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इक्वेटोरियल गिनी के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

मलाबू : 08.04.2018

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ब्यूनास दियास,

महामहिम, आपके खूबसूरत देश की यात्रा करना वास्तव में मेरे लिए अत्यंत सम्मान की बात है। यह भारत की ओर से पहली राजकीय यात्रा है। राष्ट्रपति महोदय, मैं हार्दिक और भव्य आतिथेय के लिए आपके प्रति गहरा आभार व्यक्त करता हूं। इससे हमारे घनिष्ठ मैत्री और हार्दिक संबंध प्रतिबिंबित होते हैं।

1. भारत और इक्वेटोरियल गिनी दोनों का ही एक साझा अतीत है और दोनों ही एक सतत भविष्य के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं। हम दोनों ही औपनिवेशिक अतीत की परछाइयों से उभरकर आए हैं और अपने लोगों की शांति, समृद्धि और बेहतरी के प्रति वचनबद्ध हैं। आज, भारत और इक्वेटोरियल गिनी तीव्र विकास सुनिश्चित करने के कार्य में जुटे हुए हैं और इन कार्यों के लाभ अपने समाजों के सभी वर्गों में बांट रहे हैं। इस संबंध में, आपके नेशनल होराइजन 2020 कार्यक्रम को एक प्रमुख भूमिका निभानी है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई है कि महामहिम के मार्गदर्शन में, इस योजना का प्रथम चरण सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर दिया गया है और दूसरे चरण का जिसका लक्ष्य आपके देश को एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था में बदलना है, जोरदार कार्यान्वयन चल रहा है।

3. महामहिम, हमारे दोनों देशों के बीच बहुत कुछ एक जैसा है। इसलिए यह उम्मीद करना स्वाभाविक है कि हमारे द्विपक्षीय संबंध और गहरे तथा विविधतापूर्ण होने चाहिए। राष्ट्रपति महोदय, हमें 2015 में नई दिल्ली में तृतीय भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन के दौरान आपकी मेज़बानी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसी तरह, हमें पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन संस्थापना सम्मेलन में आपका स्वागत करने का भी सम्मान प्राप्त हुआ। आपकी यात्राओं ने हमारे संबंधों को एक नई गति प्रदान की है। भारत इक्वेटोरियल गिनी के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने और विकसित करने के लिए समान रूप से प्रतिबद्ध बना रहेगा। इसी निरंतरता में, मुझे खुशी है कि हमने मलाबू में अपना राजनयिक मिशन खोलने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। इससे हमारी द्विपक्षीय यात्रा में एक नई शुरुआत होगी।

4. महामहिम, आपके देश का लक्ष्य अपनी अर्थव्यवस्था को विविधतापूर्ण बनाने का है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारत को, आप जिस रूप में चाहें साझीदार बनकर खुशी होगी। हम दक्षिण-दक्षिण सहयोग के अतिप्रिय जीवन-मूल्यों के अनुरूप अपनी विकास सहयोग साझेदारी को बढ़ाने के लिए भी उत्सुक हैं। हमने इसी भावना के साथ यहां एक उद्यमिता विकास केन्द्र और अंग्रेजी भाषा प्रयोगशाला स्थापित करने में मदद की पेशकश की है। हम कृषि, खनन, स्वास्थ्य, दूर-संचार और सूचना प्रौद्योगिकी द्घद्दमें भी आपकी सहायता करने का भरसक प्रयास करेंगे।

5. महामहिम, आपके देश ने इस वर्ष वैश्विक स्तर पर एक नई शुरुआत की है। मैं एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में आपके कार्यकाल के लिए आपको बधाई देता हूं और सफलता की शुभकामनाएं देता हूं। महामहिम, आप अफ्रीकी संघ की प्रगति की अग्रिम पंक्ति में रहे हैं और आपने इस महाद्वीप और इस क्षेत्र में शांति, समृद्धि और एकता को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत की है। हम इस मामले में आपके नेतृत्व की अत्यंत सराहना करते हैं। हमारे दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिलकर कार्य कर रहे हैं। हमें संयुक्त राष्ट्र और उसके परे भी सुधार के समर्थन में एकजुट रहना चाहिए। जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर हमारी चिंताएं साझी हैं। मुझे उम्मीद है कि इस उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की रूपरेखा के अंतर्गत हमारी साझेदारी के सार्थक परिणाम निकलेंगे। मेरी आशावादिता से मुझे एक प्रसिद्ध गिनी कहावत की याद आती है। ‘‘कोई फर्क नहीं पड़ता कि सर्दियां कितनी लम्बी हैं, वसंत का आना तय है।’’

6. महामहिम, आज का दिन, भारत-इक्वेटोरियल गिनी मैत्री के लिए एक विशेष और ऐतिहासिक दिन है। यह मैत्री पीको बसील से भी लम्बी हो और सेइबा वृक्ष से ज्यादा मजबूत बने!


7. इसी सुखद कथन के साथ, महामहिमगण, देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:

-इक्वेटोरियल गिनी के राष्ट्रपति और प्रथम महिला के स्वास्थ्य और कुशल-क्षेत्र;

-इक्वेटोरियल गिनी की मैत्रीपूर्ण जनता की प्रगति तथा खुशहाली; और

-हमारे दोनों देशों के बीच स्थायी मैत्री की कामना करें।

मूचास ग्रेसियास!