आत्यावश्यक गति प्राप्त हुई थी। तभी से हमारे संबंध उत्तरोत्तर सुदृढ़ होते गए हैं। आज हमने अपने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और घनिष्ठ बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दुहराई है।
4. हमारे आर्थिक संबंधों में अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। भारत की विकास गाथा और चेक प्रौद्योगिकी और विनिर्माण दक्षता हमें सहज साझीदार बनाती है। आइए, हम इस सहयोग को आगे बढ़ाने और इसे घनिष्ठ बनाने के लिए कार्य करें।
5. महामहिमगण, हमारा आपके देश के साथ एक विशेष संबंध है। बाटा शू कंपनी का जन्म इसी देश में हुआ था, परंतु प्रत्येक भारतीय यही सोचकर बड़ा हुआ है कि यह उनकी अपनी कंपनी है। और प्रत्येक भारतीय बच्चा इसी कंपनी के जूते पहनकर स्कूल गया है। हम अपनी जनता के बीच परस्पर संबंधों को मजबूत बनाने पर काम कर रहे हैं और इस काम में अपनत्व की इन भावनाओं से हमें बहुत उम्मीदें हैं।
6. महामहिम, देवियो और सज्जनो, इसी सुखद भावना के साथ, आइए हम सब मिलकर:
- चेक गणराज्य के राष्ट्रपति और प्रथम महिला के स्वास्थ्य और प्रसन्नता की;
- तथा हमारी जनता और हमारे देशों के बीच निरंतर और चिरस्थायी मैत्री की कामना करें।